शनिवार, 22 जनवरी 2022

Guru Rashi Parivartan#Jupiter transit in Pisces

www.acharyarajesh.inGuru Rashi Parivartan :
मित्रों13 अप्रैल 2022
13 अप्रैल बुधवार के दिन2022 को गुरु मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मीन राशि कालचक्र के अनुसार मोक्ष नामक पुरुषार्थ से सम्बन्ध रखती है। व्यक्ति के जन्म लेने के बाद मौत तक तो वृश्चिक राशि का प्रभाव चलता है लेकिन धनु राशि से लेकर जन्म लगन तक जातक का पिछला परिवार और जातक के पिछले जीवन के बारे में जानकारी मिलती है। मीन राशि गुरु की नकारात्मक राशि है,इस राशि से जातक के लिये देखा जाता है कि जातक पिछले जन्म में किस योनि मे अपना स्थान रखता था,वह आदतों से कैसा था,और उसके द्वारा जो भी आराम करने के स्थान,शांति प्रदान करने के कार्य, कमाने के बाद खर्च करने के स्थान आदि के बारे में सोचा जाता है,वैसे यह राशि कर्क राशि से नवें भाव की राशि है वृश्चिक राशि के पंचम की राशि है, जो भी मौत के बाद की जानकारी होती है इसी राशि से मिलती है। कमाने के बाद जो खर्च कर दिया जाता है और खर्च करने के बाद जो संतोष मिलता है वह इसी राशि से मिलता है,अपने स्वभाव के अनुसार जीव अपने स्वार्थ के लिये खर्च करता है उसे संतोष तभी होता है जब उसने जिस कार्य के लिये खर्च किया है,ऋषि मुनि अपने अपने ज्ञान और शरीर को ही खर्च कर देते थे,धनी लोग अपने स्वार्थ के लिये बडे बडे चैरिटीबल ट्रस्ट बनाकर अपने पूर्वजों के लिये धर्मशाला और मन्दिर आदि बनवा कर खूब खर्च कर देते है। यह मीन राशि का स्वभाव होता है। इसी स्वभाव में जातक का जब जन्म होता है तो उसे ईश्वर की तरफ़ से सौगात मिलती है कि वह बडे संस्थान या बडे काम को सम्भालने के लिये अपनी जीवन को खर्च करने के लिये आया है। उसे जो भी मिलेगा वह बडे रूप में ही मिलेगा,और इस राशि के प्रभाव से वह कार्य भी बडे ही करेगा,उसके लिये कोई छोटा कार्य जभी समझ में आता हैमीन राशि हवा की राशि है और अपने को एक एक कदम पर हवा में उछालती है,शरीर में इस राशि का प्रभाव पैर के तलवों पर होता है,जब भी व्यक्ति चलता है तो हर कदम पर तलवे चलने लगते है भूमि से स्पर्श करने का कार्य तलवों का ही होता है,गुरु का रूप इस संसार मे संबंधो के लिए माना जाता है गुरु ही इस संसार मे चलाने वाली बुराई और अच्छाई वाली हवा के लिए भी जाना जाता है। गुरु गोचर से जब काल पुरुष की कुंडली मे जिस राशि मे गोचर करता है उसी के अनुसार अपने फलो को प्रदान करता जाता है। मीन राशि के गुरु का जातक अपने स्वभाव और पहिने ओढने के बाद देखने में तो पक्का गुरु लगता है लेकिन उसके स्वभाव में गुरु के बक्री होने का असर भी होता है वह कब सात्विक से बदल कर तामसी हो जायेगा कोई पता नही होता है, गुरु का मीन राशि में प्रवेश होने से जिनका गुरु जन्म से ही मीन राशि में था उनके लिये विदेश जाने के रास्ते खुल जाते है। संसार में कुछ ऐसी हवा चलने लगेगी कि लोग विदेश में जाने विदेश में बसने की बातें सोचना शुरू कर देंगे जो लोग अविवाहित होते है उनके लिये रिस्ते आने शुरु हो जाते है । याता यात के साधनों में सरकार की विशेष रूचि रहेगी खासकर हवाई जहाज यात्रा की प्रगति कैसे हो कि मैं सुधार कैसे हो इस इसको लेकर भी काफी उपाय यह माने जा सकते हैं।छोटा सा आदमी भी परा शक्ति की बाते करने धर्म कर्म की बातें करते अपना प्रभाव छोड़ने की कोशिश करेगागुरु की दृष्टि हमेशा स्थान के अनुसार यानी जहां गुरु विराजमान है अपने स्थान से तीसरे स्थान अपने स्थान से पंचम स्थान अपने स्थान से सप्तम स्थान और अपने स्थान से नवे स्थान को बल देने तथा उनही स्थानो के बल को प्रदान करने के लिए भी माना जाता है। गुरु का स्थान मीन राशि मे होने पर इसलिए बाहरी शक्तियों के लिए और विदेश यात्रा आदि के लिए लोगो के ख्याल अधिक माना जाता है।इसके बाद गुरु की निगाह वृष राशि मे होने के कारण लोग अपने विदेशी परिवेश के दौरान अधिक से अधिक धन और भौतिक वस्तुओं की बढ़ोत्तरी अपने कुटुंब की सहायता के लिए विदेश से मिलने वाली सहायता के लिए धर्म स्थान पर जाने और धन को खर्च करने के लिए भी अपनी युति को यह गुरु दे रहा है,इसके बाद गुरु का पंचम प्रभाव कर्क राशि पर होने के कारण लोगो की जो भी धार्मिक यात्राये होगी वह अक्सर या तो पानी वाले स्थान के लिए या फिर बर्फीले स्थानो की तरफ अधिक जाने की तरफ रुचि रहेगी।गुरु की पंचम नजर कर्क राशि पर होने से जातक के अन्दर जल्दी से धन कमाने की कला की पैदाइस भी मानी जा सकती है जो लोग तकनीकी शिक्षा के प्रति कमजोरी महसूस कर रहे थे उनका दिमाग भी सही चलने की बारी आजाती है, इस राशि वालों के लिये दक्षिण पश्चिम की यात्रायें भी बनने लगती है,जो लोग अपने पूर्वजों को तर्पण आदि देना भूल गये होते है वे अपने अपने अनुसार तर्पण की व्यवस्था भी करते हुये देखे जा सकते है। कोई फ़ूलो की माला से कोई दीपक जलाकर और कोई अगरबत्ती जलाकर और कोई पिंड आदि देकर अपने कार्य को सम्भाल लेता है और नही तो कोई अपने पूर्वजों के नाम से धर्म स्थानो का निर्माण ही करवाने लगता है।। गुरु के द्वारा ही पानी चावल चांदी और जनता के अंदर एक प्रकार की उद्वेग बढ़ाना भी शुरू कर देना भी कहा जा सकता है।जनता का रुझान बाहरी शक्तियों को हटाने के लिए इसी गुरु का सहारा लेने के लिए अपनी युति को देने,इस गुरु के अंदर यह भी भावना का उदयहोना माना जाता है।कितने ही लोग अपने अपने जन्म के गुरु के अनुसार व्यापार मे जो चांदी चावल का करते हैं या तो बहुत तरक्की करेंगे अपने व्यापार में या अपने व्यापार को ही डूबो देंगेगुरु की सप्तम नजर कन्या राशि मे होने के कारण भी लोगो का एक सवाल हमेशा उनके जेहन मे उभरता रहेगा कि वे नौकरी करेंगे या कहाँ करेंगे,धन वाले क्षेत्रो मे अस्पताली क्षेत्रो मे और सेवा वाले क्षेत्रो मे काफी लोगो को रोजगार बाहरी सहायताओ के बल से काफी मिलने की प्रबल संभावना है।
गुरु की नौवी दृष्टि वृश्चिक राशि पर होने के कारण लोगो की रुचि रिस्क लेने वाले कारणो की तरफ भी अधिक रहती है।लोग बिना किसी कारण के भी रिस्क लेने के लिए अपने दिमाग को लगाने की तरफ अपने रुझान को रखेंगे जो लोग धार्मिक प्रवृत्ति के हैं उनका लिया हुआ रिस्क फलित होगा।
उनकी रिस्क लेने की बातों को तो पूरा होता देखा गया और उनकी कोई भी रिस्क अपने अनुसार खरी उतरी,साथ ही जो लोग खरीदने बेचने और प्रापर्टी आदि के काम करते होंगे उनके लिए घर बनाकर और घर बनाकर बेचने खाली जमीने लेने और उन जमीनो पर मकान बनाकर बेचने पर गुरु से जिन लोगो के संबंध बहुत अच्छे हैं वह लोगो खूब घन कमा सकते हैं और जिन लोगो के संबंध सही नहीं जिन्हे अधिक चालाक होने की नजर से देखा जाए वे डूबेगा और उनकी कल्पना अधूरी भी रहेगी तथा जो धन बल और जानकारी भी उन्हे ही ले डूबेगी। वृश्चिक राशि शमशान की राशि भी मानी जा सकती है,सही लोग तो राख़ से भी साख निकाल कर ले आएंगे और खराब लोग अपनी साख को भी राख़ मे मिलाकर वापस आ जाएंगे। गुरु अपने अनुसार ही लोगो के लिए वृश्चिक राशि मे असर देने के बाद काम सुख मे भी बढ़ोत्तरी का कारक माना जाता है,
इस नौवी नजर के कारण एक कारण और भी देखा गया कि जो लोग बहुत पहले से अपने को कार्य मे लगे हुए होंगे उनके लिए किसी प्रकार का आघात दिक्कत नही दे पाएंगे और जो लोग अकसमात ही देखा-देखी शुरू हुये होंगे वे अपने को आघात मिलने के कारण या तो दुनिया से ही दूर या अपने लोगो से ही दूर चले ,इसका एक कारण और भी है कि जो लोग अपने को संभाल कर और बुद्धि से चलाते रहेंगे वे सुखी रहेंगे और जो लोग अचानक ही अपने को बदलने के लिए लोग या तो धार्मिक और संबंधो से उच्चता मे या उन्हे समाज से बिलकुल ही दूर हो जाएंगे मित्रों कोई भी गोचर आपकी कुंडली पर निर्भर होता है वह कैसा फल देगा किसी भी ग्रह का परिवर्तन होता है तो वह आपकी कुंडली में बैठे हुए ग्रह के द्वारा ही आपको शुभ या अशुभ फल देगा qa राजेश

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