शनिवार, 28 जुलाई 2018

https://youtu.be/wAxNMKd-x8Y

बुध ग्रह Mercury planet

 सूर्य के सबसे निकटतम बुध ग्रह है। इसका हमारे जीवन में गहरा प्रभाव पड़ता है। पौराणिक चरित्रों में चंद्रमा के पुत्र हैं बुध। जिनकी माता का नाम रोहिणी और वे अथर्ववेद के ज्ञाता माने गए हैं। 

उनका विवाह वैवस्वत मनु की पुत्री इला से हुआ। उन्हें बुध ग्रह का स्वामी माना गया है। देवों की सभा में बुध को राजकुमार कहा गया है। बुध सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट स्थित ग्रह है। यह व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है। यह जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है।प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बुध का काफी महत्व है। बुध, बुद्धि का कारक है। सामाजिक जीवन में, पारिवारिक जीवन में, आध्यात्मिक जीवन में या किसी अन्य क्षेत्र में अच्छे बुध वाला व्यक्ति उत्तम निर्णय लेकर सदैव उचित कार्य करता है। जिस व्यक्ति का बुध अच्छा होता है, वह अपने कामों की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करता है।जिस व्यक्ति का बुध अन्य सभी ग्रहों से पावरफुल हो तो वह जातक बुध प्रधान कहलाता है। ऐसे व्यक्ति के पास अच्छी सूझबूझ और निर्णय लेने की क्षमता होती है। अन्य लोग ऐसे व्यक्ति से सलाह-मशविरा करने आते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में, सलाहकार के रूप में अथवा समाज के अन्य क्षेत्र में अच्छे कार्य अपनी तार्किक विचारशक्ति के कारण करते हैं। वैसे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बुध शुभ फलदायी होता है।लेकिन अगर कुंडली में बुध खराब प्रभाव में हो तो इंसान की जिंदगी में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है.इंसान बीमारियों के चंगुल में फंस जाता है. शरीर की आभा खत्म होने लगती है.

-कर्ज से परेशान रहने लगता है और आर्थिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित रहता है.

-बुध खराब होने पर पद प्रतिष्ठा, मान सम्मान, यश बल सबसे गिरावट आने लगती है.

-इंसान शिक्षा में कमजोर हो जाता है, सूंघने की शक्ति घट जाती है, अपनी बातों के जरिए प्रभावशाली नहीं बन पाता है.

-बुद्धिवान होने के अंहकार से ग्रसित हो जाता है

इसीलिए कहा जाता है ग्रह कोई भी हो, छोटा हो बड़ा हो. उसका प्रभाव किसी भी दूसरे ग्रह से कमतर नहीं आंका जा सकता है.कुंडली में बुध अगर कमजोर हो तो समस्याएं व्यापक हो जाती हैं. बुध के कमजोर होने से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और वाणी में दोष आ जाता है. साथ ही बुध के कमजोर होने से इंसान की सुंदरता भी प्रभावित होती है

लाल किताब अनुसार बुध ग्रह के बुरे प्रभाव को शांत करने के लिए दुर्गा की पूजा करने की हिदायत दी गई है। यह कुंडली में बारहवें स्थान के स्वामी होने के साथ ही दलाली और व्यापार के कार्यों में मदद करते हैं। 

कन्या और मिथुन राशि के स्वामी बुध के सूर्य, शुक्र और राहु मित्र, चंद्र शत्रु और मंगल, गुरु, शनि और केतु सम। लेकिन अकेले शुक्र के साथ बुध बैठकर बलशाली बन जाते हैं।यदि आप पर बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव पड़ रहा है तो आपको व्यापार, दलाली, नौकरी आदि कार्यों में नुकसान उठाना पड़ेगा। आपकी सूंघने की शक्ति कमजोर हो जाएगी। समय पूर्व ही दांत खराब हो जाएंगे। आपके मित्रों से संबंध बिगड़ जाएंगे। संभोग की शक्ति क्षीण हो जाएगी। बहन, बुआ और मौसी किसी विपत्ति में है, तो भी आपका बुध ग्रह अशुभ प्रभाव वाला माना जाएगा। 

इसके अलावा यदि आप तुतले बोलते हैं तो भी बुध ग्रह अशुभ माना जाएगा। व्यक्ति खुद ही अपने हाथों से बुध ग्रह को खराब कर लेता है, जैसे यदि आपने अपनी बहन, बुआ और मौसी से संबंध बिगाड़ लिए हैं तो बुध ग्रह विपरीत प्रभाव देने लगेगा। 

कुंडली में यदि बुध ग्रह केतु और मंगल के साथ बैठा है तो यह मंदा फल देना शुरू कर देता है। शत्रु ग्रहों से ग्रसित बुध का फल मंदा ही रहता है। ऐसे में यह उपरोक्त सभी तरह के संकट खड़े कर देता है। आठवें भाव में बुध ग्रह शनि और चंद्र के साथ बैठा है तो पागलखाना, जेलखाना या दवाखाना किसी भी एक की यात्रा करा देता है। हालांकि बुध ग्रह को अच्‍छे प्रभाव देने वाला भी बनाया जा सकता है।आपकी बहन, मौसी और बुआ की स्थिति ठीक है तो यह माना जाएगा कि आपका बुध ग्रह भी ठीक है। यदि बुध ग्रह शुभ प्रभाव दे रहा है तो वह आपमें बोलने की क्षमता का विकास करेगा। आपको ज्ञानी और चतुर बनाएगा। आपकी देह सुंदर और सोच स्पष्ट होगी। आपकी बातों का असर होगा। 

ऐसे में आपकी सूंघने की शक्ति गजब की होती है। व्यापार और नौकरी में किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं आएगी और आप उन्नति करते जाएंगे। ईमानदारी और सच्चाई छोड़ देने से बुध ग्रह अपना शुभ प्रभाव छोड़ देता है।सामान्य उपाय : 

यदि कुंडली में बुध ग्रह नीच का या शत्रु ग्रहों के साथ बैठा है तो आपको मां दुर्गा की भक्ति करना चाहिए। बेटी, बहन, बुआ और साली से अच्छे संबंध रखने चाहिए।* बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए और साबूत हरे मूंग का दान करना चाहिएइसके अलवा नाक छिदवाना चाहिए जिससे बुध का बुरा असर जाता रहेगा।लाल किताब के किसी विशेषज्ञ को अपनी कुंडली की जांच कराएं, तभी उपाय करें क्योंकि कुंडली के प्रत्येक खाने के हिसाब से बुध के अलग प्रभाव और उपय होते हैं और घर को वास्तु अनुसार ठीक कराएं ।

शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

चंद्र ग्रहण 27 July 2018 सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण 27 July 2018 सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण

भयानक सजा मंगल की

मंगल खून और मज्जा का स्वामी है,कानों में बैठ कर सुनने का बल देता है,तथा मनोबल को कुछ भी पास में नही रहने पर बनाये रखता है।

मंगल लडाई झगडे का कारक भी है,इसलिये पुलिस मिलट्री आदि रक्षा संस्थानो में नौकरी करवाने का सहायक भी है। इसका रंग लाल है,यदि यह जोश नही पैदा करे तो संसार में लडाई झगडे आदि नही हो सकते है। पिछले जीवन में (जो जीवन बीत गया है) अच्छे काम करने परोपकार करने के कारण यह मंगल फ़ौज मिलट्री डाक्टरी और इन्जीनियरिंग होटल आदि के व्यवसाय से शान शौकत देता है,तकनीकी क्षेत्रों में ख्याति और नाम देता है,लेकिन जब मंगल को बिगाडना होता है तो राहु अपना बल जातक को देने लगता है,जातक को शराब पीने की आदत पड जाती है पुरुष है तो स्त्री को और स्त्री है तो पुरुष को प्रताडना देना शुरु कर देता है। उसके गलत सम्बन्ध बनने लगते है,वह अन्य स्त्रियों या पुरुषों में अपने मन को लगाने लगता है,अपने पराक्रम का दुरुपयोग करने लगता है,यह कारण भी माना जाता है कि बुध अगर मंगल के साथ कहीं से भी सम्बन्ध रखता है तो उसकी सामाजिक पोजीसन के साथ साथ आगे की सन्तान जीवन सभी कुछ बरबाद कर देता है। वैसे बुध और मंगल सूर्य के मित्र है लेकिन बुध जब मंगल को सहायता देने लगे तो वह सूर्य को भी गर्त में डालने में नही चूकता है। बुध मंगल को गर्त मे ले जाने के लिये चन्द्र और शनि की सहायता लेता है,राहु उसके ऊपर हावी होता है,वह अपने को सुपीरियर समझने लगता है। मंगल का प्रभाव अक्सर परिवार की तबाही के लिये जिम्मेदार भी माना जाता है,जातक पर जब राहु का नशा चढता है तो वह अपने नेक मंगल को भी बद मंगल में बदल देता है। वह किसी प्रकार की पदवी पाकर अपने पराक्रम का दुरुपयोग करने लगता है,धन के नशे में चूर होकर अपने धन को और अधिक बढाने के लिये नये नये पाप करने लगता है,किसी प्रकार से उसकी इच्छा शान्त नही होती है,खून खराबी मारपीट लूटपाट आदि करने में उसे कतई हिचकिचाहट नही होती है,खून खराबा करने के बाद अपने व्यवसाय को बढाने लगता है,और अहंकार के मद में दया और धर्म को दरकिनार कर देता है,अपने मद में वह लुटेरों की फ़ौज इकट्टी कर लेता है,दूसरों से पैसा लेकर हत्या करवाना,डाकुओं की संगति में रहकर लूटपाट और निर्दोष लोगों की हत्या करना आदि उसके मुख्य व्यवसाय बन जाते है,अपने अहम के कारण अपने ही लोगों को बरबाद करना घर और गांव को बरबाद कर देना,शहर के अन्दर आतंक फ़ैलाकर अपने नाम और शौहरत के लिये कुछ भी करवा देना आदि बातें मंगल के बद होने से और राहु की संगति के कारण बन जाते है। बद मंगल वाला अधिकतर मामलों में हथियारों की नोक पर धन कमाने का काम करने लगता है,जो भी धन मिलता है उसका पूर्ण रूप से दुरुपयोग करने लगता है,शास्त्र धर्म की आज्ञा को एक तरफ़ रख देता है,और जघन्य से जघन्य अपराध करना शुरु कर देता है। प्रकृति सभी बातों के संतुलन के लिये अपने अपने हथियार समय पर प्रयोग करती है,जब व्यक्ति को अधिक मद हो जाता है तो वह अपने ही हथियास से उसे काट देती है,कितना ही चालाक या बल वाला हो लेकिन प्रकृति के हथियार के वार से वह बच नही सकता है। इसके के लिये प्रकृति ने मंगल को ही उसे सजा देने के लिये नियुक्त किया हुआ है,जैसे ही वह प्रकृति के संतुलन को बिगाडने की कोशिश करता है,उसे मंगल आजीवन कष्ट देने के लिये अपनी योग्यता को देने लगता है,एक ही जन्म में नही वह दूसरे जन्मों में भी अपनी की गयी करतूतों को भुगतने के लिये मजबूर होता है। जब तक उसके पापों का प्रायश्चित नही हो जाता है मंगल उसे अस्पताल में रगडता है,घर की संतान को अपंग लूला लंगडा अपाहिज मंदबुद्धि बना देता है,पुत्री संतान को वह चरित्र हीन बना देता है उसका ही जीवन साथी उसे कदम कदम पर धोखा देने लगता है,हाथ पैर या किसी अंग से अपाहिज बनाकर दर दर की ठोकरें खाने के लिये मजबूर कर देता है। जब तक मंगल उसके पिछले कृत्यों की सजा पूरी नही कर लेता है तब तक जातक का पिंड नही छोडता है। जातक सोचता है कि मैने तो कभी पाप नही किया है,मैं धार्मिक हूँ मैं पूजापाठ में मन लगाता हूँ,मै समाज की सेवा करता हूँ,फ़िर उसे कष्ट क्यों मिल रहे है। इस प्रकार के जातक अपने पूर्व जन्मों का भुगतान प्राप्त कर रहे होते हैं। इसकी पहिचान के लिये देखा गया है कि जातक पहले तो धन सम्बन्धी काम करता है,फ़िर घर में ही अस्पताल या इन्जीनियरिंग के अथवा भोजन पका कर बेचने का काम शुरु करता है,फ़िर सरकारी कामो  की ठेकेदारी या राजनीति में हिस्सा लेकर अपने को राजनीतिक बना लेता है,उस के बाद उसके घर में अधिक ध्यान नही देने और अपने बच्चों और पत्नी को सही रूप से नही संभालने के कारण वे रास्ता भटक जाते है,कभी कभी वह अपने बच्चों के साथ बैठता है तो वह अपने ही परिवार के प्रति उनके दिल में बुरी भावनायें भरता है,जिससे समय पडने पर और बच्चों को कष्ट के समय कोई परिवार वाला भी उनके साथ नही आ पाये,यह सब होने के बाद मंगल सीधे से उसे किसी बडे अस्पताल या जेलखाने में पहुंचाने का बन्दोबस्त कर देता है जहां जातक भरपूर शक्तिवान होते हुये भी गंदगी भरे  वातावरण में रहने को मजबूर हो जाता है। मंगल सबसे बडा दण्ड यह देता है कि वह जातक का मनोबल गिरा देता है,जिससे वह सारी उम्र घर के अन्दर पडा रहता है या फ़िर जेल खाने या अस्पताल में सडता रहता है।

सोमवार, 23 जुलाई 2018

गुरु और बुध

गुरु ओर वुघ

लालकिताब में गुरु को सूर्य से भी अधिक महत्व दिया गया है,सूर्य सौर मंडल के ग्रहों का राजा है,तो गुरु को देवताऒ का का गुरु कहा गया है

,भारतीय परम्परा के शासक भी गुरु के शासन में रहा करते थे,ज्योतिष के अनुसार ग्रहों को कालपुरुष के नौ अंगों का रूप बताया गया है,इस अंग विभाजन में गुरु को शरीर की गर्दन का प्रतिनिधि माना जाता है,कालपुरुष ने गर्दन को गुरु के रूप में अपने हाथ में पकड रखा हो,फ़िर अन्य ग्रहों की बिसात ही क्या रह जाती है,लालकिताब ने गुरु को आकाश का रूप दिया है,जिसका कोई आदि और अन्त नही है,गुरु ही भौतिक और आध्यात्मिक जगत का विकास करता है,उसके ऊपर अपनी निगरानी रखता है,ज्योतिष के अनुसार गुरु को धनु और मीन राशि का स्वामी बताया है,लालकिताब के अनुसार गुरु को नवें और बारहवें भाव का स्वामी बताया गया है,लालकिताब के अनुसार ही गुरु को भचक्र की बारह राशियों के अनुसार बारहवें भाव को राहु और गुरु की साझी गद्दी बताया गया है,बारहवे भाव में गुरु और राहु अगर टकराते है,तो राहु गुरु पर भारी पडता है,और गुरु के साथ राहु के भारी पडने के कारण जो गुर संसार को ज्ञान बांटने वाला है,वह एक साधारण सा मनुष्य बन कर अपना जीवन चलाता है,गुरु के भी मित्र और शत्रु होते है,गुरु जो आध्यात्मिक है ,उसे भौतिक कारणों को ही गौढ मानने वाले लोग जो शुक्र के अनुयायी होते है,उनसे नही पटती है,और अक्सर आध्यात्मिक व्यक्ति की भौतिक कारणों को ही गौढ मानने वाले लोगों के साथ नही बनती है,इसी को शत्रुता कहते है,बुध जो वाणी का राजा है,और अपने भाव को वाणी के द्वारा ही प्रकट करने की योग्यता रखता है,की आध्यात्मिक सिफ़्त रखने वाले गुरु से नही पटती है,लेकिन वही बुध अगर किसी प्रकार से गुरु के मुंह पर विराजमान होता है,जो गुरु के मुखारबिन्दु से आध्यात्मिक बातों का निकलना चालू हो जाता है,यह बात बुध के कुन्डली के दूसरे भाव में विराजमान होने पर ही मिलती है,बुध जब पंचम में होता है,तो भी गुरु के घर पर जाकर शिक्षात्मक बातों को प्रसारित करने में अपना मानस रखता है,और गुरु का मित्र बन जाता है,नवें भाव में गुरु का मित्र केवल आध्यात्मिक बातों को प्रसारित करने के लिये भौतिक साधनो के द्वारा या गाने बजाने के साधनो के द्वारा कीर्तन भजन और अन्य साधनो मे अपनी गति गुरु को देकर गुरु का सहायक बन जाता है,ग्यारहवें भाव में जाकर वह गुरु के प्रति वफ़ादार दोस्त की भूमिका अदा करता है,इस लिये वह हर तरह से गुरु का शत्रु नही रहता है,जबकि वैदिक ज्योतिष में गुरु का शत्रु ही बुध को माना गया है.

रविवार, 8 जुलाई 2018

कलम से


जाने कौन हाथ उठाता है
दुआ में
के जब भी देह
सांस लेती है
दुआ भर जाती है...
हवाओं में
न सूखे पत्ते है
न मिट्टी
लुभान की दुनिया
सिमटी है
कानों में पड़ते हर शब्द
जैसे नात बन गए है
सरकार की दुनिया लगती है
मुझमें मेरा मैं न रहकर
ये मौन में महक रहती है
जाने कौन हाथ उठाता है
दुआ में
के जब भी देह
सांस लेती है
दुआ भर जाती है...
हवाओं में
न सूखे पत्ते है
न मिट्टी
लुभान की दुनिया
सिमटी है
कानों में पड़ते हर शब्द
जैसे नात बन गए है
सरकार की दुनिया लगती है
मुझमें मेरा मैं न रहकर
ये मौन में महक रहती है

रविवार, 1 जुलाई 2018

राहु रतन गोमेद

गोमेद गारनेट रत्‍न समूह का रत्‍न है जिसे अंग्रेजी में हैसोनाइईट  कहते हैं। के कारण लाभ प्राप्त होने आरंभ हो जाते हैं।https://youtu.be/3Uvq4Hc6BTM


    गोमेद रत्न राहु की उर्जा तरंगों को अपनी उपरी सतह से आकर्षित करके अपनी निचली सतह से धारक के शरीर में स्थानांतरित कर देता है जिसके चलते जातक के आभामंडल में राहु का प्रभाव पहले की तुलना में बलवान हो जाता है तथा इस प्रकार राहु अपना कार्य अधिक बलवान रूप से करना आरंभ कर देते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि राहु का रत्न गोमेद किसी कुंडली में राहु को केवल अतिरिक्त बल प्रदान कर सकता है तथा गोमेद किसी कुंडली में राहु के शुभ या अशुभ स्वभाव पर कोई प्रभाव नहीं डालता। इस प्रकार यदि किसी कुंडली में राहु शुभ हैं तो गोमेद धारण करने से ऐसे शुभ राहु को अतिरिक्त बल प्राप्त हो जायेगा जिसके कारण जातक को राहु से प्राप्त होने वाले लाभ अधिक हो जायेंगें जबकि यही राहु यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ है तो राहु का रत्न धारण करने से ऐसे अशुभ राहु को और अधिक बल प्राप्त हो जायेगा जिसके चलते ऐसा अशुभ राहु जातक को और भी अधिक हानि पहुंचा सकता है। इस लिए राहु का रत्न गोमेद केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में राहु शुभ रूप से कार्य कर रहे हैं तथा ऐसे जातकों को राहु का रत्न कदापि नहीं धारण करना चाहिये जिनकी कुंडली में राहु अशुभ रूप से कार्य कर रहें हैं।गोमेद का रंग हल्के संतरी भूरे रंग से लेकर, गहरे संतरी भूरे अथवा शहद के रंग जैसा या बहुत गहरा भूरा काले जैसा दिखने वाला रंग भी हो सकता है तथा संसार के विभिन्न भागों से आने वाले गोमेद विभिन्न रंगों के हो सकते हैं। यहां पर इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि विभिन्न जातकों के लिए गोमेद के भिन्न भिन्न रंग उपयुक्त हो सकते हैं जैसे किसी को हल्के रंग का गोमेद अच्छे फल देता है जबकि किसी अन्य को गहरे रंग का गोमेद अच्छे फल देता है। इसलिए गोमेद के रंग का चुनाव केवल अपने ज्योतिषी के परामर्श अनुसार ही करना चाहिए तथा अपनी इच्छा से ही किसी भी रंग का गोमेद धारण नहीं कर लेना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से ऐसा गोमेद लाभ की अपेक्षा हानि भी दे सकता है। रंग के साथ साथ अपने ज्योतिषी द्वारा सुझाये गये गोमेद के भार पर भी विशेष ध्यान दें तथा इस रत्न का उतना ही भार धारण करें जितना आपके ज्योतिषी के द्वारा बताया गया हो क्योंकि अपनी इच्छा से गोमेद का भार बदलने से कई बार यह रत्न आपको उचित लाभ नहीं दे पाता जबकि कई बार ऐसी स्थिति में आपका गोमेद आपको हानि भी पहुंचा सकता है।अलग अलग भावों के राहु के प्रभाव के लिये अलग अलग तरह के रंग के और प्रकृति के रत्न धारण करवाये जाते है,अधिकतर लोग गोमेद को राहु के लिये प्रयोग करवाते है,लेकिन गोमेद एक ही रंग और प्रकृति का नही होता यह जरूरी नही ऐक ही तरह का गोमेद पहनाया जाएगा,जैसे धन के भाव को राहु खराब कर रहा है,और अक्समात कारण बनने के बाद धन समाप्त हो जाता है,तो खूनी लाल रंग का गोमेद ही काम करेगा,अगर उस जगह पीला या गोमूत्र के रंग का गोमेद पहिन लिया जाता है,तो वह धार्मिक कारणों को करने के लिये और सलाह लेने का मानस ही बनाता रहेगा.
इसके अलावा भी राहु के लिये गोमेद को कुंडली के हिसाब से ही  पहनाया जाना बहुत जरूरी है,ऐसा करने से भी राहु अपनी सिफ़्त को कन्ट्रोल में रखता है।यदि धारणकर्ता को सूट किया तो दर-दर ठोकरें खाने वाले को राजमहल में पहुंचा दे। यदि सूट नहीं किया तो सिंहासन पर से उतरवाकर जंगल-जंगल भटका दे, समझिए उसे ही गोमेद कहते हैं। पं. नेहरू, इंदिरा गांधी गोमेद के ही कृपापात्र रहे हैं। तमाम रोगों में तो यह औषधि का कार्य करता है। यह तंत्र-मंत्रों की सिद्धियां व अलौकिक शक्तियों का प्रदाता होता है।ईस लिए मित्रोंकुंडली का सूक्ष्म विश्लेषण कर अनुकूल राहू के लिए गोमेद रत्न (Garnet gemstone) का धारण जातक को राजनीति में सफलता, धन सम्पदा, शारीक सुन्दरता आदि के साथ अचानक ऐश्वर्य (sudden fortunes) जैसे लाटरी या शेयर बाजार में अचानक लाभ आदि देने में समर्थ कर देता है|
खासकर राहू के रत्न गोमेद (Garnet gemstone) को कुंडली के गहन विश्लेषण के बाद ही धारण किया जाना चाहिये| कई बार राहू के साथ युति करने वाले ग्रहों को भी सशक्त करने के लिए गोमेद को दुसरे रत्नों के संयुक्ति (combination) से पहनना पड़ता है|
मैं स्वयं एक रत्न विशेषज्ञ (Gemologist) एवं ज्योतिषी हूँ, इसकर कोई भी रत्न निर्धारण से पूर्व बड़ी ही बारीकी और गहन विश्लेषण के बाद ही रत्नों को निर्धारित करता हूँ| अच्छी quality और अच्छे price के, मेरी अपनी लैब में चेक किये हुए गोमेद रत्न (Garnet gemstone) न केवल मैं उपलब्ध कराता हूँ अगर आप रतन मंगवाना चाहते हैं या कुंडली दिखाने या वनवाना चाहते हैं तो हमसे हमारी नम्वर पर वात करें हमारी service paid है 07597718725-09414481324
   ज्योतिष शास्‍त्र में इसे राहू का रत्‍न माना जाता है। यह लाल रंग लिए हुए पीला एकदम गोमूत्र के रंग जैसा होता है। यह भी एक प्रभावशाली रत्‍न है जो राहू के दोषों को दूर करता हैगोमेद भी खानों से निकाला जाता है। भारत, ब्राजील और श्रीलंका में सबसे अच्‍छा गोमेद प्राप्‍त होता है। इसके अलावा ऑस्‍ट्रेलिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका के साथ कई अन्‍य देशों में भी पाए जाते हैं।यह गारनेट समूह का रत्‍न है। जो कि कैल्‍शियम-एल्‍युमीनियम मिनरल है। इसका रसायनिक सूत्र Ca3Al2(SiO4)3 है। यह चमकदार लेकिन अपारदर्शी होता है। इसकी कठोरता 7 होती है। इसका घनत्‍व 4.65 होता है।     ज्योतिष के अनुसार राहु का प्रत्येक कुंडली में विशेष महत्व है   तथा किसी कुंडली में राहु का बल, स्वभाव और स्थिति कुंडली से मिलने वाले शुभ या अशुभ परिणामों पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। राहु के बल के बारे में चर्चा करें तो विभिन्न कुंडली में राहु का बल भिन्न भिन्न होता है जैसे किसी कुंडली में राहु बलवान होते हैं तो किसी में निर्बल जबकि किसी अन्य कुंडली में राहु का बल सामान्य हो सकता है। किसी कुंडली में राहु के बल को निर्धारित करने के लिय बहुत से तथ्यों का पूर्ण निरीक्षण आवश्यक है हालांकि कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि कुंडली में राहु की किसी राशि विशेष में स्थिति ही राहु के कुंडली में बल को निर्धारित करती है जबकि वास्तविकता में किसी भी ग्रह का किसी कुंडली में बल निर्धारित करने के लिए अनेक प्रकार के तथ्यों का अध्ययन करना आवश्यक है। विभिन्न कारणों के चलते यदि राहु किसी कुंडली में निर्बल रह जाते हैं तो ऐसी स्थिति में राहु उस कुंडली तथा जातक के लिए अपनी सामान्य और विशिष्ट विशेषताओं के साथ जुड़े फल देने में पूर्णतया सक्षम नहीं रह पाते जिसके कारण जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कुंडली में निर्बल राहु को ज्योतिष के कुछ उपायों के माध्यम से अतिरिक्त उर्जा प्रदान की जाती है जिससे राहु कुंडली में बलवान हो जायें तथा जातक को लाभ प्राप्त हो सकें। राहु को किसी कुंडली में अतिरिक्त उर्जा प्रदान करने के उपायों में से उत्तम उपाय है राहु का रत्न गोमेद धारण करना जिसे धारण करने के पश्चात धारक को राहु के बलवान होने

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...