मित्रों रत्नों पर वात चल रही है मैंने अपनी पिछली पोस्ट रतनो पर ही लिखी थी जो आप लोगों द्वारा काफी पसन्द की गई यह पोस्ट भी रत्नों पर ही है लालं किताव में रतन पहनने के बारे में कई तरह के नियम बताए गए हैं।लाल किताब कहती है रत्न शुभ फल देने की शक्ति रखता है तो अशुभ फल देने की भी इसमें ताकत है। रत्नों के नाकारात्मक फल का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए रत्नों को धारण करने से पहले कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।
वैसे रतन पहने तो लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही पहने।लाल किताब के अनुसार रत्नों में मंदे, कमजोर एवं सोये हुए ग्रहों को नेक, बलशाली, एवं जगाने की क्षमता होती है। लेकिन जब तक सही ज्योतिषी सलाह ना मिले, तब रत्न धारण करने ने नुकसान हो सकता है।वैदिक ज्योतिष के समान लाल किताब भी भविष्य जानने की एक विधा है.लाल किताब में ग्रहों के योग और उनके फल के सम्बन्ध में अपनी मान्यताएं हैं यह ग्रंथ जन्म कुण्डली, हस्त रेखा तथा सामुद्रिक शास्त्र का मिश्रण है और जिन व्यक्तियों को अपनी जन्म कुण्डली की सत्यता पर भरोसा ना हो तो वह लालकितावके ज्ञान के आधार पर अपने जीवन की बाधाओं का समाधान कर सकते हैं।ज्योतिष की इस विधा में भी लग्न कुंडली वनाई जाती हैप्रयुक्त कुण्डली बस्तुतः पारम्परिक जन्म कुण्डली ही है। जन्म कुण्डली में ग्रहों को यथा स्थान रहने दें, जिन राशियों वह हैं, उन्हें हटा दें। अब लग्न को 1(मेष) राशि मानते हुए दूसरे, तीसरे, आदि 12 भावों में क्रमशः 2(वृष), 3(मिथुन) आदि 12 राशि 12(मीन) तक लिख दें। यह कुण्डली लाल किताब का आधार है।
मित्रों ध्यान दें, लग्न कुण्डली में चाहे जो राशि हो लाल किताब की कुण्डली में सदैव मेष राशि ही रहती है। इसी प्रकार क्रमशः दूसरे में वृष, तीसरे में मिथुन आदि मीन तक बारहों राशियॉ रहती है। यह इन घरों की पक्की राशियॉ कहलाती हैं।
जो ग्रह शत-प्रतिशत शक्तिशाली होते हैं, वह उच्च के ग्रह कहे जाते हैं तथा जो ग्रह निर्बल होते हैं, वह नीचे के कहे जाते हैं। कुण्डली में इनके स्थान भी सुनिश्चित हैं, यथा
स्पष्ट ग्रह शुभता प्रदान करने में पूर्ण रुप से सहयोगी सिद्ध होता है। ज्योतिष शास्त्र के नियमों की तरह प्रत्येक ग्रह की अपनी दृष्टि विशेष होती है। सूर्य, चंद्र, गुरु तथा बुद्ध अपने से सातवें भाव को देखता है। गुरु, राहु, केतु अपने से पॉचवे, सातवें तथा नवे भाव को देखते हैं। मंगल चौथ, सातवे, आठवे भावों को तथा शनि अपने से तीसरे, सातवे तथा दसवे भाव को देखता है। प्रत्येक ग्रह सातवे भाव को अवश्य देखता है।लाल किताब से रत्न चयन करने के लिए यह परिचय पूर्ण नहीं कहा जा सकता तदापि यह भूमिका विषय को समझाने और व्यवहार में लाने की कुंजी अवश्य सिद्ध हो सकती है। किसी कुण्डली में यदि बलवान है, लाल किताब की भाषा में कहें कि यदि वह अपने पक्के ग्रहों में स्थित है तो उनसे संबंधित रत्न धारण किया जा सकता है। किताब सदैव उच्च अर्थात शत-प्रतिशत शक्तिशाली ग्रहों के रत्न धारण करने पर बल देती है। ऐसे योग कुण्डली में खेाजना बहुत ही सरल है। परन्तु यदि कुण्डली में शक्तिशाली ग्रह अथवा ग्रहों का अभाव हो तो सुप्त ग्रह तथा सुप्त भाव को बलवान करने का प्रयास करना चाहधि जितनी सरल है उतनी ही अधिक प्रभावशाली भी सिद्ध होगी। आवश्यता है कि इस ज्ञान को समझने की, उसमें अधिक खोज करने की, तदनुसार व्यवहार में लाने की ताकि अधिकारिक रुप से मानव कल्याण हो सके। अपने बुद्धि-विवेक से और आगे बढ़ाने का एक और प्रयास करके तो देखिये, कितने संतोष जनक परिणाम आपको मिलते हैं।तमाम वैदिक ज्योतिषी मित्रों को कहना चाहता हूं आप लाल किताब की निन्दा मत करें आप इस विघा को सिखे यदि किसी घर में कोई ग्रह सोया हुआ हो तो उस घर को और उस ग्रह के प्रभाव को जाग्रत करने के लिए उस घर का रत्न धारण करें। जैसे पहले घर को जगाने के लिए मंगल का रत्न, दूसरे घर को जगाने के लिए चंद्र का, तीसरे के लिए बुध का, चैथे के लिए चंद्र का, पांचवें के लिए सूर्य का, छठे के लिए राहु का, सातवें के लिए शुक्र का, आठवें के लिए चंद्र, नौवें के लिए गुरु का, दसवें के लिए शनि का, ग्यारहवें के लिए गुरु का एवं बारहवें घर को जगाने के लिए केतु का रत्न धारण किया जा सकता है। यदि दो ग्रह आपस में टक्कर के हों और उनमें शत्रु भाव उत्पन्न हो रहा हो तो दोनों ही ग्रहों के रत्न एक साथ ही पहनना चाहिए। किसी कुंडली में ग्रह यदि बलवान हों, लाल किताब की भाषा में कहें तो यदि वे अपने पक्के घरों में स्थित हों, तो उनसे संबंधित रत्न चयन किया जा सकता है। लाल किताब सदैव उच्च अर्थात शतप्रतिशत शक्तिशाली ग्रहों के रत्न धारण करने पर बल देती है। ऐसे योग किसी कुंडली में खोजना बहुत ही सरल है। परंतु यदि कुंडली में शक्तिशाली ग्रह अथवा ग्रहों का अभाव हो तो सुप्त ग्रह तथा सुप्त भाव को बलवान बनाने की प्रक्रिया अपनाएं। यह विधि जितनी सरल है उतनी ही प्रभावशाली भी। यदि कुंडली में चंद्र ग्रह सर्वाधिक बलशाली हो तो चंद्र का रत्न मोती धारण करवाया जा सकता है। इसके साथ-साथ सुप्त भाव तथा सुप्त ग्रह को भी बलवान कर लिया जाए तो परिणाम अधिक अच्छे होंगे। कुंडली में सर्वाधिक भाग्यशाली ग्रह उच्च भाग्य का द्योतक है। भाग्य के लिए सर्वोत्तम ग्रह के अनुरूप रत्न का चयन निम्न चार बातों को ध्यान में रखकर कर सकते हैं- जिस राशि में ग्रह उच्च का होता है और लाल किताब की कुंडली के अनुसार भी उसी भाव अर्थात राशि में स्थित होता है उससे संबंधित रत्न भाग्य रत्न होता है। यदि ग्रह अपने स्थायी भाव में स्थित हो तथा उसका कोई मित्र ग्रह उसके साथ हो अथवा उसको देखता हो तो उस ग्रह से संबंधित रत्न भाग्य रत्न होता है। नौ ग्रहों में से जो ग्रह श्रेष्ठतम भाव में स्थित हो, उस ग्रह से संबंधित रत्न भाग्य रत्न होता है। कुंडली के केंद्र अर्थात पहले, चैथे, सातवें तथा 10वें भाव में बैठा ग्रह भी भाग्यशाली रत्न इंगित करता है। यदि उक्त भाव रिक्त हों तो नौवां, नौवां रिक्त हो तो तीसरा, तीसरा रिक्त हो तो ग्यारहवां, ग्यारहवां रिक्त हो तो छठा और यदि छठा भाव भी खाली हो तो खाना 12 में बैठा ग्रह भाग्य ग्रह कहलाता है। इस ग्रह से संबंधित रत्न भी भाग्य रत्न कहलाता है। जब किसी भाव पर किसी भी ग्रह की दृष्टि नहीं हो अर्थात वह भाव किसी भी ग्रह द्वारा देखा नहीं जाता हो तो वह सुप्त भाव कहलाता है। उदाहरण में ऐसे सुप्त भाव पहला तथा सातवां हैं। इन दोनों भावों को कोई भी ग्रह नहीं देख रहा है। इसके लिए यदि इन भावों को चैतन्य कर देने वाले ग्रहों का उपाय किया जाए तो ये भाव चैतन्य हो जाएंगे तथा इन से संबंधित विषय में व्यक्ति को आशातीत लाभ मिलने लगेगा। जब कोई ग्रह किसी अन्य ग्रह को नहीं देखता तो वह ग्रह सुप्त कहलाता है। सुप्त ग्रह कब जाग्रत होते हैं अर्थात आयु के किस वर्ष में फल देते हैं इसका विवरण भी लाल किताब में मिलता है। यदि उस वर्ष में खोज किए हुए ग्रह के उस रत्न का प्रयोग किया जाए तो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में यथा उपाय सहायता मिलती है। लाल किताब के अनुसार ग्रहों के कुप्रभावों को समाप्त करने के लिए, उन्हें अनुकूल बनाने के लिए नीचे दिए गए विवरण के अनुसार विभिन्न रत्नों को विभिन्न धातुओं में धारण करना चाहिए। जिस ग्रह को बलवान करना हो उस ग्रह का रत्न उसकी धातु के साथ जड़वा कर पहनना चाहिए। जन्म का ग्रह और जन्म समय का ग्रह यदि एक हो तो वह व्यक्ति के लिए हमेशा शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। अतः उसका रत्न निःसंकोच धारण कर लेना चाहिए। जन्म दिन के ग्रह एवं जन्म समय के ग्रह का विवरण इस प्रकार है। इस प्रकार समस्याओं से पीड़ित जातकगण लाल किताब के अनुसार अपने भाग्यशाली रत्न का चयन कर प्रतिकूल ग्रहों के कुप्रभावों से अपनी रक्षा कर सकते हैं। लाल किताब के उपायों से कष्ट निवारण में सहायता मिलती है, यह एक निर्विवाद सत्य है। दिन समय ग्रह रविवार दिन का दूसरा प्रहर सूर्य सोमवार चांदनी रात चंद्र मंगलवार पूर्ण दोपहर मंगल बुधवार दिन का तीसरा प्रहार बुध गुरुवार दिन का प्रथम प्रहर गुरु शुक्रवार कालीरात शुक्र शनिवार रात्रि एवं अंधकारमय शनि गुरुवार शाम पूर्णशाम राहु रविवार प्रातः सूर्योदय से पूर्व केतु ग्रह रत्न धातु सूर्य माणिक्य सोना चंद्र मोती चांदी मंगल मूंगा तांबा बुध पन्ना सोना गुरु पुखराज सोना शुक्र हीरा चांदी शनि नीलम लोहा राहु गोमेद ऊपर धातु केतु लहसुनिया सोना या तांबात्रों ,आप सब जब भी रत्न धारण करे तो ऊपर लिखी बातों का अवश्य ध्यान करे .प्रत्येक जातक को अपनी ग्रह की महादशा के अनुसार और ग्रहो की मित्रता ,उच्च राशिगत ,नीच राशिगत ,अन्तर्दशा ,अन्य ग्रहो की दृष्टि इत्यादि बातो का गहन अध्ययन करके की सही रत्न का चुनाव करना चाहिए नहीं तो लाभ की जगह हानि का सामना करना पड़ सकता हैत्रों ,आप सब जब भी रत्न धारण करे तो ऊपर लिखी बातों का अवश्य ध्यान करे .प्रत्येक जातक को अपनी ग्रह की महादशा के अनुसार और ग्रहो की मित्रता ,उच्च राशिगत ,नीच राशिगत ,अन्तर्द सबशा ,अन्य ग्रहो की दृष्टि इत्यादि बातो का गहन अध्ययन करके की सही रत्न का चुनाव करना चाहिए नहीं तो लाभ की जगह हानि हो सकती है हमसे कुंडली दिखाने पर जातक को रत्न का सुझाव बड़ी ही सटिकता से दिया जाता है .अनेक जातको ने हमारे द्वारा लताऐं सही रत्न का चुनाव कर कई समस्यायों से निजात पाई है .यदि आप भी किसी भी समस्या से पीड़ित है तो मुझसे अवश्य संपर्क करे और पुरे विश्वास के बाद ही रत्न धारण करे क्योंकि आपका विश्वास ही आपकी सफलता की निशानी है .किसी के प्रति अविश्वास ही असफलता की प्रथम सीढ़ी है .
आपका जीवन शुभ हो ,मंगलमय हो ,स्वर्णमय हो ,तथास्तु
07597718725-09414481324
आप असली प्रामाणिक और रत्न प्रयोगशालाओं द्वारा प्रमाणित रत्न (सर्टिफिकेट सहित)सही ्wolesale कीमत खरीदने के लिए भी संपर्क कर सकते हैं कुंडली बनवाने के लिए अपने जन्म विवरण व्हाट्सप्प करे या फेसबुक से मेसेज करे .ज्यादा जानकारी के लिए हमारे दिए नम्वर पर वात करें