शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

कालसर्प योग है या दोष है क्या है सच क्या है झूठ? (4) कालसर्प के उपाय

https://youtu.be/9VwaX00qRcw

https://youtu.be/9VwaX00qRcw


मित्रों मेरी चौथी पोस्टभी कालसर्प पर ही है जैसा कि मैंने आपको बताया था कि हम कालसर्प दोष के उपाय के बारे में बात करना पहले मैं कुछ और चर्चा करना चाहता हूं हमारे हिंदू धर्म के बारे में जैसा कि कालसर्प राहु और केतु के कारण बनता है राहु सर्प का मुख कहा गया है और केतु सर्प की पूंछ भगवान श्री विष्णु शेष शैय्या पर समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं। भगवान सदा शिव आभूषणों के रूप में वासुकी आदि नागों को शरीर पर धारण किए हुए हैं। जैन धर्म से जुड़ी मान्यता के अनुसार 23वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ के सिर पर जो छत्र है वह नागों का है। उन्हें नागकुमार भी कहा गया है।
कौटिल्य, आचार्य चाणक्य, जो स्वयं काल सर्प योगी थे, ने ईसा पूर्व तीसरी सदी में अपनी कूटनीति से विश्व विजय का सपना लेकर आए सिकन्दर को व्यास नदी की तट सीमा पर ही रोक कर यूनानी सेना को (स्वदेश) वापस जाने को बाध्य किया तथा चन्द्रगुप्त मौर्य को विशाल आर्यावर्त का सम्राट बनवाया।
इतिहास साक्षी है दसवीं शताब्दी में केरल में नम्बूदिरिपाद ब्राह्मण आचार्य विद्याधर के धर्मात्मा पुत्र शिवगुरु के यहां शंकर ने जन्म लिया। उनकी कुंडली में भी कालसर्प योग था, जो आगे चलकर आदिगुरु शंकराचार्य के नाम से विख्यात हुए। उन्होंने वैदिक धर्म की धर्मध्वजा फहरायी और हिन्दू धर्म को पुनर्जाग्रत कर चार धामों (केदारनाथ, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम्) की स्थापना कर भारतीय जनजीवन में धार्मिक आस्थाओं को जीवन्त किया।
चंगेज खां, एडोल्फ हिटलर और मुसोलिनी सरीखे जातकों की कुंडली में भी कालसर्प योग था। मुगल बादशाह अकबर, राष्ट्रपति अय्यूब खां, सद्दाम हुसैन, श्रीमती भंडार नायके, सर हेरोल्ड विल्सन, श्रीमती मारग्रेट थैचर तथा स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत के प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, पी.वी.नरसिंहराव, अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहीम लिंकन, बिल क्लिंटन, स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल, फिल्मी दुनिया से अशोक कुमार, दिलीप कुमार, संगीत की देवी लता मंगेशकर खेल जगत से मेजर ध्यानचंद (हाकी), सचिन तेंदुलकर आदि सभी व्यक्तियों की जन्म कुंडलियां कालसर्प योग से प्रभावित रही हैं।
मेरी दृष्टि में जो जानकारी आई- कालसर्प योग से प्रभावित व्यक्तियों की वह तो सूक्ष्मतम् है। मेरा मकसद मात्र इतना है कि जिन व्यक्तियों की कुंडली कालसर्प योग से प्रभावित हो, वे संघर्ष करें, विचलित न हों, अपने-अपने इष्ट की मनसा, वाचा-कर्मणा से साधना करें। विद्यार्थीगण 12 से 16 घंटे प्रतिदिन अपने अध्ययन, मनन में अध्ययनरत रहें, मेरा विश्वास है कि सफलताएं उनके कदम चूमेंगी।
भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना, अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वाहन के साथ ही पूरी करें। राष्ट्र सेवा सदैव ईमानदारी से करें। यथा संभव गरीबों की मदद करें। मानवीय संवेदनाएं आपके व्यक्तित्व को सजीवता प्रदान करेगी। पद का अंहकार कभी न करें अन्यथा पद से च्युत होते ही मानव समाज हिकारत की नजर से देखती है। वे कुर्सियां, वे लाल-पीली बत्तियां, वे मनुहार करते लोगों की भीड़ न जाने कहां गुम हो जाती हैं। यकीन न हो तो देखिये- वे राजनैतिक, प्रशासनिक चेहरे जो पदों से जैसे ही मुक्त हुए, समाज में रहते हुए भी वानप्रस्थ की मानसिकता में जी रहे हैं।
[30/01, 21:29] Acharya Rajesh: इस योग की खासियत है कि काल सर्प योगियों का जन्म निश्चित रूप से कर्म-भोग के लिए है। किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित आत्मा की सन्तान भी कालसर्प योगी ही होगी। सूक्ष्म दिव्य संचालन राहु केतु करते हैं।
'काल सर्पयोग व्यक्ति, सामान्य व्यक्ति से कुछ अलग होते हैं। इसके अलावा इस योग के सकारात्मक फल भी होते हैं। साथ ही नकारात्मक फल भी इस योग में अन्य ग्रहों के कारण बनते हैं। मित्रों कल बहुत करते हैं उनकी मित्रों वैसे तो उपाय आपकी कुंडली के अनुसार ही बताए जाते हैं पर यहां कुछ आसान से उपाय जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं वो यह बताने की कोशिश कर रहा हूं जिसको करके आप लाभ उठा सकते हो
कालसर्प योग अत्यन्त ही चर्चित विषय है। इस विषय में सही जानकारी एवं ज्ञान रखने वाले ज्योतिषी अत्यन्त ही सीमित संख्या में हैं। कालसर्प योग इतना प्राचीन है कि 'लाल किताब में भी इसके निवारण के उपाय मिलते हैं। कालसर्प योग मूलत: सर्पयोग का ही परिष्कृत स्वरूप है। किसी भी जातक के भाग्य का निर्णय करने में राहु-केतु का बहुत योगदान रहता है। इसी कारण विंशोतरी महादशा में अठारह वर्ष और अष्टोत्तरी महादशा में बारह वर्ष राहु दशा मानी गई है।लाल किताब के अनुसार उपाय

राहु की स्थिति केतु की स्थिति लाल किताब के अनुसार उपाय
1/ 7 ठोस चांदी से बनी गेंद अपने पास सदैव रखें
2 /8 दो रंग का कम्बल दान करें
3 /9 चना दाल को पानी में प्रवाहित करें
4 /10 एक चांदी के डिब्बे में शहद घर के सामने गाड़ दें
5 /11 ठोस चांदी से बना हाथी घर पर रखें
6/ 12 जातक पालतू जानवर रखें
7/ 1 चांदी के बर्तन में जल रखें व घर में चांदी से बनी कोई चीज़ गाड़ दें |
8 /2 नारियल जल में प्रवाहित करें
9/ 3 चना दाल को नदी में प्रवाहित करें
10 /4 पीतल के बर्तन में पानी भरकर घर में रखें
11/ 5 किसी धार्मिक स्थल पर मूली दान करें
12 /6 सोने को धारण करें
लाल किताब में कई ऐसे अन्य उपायों का विवरण भी है | जैसा की हमने पहले भी आपको अवगत करवाया कि जातक को किसी भी उपाय को अपनाने से पहले अपनी कुंडली में स्थित दोष के बारे में विस्तार से जान लेना चाहिए और उसी के अनुसार उपाय भी करवाना चाहिए | आप अपनी कुंडली लाल किताब के अनुभवी जानकार के साथ साझा कर सकते है |

कालसर्प योग का निवारणके अन्य उपाय
शक्कर के बने पताशे जन्मकुंडली में बारहवें मंगल का रूप माने जाते हैं। जब भी किसी की कुंडली में राहु बहुत ज्यादा बुरा असर दिखाने लगे तो बतासे के प्रयोग से उसके सभी बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।
(2) जिनकी कुंडली में कालसर्पयोग हो उन्हें अपने घर के नैऋत्य कोण (दिशा) में बम्बू (बांस) का पेड़ लगाना चाहिए। साथ ही रोजाना उसका पानी बदलते रहना चाहिए। इससे कालसर्पयोग से होने वाले सभी बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
कालसर्प दोष वालों को मोर पंख को अपने दाहिने हाथ में सफेद कपड़े में बांधना चाहिए। इससे जीवन भर के लिए कालसर्प दोष का असर खत्म हो जाता है।
(4)कोयला पानी में वहां
(5) अक्सर रहने के घरों में कई बार कीमती चीजें, जेवर, रूपया आदि छिपाने के लिए सीक्रेट जगह बना दी जाती है। यदि ऎसी जगह खाली रहे तो उस घर में कभी भी पैसा नहीं आ पाता वरन उस घर में हमेशा कर्जा ही चलता रहेगा। ऎसी सीक्रेट जगहों के बुरे असर से बचने के लिए वहां पर बादम, छुआरे या कोई दूसरी मीठी चीज रख देनी चाहिए जिससे घर में पैसा आना शुरू हो जाए।
आजकल मकान बनाते समय घर में कहीं भी खाली जगह (मिट्टी वाली जगह) नहीं छोड़ी जाती वरन पूरे फर्श को ही पक्का करवा लिया जाता है। ऎसे में उस घर में शुक्र का खात्मा हो जाता है जिसके कारण वहां सुख, सौन्दर्य, शांति और भोग-विलास के साधन खत्म हो जाते हैं। इससे बचने के लिए या तो घर में कुछ जगह खाली छोड़ देनी चाहिए। अथवा घर में मनीप्लांट तथा अन्य पौधे मिट्टी के गमलों में स्थापित कर लेने चाहिए।
(7) यदि किसी की लाल किताब के अनुसार बनाई कुंडली में शुक्र दसवें घर में बैठा हो तथा वह अत्यंत बीमार चल रहा हो तो परिजनों को उसके निमित्त कपिला गाय दान देनी चाहिए। गाय के दान करने से से लाभ हैगा जातक को चाहिए वो खाना रसोईघर में ही खाये व खाना बैठकर खाये
घर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें
जातक काले व नीले कपड़े न धारण करें
जातक अपने ससुराल पक्ष से मधुर सम्बन्ध बना कर रखे
जातक अपने निवास स्थल में ठोस चांदी से बना हाथी रखें
जातक को किसी लाल किताब के महाज्ञाता से मिलकर उनके राय के अनुसार मंगल या गुरु कर उपाय करें
राहु की पूजा करें
गंगा जल भरकर घर में रखे |
गले में चांदी का चौकोर ठोस टुकड़ा धारण करें
- केसर का तिलक प्रतिदिन मस्तक पर लगाएं।
- रात को सोते समय गीले कपड़े में वाघ कर 'जौ सिरहाने रखें और सुबह होते ही पक्षियों को खाने के लिए डाल दें।
- 108 दिनों तक नित्य पांच पाठ के हिसाब से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर में रखें।

- शिवलिंग पर तांबे का सर्प प्राण-प्रतिष्ठा करके, विधि-विधान पूर्वक चढ़ाएं।
- 'ऊँ नम: शिवायÓ का मानसिक जाप हर समय करते रहें।
- घर तथा कार्यलय में मोर पंख स्थापित करे
- चंदन की लकड़ी के छोटे चौकोर टुकड़े पर चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बनवाकर जड़वा लें और वह ताबीज गले में धारण करें मित्रों के कुछ उपाय मैंने आपको बताए हैं फिर भी आप किसी अच्छे जानकार को अपनी कुंडली दिखाकर उपाय करें या आप हम से भी संपर्क कर सकते हैं या अपने बच्चों की जन्मकुण्डली बनवाने या जन्मकुण्डली विश्लेषण करवाने लिए कॉल करें 9414481324/
7597718725 परामर्श लेने के लिए अभी कॉल करें - Appointment के लिए हमारे नंबर पर कॉल करें - परामर्श में आपको समाधान दिया जायेगा जोकि निःशुल्क नहीं है अतः आपको परामर्श शुल्क देना होगा जिसे आप PayTm, Bank Account से या GooglePay कर सकते है।मित्रों हमारा रत्नों का होलसेल का कारोबार है अगर आप अच्छी क्वालिटी के रत्न जेमस्टोन लेना चाहते हो तो भी संपर्क कर सकते हैं हमारे पास आपको बाजार से बहुत कम रेट पर अच्छी क्वालिटी के रत्न मिल जाएंगे


गुरुवार, 30 जनवरी 2020

,, कालसर्प योग है या दोष है क्या है सच क्या है झूठ ( 3)

https://youtu.be/rLabGPgeiFU
मित्रों यह यह पोस्ट कालसर्प पर ही है इससे पहले मैं दो पोस्ट कालसर्प पर लिख चुका हूं आप पढ़ सकते हो उसको पढ़ने से ही आपको आगे की पोस्ट समझ में आएगी मित्रों जैसा कि मैंने अपनी पहली पोस्ट में आपको बताया था कि राहुल जिस ग्रह के साथ बैठता है उसको खराब कर देता है आज हम उसी पर चर्चा करेंगे सबसे पहले हम बात करेंगे कालसर्प की पहचान कैसे करेंकालसर्प दोष की पहिचान
काल सर्प दोष की पहिचान के लिये कुन्डली के भावों में राहु केतु की स्थिति को देखनी पडती है,लगन को पहला भाव कहते है और पहले भाव से बारहवें भाव तक राहु केतु की स्थिति के अनुसार ही काल सर्प दोष का वर्गीकरण किया जा सकता है,राहु केतु के एक तरफ़ ग्रहों का स्थित हो जाना अथवा दूसरी तरफ़ एक या अधिक ग्रहों का बक्री हो जाना,अस्त रहना कालसर्प दोष का निर्माण करता है,कालसर्प का मतलब होता है कि राहु या केतु पर किसी खराब ग्रह की नजर,युति या साथ,खराब ग्रह का मतलब है,कि शनि,मंगल या छठे,आठवें,या बारहवें भाव के स्वामी का साथ भी राहु केतु को खराब कर सकता है,राहु का मतलब पितरों से माना जाता है जो कि पिता के खानदान से सम्बन्धित होते है,और केतु का मतलब माता खान्दान से होता है,जैसे नाना या पडनाना आदि,इन ग्रहों पर किसी खराब ग्रह की युति या सम्बन्ध उसी प्रकार की प्रकृति पैदा करता है,जो कि उनके अन्दर होती है,जैसे लगन में राहु है,और शनि ने राहु को अपना साथी बनाया हुआ है,राहु का मतलब शिक्षा से भी होता है,तो जातक के अन्दर शनि वाली चालाकी फ़रेबी और नीच प्रकृति की भावनाओं का उदय होगा,जातक नेकी के रास्ते पर चल ही नही पायेगा,शनि ठंडा ग्रह भी है,जातक के अन्दर आलस भरा रहेगा,और जब आलस का भाव दिमाग में रहेगा तो जातक चाह कर भी कार्य समय पर नही कर पायेगा,और जीवन यापन के लिये परेशान होता रहेगा,दिमाग भारी रहेगा,जातक को समय पर बात करने और विद्या क प्रयोग करने का समय ही नही मिलेगा,या तो वह समय पर आलस और अन्य कारणों से निश्चित जगह पर पहुंच नही पायेगा,अगर किसी प्रकार से पहुंच भी गया तो वह चालाकी का भाव पैदा करेगा,और वक्त पर पकडा जायेगा,बाद में सिवाय दुखों के और कुछ मिलता नही है,शनि रात का राजा है जहां पर सूर्य की सीमा खत्म होती है शनि की चालू हो जाती है,जातक को निशाचरी काम अच्छे लगेगे,वह दिन में तो अपनी कार्य सीमा को न के बराबर रखेगा और रात में वह चोरी डकैती वाले काम करेगा.इसी प्रकार से अन्य भावों के राहु का और केतु का प्रभाव देखा जा सकता है.
कालसर्प दोषों के प्रकार
कालसर्प दोष बारह प्रकार के होते हैं:-
१.अनन्त कालसर्प दोष,यह पहले भाव में राहु और सातवेम भाव में केतु के रहने तथा अन्य ग्रहों का पहले भाव से सातवें भाव के बीच में रहने पर माना जाता है.
२.कुलिक कालसर्प दोष,यह कुलिक यानी कुल (कुटुम्ब) दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु के रहने पर अलावा ग्रहों के दूसरे भाव से आठवें के मध्य में रहने प माना जाता है.
३.वासुकि कालसर्प दोष,यह कालसर्प दोष तीसरे भाव में राहु और नवें भाव में केतु के रहने तथा अन्य ग्रहों के तीसरे से नवें के मध्य रहने पर माना जाता है.
४.शंखपाल कालसर्प दोष,राहु चौथे भाव में और केतु दसवें भाव मे हो तथा सभी ग्रह एक तरफ़ हों.
५.पद्यम काल सर्प योग,राहु पांचवे और केतु ग्यारहवें भाव में हो तथा अन्य सभी ग्रह एक तरफ़ हों.
६.महापद्यम काल सर्प योग,राहु छठे और केतु बारहवें भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
७.तक्षक कालसर्प योग,राहु सातवें और केतु पहले भाव में
८.करकट कालसर्प योग,राहु आठवें और केतु दूसरे भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
९.शंखचूड कालसर्प योग,राहु नवें और केतु तीअरे भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
१०.घातक कालसर्प योग,राहु दसवें और केतु चौथे भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
११.विषधर कालसर्प योग,राहु ग्यारवें और केतु पांचवें भाव में विद्यमान हो और अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
१२.शेषनाग कालसर्प योग,राहु बारहवें और केतु छठे भाव में विद्यमान हो तथा अन्य सभी ग्रह एक तरफ़ हों.
कालसर्प योगों का प्रभाव
कालसर्प योगों का प्रभाव जीवन में सुख से भरा भी होता है,और दुख से भरा भी होता है,जन्म राशि के प्रभाव से राहु और केतु तत्वों के अनुसार अपना प्रभाव देते हैं,कुन्डली में मेष,सिंह और धनु राशियां अग्नि तत्व की मानी जाती है,राहु सकारात्मक छाया ग्रह है और केतु नकारात्मक छाया ग्रह.एक तत्व में बढोत्तरी करता है और दूसरा घटाता है,लेकिन प्रभाव दोनो का ही खतरनाक माना जाता है,राहु अक्स्मात अग्नि तत्वॊ वाली राशियों में किये जाने वाले संकल्पों में,द्रढ इच्छा में,कर्मशीलता में,गतिशीलता में बढोत्तरी करता है,और केतु घटा देता है,पृथ्वी तत्वों वाली राशियों में जिनमें वृष,कन्या और मकर है,जातक की मेहनत करने मे,धैर्य में,और आत्म संतोष में सांसारिक वस्तुओं में,समस्याओं के प्रति उदासीनता मे,राहु वृद्धि करता है और केतु घटा देता है.वायु तत्व वाली राशियां जिनमें मिथुन तुला और कुम्भ राशियां आती है,में कल्पनाशीलता में,बुद्धिमानी में,अनुशासन प्रियता में राहु बढोत्तरी करता है,और केतु घटा देता है.जल तत्व वाली राशियों के अन्तर्गत जिनमें कर्क,वृश्चिक और मीन राशियां आती है,में राहु सन्देह,मित्र प्रेम,बातूनी और स्वाभिमानी स्वभाव में बढोत्तरी करता है और केतु घटा देता है.इसके अलावा राशियों के द्वारा भी राहु और केतु अपना प्रभाव देते है,ग्रहों के द्वारा दिये जाने वाले प्रभाव का जो असर मिलता है वह इस प्रकार से है:-
१.सूर्य राहु-दादा के बारे में प्रसिद्धि बखान करता है,जातक को पराविज्ञानी बनाता है,आंखों की रोशनी को चकाचौंध से खराब करता है,अनैतिक स्त्री या पुरुष सम्बन्ध से पुत्र या संतान पैदा करके छोड देता है,पिता की मौत राहु वाले कारणों से करता है,जातक से कानून विरुद्ध कार्य करवाता है,अपने जन्म के समय अपने पिता को और अपने पुत्र के समय पुत्र को कष्ट मिलने की सूचना देता है,संतान काफ़ी मुश्किलों से मिलती है,इसका कारण जातक को वीर्य (सूर्य) इकट्ठा करने में परेशानी होती है,वह अचानक कुत्सित विचार (राहु) दिमाग में आते ही राहु मंगल (जवान सजे धजे पुरुषॊ की तस्वीरें और फ़िल्म) को देख कर कृत्रिम तरीके से वीर्य को स्खलित कर देता है,या राहु शुक्र माया नगरी वाली मायावी स्त्रियों की तस्वीरें और फ़िल्म देख कर वीर्य को कृत्रिम साधनो से स्खलित कर देता है.यह सूर्य में अपना गलत भाव या पारिवारिक मर्यादाओं के अन्दर कृत्रिमता लाने से सूर्य पिता के अन्दर अपना प्रभाव देकर उसे अक्समात कुछ भी करने के लिये स्वतंत्र करता है.
२.सूर्य केतु:-सूर्य पिता और केतु पुत्र दोनो ही धार्मिक होते है,और अधिक धार्मिकता के कारण कर्म से दोनो की च्युति हो जाती है,धर्म के कारण किसी भी कार्य को करने में कठिनाई केवल इसलिये होती है,कि वे कर्म और धर्म का संयोग नही बिठा पाते है,कर्म के अन्दर अपना प्रभाव दिखाने वाली चालाकी आदि से उनको नफ़रत होती है.पिता के पास नकारात्मक जमीन भी होती है,जो किसी काम की नही होती है.३.चन्द्र राहु:-माता को जातक के जन्म के पूर्व कष्ट रहा है,की सूचना देता है,यहां पर राहु माता की सास के बारे में सूचना देता है,जो विधवा भी रही हो,माता के दिमाग में बेकार का अन्धेरा भी देता है,जिसे आज की भाषा में टेंसन कहते है,चन्द्र की हैसियत मस्तिष्क भी है अत: जातक का दिमाग भी चिन्ताओं से ग्रसित होता है,चन्द्र जनता है तो राहु जनता के अन्दर एक अन्जाना डर भी देता है,जिस डर के कारण जनता उसे चुनाव आदि में लगातार जीत या शासन देने के लिये बाध्य हो जाती है,चन्द्र राहु मिलकर विधवा माता के द्वारा पालित जिन्दगी को भी सूचित करते है,जातक का झूठा होने का संकेत भी दोनो ग्रह देते है,जातक बुद्धि को भ्रमित करने में माहिर भी माना जाता है,जन्म स्थान के पास दक्षिण पश्चिम में कुआ होने का संकेत भी मिलता है,माता या सास का लालच भी यह दोनो ग्रह बखान करते है,दादा के द्वारा दूर से आकर मकान बनाकर निवास करने का योग भी दोनो ग्रह बताते हैं,जातक को मानसिक परेशानी का ब्यौरा भी यह दोनो ग्रह देते है,अगर किसी प्रकार से मंगल का योग दोनो में मिल जाता है,जो जातक केमिस्ट्री में अपना अच्छा वर्चस्व बना लेता है.
४.चन्द्र केतु:-चन्द्र केतु दोनो मिलकर माता को धार्मिक बना देते है,अगर सभी ग्रह कुन्डली के दाहिनी तरफ़ होते है तो जातक की माता अपना सर्वस्व दूसरों को अर्पित कर देती है,जन्म स्थान के पास झन्डा लगा होता है,मीनार होती है,या जन्म स्थान के पास नहर तालाब या नदी होती है,धर्म मन्दिर या देवी मन्दिर की भी सूचना दोनो ग्रह मिलकर देते है,चन्द्र मस्तिष्क है तो केतु स्नायु मंडल,जातक को स्नायु वाली बीमारी भी होती है,जातक का मन अधिकतर सन्यास की तरफ़ लगा रहता है.
५.मंगल राहु:-मंगल इन्जीनियर है तो राहु मशीन,मंगल मशीन है तो राहु बिजली,मंगल भाई है तो राहु उसकी शिक्षिका पत्नी,राहु से हीरोइन पत्नी भी मानी जाती है,राहु से नाचने वाली पत्नी भी मानी जाती है,राहु से विधवा के साथ भाई की शादी भी मानी जाती है,राहु से भाई का शमशान वास भी माना जाता है राहु से अघोर पंथ की तरफ़ भाई का पलायन भी माना जाता है,मंगल धर्म स्थान है तो राहु धर्म स्थान के पास होने पाठ,मंगल मशीन है तो राहु गोल पहिया,मंगल बिजली है,तो राहु पहिया यानी बिजली से घूमने वाला पहिया,पंखा भी मान सकते है और बिजली वाली मोटर भी मान सकते है,मंगल भाई है तो राहु सिनेमा,भाई का काम सिनेमा में हो,राहु वाहन से भी सम्बन्ध रखता है,मगल वाहन का इन्जीनियर भी बनाता है,मंगल सैनिक है तो राहु आसमान का राजा,यानी स्पेस टेक्नोलोजी में अग्रणी भी बनाता मगर शर्त से गुरु भी साथ होना चाहिये.मंग्तल पराक्रम है तो राहु गाली,जातक बिना सोचे कुछ भी कह देता है,मंगल लोहे का गर्म पाइप है तो राहु बारूद,मंगल भवन है तो राहु सीमेंट,शुक्र साथ है तो भवन निर्माण में सीमेंट का प्रयोग,राहु पितामह यानी दादा है तो मंगल दुश्मन,यानी दादा के दुश्मन रहे हों,मंगल व्यक्ति है तो राहु आदेश,हिटलर की कुन्डली में भी यह दोनो अपना कालसर्प योग बना रहे थे.मंगल रक्त है तो राहु उच्च रक्त चाप की बीमारी,बुध साथ है तो प्लास्टिक के वाल चन्द्र ह्रदय में डाले जाते है.
६.मंगल केतु:-मंगल रक्त है केतु निम्नता यानी लो-ब्लड प्रेशर की बीमारी,स्त्री कुन्डली में मंगल पति है तो केतु साधु यानी मंगल पति केतु लंगोटी को धारण किये रहता है,केतु जटाओं को रखाये रहता है,लेकिन सूर्य का साथ होने पर मूंछों वाला जातक भी मानते है,खाना पकाने के स्थान पर ढाबे के नौकर भी माने जाते है,बिजली का काम करने वाले नौकर भी माने जाते है,गुरु साथ होने पर या युति होने पर बिजली विभाग में अधिशाषी अभियन्ता के पद पर भी आसीन करवा देता है,मंगल लडाई है तो केतु सैनिक,मंगल थाना है तो केतु सिपाही,मंगल भोजन है तो केतु चम्मच,मंगल गुस्सा है तो केतु थप्पड,दोनो मिलकर कुन्डली में महान मंगली दोष भी बना देते है,और पति या पत्नी की औकात को गर्म लोहे की छडी बना देते है,भाई को या पति को स्नायु रोग की बीमारी भी दोनो ग्रह बताते है,मंगल जमीन है तो शुक्र के साथ होने पर खेती करने वाला किसान भी बना देते है,चन्द्र के साथ मिलने पर शादी के योग में साठ प्रतिशत तक कमी आजाती है,शादी के बाद चन्द्र माता गुस्सा करती है,शुक्र पत्नी को भुगतना पडता है,मंगल और शुक्र के बीच में चन्द्रमा होने पर माता प्यार प्रेम में दखल देती है.गृहस्थ जीवन में कथिनाई होती है.
७.बुध राहु:-बुध भूमि है तो राहु मुस्लिम और केतु क्रिस्चियन,शनि साथ है तो जन्म कब्रिस्तान के पास हुआ है,निवास है,बुध व्यापार है तो राहु फ़िल्म लाइन,फोटोग्राफ़ी का कार्य भी बताता है,बुध रीति रिवाज को नही मानता है,अगर राहु साथ हो,जातक अनर्जातीय शादी भी करता है,बुध बहिन है तो राहु विधवा या बदचलन का हाल भी बताता है,्मंगल का साथ है तो कम्प्यूटर पर पोर्न साइट भी बनाता है,पोर्न पिक्चर का निर्माण भी करता है,शुक्र साथ है तो पिक्चरों के द्वारा ब्लैक मेल भी करता है,मुस्लिम या क्रिस्चियन से शादी और प्रेम प्यार भी बताता है,बुध वाणी है तो राहु बकवास,यानी जातक बकवासी भी होगा.बुध त्वचा है तो राहु खुजली,बुध व्यापार है तो राहु आतंकवादी.सीमेंट,बिजली,दवाई,पिक्चर,मीडिया,कमन्यूकेशन,पेट्रोल,डीजल,का व्यापार भी करवाता है.
८.बुध केतु:-बुध वाणी है तो केतु साधन,बोलने का साधन यानी रेडियो,प्रवचन करने वाला,बुध हरा है तो केतु झण्डा,यानी मुस्लिम राष्ट्र का ध्वज,केतु लम्बा और बुध हरा,नारियल या खजूर का पेड भी है,बुध बहिन बुआ बेटी है तो केतु भान्जा,नाती,या फ़ुफ़ेरा भाई भी है,बुध बहिन है तो केतु नाना भा है बहिन का पालन पोषण नाना के द्वारा भी है,चौथे भाव में राहु शुक्र चन्द्र और दसवे भाव में बुध केतु है तो पिता के नाना की जमीन पर अधिकार भी है,जन्म स्थान कच्चे घर मे है और जन्म के दस साल तक जन्म स्थान के घर का सत्यानाश भी है.
९.गुरु राहु:-गुरु जीवन है तो राहु खतरा,जीवन में बलारिष्ट योग भी मिलता है,जब राहु गोचर से गुरु के ऊपर सन्क्रमण करे,तो गोचर के पूरे समय तक जीवन को खतरा बना रहे,और जब गुरु राहु के ऊपर गोचर करे तो जातक दर दर का होकर भटकता रहे,शम्शानो की धूल छानता रहे,भाइयों को और अपने से छोटों को हमेशा प्रवचन ही दिया करे,गुरु हवा है राहु गन्दगी,जातक का निवास गंदी जगह पर हो जहां पर वह गंदगी की बदबू सूंघता रहे,जातक के साथ एक काना या काला आदमी निवास करे,अथवा जातक के पास में निसन्तान व्यक्ति रहता हो,जातक का दरवाजा पूर्व में हो,दरवाजे के नीचे से या मकान के पीछे से नाली या खिडकी लगी हो,मंगल साथ होने पर मकान पर धर्म का झण्डा लगा हो,एक साधू स्वभाव का व्यक्ति साथ रहता हो,घर में प्रवचन कथा वाचन होता रहे,पितामह महान आदमी रहे हों,राहु वाहन और गुरु जीव,जातक हमेशा यात्रा में बना रहे,गुरु हवा और राहु वाहन,जातक के जीवन में हवाई यात्रायें अधिक होती रहें,सूर्य साथ हो तो जातक ऊर्जा मंत्री की पोस्ट पर हो,राहु ऊर्जा और गुरु हवा,सूर्य से गर्मी लेकर जातक सौर ऊर्जा का जानकार हो.
१०.गुरु केतु:-गुरु केतु साथ में मिलकर नकारात्मक भाव जातक में भर देते है,जातक हमेशा नीचा सोच कर ही कार्य करता है,और नीचा सोच कर कार्य करने पर उसे सफ़लता जरूर मिल जाती है,पंडित जवाहर लाल नेहरू की कुन्डली में गुरु केतु छठे भाव में थे,गुरु महात्मा गांधी और केतु खुद,दोनो ने मिलकर अहिंसात्मक तरीके से भारत को आजाद करवा लिया था,लेकिन दोनो का छठे भाव में पुत्री के घर में निवास करने से पुत्री को राजयोग देकर श्रीमती इन्दिरा गांधी को भारत वर्ष का राज भी दिया,फ़िर नाती यानी बुध केतु के साथ मिलकर लडकी के लडकों को भी राजयोग दिया,बारहवां राहु गुरु केतु के लिये खतरनाक बन गया और बुध यानी श्रीमती इन्दिरा गान्धी,केतु यानी उनके दोनो पुत्रों को हवाई राहु यानी विमान हादसे से तथा बारूदी विस्फ़ोट से दोनो नातियों का खात्मा भी कर दिया,श्रीमती इन्दिरा गान्धी को उनके ही मन्गल यानी जो रक्षा करने वाले लोग थे,उन्ही के द्वारा मन्गल यानी बन्दूक और राहु यानी बारूदी गोली से उनकी भी मौत हुई.गुरु केतु मोक्ष की तरफ़ लेकर चला जाता है,मोक्ष का मतलब होता है कि आगे कोई नाम लेने वाला रहे,यही हाल उनके साथ भी हुआ,आगे की संतान पुत्री के रूप में हुई और कोई पुरुष संतान नही होने से उनका भारत वर्ष में कोई आगे पोता पडपोता नही है,लडकी की संतान को भारत में नाम की मान्यता के लिये नही माना जाता है.
११.शुक्र राहु:-शुक्र माया है तो राहु चकाचौन्ध,जातक माया की चकाचौन्ध में खोया रहता है,राहु काल है तो शुक्र पत्नी पत्नी के प्रति हमेशा भय बना रहता है,राहु की गति उल्टी होती है,और वह अपने प्रभाव के कारण पत्नी के अन्दर भय पैदा करता है,पद्यम नामक कालसर्प योग में जब शुक्र कर्क राशि का हो तो यह निश्चित सा होता है,क्योंकि उस समय राहु सूर्य के घर में होता है,और जातक के अन्दर राहु का पूरा का असर व्याप्त होता है,इस कारण चलते अगर किसी तरह से जातक को अपनी पत्नी की बीमारी या खराब सेहत का पता चले तो उसे दुर्गा पाठ बेहतर फ़ायदा देता है. मित्रों अगली पोस्ट में हम कुछ उपायों पर चर्चा करेंगे आप जरुर पढ़े

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कालसर्प योग है या दोष है क्या है सच क्या है झूठ? (२)

https://youtu.be/9WaPJ7ofLsg
मित्रों मेरी पिछली पोस्ट भी इस विषय पर हैं यानि काल सर्प पर यह जरूर पढ़ें कालसर्प दोष को लेकर लोगों में काफी भय और आशंका-कुशंकाएं रहती हैं, लेकिन कुछ आसान और अचूक उपायों से इसके असर को कम किया जा सकता है। कोई इसे कालसर्प दोष कहता है तो कोई योग। कोई इसे मानता है और कोई नहीं, मित्रों अगर आपको किसी एस्ट्रोलॉजर में कालसर्प बताया है कि आपकी कुंडली में कालसर्प योग है तो पहले आप उसकी अच्छी तरह जांच कर ले क्या कालसर्प योग बनता है कि नहीं बनता और वह जो आपको अशुभ फल दे रहा है या अशुभ फल दे रहा है समय आपको कोई परेशानी आ रही है तो किसी वजह से आ रही है किसी अन्य ग्रह की वजह से यह सब देखना जरूरी होता है मित्रो
किसी भी प्रकार के कालसर्प दोष की समाप्ति के लिये ज्योतिष में भगवान शिव की आराधना को मुख्य बताया गया है। समुद्र मन्थन के समय में समुद्र से निकले चौदह रत्नों में हलाहल विष को जगत में स्थापित करने के लिये जगह नही थी,उस विष की गर्मी से सम्पूर्ण जगत जब जलने लगा तो भगवान शिव को बुलाना पडा,उन्होने उस विष जो अपने गले में स्थापित किया और नीलकंठ कहलाये। उसी समय जब समुद्र से अमृत निकला तो उसे लेकर देवताओं और दैत्यों में युद्ध शुरु हो गया,आखिर में भगवान विष्णु को मोहिनी का रूप धारण करना पडा और देवताओं को उनका प्रिय अमृत तथा दैत्यों को उनकी प्रिय सुरा का पान करवाया गया,लेकिन असुरों की सेना से एक दैत्य निकला और देवताओं की सेना में जाकर शामिल हो गया,धोखे से उस दैत्य ने अमृत का पान कर लिया,सूर्य और चन्द्र की निगाह उस दैत्य पर पड गयी,उन्होने भगवान विष्णु को इशारे से बता दिया,उनके सुदर्शन चक्र ने उस दैत्य का सिर धड से अलग कर दिया,लेकिन अमृत शरीर में चला गया था इसलिये वह सिर और धड दोनो ही हमेशा के लिये अमर हो गये,सिर का नाम राहु और धड का नाम केतु रखा गया। यह कथा केवल ज्योतिष और पुराणों की शिक्षा को कंठस्थ रखने के लिये बनाई गयी। इसका विश्लेषण इस प्रकार से है। इस संसार रूपी समुद्र में जब जातक जन्म लेता है तो उसे अपने जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्राप्त साधनो और विद्या के द्वारा संसार का मन्थन शुरु करता है। उस मन्थन में कभी तो शरीर को हमेशा पूर्ण रखने वाले साधन प्रकट हो जाते है,कभी बहुत ही दुख दायी विष रूपी कष्ट पैदा हो जाते है। कभी लक्ष्मी रूपी धन की आवक हो जाती है,कभी ऐरावत रूपी वाहन आदि की प्राप्ति हो जाती है। कभी कभी ऐसी रोजी रोजगार की उपलब्धि हो जाती है जो कामधेनु रूपी गाय बनकर जीवन को सुरक्षित चलाने के लिये अपना सहयोग करती है। इसी बीच मे सात्विक विचार जो देवताओं के रूप में होते है,और गलत विचार जो दैत्यों के रूप में होते है,अपनी अपनी शक्ति से मिलने वाले साधन रूपी मथानी और विद्या रूपी शेषनाग की रस्सी से संसार रूपी समुद्र का मंथन करते है। शिव रूपी गरल जब पैदा होता है जो क्रोध के रूप में माना जाता है,अगर उस क्रोध रूपी वचनों को संसार रूपी सागर में छोड दिया जाये तो वह पूरे जग को जलाने में अपना कार्य करेगा,जैसे कोई बहुत ही खतरनाक अस्त्र बना लिया और उसे अगर सुरक्षित स्थान में नही रखा गया तो वह किसी भी समय दुरात्मा के द्वारा संसार को ठिकाने लगाने से बाज नही आयेगा,उस समय उस शस्त्र को किसी सुरक्षित और शांत प्रिय स्थान में स्थापित किया जाता है। इसके साथ ही जब बहुमूल्य अमृत निकलता है तो कोई भी दुरात्मा अपने को बुरे विचारों से पूर्ण रखने के बाद भी स्थापित रखना चाहता है तो उसे ही आत्मा रूपी विष्णु के द्वारा ज्ञान रूपी सुदर्शन चक्र से काटना पडता है,यह कारण मानसिक सोच रूपी चन्द्रमा और द्रश्य कारणों के रूपी सूर्य से इंगित किया जाता है,लेकिन जो बुरा कारण अगर किसी प्रकार से भले भलाई वाले शस्त्र से विभूषित हो गया तो वह उस शस्त्र को अपने शरीर में भलाई रूपी रूपी जामा पहिन कर बुरे आचरण करने लगेगा और इस कारण से जो अच्छे विचारों से सुसज्जित लोग है वे उस बुरे विचारों वाले व्यक्ति के कारण बदनाम होने लगेंगे। यही बात राहु और केतु के रूप में मानी जाती है। राहु और केतु को छाया ग्रह के रूप में भी मानने के कारण है,जब कोई व्यक्ति अपने ही विचारों में खो जाये और उसे अपने आसपास के बारे में पता नही चले तो वह जीवन की गति में कुछ से कुछ करने लगता है। उसका शरीर अपने ही विचारों में खोये रहने के कारण जो भी उसके पास साधन होते है उनके अन्दर विद्या रूपी शक्ति को संचार देने से रुक जाता है,शरीर की मानसिक गति जब बिगड जाती है तो शरीर के अन्दर की ऊर्जा का स्थान केन्द्रित नही हो पाता है,पाचन क्रिया से लेकर सोने जागने तथा रोजाना के काम करने की गति भी बिगड जाती है। इस बिगाड से शरीर की ऊर्जा रूपी शक्ति समाप्त होती जाती है और शरीर धीरे धीरे कमजोर होता हुआ बरबाद होने लगता है। अक्सर देखा होगा कि जब व्यक्ति तन्द्रा में नही होता है तो उसे पानी के छींटे दिये जाते है यह एक प्राथमिक उपचार होता है। इसके बाद भीड भाड और समुदाय के अन्दर उस व्यक्ति को स्थापित किया जाता है जिससे उसके अन्दर चलने वाले विचार धीरे धीरे समाप्त होने लगते है और वह अपने द्वारा किये जाने वाले वास्तविक कामो की तरफ़ अग्रसर होने लगता है। हमारे देश में तीर्थ स्थानों का महत्व तभी पूर्ण माना जाता है जब वहां पर स्नान करने के साधन हों,उन साधनों के अन्दर किसी न किसी प्रकार की प्रभाव वाली शक्ति का साक्षात करना हो,जैसे गंगा स्नान समुद्र स्नान और किसी जल विशेष की छींटे देना आदि। इन कारणों से लगातार चलने वाले दिमागी सोच मे परिवर्तन सोच मे परिवर्तन देना और उस परिवर्तन के बाद स्थिति में सुधार लाना आदि बाते मानी जाती है। सम्बन्धित देवता के प्रसाद के रूप में भी मीठा प्रसाद ही अधिकतर मामले में काम में लाया जाता है,साथ ही प्रसाद के रूप में खील और बतासे तथा शक्कर दाने प्रयोग में लाये जाते है,जो लार विचारों के समय में खारी हो गयी होती है उस लार को स्नान ध्यान या पूजा के बाद जब मानसिक स्थिरता को सुधारा जाता है तो उस प्रसाद को लेने के बाद मीठा स्वाद खारे पन में अन्तर लाता है। स्थान बदलना भी एक प्रकार से सुखद माना जाता है। तत्वों की पूर्ति भी शरीर मे बल देने वाली होती है जैसे रत्न धारण करना भोजन करना या करवाना मन्त्र ध्वनि से शरीर की गति में परिवर्तन करना यन्त्र में ध्यान लगाने से दिमागी दबाब को कम करना आदि। कालसर्प योग का एक बेहतर और सर्व सुलभ उपाय है कि रोजाना सुबह को जागकर ऊँ नम: शिवाये का इकत्तीस बार दक्षिण की तरफ़ फ़ेस करके जाप करना और दोपहर को शिवलिंग पर एक धार में जल चढाते हुये यही मन्त्र जपना,सोने से पहले इसी प्रकार की क्रिया करना।जो लोग शिवजी से अपनी आध्यात्मिक शक्ति से जुडे है उन्हे यह पता है कि उनके शिवलिंग के साथ या उनकी छवि के साथ सर्प को दर्शाया गया है। शिव लिंग को तो सर्प के फ़न से ढका बताया गया है और जललहरी से उस सर्प के प्रवेश को दिखाकर बाकी का पूंछ वाला हिस्सा जललहरी के पास दर्शाया गया है। शिव जो संहार के कारक है और शिवलिंग की जललहरी को सम्भालने का कार्य माता पार्वती के रूप मे दिखाया गया है। यह दोनो ही रूप में शिव और शक्ति को दर्शाया गया है। राहु जो सांप के फ़न से और पूंछ केतु के रूप मे मानी जाती है। केतु रक्षा करने वाला होता है और राहु समाप्त करने वाला होता है। दोनो ही छाया ग्रह है,भगवान शिव के अलावा भी भगवान विष्णु की तस्वीर को देखा जाये तो क्षीर सागर में शेषनाग के ऊपर भगवान विष्णु की शैया है और राहु के रूप मे शेषनाग के फ़न की छाया उनके ऊपर है। राहु को आकाश और केतु को पाताल का कारक भी कहा गया है,आदि काल से राहु के लिये आसमानी सहायता और केतु से जमीनी सहायता का रूप मान्यता मे है जब आसमानी बारिस नही होती है तो जमीनी पानी से जीने के लिये पौधो और फ़सलो की रक्षा करना भी पाया जाता है। देवताओं और असुरों की सहायता से सागर के मंथन की कथा भी सभी ने सुनी होगी उस मंथन से निकलने वाला हलाहल भी था और अमृत भी था। हलाहल को भगवान शिव ने पान किया था अमृत को पान करने के लिये देवताओं को छद्म वेष मे भगवान विष्णु ने अपने अनुभव को आधार बनाया था,लेकिन उस जगत व्यापी अन्तर्यामी भगवान विष्णु ने सूर्य और चन्द्र के अन्दर यह भावना पैदा कर दी थी कि एक असुर भी अमृत पान को कर गया है। सुदर्शन चक्र से उस असुर के दो हिस्से कर दिये गये,सिर का हिस्सा राहु नाम से और धड वाला हिस्सा केतु के नाम से जाना गया। ईश्वर की प्रत्येक लीला मे राहु केतु का खात्मा करने की कथा का वृतान्त है। वह राम रावण युद्ध में रावण जिसके बीस सिर और दस भुजा का वर्णन दिया है। भगवान श्रीकृष्ण की कथा मे कालियादह में कालिया नाग के फ़न को नाथ कर अपने पौरुष का वर्णन और अपने को श्यामल रंग में रंगने की कथा है। चण्ड मुण्ड विनाश मे भी काली जो केतु के रूप मे मानी जाती है का वृतान्त दुर्गासप्तशती जो मार्कण्डेय पुराण यानी देवी भागवत में भी कही गयी है। आदि बातो से पता चलता है कि व्यक्ति का आजीवन इन्ही ग्रहों की चाल से जुडा होना माना जाता है।
जो लोग पौराणिक बातो को या चलने वाली मर्यादा को खतम करने की कोशिश तीसरे राहु से करते है उनके लिये यह भी माना जाता है कि वही तीसरा राहु जब उल्टी गति से दूसरे भाव मे आता है तो कुटुम्ब नाश के साथ धन नाश और बुद्धि नाश के लिये भी अपना प्रभाव देता है। अक्सर इस राशि वालो को जब राहु तीसरे से दूसरे भाव मे प्रवेश करता है तो जहर खाकर या किसी पारिवारिक क्लेश के कारण अपनी आत्महत्या तक करते हुये देखा गया है।
कालसर्प दोष की मान्यता दक्षिण के मन्दिरों देखी जाती है,नासिक में भी कालसर्प दोष का निवारण किया जाता है.
रामेश्वरम मे नागनादिर मन्दिर और रामकुण्ड के पास मे बनी शेषनाग की वाटिका कालसर्प योग की निवृत्ति से ही जोडे गये है,जहां राहु को समुद्र और केतु को शिव लिंग के रूप मे मान्यता दी गयी है.
सुचिन्द्रम मे हनुमानजी के घुटने मे मक्खन लगा कर कालसर्प दोष की पूजा की जाती है.
इसी मन्दिर में नवग्रह की आराधना करने के लिये जो कालसर्प योग की सीमा मे आते है एक वस्त्र जो नीचे का होना जरूरी है और केवल पुरुष वर्ग के द्वारा ही पूजा की जाती है,ऊपर का वस्त्र धारण करने के बाद या तो पूजा लगती नही है या वह वस्त्र ही किसी न किसी कारण से कुछ समय मे बरबाद हो जाता है.
बंगाल मे भी दक्षिणेश्वर के पास मे बारह महादेव को शिव के रूप मे और माता काली को केतु के रूप मे प्रस्तुत किया गया है.
कालीघाट मे भी साततल्ला शमशान को राहु और कालीमाता को केतु के रूप मे प्रस्तुत किया गया है।
आसाम के कामाख्या मन्दिर मे भी शिवलिंग का अन्तर्भाग स्थापित करने के बाद उसके अन्दर माता कामाख्या को विराजमान किया गया है.जो भक्त गये होंगे उन्हे जो एक अहसास हुआ होगा वह राह और जो उन्हे द्रश्य हुआ होगा वह केतु के रूप मे माना जा सकता है.
अमरनाथ जाने पर भी बनने वाला शिवलिंग केतु और पहाडों की दुर्गम यात्रा को राहु के रूप मे माना जाता है.
हिमाचल की जितनी भी देवियां है वह केतु के रूप मे दुर्गा के रूप मे पूजी जाती है और उनके द्वारा दी जाने वाली शक्ति को राहु को रूप मे माना जाता है.
(कृपया अपने अधूरे ज्ञान से चलने वाली मान्यताओं के प्रति लोगों की धारणा को समाप्त नही करे,पहले ही धारणाओ और मर्यादाओं को समाप्त करने में अंग्रेजी शासन और पूर्व के शासको ने अपनी कमी नही छोडी है आज के मानव की जो हालत है वह किसी भी प्रकार से शांति दायक नही है जिसे देखो वह अपनी ही धुन मे बहा जा रहा हैमित्रों अगली पोस्ट में हम राहु के साथ अन्य ग्रहों की युतियो के बारे में बात करेंगे

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कालसर्प योग हैं या दोष है क्या है सच क्या है झूठ?

https://youtu.be/rLabGPgeiFU
कालसर्प दोष एक ऐसा योग है या  दुर्योग है जिसका नाम सुनते ही जनमानस में भय व चिंता व्याप्त हो जाती है। साढ़े साती और काल सर्प योग का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं. इनके प्रति लोगों के मन में जोड भय बना हुआ है इसका फायदा उठाकर बहुत से ज्योतिषी लोगों को लूट रहे हैं. बात करें काल सर्प योग की तो इसको भी ्कुछ विद्वान इसे सिरे से नकारते हैं, तो कुछ इसे बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं। मेरे देखे दोनों गलत हैं।कालसर्प दोष' को न तो महिमामंडित कर प्रस्तुत करना सही है और न ही इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाना उचित है। शास्त्रों में सर्पयोग के नाम से स्वीकार किया गया है। उसी को ही आजकल काल सर्प का नाम दिया गया है चूंकि राहु को शास्त्रों में 'काल' कहा गया है और केतु को 'सर्प' की संज्ञा दी गई है इसलिए इसका नाम 'कालसर्प'  कहा गया है वराहमिहिर ने अपनी संहिता 'जानक नभ संयोग' में इसका सर्पयोग के नाम से उल्लेख किया है, वहीं 'सारावली' में भी 'सर्पयोग' का वर्णन मिलता है।अधिकांश ग्रन्थों में सर्पयोग की व्याख्या तो मिलती है किन्तु कालसर्प योग की व्याख्या किसी भी मानक ग्रन्थ में नहीं मिलती है।सी पिछली शता‍ब्‍दी के सातवें या आठवें दशक तक के अधिकांश ज्‍योतिषी भी इस योग के बारे में नहीं जानते थे, लेकिन इस योग के हर इंसान पर लागू किए जा सकने वाले फलादेशों ने कुछ ऐसा चमत्‍कार पैदा किया कि बड़ी संख्‍या में लोगों ने इसे मानना शुरू कर दिया।

पिछले कुछ सालों में तो कालसर्प योग (Kaal Sarp Yog) ने तेजी से विकास किया है। अब बाजार में आ रही पुस्‍तकों और कई ज्‍योतिषियों के कारण तो कालसर्प दोष के प्रति काफ़ी गलत धारणा लोगों के अन्दर व्याप्त हो रही हैं,हर कोई हर किसी को किसी न किसी प्रकार से कालसर्प दोष का अधिकारी बना कर पैसा बनाने की जुगत में लगा हुआ है,सबसे पहले राहु और केतु के बारे मे जानना जरूरी है,अगर किसी प्रकार से राहु और के केतु के एक तरफ़ सभी ग्रह आजाते है तो उसके बारे में कह दिया जाता है कि अमुक को कालसर्प दोष है,और हर मर्ज की एक दवा बताते हुऐ कहा जाता है,कालसर्प दोष की शांति करवा लेनी चाहिऐ,शांति के नाम पर पूजा जाप और  और न जाने कहां कहां स्नान और हवन आदि करने के लिये बोला जाता है.लेकिन होता वही है जो होना है,कर्म की गति तो रुकती नही है,राहु और केतु के बारे में जानने के लिये मैं आपको "लालकिताब ज्योतिष" की तरफ़ लिये चलता हूँ,लालकिताब में साफ़ तरीके से लिखा है, कि राहु की सिफ़्त सरस्वती की है,और केतु को गणेशजी की उपाधि दी गयी है,अगर सरस्वती और गणेशजी दोनो खराब है,तो फ़िर विद्या और साधन का महत्व ही नही रह जाता है,क्यों कि सरस्वती को विद्या की देवी कहा गया है,और गणेशजी को साधनों का देवता कहा गया है,गणेशजी को प्रथम पूज्य कहा गया है,हर किसी स्थान पर दैहिक,दैविक,और भौतिक कारणो में साधन के रूप में विद्यमान देवता को अगर बुरी नजर से देखा जाये तो कितना अच्छा है,यह तो कोई अनपढ भी समझ सकता है,दैहिक कारणों में गणेशजी शरीर के अन्दर खाने के समय हाथ के रूप में देखने के लिये आंख के रूप में,पचाने के लिये आंत के रूप में और मल त्याग करने के लिये गुदा के रूप में उपस्थित है,संतान पैदा करने के लिये लिंग और भग के रूप में,सोचने के लिये दिमाग के रूप में,आंखॊं की रक्षा करने के लिये पलक के रूप में सिर में बाल के रूप में,सुनने के लिये कान के रूप में जिंदा रखने के लिये ह्रदय के रूप में और खून में रुधिर कणिका के रूप में विद्यमान हैं,दैहिक कारणों में ही पुत्र के रूप में आगे का वंश चलाने के रूप में,भानजे के रूप में शारीरिक नाम को चलाने के रूप में,ससुराल में साले के रूप में,ननिहाल में नाना और मामा के रूप में विद्यमान है,घर की रखवाली के लिये कुत्ते के रूप में,लिखने के लिये पेन के रूप में,लोगों से संचार व्यवस्था रखने के लिये कम्प्यूटर के रूप में,और कम्प्यूटर में की बोर्ड और माउस के रूप में,टेलीफ़ोन और मोबाइल के रूप में,यू.एस.बी. पोर्ट में कोई भी नया सिस्टम लगाने के रूप में जब गणेशजी हर जगह विद्यमान है,यह सब दैहिक और भौतिक कारणों के अन्दर आजाते है,गाडी में ड्राइवर और टायर ट्यूब के रूप में,चलाते वक्त स्टेयरिंग के रूप में,सरकार में नेता के रूप में,आफ़िस में अधिकारी के रूप में,सडक पर साइनबोर्ड के रूप में,कोरियर कम्पनी में पत्र बांटने के रूप में,गणेशजी की महत्ता तो है ही,इसके अलावा देवताओं में बता ही चुका हूँ,कि वे सर्वपूज्य और प्रथम मान्य है,तो गणेशजी और माता सरस्वती का इतना अपमान क्यों काल सर्प दोष के नाम पर किया जा रहा है,लोग कहते हैं कि शत्रुता के चलते राहु खत्म कर देता है,केतु हाथ पैर तोड देता है,मगर शत्रुता वाले कारण कौन पैदा करता है,राहु केतु तो करने नही आते है न?,अगर आप हिन्दू धर्मालम्बी है,तो आपने भगवान शिव का नाम तो सुना होगा पूजा पाठ भी किया होगा,शिव परिवार को ही लेलो,शिवजी का वाहन नंदी है यानी बैल,और माता भवानी का वाहन है शेर,दोनों के अन्दर कितनी मित्रता है,शेर का भोजन ही बैल है,अब उनके पुत्र गणेशजी को लेलो,उनका वाहन चूहा है और शिवजी के गले में नागों की माला है,नाग का भोजन ही चूहा है,इधर कार्तिकेयजी को लेलो,उनका वाहन है मोर और शिवजी के गले में नाग हैं,मोर का भोजन ही नाग हैं,लेकिन शत्रुता को भी अगर काम में ले लिया जावे तो वह शत्रुता भी फ़ायदा देती है.इसे और अच्छी तरह से समझने के लिये लोहे और तेल का संगम समझना भी उचित होगा,तेल तरल है,लोहा कठोर है,लोहे को लोहे से लडाने के बाद उससे लाखों तरह के काम लिये जाते है,और तरल तेल से लोहे को स्मूथ चलाने के लिये तेल का काम लिया जाता है,तलवार तेज धार रखती है,उसमें मूंठ अगर गोल नही लगाई जावे तो वह चलाने वाला का हाथ ही काट डालेगी,इस तरह से लोहा अगर केतु है,तो तेल राहु है,तलवार अगर राहु है तो उसमे लगी मूंठ केतु है,इसी तरह से बन्दूक अगर केतु है तो उसमे चलने वाली बारूद की गोली राहु है,बिजली का तार अगर केतु है तो उसके अन्दर चलने वाला करेंट राहु है,किताब अगर केतु है तो उसके अन्दर लिखा हुआ राहु है,कम्प्यूटर अगर केतु है तो उसके अन्दर चलने वाले सोफ़्टवेयर राहु है,बैटरी अगर केतु है तो करेंट राहु है,मोबाइल अगर केतु है,तो उसके अन्दर लगी बैटरी राहु है.इस प्रकार से राहु और केतु को समझा जा सकता है.
अकेले राहु केतु कभी परेशान नही करते जैसे
श्यामसुंदर के दो पुत्र है,दोनो की कुन्डली मे काल सर्पदोष है,बडे की कुन्डली में राहु चौथा और केतु दसवां है,राहु के साथ शुक्र भी है और चन्द्रमा भी,केतु के साथ कोई भी नही है,केतु छठे शनि को देख रहा है,इधर राहु चन्द्र और शुक्र का बल लेकर भी शनि को देख रहा है,चन्द्र और शुक्र राहु का बल लेकर केतु से विपरीत हैं,शनि ने अपने धन के त्रिकोण मै बैठ कर (दूसरा,छठा और दसवां भौतिक सम्पदा के लिये देखा जाता है,दूसरा धन है तो छठा रोजाना के कार्य करने और कर्जा दुश्मनी बीमारी के लिये हुज्जत का घर है और दसवां घर कार्य और पिता तथा सरकार के लिये गिना ही जाता है) केतु ने शनि को देखा है,शनि कर्म का कारक है,कर्म भी छठे घर का यानी केवल नौकरी के द्वारा ही धन कमाने का उद्देश्य,केतु टेलीफ़ोन के लिये भी गिना जाता है,टेलीफ़ोन का काम भी किया है,लेकिन शनि ठंडा ग्रह भी है,चालाकी से भरा ग्रह भी है,नीच प्रकृति का ग्रह भी है,कन्या का शनि होने के नाते आजीवन लडकियों के लिये काम करने वाला शनि भी है,शनि और राहु के बीच में गुरु,सूर्य,और बुध भी फ़ंसे है,गुरु जीव है तो सूर्य आत्मा,गुरु जीव है तो बुध बुद्धि,सूर्य बुध दोनो मिलकर सरकारी लखटकिया हैं,मेला,प्रदर्शनी के अन्दर पैदा गिनने का काम भी करते है,कार्य किया तो जायेगा,लेकिन केतु का बल लेकर,अगर साथ में सहायक है तो काम बन्दा कर सकता है,और बिना सहायक के वह बेकार सा ही है,शनि यानी कर्य को सहारा देने के लिये सूर्य पिता के रूप में है,पिता के बाद पुत्र का उदय है,और वह सहायक के रूप में है,सूर्य सरकार है,वह भी समय पर सहायक होगी लेकिन पुत्र के लिये,गुरु शनि को सहारा दे रहा है,गुरु ज्ञान का कारक है जो भी काम किया जायेगा वह ज्ञान का सहारा लेकर किया जायेगा,गुरु और सूर्य पांचवें भाव में विराजमान है,हर काम को मजाक के रूप में किया जायेगा,एम्यूजमेन्ट का सहारा लेकर किया जायेगा,राहु चौथे घर में माता का बल देता है,मकान का बल देता है,पानी का बल देता है,चौथे घर में शुक्र माया नगरी को पैदा करता है,वह माया बिजली की रोशनी की माया हो या बारूद की आतिशबाजी की माया,अथवा राहु यानी बात की सत्यता की माया,वाहन की माया,जानने वाले लोगों की माया,ह्रदय की खूबसूरती की माया,चौथा घर खेत है,खेती में चन्द्र यानी चावल की माया,शुक्र यानी गेंहूं की माया,हरी घास या चरी की माया,राहु चन्द्र मिलकर मन को अशान्त करते है,राहु विद्या और चन्द्र ह्रदय,हमेशा हर बात में विद्या का प्रयोग करने की माया,शुक्र पत्नी है,तो चन्द्र छलिया औरत भी है,एक औरत के द्वारा छलने की माया,राहु पितामह है,और चन्द्र शुक्र मिलकर पितामह के लिये सूचित करते है कि वे भी अपनी पत्नी के यानी दादी के अलावा शुक्र पत्नी तो चन्द्र छलिया औरत से सम्बन्ध या ठगे गये थे,शुक्र खेती है,चौथा घर पानी है,चन्द्र पानी में पैदा होने वाली फ़सल है,यानी खेती में चावल का पैदा होना भी मिलता है,सफ़ेद वस्तुओं का पैदा होना भी मिलता है.राहु खाद है,चन्द्र से सफ़ेद और शुक्र से हरा रखने के लिये,सफ़ेद खाद यानी यूरिया का प्रयोग भी खेती के लिये होता है,राहु बिजली है,चन्द्र पानी है,शुक्र खेती है,तीनो का संगम करने के लिये बिजली से पानी निकालकर खेती करने वाली बातें भी मिलती है,राहु कुआ है,चन्द्र पानी है,शुक्र कच्चा घर भी है,जन्म का स्थान भी यही मिलता है,इस प्रकार से राहु हर जगह से सहायक मिलता है,केतु का काम सहायक होना भी मिलता है,शनि काम और दूसरे भाव के प्रति धन वाले काम,केतु तार है,तो शनि काम है,जातक तार का काम भी जानता है,केतु को चन्द्र देख रहा है,आमने सामने की टक्कर है,सहायक होना केवल पानी के लिये,माता के लिये घर के लिये और जान पहिचान वाले लोगों के लिये,लेकिन राहु को बल मिला,चन्द्र का शुक्र का,पितामह को शुक्र यानी खेती मिली,शुक्र यानी उनकी पत्नी यानी दादी के द्वारा,चन्द्र ने राहु का बल लिया,पितामह ने काफ़ी कुयें बनवाये,पितामह की हैसियत के बारे में भी राहु ने बखान किया,शुक्र और राहु मिलकर मायानगरी बना देते है,चन्द्र अपने घर में विराजमान है,माया नगरी का काम राहु ने दिया तो पितामह ने केतु यानी उस मायानगरी का सहायक बन कर यानी मल्टीनेशनल कम्पनी में ओहदेदार पोस्ट पर रह कर काम किया.इस प्रकार मालुम चलता है कि कभी राहु और केतु मिलकर परेशान नही करते हैं.वाकी अगली पोस्ट
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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

राहु केतु का रत्न धारण करना चाहिए या नहीं?Should you wear the gem of Rahu Ketu or not?


राहू केतु का रत्न क्य धारण करना चाहिएया नहीं ? मित्रों सबसे पहले तो एक बात ख्याल में ले कि कोई भी जेमस्टोन जा रत्न ग्रहों को बल देने के लिए होता है ना कि उनकी शांति के लिए कुछ astrologer राहु केतु की शांति के लिए रतन पहना देते हैं हर एस्ट्रोलॉजर रत्न एक्सपर्ट नहीं होता मित्रों यह भी बात आप ध्यान में ले जो एस्ट्रोलॉजर ग्रहों की शांति के लिए रत्न पहना देते हैं उनको रत्नों के बारे में पूरी जानकारी नहीं हैंराहु , केतु दो ऐसे ग्रह है ये  जिस भी राशि में यह विराजमान रहते हैं वहां से पांचवें , सातवें और नौवें स्थान पर अपनी दृष्टि डालते हैं । इस प्रकार से देखा जाए तो कुंडली के बारह भाव में से 8 भावों पर इनका प्रभाव रहता है । केतु को ज्यादा क्रूर ग्रह ना माना जाए परंतु फिर भी राहु  केतु के सामने रहता है और उस पर हमेशा उसकी दृष्टि रहती है अतः केतु के अंदर भी राहु के गुण तो  समाहित हो ही जाते हैं । अब यदि 8 भावों में कहीं भी सूर्य ,  चंद्रमा , मंगल या गुरु पर इनकी दृष्टि पड़ जाए या इनसे युति  बन जाए तो यह ग्रह जिस भाव के स्वामी होते हैं उस भाव से सुख से संबंधित परेशानी देते हैं एवं जिस भाव में युति बनती है उस भाव में भी परेशानी पैदा कर देते हैं  । यदि राहु केतु मेष राशि  ,कर्क राशि , सिंह राशि , वृश्चिक राशि , धनु राशि या  मीन  राशि पर  विराजमान हो जाए  या   इन राशियों पर दृष्टि डालें तो     ये राशि जिस भाव में  रहते है उन भावों के सुख में भी परेशानी हो जाती है ।  इसलिए मेरा मानना है कि बिना कुंडली का विश्लेषण कराए  राहु , केतु का रत्न  कभी भी धारण नहीं करना चाहिए  । राहु  , केतु यदि आप को 20% लाभ देते हैं तो किसी न किसी प्रकार से 80 % नुकसान भी करते हैं । जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं ।इनके स्वामी सूर्य , चंद्रमा ,  मंगल ,  बुध  , गुरु ,  शुक्र एवं शनि के होते हैं  । जीवन  की  समस्या को ठीक करने के लिए इन 7 ग्रहों मे से कारक ग्रहों को रत्न द्वारा  प्रबल करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है तब राहु केतु का रत्न क्यों धरण करें , जिस ग्रह के साथ यजह कनेक्ट होते हैं उनको खराब करते हैं । सूर्य और चंद्र के साथ ग्रहण दोष गुरु के साथ गुरु चांडाल योग मंगल के साथ अंगारक योग शनि के साथ  प्रेतश्राप इसी तरह दूसरे ग्रहों के साथ हुई यह खराबी भी देता है 90 परसेंट लोगों की कुंडली में राहु केतु के कारण परेशानी आती है कुछ 10 परसेंट ऐसी कुंडल में होती है जिनको हम राहु केतु के रत्न धारण करने की सलाह देते है ।् मित्रों राहु केतु दोनों पापी ग्रह हैं। राहु खुफिया पाप तो केतु ज़ाहिरा पाप है तो इनके रत्न सोच समझकर ही पहनने चाहिए कई व्यक्तियों को रत्न धारण करने का शौक होता है। कुछ तथाकथित ज्योतिषी भी उनके इस शौक के लिए उत्तरदायी होते हैं जिनका रत्न विक्रेताओं के साथ बड़ा घनिष्ठ संबंध होता है। मैंने देखा है जब मैं किसी को राहु केतु के रतन रत्न ना धारण करने का परामर्श देता हूं तो उनमें से कुछ आश्चर्यचकित हो जाते हैं वहीं कुछ मायूस हो जाते हैं। सामान्यतः ज्योतिषीगण राशि रत्न, लग्नेश का रत्न, विवाह हेतु गुरू-शुक्र के रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। रत्नों के धारण करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। किसी रत्न को धारण करने से पूर्व उसके अधिपति ग्रह की जन्मपत्रिका में स्थिति एवं अन्य ग्रहों के साथ उसके संबंध का गहनता से परीक्षण करना चाहिए भले ही वे रत्न लग्नेश या राशिपति के ही क्यों ना हों। यह भी देखना आवश्यक है कि जिस ग्रह का रत्न आप धारण कर रहे हैं वह जन्मपत्रिका में किस प्रकार के योग का सृजन कर रहा है या किस ग्रह की अधिष्ठित राशि का स्वामी है। यदि जन्मपत्रिका में एकाधिक रत्नों के धारण की स्थिति बन रही हो तो वर्जित रत्नों का भी पूर्ण ध्यान रखना अति-आवश्यक है। पंचधा मैत्री चक्र के अनुसार ग्रहमैत्री की रत्न धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यह सर्वथा गलत धारणा है कि रत्न सदैव ग्रह की शांति के लिए धारण किया जाता है। वास्तविकता इससे ठीक विपरीत है रत्न हमेशा शुभ ग्रह के बल में वृद्धि करने के लिए धारण किया जाता है। अनिष्ट ग्रह की शांति के लिए उस ग्रह के रत्न का दान किया जाता है। कुछ रत्न आवश्यकतानुसार ग्रह शांति के उपरांत अल्प समयावधि के लिए धारण किए जाते हैं जिनका निर्णय जन्मपत्रिका के गहन परीक्षण के पश्चात किया जाता है। अतः रत्न धारण करने से पूर्व अत्यंत सावधानी रखें। किसी विद्वान ज्योतिषी से जन्मपत्रिका के गहन परीक्षण के उपरान्त ही रत्न धारण करना चाहिए अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।समझदार के लिए इशारा ही काफी होता है । इस विषय  से संबंधित लेख लिखने लगे तो बहुत लंबा लेख हो जाएगा इसलिए मैं यहां समाप्त करता हूँ  । मेरे पहले भी रत्नों पर काफी आर्टिकल इस ब्लॉग में आपको पढ़ने को मिल जाएंगे आप उसको जरूर पढ़ें उस से आपको रत्नों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होगी ।आचार्य राजेश

रविवार, 26 जनवरी 2020

#शनि मकर में #24/1/2020

आचार्य राजेश कुमार
#शनि मकर में #24/1/2020
मित्रों आप जानते हो 24 जनवरी को शनि ने अपनी राशि बदली है और सभी एस्ट्रोलोजर में होड़ सी मची हुई है, फेसबुक यूट्यूब पर जितनी भी एस्ट्रोलॉजर हैं, यह जितनी भी ज्योतिषी हैं सभी शनिदेव मकर राशि में आने पर धड़ाधड़ प्रोडक्शन ऐसा होगा वैसा होगा चारों तरफ खुशियों का लहर दौड़ेगा उस लग्न वालों को या फायदा होगा उस लग्न वालों को भी फायदा होगा उस राशि वालों को वह फायदा होगा उस राशि वाला को वह फायदा होगा सभी राशि वालों को फायदा दिखा दिया सभी लग्न वाले को फायदा देखा दीया.. कोई लाइव प्रिडिक्शन दे रहे हैं- कोई टेलिफोनिक प्रोडक्शन दे रहे हैं कोई पोस्ट के माध्यम से लेख लिख रहे है कीजिए मित्रों इससे पहले भी शनिदेव मकर राशि में आए थे आज से 30 साल पहले लगभग 1990 में क्या हुआ था अगर जानकारी है तो ठीक है नहीं तो गूगल में सर्च कीजिए तू मेरे कहने का मतलब है क्या वह छोटी मोटी घटना थी क्या उसमें विभिन्न राशियों वाले लोग नहीं होंगे विभिन्न लगने वाले लोग नहीं होंगे जरूर होंगे इसलिए कहते हैं एस्ट्रोलॉजी का सिद्धांत को पहले समझिए एस्ट्रोलॉजी का सिद्धांत क्या कहता है- कोई भी ग्रह जब अपने स्वराशि में आते हैं तो वह किस प्रकार से फल देते हैं इसका क्या मतलब होता है शायद ही किन्ही को पता हो मित्रों कोई भी ग्रह गोचर में आप पर क्या प्रभाव डालेगा वह आपकी जन्मकुंडली से मुताबिक फल देता है जन्म कुंडली में उस ग्रह की क्या पोजीशन है वर्तमान में किस ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही है यह सब देखकर की ग्रह गोचर का फल कथन किया जा सकता है ऐसा नहीं है कि तुला राशि वालों को यह पल होगा फला लग्न वालों को यह फल होगा
इसलिए एस्ट्रोलॉजी को पहले सीखिए सिद्धांत को सीखिए सिस्टम को समझिए खैर छोड़िए हम भी थोड़ी शनि पर चर्चा करते हैं जैसे कि आप जानते हैं 24 जनवरी को क्षण मकर राशि में यानी अपनी खुद की राशि में प्रवेश कीया है जैसे कि हमें सबसे पहले काल पुरुष की कुंडली को ही देखना पड़ेगा काल पुरुष की कुंडली में शनि दशम भाव में आएगा यानी मकर राशि दसवें घर में पढ़ती हैदसवा भाव कालपुरुष की कुंडली अनुसार शनि की ही राशि मकर राशि होती है। और इसलिए सबसे पहले हमें मकर राशि के बारे में भी समझना होगा कर्म में आस्था रखने वाला शरीर है,सरकारी कार्य ठेकेदारी पिता से सम्बंधित काम तकनीकी काम आदि फ़ायदा देने वाले है आदत से काम करना और तकनीक के बारे में सोचना भी माना जा सकता है,वैसे कमन्यूकेशन के कामो से तुरत धन मिलने की बात मिलती है और धन के लिए मित्रो का सहयोग और पिता के धन का सहयोग भी माना जा सकता है,बड़े रूप में दिखावा करने और परिवार को संभालने की बात भी मिलती है,हनुमान जी जैसे देवता की भक्ति भी मिलती है रोजाना के कामो में जीव के प्रति दया की भावना भी मिलती है,जल्दी से धन कमाने के साधनों के प्रति सोच भी होती है और कैसे जल्दी से धन कमाया जाए उसके बारे में ही सोच भी रहती है,रोजाना के कार्यों में संचार की अधिक सुविधा होने से भी अक्सर कार्यों में बाधा का आना मकर राशि का स्वभाव होता है कि वह किसी भी किये गये काम को दुबारा से करवाती है। मकर राशि का सीधा सम्बन्ध वृष राशि से और कन्या राशि होता है,जो भी असर काम धन्धे के मामले में जातक के लिये मकर राशि के होते है वही असर वृष और कन्या राशि के लिये माने जाते है।मकर राशि का शनि अगर सही कार्य करवाता है तो वह सीधा वृष राशि से सम्बन्ध रखता है और अगर बुरा असर देना होता है तो वह सीधा कन्या राशि से अपना असर देना चालू कर देता है। वृष से अपना असर लेकर वह कन्या को देता है तो जातक को धन के द्वारा और परिवार के द्वारा भौतिक वस्तुओं के द्वारा जातक की सहायता रोजाना के कामो में कर्जा दुश्मनी बीमारी और सन्तान की बढोत्तरी के लिये फ़ायदा देना शुरु कर देता है और अगर वह जातक को दुख देना चाहता है तो वह अपना असर कन्या राशि से लेकर वृष राशि पर देना शुरु कर देता है,उन कारणों से जातक को अपने धन और कुटुम्ब तथा भौतिक साधनों की समाप्ति कर्जा दुश्मनी बीमारी या रोजाना के कामों के प्रति करने लगता है। मकर राशि में शनि के अलावा भी अगर कोई ग्रह होता है तो वह उसका भी असर दोहरा कर देती है,जैसे शुक्र के होने से जातक की दो पत्नी होती है,पहली या तो मर गयी होती है या काफ़ी समय तक रिस्ता चलने के बाद हमेशा के लिये खत्म हो गया होता है,उसी प्रकार से अगर मकर राशि में गुरु होता है तो जातक के दो भाई होते है लेकिन औकात यानी पुरुष संतति एक की ही चल पाती है,एक भाई समाप्त हो जाता है अथवा एक बिलकुल ही नेस्तनाबूद हो जाता है। इसी प्रकार से मकर राशि का बुध राजयोग कारक हो जाता है यानी जो केवल कमन्यूकेशन या बातों का व्यापार करना जानता है,अक्सर बातों के व्यापार करने वाले लोगों के अन्दर शनि की मकर राशि होने से शनि की चालाकी का असर जरूर मिल जाता है और वह झूठ बोलने या फ़रेब का सहारा लेकर अपने काम को चलाने लगता है,साधारण आदमी मेहनत करने के बाद अपने कार्य को बडी मुश्किल से कर पाता है जब कि मकर राशि के बुध वाला जातक अपने काम को बडी ही चतुराई से करता हुआ निकल जाता है। मकर राशि का शनि भी दोहरी नीति को चलने के लिये माना जाता है शनि अगर जन्म समय में मार्गी है तो जान लेना चाहिये कि जातक के लिये जीवन भर कठिन मेहनत का सामना करना पडेगा और अगर वह जन्म समय में बक्री है तो जातक को मेहनत के लिये शरीर की बजाय दिमाग की मेहनत करने का अवसर मिलने लगेगा,लेकिन बक्री और मार्गी शनि गोचर के समय जब जिस भाव में बक्री होता है तो परेशानी का कारण बनाने लगता है .शनि वाले कामों के अन्दर मकर राशि के द्वारा जो भी कार्य देखे जाते है उनके अन्दर सबसे पहले राज्य वाले कामों को देखा जाता है मार्गी शनि लेबर वाले कामों की तरफ़ ले जाता है और मार्गी शनि ठेकेदारी या दिमाग से कमाने वाले कामों मे ले जाता है,उसके बाद शनि का असर मीन राशि में होने के कारण जातक को कार्यों के प्रति किसी बडे संस्थान जैसे जेल आदि के लिये कार्य करना पडता है अथवा वह विदेश की नीतियों वाले कार्य या विदेश वाले कामों के लिये अपना कार्य करता है,शनि तिरछी नजर लगन पर होने के कारण शनि अक्सर शरीर को कष्ट पहुंचाने का कार्य करता है,जो भी नाम या कुल के अनुसार कार्य होते है तो वह उन कार्यों के अनुसार कार्य नही करने देता है। लेकिन बक्री शनि समाज के कार्यों के प्रति अपने अपने भावों के अनुसार जल्दी से निपटाने का कार्य करने लगता है।र्गी शनि शरीर को कष्ट देता है और बक्री शनि दिमागी रूप से परेशान करने के लिये माना जाता है,इस शनि का मुख्य कारण धन के प्रति होता है,इसके बाद शनि की सप्तम नजर कर्क राशि पर होने के कारण जातक के लिये घर के काम और जन्म स्थान के कामों के लिये अपनी चाहत भी देता है,बक्री शनि अपनी दिमागी ताकत से घर बनाने के लिये आगे आता है तो मार्गी शनि शरीर के द्वारा पसीना बहाने के द्वारा मकान और रहने के स्थान को बनाने के लिये अपना कार्य करता है। मकर राशि के शनि का सबसे बुरा असर जीवन साथी के भाव में होता है अगर शनि मार्गी है तो गृहस्थी चलाने के लिये लोहे के चने चबाने पडते है,और अगर बक्री हो तो जीवन साथी अपने फ़रेबी कारणों से जातक का अपमान करने से नही चूकता है। अक्सर मार्गी शनि के होने से जातक के अन्दर बल और वीर्य की अधिकता होने से जातक का जीवन साथी उससे दूर भागने लगता है जबकि बक्री शनि के होने के समय जातक के बल और वीर्य में कमी होने से जातक का जीवन साथी उसे अपने इशारे पर नचाना चालू कर देता है। जातक के जीवन में दसवा शनि अगर मार्गी होता है तो देर से उन्नति को दे पाता है और बक्री होता है तो जल्दी से उन्नति भी देता है और गोचर से बक्री होने के समय अवनति भी देता है। दसवा शनि मार्गी होने पर न्याय को मानने वाला होता है और बक्री शनि न्याय को नही मान कर उसके ऊपर अपने दिमाग से विजय पाने वाला होता है. आगे हम अगली पोस्ट में शनि के वारे थोड़ी चर्चा ओर करेंगे आचार्य राजेश मित्रों आप भी अगर अपनी कुंडली दिखाकर शनि गोचर का कल पता करना चाहते हो कि आपकी कुंडली में शनि जो मकर राशि में कैसा फल देगा शुभ देगा या अशुभ देगा तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं 

शनिवार, 25 जनवरी 2020

आठवां शनि शनिदेव का अष्टम भाव में फल | Saturn Effects 8th House.

https://youtu.be/2GqMEVBeo_Y
शनि का अष्टम भाव में फल | Saturn Effects 8th House. जन्मकुंडली में अष्टम भाव को शुभ नहीं माना गया है। यह त्रिक भाव भी है। इस भाव से व्यक्ति की आयु व मृत्यु के स्वरुप का विचार किया जाता है। शनि इस भाव का तथा मृत्यु का कारक ग्रह भी है।कुंडली का आठवा भाव और शनि दोनों ही बड़े महत्वपूर्ण और चर्चित विषय हैं। आठवां स्थान मृत्यु का भाव कहलाता है। इसलिए अष्टम स्थान को लेकर अक्सर लोग भयभीत रहते हैं। और यदि इस घर में शनि आ जाए यानी आठवें स्थान में शनि आ जाए तो डरना स्वाभाविक ही है।एक कहानी पढी थी कि जब शनि देव ने जन्म लिया और उन्होने अपनी आंखे खोली तो सूर्य देव जो उनके पिता थे उनको कोढ की बीमारी हो गयी,उनका सारथी जो रथ को चलाता था लंगडा हो गया,और रथ में चलने वाले घोडें अन्धे हो गये,मतलब शनि के अष्टम में आने से एक दम सूर्य अस्त हो गया,यही स्थान शनि के जन्म का कहा जाता है। किसी भी जातक की कुंडली में शनि अगर वृश्चिक राशि का है या फ़िर शनि उच्च की राशि में होकर अष्टम स्थान में है तो जातक को मौत के बाद की सम्पत्ति तो मिलेगी,जब मौत के बाद की सम्पत्ति मिलेगी तो सीधी बात है कि किसी भी रिस्तेदार की जो अष्टम भाव से सम्बन्ध रखता हो उसकी सम्पत्ति जातक को मिलेगी। अब अष्टम के रिस्तेदारों को गौर से देखने पर पता चलता है कि पिता का ग्यारहवा भाव और माता मा पंचम भाव यानी जातक के जन्म के बाद माता के परिवार का सूर्य जरूर डूबेगा। दूसरे यह स्थान माता के परिवार के अलावा भी कई स्थानों से सम्बन्ध रखता है,जैसे छठे स्थान से यह तीसरा स्थान है और मामा या छोटी मौसी के लिये भी माना जा सकता है जातक को नाना की भाभी की सम्पत्ति भी मिलेगी। यह स्थान पत्नी के मामा के भाग्य का स्थान भी माना जाता है यानी पत्नी का मामा कभी कभी न कभी भाग्य से जातक को अपनी सम्पत्ति का कुछ हिस्सा दे ही देगा। यह स्थान बडे भाई की पत्नी का मकान भी कहा जाता है यानी बडे भाई की ससुराल में भी सूर्य का डूबना माना जायेगा और सारथी के रूप में रहने वाली बडे भाई की सास भी लंगडी होकर मरेगी और उसकी भी मकान जैसी सम्पत्ति भी जातक के बडे भाई को मिलेगी। इस स्थान को छोटे भाई के रोजाना के कार्य और कार्य के बाद मिलने वाली बीमारियों और कर्जा दुश्मनी बीमारी के लिये भी माना जाता है जातक को छोटे भाई के कर्जा दुशमनी बीमारी को निपटाने के लिये अपने द्वारा खर्चा करने वाली बात इसलिये मानी जा सकती है कि तीसरा भाव पत्नी का भाग्य का भाव कहा जाता है,अगर जातक अपने छोटे भाई के लिये इन बातों में खर्चा करता है तो जातक का भाग्य का घर और अपमान मृत्यु जान जोखिम आदि के लिये सहारा भी मिलने में कोई सन्देह नही किया जा सकता है।

इस भाव के शनि की सवारी के लिये मैने कही सुना था कि इसके रथ को आठ सांप खींच रहे है उन आठ सांपों का शरीर एक है और फ़न आठ है,यानी शेषनाग का रूप माना जा सकता है,अक्सर जब हम इस शनि के लिये अपनी आराधना में भगवान श्रीकृष्ण के रूप को यमुना में गिरी गेंद को निकालने के लिये कालियादाह में जाकर और शेषनाग को नाथ कर उसके फ़नों पर ता ता थैया करते हुये देखते है तो आठवें शनि की बुरी बातों में कुछ कमी मिलती है,कुछ स्थानों पर इस शनि की सवारी को भैंसे के रूप में माना जाता है और जब व्यक्ति की मौत होती है तो वह भैंसे पर सवार यमराज को देखकर या लोक मान्यता को समझ कर मान ही सकता है कि शनि का रूप मृत्यु के देवता के रूप में भी है और तभी यूनान के लोग शनि की पूजा करते थे,शनि को इन्साफ़ का देवता भी मानते थे,एक बुजुर्ग ऋषि के रूप में मान्यता भी रखते थे। अन्ग्रेजी में शनि का नाम Saturan रखा गया है।
हर आदमी को तांत्रिक लोगों से डर लगता है,कारण आठवें भाव का शनि तांत्रिक बनने की योग्यता देता है,जातक के अन्दर इतने दुख भेजता है कि वह अपने को दुनियादारी से दूर लेजाकर शमशान को ही अपनी कार्यस्थली बनाता है और तांत्रिक शक्तियों के लिये अपने प्रयास करता है। वह शीत वायु नमी गरमी बरसात आदि को सहन करने की क्षमता रखता है भार को खींचने की योग्यता रखता है,कैसा भी भोजन खाने की हिम्मत रखता है और पचाता भी है शराब और तामसी वस्तुओं का सेवन करता है,उसके पास उन रूहानी ताकतों का आवागमन हो जाता है जो पहले से ही दुखी होती है या तांत्रिक कारणों से परेशान रही होती है। अक्सर देखा जाता है कि इस प्रकार के व्यक्ति लम्बी उम्र तक जिन्दा रहते है,कहावत भी है कि जो समय से भोजन को प्राप्त कर लेता है वह जल्दी मर जाता है और जो भूखा रहता है और भोजन के प्रयास को करता रहता है उसके अन्दर उन ताकतों का विकास हो जाता है जो किसी भी बीमारी को दूर रखने के लिये काफ़ी होती है।

अष्टम स्थान के शनि को शनि की उतरती और नीची साढेशाती के रूप में जाना जाता है। जातक के अन्दर मान अपमान का भेद और अपने मन के अन्दर ही कितने ही विचारों की लडाई अपने आप चलने लगती है और उन लडाइयों के कारण वह कुछ करने जाता है और कुछ करने लगता है। उसे जितनी लोग सहायता के लिये सामने आते है उन्हे वह दूर करता है और जो लोग गालियां देते है उनके ऊपर वह रहम करता है और गाली सुनने की आदत पड जाती है। अक्सर इस शनि के द्वारा जातक को अपने जीवन साथी से हमेशा मतभेद के साथ रहना पडता है कारण जीवन साथी का विचार जातक के परिवार के प्रति बिलकुल बेकार का ही माना जाता है वह पिता के परिवार से दूरिया रखने या किसी भी प्रकार की चालाकीकरने के लिये भी माना जाता है,जातक के जीवन साथी का व्यवहार इतना रूखा और बेकार सा हो जाता है कि वह कभी भी जातक के परिवार को परिवार नही समझ कर अपने मान अपमान को हमेशा सामने रखता है यही कारण होता है कि जातक जब अपनी शनि की उम्र में आता है तो अपने जीवन साथी से अपने आप दूरिया बना लेता है और जीवन साथी को जवानी के दिनों में किये गये व्यवहार के लिये पश्चाताप करना पडता है। अगर जातक का सूर्य कुछ मजबूत है तो जातक के पुत्र जातक के जीवन साथी के लिये अपनी स्वार्थी मर्यादा को कायम रखते है और जैसे ही उनका स्वार्थ पूरा होता है वे अपने स्वभाव से जातक के जीवन साथी के साथ दुर्व्यवहार करने लगते है,जातक के लिये जातक का जीवन साथी कई प्रकार के आक्षेप और विक्षेप भी देता है।

शनि के इस भाव के प्रभाव को दूर करने के लिये एक अच्छा उपाय यह भी कहा गया है कि जातक अगर खुद ही दुखों को अपने सीने से लगाकर चले और सुखों से दूरिया बना ले तो जातक को दुख परेशान ही नही कर सकते है,वह अगर अपने को अपमान में भी सुखी माने,सर्दी गर्मी और बरसात के असर को सहन करने की क्षमता को रखे तथा हितू नातेदार रिस्तेदार से भली बुरी सुनने का आदी बना रहे उसे यह चिन्ता नही हो कि कल क्या मिलेगा तो शनि दुख दे ही नही सकता है और एक दिन ऐसा आता है सभी सुख उस जातक के आगे पीछे घूमने लगते है और वह उन दुखों को देखने के बाद सुखों से नफ़रत पैदा कर लेता है।

इस भाव के शनि के कारण जातक की बहिन बुआ बेटी को या तो हमेशा दुखी ही देखा गया है या वे शनि जैसी सिफ़्त वाले लोगों से अपने सम्बन्ध बनाकर जातक को अपमानित करने के लिये पूरे प्रयास करने में कसर नही रखती है। जातक को जब कोई साधन नही मिलता है तो जातक अपने को उन्ही की शरण में लेजाकर पटक देता है और अपने को अपमानित होने में उसे कोई दुख नही होता है,अक्सर इस भाव के शनि वाले जातक के रिस्तेदारों से कभी नही बनती है वे अपनी चालाकी और अपने द्वारा जातक से मुफ़्त में प्राप्त करने के कारण बिगाडखाता कर लेते है और जब भी जातक के लिये कोई बात होती है तो केवल बुराई को ही सामने करने से बाज नही आते है।

इस भाव के शनि वाले जातक अक्सर ध्यान समाधि की तरफ़ चले जाते है और जब वे ध्यान समाधि के बाद अपने अन्तर्मन के अन्दर सूर्य की उस किरण को प्राप्त करते है जिसे अन्तर्ग्यान के रूप में जाना जाता है तो जातक को सभी प्रकार की शान्ति मिलती है,जातक उस ज्योति की किरण को दुबारा से प्राप्त करने के लिये कई प्रयास रोजाना करने लगता है और उसी प्रकाश के सहारे चलते चलते वह एक दिन सिद्ध पुरुष या स्त्री की श्रेणी में आजाता है लोग उसके पीछे घूमते है और वह किसी प्रकार के सुख को अपने पास नही आने के लिये कृतसंकल्प रहता है।यदि शनि कुंडली के अष्टम भाव में हो तो ऐसे में शनि दशा स्वास्थ कष्ट और संघर्ष उत्पन्न करने वाली होती है। अष्टम में शनि होना किसी भी स्थिति में शुभ तो नहीं है पर यदि यहाँ स्व उच्च राशि में हो या बृहस्पति से दृष्ट हो तो समस्याएं बड़ा रूप नहीं लेती और उनका समाधान होता रहता है।

यदि शनि कुंडली के अष्टम भाव में होने से ये समस्याएं उत्पन्न हो रही हों तो निम्नलिखित उपाय करना लाभदायक होगा।

1. ॐ शम शनैश्चराय नमः का जप करें।
2. साबुत उड़द का दान करें।
3. शनिवार को पीपल पर सरसों के तेल का दिया जलायें।--
4-नित्य अपने माता पिता से आशीर्वाद लें।
5-मजदूर वर्ग से प्रेम से पेश आयें और उनकी परेशानी में उनका साथ निभाएं।
---किसी जरूरतमंद की सहायता करें। इस शनि के प्रभाव को दूर करने के लिये और अपने अपमान आदि को दूर करने के लिये एक उपाय लालकिताब में बताया गया है कि जातक अगर चांदी का चौकोर टुकडा अपने गले में डाले रहता है तो चन्द्र मंगल की युति बनाकर वह दुखों से कुछ सीमा तक दूर रह सकता है।
आप अपने विचार www.acharyarajesh.inपर लिख सकते है.

गुरुवार, 23 जनवरी 2020

वैदिक ज्योतिष मे गुरु राहु और केतु की दृष्टि ऐक समान

https://www.youtube.com/watch?v=crxhPe2C5ic 
वैदिक ज्योतिष मे गुरु राहु और केतु की दृष्टि ऐक समान जन्मकुंडली में कोई भी ग्रह कहीं भी बैठा हो वह दूसरे ग्रह आदि पर दृष्टि डालता है तो उस दृष्टि का प्रभाव शुभ या अशुभ होता है। आप अपनी कुंडली के ग्रहों की स्थिति जानकर उनकी दृष्टि किस भाव या ग्रह पर कैसी पड़ी रही है यह जानकार आप भी उनके अशुभ प्रभाव को जान सकते हैं।
 दृष्टि क्या होती है?
दृष्टि का अर्थ यहां प्रभाव से लें तो ज्यादा उचित होगा। जैसे सूर्य की किरणें एकदम धरती पर सीधी आती है तो कभी तिरछी। ऐसा तब होता है जब सूर्य भूमध्य रेखा या कर्क, मकर आदि रेखा पर होता है। इसी तरह प्रत्येक ग्रह का अलग-अलग प्रभाव या दृष्टि होती हैं। मित्रों आप तो जानते ही हो कि राहु केतु छाया ग्रह है। पर इनकी भी दृष्टि  निर्धारित की गई है। गुरु राहु केतु अपने स्थान अपने स्थान से तीसरे भाव पंचम भाव सप्तम भाव और नवें भाव को पूरी द्रिष्टि से देखते है,गुरु का अर्थ वैदिक ज्योतिष में ज्ञान सम्बन्ध क्षमता आदि से लिया जाता है तो नाडी ज्योतिष में जीव से लिया जाता है लाल किताब में गुरु को पिता के रूप में देखा जाता है.इसी प्रकार से राहु का अर्थ वैदिक ज्योतिष में पूर्वजों की आत्माओं से लिया जाता है,जो अपने अन्दर जिन्दा शक्ति को सोखने की शक्ति को रखता है उसे भी राहु कहते है जो अपने रहते हुये अन्य की प्रतिक्रिया को नेस्तनाबूद रखे उसे भी राहु कहते है,नाडी ज्योतिष में जीवन पदार्थ स्थान आदि की अन्दरूनी शक्ति को कहा गया है और लालकिताब में राहु को ससुराल आसमानी शक्ति और रूह के रूप में बताया गया है,उसी प्रकार से केतु को भी नकारात्मक शक्ति के रूप में वैदिक ज्योतिष में जिस के अन्दर जीव नही हो और जिसे प्रयोग में लाया जा सकता है,जैसे जानवर के मरने के बाद उसके सींगों में कोई शक्ति नही है लेकिन उसके सींग के अन्दर छेद आदि करने के बाद बजाने के काम में भी लाया जाता है तो महीन हड्डी आदि को हथियार और कांटे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है,जो सहारा देने के लिये प्रयोग में लिया जाये चाहे वह पहिचान बताने के लिये झंडा का रूप हो या कुत्ते को भगाने के लिये डंडा के रूप में हो आजकल जनता के हित के लिये नेता के रूप में भी केतु की उपाधि बताई जाती है,नाडी ज्योतिष में केतु को उन रिस्तों के लिये माना जाता है जो वास्तव में कुछ नही होते है लेकिन सम्बन्धों के व्यवहार के कारण वे आजीवन ही नही कई पीढियों तक चलते रहते है जैसे ननिहाल का रिस्ता साथ ही लालकिताब में भी केतु को मामा के घर में भान्जे के रूप में ससुराल में जंवाई के रूप में और बहिन के घर भाई के रूप में केतु की मान्यता है। लेकिन इन सभी में गुरु को जीव के रूप में मानना और हवा का कारक जो जीव को सांस के रूप में जिन्दा रखती है के लिये माना जाना ठीक है,जिन्दा है तो रिस्ता है,जिन्दा है तो किसी न किसी प्रकार का ज्ञान रखता है मुद्रा चलन में है तो वह जिन्दा है किताब  में जो लिखा है और वह अच्छा या बुरा प्रभाव प्रकट करने में सक्षम है तो उसे जिन्दा माना जाता है,इसी प्रकार से राहु को भी पूर्वजों के रूप में मानना चाहे वह राख के रूप में हो कैमिकल पदार्थ के रूप में हो वह पानी मिलने पर कैमिस्ट्री की उपाधि देता हो,पदार्थ में मिलाने पर फ़िजिक्स की बात बताता हो हवा में मिलने पर गैस की उत्पत्ति करता हो तार के अन्दर जाने पर बिजली की प्रधानता को बताता हो या मोबाइल के अन्दर बैटरी के रूप में चलाने की क्षमता बेलेन्स के रूप में बात करने की क्षमता और सेमीकन्ड्क्टर के अन्दर सोफ़्टवेयर के रूप में कार्य करने की क्षमता के रूप में अपना आस्तित्व रखता हो,इसके विपरीत में केतु को माना जा सकता है।
तीनो ग्रहों की समान द्रिष्टि को समझने के लिये गुरु जहां है वहां से स्थान की पहिचान औकात की पहिचान बताता है,तीसरे स्थान से अपने द्वारा लोगों के अन्दर पहिचानने की शक्ति नाम की शक्ति और प्रदर्शन की शक्ति को बताता है,पंचम स्थान से कितनी शक्ति चाहे वह ज्ञान के रूप में हो या रक्षक और मारक के रूप में हो सम्मोहन के रूप में हो बखान करता है सप्तम से किन किन कारकों से वह मुकाबला कर सकता है और नवें भाव से वह किस प्रकार के समाज समुदाय या रा मेटेरियल से निर्मित है. गुरु के समान ही यह अपनी नजर रखते हैं।

शनिवार, 18 जनवरी 2020

Ketu(Importance of Ketu planet in Horoscope केतु का ज्योतिष महत्व

www.acharyarajesh.in Ketu(Importance of Ketu planet in Horoscope केतु का ज्योतिष महत्व

मित्रों आज बात करते हैं केतु ग्रह 

लाल किताब में केतु को कुत्ता माना गया है। कुत्ता खूँखार भी हो सकता है और गीदड़ भी। यदि समझदार है तो रक्षक का कार्य करेगा। केतु को दरवेश माना गया है। इसका सम्बन्ध इस लोक से कम परलोक से अधिक है। केतु इस भवसागर से मुक्ति का प्रतीक है,केतु दया का सन्देश वाहक है,मंगल बुध और गुरु तीनो ही केतु में सम्मिहित है। केतु यात्राओं का कारक है और जीवन यात्रा के गन्तव्य तक जातक का सहायक है। केतु को तीन कुत्तों के रूप में भी पहिचाना जाता है,बहन के घर भाई ससुराल में जंवाई और मामा के घर भान्जा भी केतु की श्रेणी में आते है। केतु के लिये कुत्ते को पाला जाता है दिन के लिये सफ़ेद कुत्ते को और रात क लिये काले रंग के कुत्ते को पाला जाता है,केतु दिवा बली भी होता है और रात्रि बली भी होता है जबकि अन्य ग्रह या तो दिवा बली होते है या रात्रि बली माने जाते है। यदि कुत्ते का लाल रंग है तो वह बुध के लिये माना जाता है और बुध वाले ही फ़ल देने के लिये अपना असर देता है लेकिन बुध का असर केवल केतु के समय तक ही निश्चित माना जाता है। जब केतु बुरा फ़ल देना शुरु करे तो जातक को किसी प्रकार का अपनी मुशीबतों का शोर नही मचाना चाहिये,कारण जितना अधिक शोर मचाया जायेगा केतु उतना ही अधिक परेशान करने के लिये अपना असर देगा। दसवे भाव के ग्रहों को देखकर केतु की प्रताणन की सूचना निश्चित  रूप से पहले ही मिल जाती है।केतु की पीडा से जातक का स्वास्थ खराब होता है,तो चन्द्रमा सहायक माना जाता है,कभी कभी केतु पुरुष सन्तान यानी पुत्रो को कष्ट देता है,ऐसा होने पर मन्दिर में कम्बल का दान करना चाहिये,केतु के बुरे प्रभाव से पांव के पंजो एं या पेशाब की नली में रोग पीडा आदि होने के कारण मिलने वाले कष्टो से बचने के लिये पावों के अंगूठो पर रेशमी धागा बांध लेना चाहिये।

केतु का कारक सोने वाला पंलग भी माना जाता है,विवाह के समय जो पलंग मिलता है या बिस्तर मिलता है उस पर केतु का स्वामित्व माना जाता है,प्रसूति के समय स्त्री को इसी पलंग का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसा करने से केतु बच्चे को दुख नही देता है।केतु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को चाहिए कि, कभी भी खुद के पैसे से खरीदे पलंग पर नहीं सोएं। केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए ससुराल से प्राप्त पलंग का प्रयोग करना चाहिए। अगर खुद के पैसे से पलंग खरीदना चाहते हैं तो थोड़े से पैसे ससुराल से भी आशीर्वाद स्वरुप प्राप्त कर लें।

जब केतु परेशान करता है तो दूसरे ग्रहों पर भी बुरा प्रभाव डालता है,केतु का राहु या शनि से सम्बन्ध होने पर वह पापी हो जाता है,राहु केतु युति निश्चय ही असम्भव है,किन्तु नकली राहु जो अन्य ग्रहों के मेल से बनता है और वह अगर केतु के साथ युति करते है तो बहुत ही खतरनाक स्थिति बन जाती है। केतु पीडित होने पर भी मारक नही होता है। वह किसी सम्बन्धी की मृत्यु का कारण भी नही बनता है। वह अन्य प्रकार के कष्ट देता है। पापी होने पर केतु प्राय: घर को घर की स्त्रियों को और बच्चों को प्रताणित करता है। जब रवि या गुरु अपने शत्रु ग्रहों द्वेआरा पीडित होते है तो वे केतु क अशुभ फ़ल उत्पन्न करते है,जब केतु अशुभ होता है त वह प्राय: बच्चों को कष्ट देता है। फ़लत: बच्चों को यदि सूखा रोग हो जाता है तो नदी आदि की मिट्टी से नहलाने से केतु का असर ठीक होने लगता है यह प्रयोग तेतालीस दिन तक करना चाहिये।सामान्य रूप से केतु के उपचार) सवा किलो आटे को हल्का सा सेंककर उसमें गुड़ का चूरा मिला दें तो 43 दिन तक लगातार चींटियो को डालें।
(2) बुधवार के दिन
गणेश चतुर्थी और गणेश पूजा के दिन उपवास रखना चाहिये.
3तिल नीबू और केले का दान करना चाहिये.
4-घर मे काला धोला कुत्ता पालें या ऐसे कुत्ते की सेवा करें,लेकिन शुक्र केतु की युति होने पर हरगिज भी कुत्ता नही पाले और न ही कुत्तों की सेवा करें.
आसपास के लोगों से अच्छा व्यवहार और अच्छा चालचलन बना कर रखें,अन्यथा पेशाब वाली बीमारी होने की बात मिलती है.
नौ साल से कम उम्र की बालिकाओं को खट्टी मीठी टाफ़ियां देने से भी केतु खुश रहता है.
काले धोले तिल बहते पानी में बहाने से भी केतु की पीडा कम होती है.मन्दे केतु की पहचान: पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह।
तेज: मकान, दुकान या वाहन पर ध्वज के समान है। केतु का शुभ होना अर्थात पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख।
मंदा: मंगल के साथ केतु का होना बहुत ही खराब माना गया है। इसे शेर और कुत्ते की लड़ाई समझें। चंद्र के साथ होने से चंद्र ग्रहणमाना जाता हैकेतु के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है की केट छुडावे खेत यानी की केतु जिस भाव में हो उस भाव से सम्बन्धित जातक में अलगाव पैदा कर देता है। अन्य ग्रहों की तरह केतु की ज्योतिष में अहम भूमिका होती है। ज्योतिष में केतु को मोक्ष का कारक ग्रह माना गया है। केतु को कुल को तारने वाला भी माना गया है। पुत्र को भी केतु ही माना गया है।
 
सावधानी: कुंडली के खानों अनुसार ही उपायों को लाल किताब के जानकार से पूछकर करना चाहिए।
नाना की सेवा करे और उनकी आज्ञा का पालन करें.अब यहाँ केतु के बल को समझना है, केतु जिसके साथ बैठता है उसके बल को बढ़ाता है जिसके कारण शुभ ग्रह होने पर शुभ फल को बढ़ाएगा और पाप ग्रह होने पर पाप फल को बढ़ाएगा और राहु में यह अंतर है की राहु जिसके साथ बैठेगा उस के बल को लेकर अपने बल को बढ़ाएगा और पाप प्रभाव दिखाएगा  सभी ज्योतिष शास्त् केतु का फल करते समय इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए उस पर
किस ग्रह का प्रभाव है
वह किस भाव में बैठा है
वह किस राशि में है वह उसके अनुसार फल देने में समर्थ रखता है                       
 वैसे वेदों में सूर्य की राशिमो को  केतु कहा गया है  यदि वेद के इन शब्दों को सही माने तो केतु सूर्य की  राशिमो होने की वजह से वह जीवनदाता माना जायेगा क्योकि की सूर्य की किरणों से ही पूरा व्रह्माण्ड प्रकाशित होता है उसी राशिमो से जीव का जीवन है|

मंगलवार, 14 जनवरी 2020

जीवन यात्रा: Life Through the Lens of Jyotish

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मित्रों हर चीज हमारे नियंत्रण में नही है। हम मेहनत तो बहुत करते है परन्तु सबको एक जैसा फल नहीं मिलता, कोई बीमार है, कोई आर्थिक तंगी का शिकार है, किसी की शादी नही हो रही और किसी को नौकरी नही मिल रही तो कोई व्यापार में घाटा उठा रहा है, कोई पाप करता है और फिर भी मजे से जिन्दगी काटता है और कोई बहुत शुभ कर्म करता है तब भी कष्ट उठा रहा है,  वैसे तो आजकल भाग्य और ज्योतिष को निरर्थक और अनपढ़ लोगो की विद्या समझ कर नकार दिया जाता है लेकिन जब हम अभी कही गयी बातों का लगातार शिकार होते है, तब हमे लगता है कि इस संसार में भाग्य नाम की एक चीज भी है। जन्म कुंडली में बारह खाने बने होते हैं जिन्हें भाव कहा जाता है। शास्त्रों में 12 भावों के स्वरूप हैं और भावों के नाम के अनुसार ही इनका काम होता है। पहला भाव तन, दूसरा धन, तीसरा सहोदर, चतुर्थ मातृ, पंचम पुत्र, छठा अरि, सप्तम जाया, आठवाँ आयु, नवम धर्म, दशम कर्म, एकादश आय और द्वादश व्यय भाव कहलाता है़।कुंडली मे जीवन की यात्रा पहले भाव से शुरु होती है,चौथे भाव तक शरीर का पालन पोषण किया जाता है और पहली यात्रा शुरु हो जाती है सप्तम भाव तक पहली यात्रा चलती है,सप्तम के बाद जीवन की दूसरी यात्रा शुरु होती है जो दसवे भाव तक चलती है,दसवे से तीसरी और अन्तिम यात्रा शुरु हो जाती है जो दुबारा से जीवन को देने के लिये पहले तक अपनी यात्रा को जारी रखने के लिये माना जाता है.इस प्रकार से जीवन की यात्रायें क्रम से चलती रहती है,शरीर बदल जाते है योनि बदल जाती है कर्मो के अनुसार जीवन का क्षेत्र बदल जाता है। अच्छे काम जीवन की यात्रा मे किये जाते है तो अच्छी योनि की प्राप्ति हो जाती है बुरे काम किये जाते है तो बुरी योनि की प्राप्ति हो जाती है। अच्छे और बुरे दोनो प्रकार के कार्य किये जाते है तो अच्छे और बुरे दोनो प्रकार के सम्मिलित परिणाम मिलते रहते है। शरीर परिवार जीवन साथी और दुनियादारी यह चार रास्ते हर जीव के प्रति अपने विचार चार रास्तों की तरह से होते है और इन चारो के मिलने के स्थान को चौराहे से जोड कर देखा जा सकता है। जो व्यक्ति जिस रास्ते पर जा रहा होता है वह अपने रास्ते को अगर लगातार दाहिनी तरफ़ लेकर चला जाता है तो वह पहले परिवार मे चलेगा फ़िर जीवन साथी के साथ चलेगा और बाद मे जगत व्यवहार को लेकर चलने के बाद वापस फ़िर से जीवन के प्रति आकर नया जीवन शुरु कर देगा,यह मान्यता जगत मे मान्य है और वैदिक तथा शास्त्रीय रीति से इसे उत्तम रास्ता कहा जाता है। इसके विपरीत दूसरा व्यक्ति अपने लगातार बायीं तरफ़ लेकर चलेगा तो वह पहले जगत व्यवहार को देखना शुरु कर देगा और फ़िर जीवन साथी और बाद मे परिवार की तरफ़ देखकर दुबारा से शरीर के प्रति आकर नया जन्म लेगा और दुबारा से अपनी सृष्टि क्रम का साझेदार बन जायेगा। इस प्रकार से दो प्रकार के भाव जीवन मे माने जाते है।सुबह जागने के बाद व्यक्ति के अन्दर कई प्रकार के भाव पैदा होते है जो उसे पूरे दिन के लिये अपनी चेतन और अचेतन मन के द्वारा प्रकट किये जाते है। वह किस क्षेत्र मे अपने को ले जायेगा वह विचार उसे या तो अपने दिमाग से लेकर चलना पडता है अथवा दूसरे लोग उसके मन को अधिग्रहण करने के बाद चलाने के लिये माने जाते है। जो लोग अपने मन से चलते है वे अक्सर बायीं ओर चलने वाले माने जाते है और जो दूसरों के प्रति दूसरों की धारणा से चलते है वे दाहिनी तरफ़ चलने वाले लोगों के जैसे माने जाते है। जब उन्नति और अवनति क कारण देखा जाता है तो दाहिनी तरफ़ वाले व्यक्ति तो जगत के व्यवहार को पहले नही देखते है वे परिवार की सहायता से फ़िर जीवन साथी की सहायता से जगत व्यवहार को समझने की चेष्टा करते है और उन्हे भावी कष्ट ही मिलते है लेकिन जो दाहिनी तरफ़ चलने वाले लोग होते है वे सीधे से जगत व्यवहार से जुडते है और उन्हे स्वार्थी जगत की श्रेणी मे पहले से ही निपटना होता तो वे अपने जगत व्यवहार से अपने जीवन साथी को भी केवल आदेश से ही लेकर चलते है और अपने परिवार को भी आदेश से लेकर चलने के लिये माने जाते है इस प्रकार से वे जगत व्यवहार के आगे अपने वास्तविक मूल्य को भूल कर केवल जगत व्यवहार के लिये ही होकर रह जाते है,उन्हे अपने जीवन का वास्तविक रास्ता नही मिलता है जो मिलता है वह स्वार्थ की रीति से ही मिलता है। जैसे जगत व्यवहार का रास्ता खत्म हो जाता है तो जीवन साथी भी अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये साथ चलता है और जैसे ही जीवन साथी का स्वार्थ पूरा हो जाता है व्यक्ति अपने परिवार के ऊपर निर्भर होकर रह जाता है एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति निराट अकेला रहकर अपने द्वारा लोगों की छल वाली नीतियों के प्रति सोचता हुआ अन्तगति को प्राप्त करता है और दूसरे जीवन मे अपनी उसी नीति को धारणा मे लेकर चलता है,उस धारणा के अन्दर जो पहले जीवन की अनुभूति होती है वह दूसरे जीवन मे बदली हुयी होती है पहले जैसे उसे ठगा गया था वह दूसरों को ठगना शुरु कर देता है और जब जीवन साथी का क्षेत्र आता है तो वह जीवन साथी के स्वार्थ को भी अपनी चाहत से ठगने की बात सोचता है और स्वार्थी भावना के रहते उसे केवल अपनी स्वार्थो की पूर्ति के लिये ही प्रयोग मे लाता है अन्त मे अपने परिवार को भी ठग कर दूसरी दुनिया मे अपने को लेजकर किसी ऐसे क्षेत्र को पकडता है जहां उसके जान पहिचान या कोई सगा सम्बन्धी नही होता है वह अपने को अकेला रखकर अन्तगति को प्राप्त करता है।इस यात्रा क्रम को कई लोग बीच मे बदल लेते है और वे जो दाहिने चलने वाले होते है वे अपने को बायें चलाने लगते है और बायें चलने वाले दाहिने चलने के लिये भी माने जाते है कई लोग ऐसे भी होते है जो अपने को बीच मे ही रोकर एक जगह पर स्थापित कर लेते है फ़िर उनका जीवन के रहते हुये कोई मकसद नही होता है। या तो वे नितान्त अकेले रहकर जीवन को निकालते है या अपने को दूसरो के भरोसे छोड कर पडे रहते है। जो लोग अकेले पडे रहते है उनके अन्दर या तो खुद का अहम भरा हुआ होता है या वे किसी के अहम के शिकार हो गये होते है। जो अहम के शिकार हुये होते है वे हर बात से अपने अन्दर शक्तिहीन मानने लगते है और जो अपने अहम से अकेले पडे रहते है वे दूसरो को शक्तिहीन समझने लगते है। लेकिन दोनो ही बातो में दम नही होता है कारण जीव अपनी शक्ति को लेकर पैदा होता है और अपनी शक्ति का प्रयोग करने के बाद ही अपनी गति को समेट लेता है। अगर उसके अन्दर अहम की भावना आजाती है तो वह अपने चलते हुये जीवन क्रम को बिगाडने का क्रम ही पैदा करता है उसे अपनी शक्ति के आगे दूसरे की शक्ति की आभास नही हो पाता है। यही बात उन लोगो के लिये भी पैदा होती है जो अपने को दूसरो का अहम का शिकार बनाकर पडे रहते है उन्हे अपनी शक्ति का आभास नही हो पाता है। 

शक्ति का आभास प्राप्त करने के लिये जो चल रहा है उसे तो समझना होता ही है लेकिन जो आगे चलना है उसके प्रति अनुमान लगाना भी जरूरी होता है जो लोग अपने अनुसार चलते है और आगे की बातो को अनुमान लगाकर जानने की क्षमता को रखते है वे तो आगे सफ़ल हो जाते है और जो लोग जो हो रहा है उसी को मानकर चलते रहते है वे कभी कभी बडे रास्ते पर जाकर भटक जाते है और अपने को जबरदस्ती ही शक्तिहीन मानने लगते है। एक समस्या हमेशा के लिये टिक कर नही बैठती है वह समस्या पहले चिडिया की पूंछ की तरह से प्रकट होती है और बाद मे उसके पंखों की तरह से फ़ैल कर बडी हो जाती है लेकिन जब समाप्त होती है तो चिडिया की चोंच की तरह से समाप्त हो जाती है। कई बार यह भी देखा जाता है कि लोग अपने अपने अनुसार समस्या का निस्तारण करने की कोशिश करते है और वे असफ़ल हो जाते है अगर उनके अन्दर अहम की मात्रा है तो वे समस्या को और अधिक बढाने लगते है लेकिन जो लोग समझदार होते है वे उस समस्या के निराकरण के लिये एक से अधिक लोगो से पूंछ कर चलते है तथा जिन लोगो ने अधिक बताया होता है और एक प्रकार का उत्तर दिया होता है उन्ही का कहा मानकर चलने से अधिकतर बडी से बडी समस्या समाप्त हो जाती है। मित्रो
ज्योतिष विद्या के माध्यम से आप अपने जीवन की कठियानियों को दूर या सरल कर सकते हैं। लोग अक्सर इसे अंधविश्वास के रूप में लेते हैं जो की गलत है। अच्छे ज्योतिषाचार्यों की बेहद कमी है हमारे देश में जिसकी वजह से ज्योतिष विद्या से धन उगाई करने वाले झूठे ज्योतिष्कारों ने समाज में अपनी जगह बना ली। यह सदैव ध्यान रहे की हमारा संसार विज्ञान के प्रभाव में बहुत बाद में आया है पर ज्योतिष की मौजूदगी बहुत पहले से है अतः इसे अन्धविश्वास मानना गलत है। अच्छे ज्ञानी की खोज करना ईश्वर की खोज करने जैसा है; ज्योतिष की उत्तम सलाह उत्तम ज्योतिष ज्ञानी ही दे सकता है।

हर समस्या का वैज्ञानकि समाधान मुमकिन नहीं है और हर मर्ज की दवा भी मुमकिन नहीं है। ऐसे स्थान में ज्योतिष का महत्त्व सामने आता है, जिसके माध्यम से आपके जीवन पर पड़ने वाले दोष, कुप्रभाव, कठिनाईयों इत्यादि का हल निकाला जा सकता है।

मित्रों ज्योतिष स्वयं एक ज्ञान है , वेद है , विद्या है और अतीत का विज्ञान है आचार्य राजेश

शनिवार, 11 जनवरी 2020

#शेयर बाजार – स्टॉक मार्केट #2020 वस्तु बाजार का व्यापार-विमर्श एवं विश्लेषण 2


मित्रों अपनी पिछली पोस्ट में मैंने जनवरी से लेकर अगस्त तक के मंदा तेजी बाजार के बारे में ग्रह गोचर  को देखकर लिखा है उसको भी आप पढ़ सकते हैं इस पोस्ट में सितंबर से लेकर दिसंबर 2020 तक की मंदा -तेजी की जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं September 2020#शेयर बाजार – स्टॉक मार्केट #2020 वस्तु बाजार का व्यापार-विमर्श एवं विश्लेषण 2
 सितंबर के महीने में मंदड़िये बाज़ार पर हावी रहेंगे, जिसकी वजह से इस महीने में मंदी रह सकती है। हालांकि, निरंतर उतार-चढ़ाव तेजड़ियों को एक संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा। सितंबर 2020 में, यूरेनस और मंगल ग्रह मेष राशि में, बृहस्पति, केतु और प्लूटो ग्रह धनु राशि में, शुक्र ग्रह कर्क राशि में, शनि ग्रह मकर राशि में, राहु ग्रह मिथुन राशि में और नेप्च्यून ग्रह कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। इस महीने की 2 तारीख को भाद्रपद पूर्णिमांत, आश्विन अमात और कन्या संक्रांति है- ये तीनों ज्योतिषीय घटनाएँ एक शुभ योग बना रही हैं। इसलिए, पब्लिक सेक्टर, फार्मा सेक्टर, सरकारी बांड, इलेक्ट्रिकल समूह, चाय-कॉफी उद्योग, पेट्रोलियम खुदाई कंपनियां आदि के शेयर ग्राफ में उछाल आ सकता है।
हालाँकि इतने अनुकूल योग के बावजूद भी, शेयर बाज़ार के कई क्षेत्रों और उद्योगों के लिए यह समय अच्छा नहीं कहा जा सकता,10 तारीख तक बाजार में तेजी-मंदी का दौर चलता रहेगा। मंगल वक्री गति में 10 तारीख से आगे बढ़ना शुरू कर देगा। तेजड़िये बाजार में पैसा लगाना चाहेंगे लेकिन मंगल ग्रह पर बृहस्पति की दृष्टि उन्हें ऐसा करने का हौसला नहीं देगी। जल्द ही, तेजी की यह स्थिति फिजूल साबित होगी। बृहस्पति 13 तारीख से मार्गी गति शुरु करेगा, और सूर्य भी उसी दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इस ग्रह संयोजन से वस्तुओं में महंगाई बढ़ेगी। ऊनी कपड़ों (मोंटे कार्लो, लक्स इंड) के स्टॉक मांग में दिखाई देंगे। जैसे- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से संबंधित क्षेत्र और उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, ट्रेड मिल, समाचार पत्र, दूरसंचार, वनस्पति, कपास मिल, इत्र और सौंदर्य प्रसाधन क्षेत्रों के शेयर दरों में गिरावट आ सकती है। हालांकि, 18 तारीख से, इन क्षेत्रों में कुछ उतार-चढ़ाव के बाद तेजी देखी जाएगी, जहां ख़रीदार, स्टॉकहोल्डर और निवेशक अपने नुकसान की वसूली कर सकते हैं।विवेकपूर्ण निवेशक ऑटोमोबाइल और ऑटो सहायक कंपनियों के शेयरों में दिलचस्पी लेना शुरू कर देंगे। 16 तारीख को कन्या राशि में सूर्य के प्रवेश से बुध-सूर्य की युति बनेगी। मंदी सूचकांक को निचले स्तर पर ले आएगी। 21 तारीख तक किसी भी तरह की उत्साही खरीदारी में कमी देखी जाएगी। स्मार्ट व्यापारी हर गिरावट पर फ्रंट-रनर स्टॉक को खरीदते रहेंगे।  विशेष रूप से स्टील, ऑटोमोबाइल, आवास, गैस और पेट्रोलियम के शेयरों में तेजी देखने को मिलेगी।

तेजी की अपेक्षित की तारीख: 6, 7, 8, 10, 13, 14, 18, 20, 21, 23 और 27 सितंबर 2020

मंदी के लिए अपेक्षित तिथि: 6, 7, 8, 12, 14. 16. 19 और 28 सित 
October 2020
अक्टूबर 2020 का महीना गुरुवार से शुरू हो रहा है, और महीने की शुरुआत में ग्रहों की स्थिति शेयर बाजार को प्रभावित करेगी। इस महीने  के गोचर विश्लेषण आधार पर देखें, तो कई राशियों में ग्रहों की मौजूदगी शेयर बाज़ार को प्रभावित करेगी। महीने की शुरुआत में सूर्य कन्या राशि में स्थित होगा, मंगल ग्रह मीन राशि में, बुध ग्रह तुला राशि में, बृहस्पति और प्लूटो ग्रह धनु राशि में, शुक्र ग्रह सिंह राशि में, शनि ग्रह मकर राशि में, राहु वृषभ राशि में, यूरेनस मेष राशि में और नेपच्यून कुंभ राशि में स्थित होगा। इस महीने की 18 तारीख को सूर्य तुला राशि में और मंगल मकर राशि में गोचर करेगा। ग्रहों के हलचल की बात करें तो, 20 तारीख को बुध ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त होगा, और 31 तारीख को पूर्व दिशा में उदय होगा।वक्री मंगल 4 तारीख को मीन राशि में प्रवेश करेगा। यह मंगल अन्य प्रमुख ग्रहों के साथ कई महत्वपूर्ण दृष्टियों का निर्माण करेगा। मंगल की दृष्टि सूर्य पर होगी और शनि ग्रह मंगल पर दृष्टि डालेगा। इससे बाजार में अस्थिरता पैदा होगी। इस दौरान प्लाइवुड, सीमेंट, आवासीय, रियल एस्टेट और भारी उद्योग सेक्टर के स्टॉक्स मांग में रहेंगे। 14 तारीख को बुध तुला राशि में वक्री गति शुरु करेगा और इस पर मंगल और शनि की दृष्टि होगी।

बीमा, बैंकिंग, एएमसी (एचडीएफसी एएमसी) और पेंट सेक्टर कंपनियों के शेयरों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाकर तेजड़िये बाजार में हावी हो जाएंगे। एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर (वोल्टास) के शेयरों की मांग में कमी देखी जाएगा 17 तारीख को सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेगा और बुध के साथ युति बनाएगा इस युति पर मंगल और शनि की दृष्टि भी होगी।18 तारीख से, शेयर बाजारों में मंदी देखी जा सकती है। इसके साथ, पूरा स्टॉक मार्केट एकतरफा गिरावट से गुजरेगा, जो वस्तुओं के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के शेयरों की कीमतों को प्रभावित करेगा। बैंकिंग, वित्त, भारी इंजीनियरिंग, तंबाकू, कॉस्मेटिक सामान, फार्मा सेक्टर, सार्वजनिक उद्यम, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, सूचना प्रौद्योगिकी, शिपिंग कॉरपोरेशन, परिवहन आदि के ग्राफ में बड़ी गिरावट देखी जाएगी। इसलिए, तेजड़ियों और खरीदारों को सलाह दी जाती है, कि वे अपने निवेश के बारे में सतर्क रहें और पहले अच्छी तरह से सोच-विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लें।

उछाल प्राप्त करने से पहले सूचकांक मंदी प्रदर्शित करेगा। शुक्र 23 तारीख को अपनी नीच राशि कन्या राशि में प्रवेश करेगा। मंगल कन्या राशि से सात राशि आगे मीन राशि में गोचर करेगा। राइस (केआरबीएल), एफएमसीजी (आईटीसी, हिंदयूएनआई), ऊनी कपड़े (मोंटे कार्लो, लक्स इंडस्ट्रीज़) और नाइटवेयर्स (लवटेबल, पेज) के स्टॉक्स की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। शुक्र 31 तारीख को हस्त नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसलिए, पेय और बॉटलिंग स्टॉक (वरुण बेवरेजेज) में कमी आएगी।
तेजी के लिए अपेक्षित तिथि: 3, 6, 11, 12, 13, 18, 20, 21, 25 और 31 अक्टूबर 2020

मंदी के लिए अपेक्षित तिथि: 5, 7, 8, 14, 15, 24, 26 और 28
: November 2020
 2020  नवंबर मे पूरे  में बाज़ार में तेजी और मंदी का मिश्रण रहेगा।तुला राशि में स्थित बुध 3 तारीख को मार्गी गति शुरु करेगा। सूर्य और बुध की युति पर शनि और मंगल की दृष्टि पड़ेगी। सूचकांक में तेजी आने की संभावना है। ऑटोमोबाइल्स (मारुति), बैंकिंग, पेपर, केबल (फिनोलेक्स, स्टरलाइट) और रसद (गति, ब्लू डार्ट) के स्टॉक मांग में होंगे। 6 तारीख को सूर्य विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। शेयर बाजार भविष्यवाणी 2020 के अनुसार इससे धातु, गैस, पेट्रोलियम और सीमेंट के शेयरों की मांग बढ़ेगी।

17 तारीख को शुक्र तुला राशि में प्रवेश करेगा और बुध के साथ युति बनाएगा। इस युति पर मंगल और शनि की दृष्टि होगी। तेजड़ियों के लिये  ग्रह मंगल आग में घी का काम करेगा। बृहस्पति 20 तारीख को मकर राशि में प्रवेश करेगा और यहां शनि के साथ उसकी युति होगी। बृहस्पति और शनि सूर्य द्वारा शासित उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र के माध्यम से पारगमन करेंगे। इस दौरान तेजी जारी रहने की संभावना है।

21 तारीख को विशाखा नक्षत्र में बुध के आने से सराफा बाजार में मांग घट जाएगी। अप्रत्याशित राजनीतिक और प्राकृतिक घटनाओं के कारण बाजार में अशांति और अस्थिरता महसूस की जा सकती है। 23 से 27 तारीख के बीच तेजड़ियों की बाजार में दिलचस्पी कम होगी। हालांकि बाजार में सुधार आएगा और कुल मिलाकर बाजार की स्थिति ठीकठाक रहेगी।29 तारीख से, कूरियर कंपनी, शिपिंग कॉर्पोरेशन और फाइनेंस सेक्टर के स्टॉक की कीमतों में गिरावट आ सकती है।इन ग्रहों की गणना के परिणाम स्वरुप निवेशकों को मिश्रित परिणाम मिल सकते हैं, इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि इस दौरान आप सोच-समझ कर कहीं भी अपने पैसे लगाएं। चाय, कॉफी, कहवा, हैवी इंजीनियरिंग, स्टील, लोहा, आवास और कोयला से संबंधित उद्योगों में उछाल देखी जाएगी। साथ ही, 9 तारीख से कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी से जुड़े क्षेत्रों में भी तेजी दिखाई देगी। गिरावट की बात करें, तो फार्मा सेक्टर, पीएसयू या पब्लिक सेक्टर यूनिट, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, सूचना प्रौद्योगिकी, शिपिंग, कॉर्पोरेशन आदि में मंदी देखी जा सकती है, हालांकि 19 तारीख से फार्मा सेक्टर, पीएसयू या पब्लिक सेक्टर यूनिट, मुद्रा बाजार और कोयला उद्योग में जबरदस्त वृद्धि देखी जाएगी।

तेजी के लिए अपेक्षित तिथि: 2, 7, 9, 15, 21, 25, 29 और 30 नवंबर 2020

मंदी की अपेक्षित तिथि: 1, 4, 6, 8, 10, 11, 16, 18, 22, 25, 29 और 30 नवंबर 2020 में 
December 2020
दिसंबर का महीना मंगलवार से शुरू होने वाला है। सबसे पहले अगर बात की जाये ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों के बारे में तो, सूर्य वृश्चिक राशि में, मंगल ग्रह मीन राशि में, मकर राशि में, शनि और बृहस्पति तुला राशि में, शुक्र तुला राशि में, राहु वृषभ में, यूरेनस मेष राशि में, नेपच्यून कुंभ राशि में और प्लूटो धनु राशि में रहेगा। ग्रहों के गोचर के बारे में बात करें तो, 16 तारीख को सूर्य धनु राशि में गोचर करेगा, जबकि 18 तारीख को बुध धनु राशि में गोचर करेगा। 8 तारीख को ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेगा और इसी नक्षत्र में सूर्य के साथ इसकी युति बनेगी। सूर्य और बुध का संयोग भावनाओं में अस्थिरता पैदा करता है। व्यापारियों को सावधानीपूर्वक व्यापार या सट्टा लगाने की सलाह दी जाती है।  बुध अस्त की स्थिति तेजड़ियों को दबाव में रखेगी।
शुक्र 11 तारीख को स्थिर और जल तत्व की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेगा। वृश्चिक राशि में शुक्र, सूर्य, बुध और केतु के मिलन से आईटी, सॉफ्टवेयर, फार्मा(Sun, Divis, Pfizer) और कपड़ा क्षेत्र की कंपनियों की मांग बढ़ेगी। मंगल 24 तारीख को मेष राशि में प्रवेश करेगा और वृश्चिक राशि में शुक्र और केतु के मिलन पर दृष्टि डालेगा। कॉपर (हिंदुस्तान कॉपर), एमसीएक्स कॉपर, गोल्ड एंड सिल्वर, फुटवियर (रिलैक्सो) और सुगर (ई.आई.डी पैरी) के शेयरों की मांग में तेजी देखी जाएगी। गोचर अनुसार, सूचकांक में तेजी का रुख तेजड़ियों को खुशी देगा।शेयर बाजार में तेजी और मंदी दोनों समान रूप से प्रबल होंगे और मिलेजुले परिणाम देंगे। चाय-कॉफी, हैवी इंजीनियरिंग, स्टील उद्योग, खनन सहयोग, फार्मा सेक्टर, मुद्रा बाजार, इंजीनियरिंग स्टील इंडस्ट्री, कोयला उद्योग, पेट्रोल, पब्लिक सेक्टर, बैंकिंग, परिवहन, हिंदुस्तान वनपति आदि के शेयरों में गिरावट देखी जा सकती है। इन भविष्यवाणियों के अनुसार, हम ये कह सकते हैं, कि इन क्षेत्रों से संबंधित शेयरों में अपने पैसे निवेश करने से पहले दो बार सोचना चाहिए।

तेजी के लिए अपेक्षित तिथि: 5, 7, 8, 12, 14, 15, 19, 23 और 26 दिसंबर 2020

मंदी की अपेक्षित तिथि: 1, 2, 6, 9, 13, 16, 20, 22, 28 और 29 दिसंबर 2020
सूचना
शेयर बाजार – स्टॉक मार्केट 2020 वस्तु बाजार का व्यापार-विमर्श एवं विश्लेषण के बारे में निकाला गया निष्कर्ष विशुद्ध रूप से ग्रह स्थितियों पर आधारित है। न तो लेखक  किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदारनही है। यह ज्योतिषीय निष्कर्ष स्टॉक मार्केट में व्यापार करने के लिए न तो निमंत्रण है और न ही सुझाव/सिफारिश है। निवेश करने से पहले पंजीकृत वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। हो सकता है लेखक ने उल्लेखित शेयरों में निवेश किया हो।

गुरुवार, 9 जनवरी 2020

#शेयर बाजार – स्टॉक मार्केट #2020 वस्तु बाजार का व्यापार-विमर्श एवं विश्लेषण 1

http://acharyarajesh.in/2020/01/08/6797/www.acharyarajesh.inमित्रों अपनी पिछली पोस्ट पर मैंने जनवरी से लेकर अप्रैल तक आपको मंदा तेजी के बारे में बताया था अब हम मई से लेकर अगस्त तक इस पोस्ट में हम चर्चा करेंगे 

 मई
मई 2020 की शुरुआत में बाज़ार के खरीदारों, निवेशकों और शेयरधारकों के लिए लाभदायक परिणाम लेकर आने वाला है। महीने की शुरुआत में कई ग्रहों की बदलती स्थिति देखी जाएगी, मई के महीने में, ग्रह सूर्य, बुध और यूरेनस मेष राशि में पारगमन करेंगे। मंगल, बृहस्पति, शनि और प्लूटो एक साथ मकर राशि में भ्रमण करेंगे। चंद्रमा कर्क राशि से, शुक्र वृषभ से और राहु मिथुन राशि से होकर गुजरेगा। उग्र ग्रह मंगल, कुंभ राशि में प्रवेश करेगा और वृष राशि में मौजूद शुक्र पर दृष्टि डालेगा। इससे कपास, फैशन, आभूषण, घड़ियां (टाइटन), चांदी, पेंट (एशियन पेंट्स) और आतिथ्य (भारतीय होटल) क्षेत्र की कंपनियों की मांग को बढ़ावा मिलेगा।
, शनि 11 तारीख से वक्री गति में चलेगा। इसी दिन कृतिका नक्षत्र में प्रवेश करेगा। यह इस्पात (जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील), ऑटोमोबाइल्स (टीवीएस मोटर्स, मारुति), ऑटो सहायक (मदरसन), तेल, गैस और पेट्रोलिय (एचपीसीएल, बीपीसीएल, एमजीएल, आईजीएल) सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में मांग पैदा करेगा।13 तारीख को बुध रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। आईटी और सॉफ्टवेयर क्षेत्र की कंपनियों को 13 तारीख को शुक्र के वृष राशि में वक्री गति करने के चलते मांग में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। फैशन, प्रसाधन सामग्री (कॉस्मेटिक्स) और तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) के शेयरों में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। 16 तारीख को पश्चिम में बुध का उदय होगा। इससे बाजार में तेजी आएगी। राहु और बुध 20 तारीख को मृगशिरा नक्षत्र में शुक्र ग्रह के साथ युति बनाएंगे। शेयर बाजार में 28 तारीख तक अस्थिरता की स्थित होने की संभावना है। मुनाफे की चाह में लंबे समय तक बाजार में पैसा लगाने वाले व्यापारियों (Long side traders) को हर बढ़त पर मुनाफा कमाने की कोशिश करनी चाहिये। 29 तारीख को, शुक्र के वक्री होने और सूर्य और शुक्र पर उग्र ग्रह मंगल की दृष्टि होने के कारण स्पॉट एंड इक्विटी मार्केट का ग्राफ ऊपर की ओर जाएगा।शेयर बाज़ार में तेजी आने की संभावना है। स्टील, तेल, फार्मा, उर्वरक, चाय, कॉफी, भारी इंजीनियरिंग, सार्वजनिक क्षेत्र, पेट्रोलियम, रसायन, विद्युत समूह, तंबाकू, वाहन उद्योग, रिलायंस आदि से जुड़े क्षेत्र में उछाल आएगा। स्टॉक मार्केट इंडेक्स सभी रिकॉर्डों को पार करेगा और सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा। मंदड़ियों को किसी भी प्रकार के निवेश या खरीदारी से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।तेजी के लिए अपेक्षित तिथि: 2, 3, 4, 5, 6, 8, 12, 17, 18, 19, 20, 23, 24, 25, 26 और 31 मई 2020
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june2020/,में अगर जून महीने की बातe की जाये तो, गोचर-कुंडली का विश्लेषण करते हुए यह पता चलता है कि कई ग्रह किसी न किसी राशि में स्थित होंगे, और उनकी वह स्थिति शेयर बाज़ार और उसके विभिन्न तत्वों को प्रभावित कर सकती है। शुक्र के साथ सूर्य, वृषभ राशि में भ्रमण करेगा, वहीं बुध और राहु ग्रह मिथुन राशि में स्थित रहेंगे। चंद्रमा मिथुन राशि से अन्य राशियों में गोचर करेगा और मंगल ग्रह कुंभ राशि में गोचर करेगा जबकि शनि और बृहस्पति ग्रह दोनों वक्री अवस्था में मकर से गोचर करेंगे। उग्र ग्रह मंगल 3 तारीख को पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेगा। खाद्य तेलों, बुलियन (स्वर्ण और रजत), कपास, कपड़ा स्टॉक, एफएमसीजी स्टॉक और कच्चे तेल के शेयरों की मांग में तेजी देखी जाएगी।सूर्य ग्रह 7 तारीख को मृगशिरा नक्षत्र में राहु के साथ युति करेगा। इससे पेट्रोलियम, पेय पदार्थ, चावल, मोती, पानी और चांदी की मात्रा में कमी देखी जा सकती है। एक्वा कल्चर (अवंती फीड्स), चावल (केआरबीएल) और पेय पदार्थ स्टॉक (वरुण बेवरेज) की दरों में वृद्धि होने की संभावना है। सूर्य ग्रह 14 तारीख को मिथुन राशि में प्रवेश करेगा जहां यह बुध और राहु ग्रह के साथ युति बनाएगा। ग्रहों की इस युति से बाजार के वातावरण में बेचैनी देखी जा सकती है।बारिश उम्मीद से कम होगी। कीमतों में वृद्धि के कारण अनाजों के स्टॉक में अच्छी कमाई होगी। चीनी, चावल, गेहूं, खाद्य, धातु और इस्पात के शेयरों में तेजी देखने को मिलेगी। 18 तारीख को मीन राशि में मंगल के प्रवेश के कारण बाजार में तेजी जारी रहने की संभावना है। मंगल, सूर्य, राहु और बुध की युति पर दृष्टि डालकर उसे प्रभावित करेगा और शनि की दृष्टि मंगल पर होगी। बुध वक्री गति में आगे बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप, सट्टेबाजों को बैंकों (एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एसबीआई) के शेयरों को अपूर्ण-बिक्री (Short-selling) से बचना चाहिए। इस महीने ग्रह नक्षत्रों की चाल के अनुसार, शेयर बाजार में लंबे समय तक निवेश करके मुनाफा कमाने वाले व्यापारियों को लाभ प्राप्त होगा।22 तारीख को बुध ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त होता हुआ दिखाई देगा। इसलिए, यह महीना लगभग सभी क्षेत्रों में उछाल पैदा करेगा। 18 जून को स्टॉक मार्केट इंडेक्स सभी शेयरों की नई दरों के कारण नई ऊंचाइयों को छूएगा। हालांकि, 14 तारीख को मंदी की भावनाएं देखी जाएंगी, जो फार्मा सेक्टर, पब्लिक सेक्टर, सरकारी ब्रांडों, विदेशी मुद्राओं, गोल्ड ब्रांड, रिलायंस इंडस्ट्री, वाहन, कपड़ा आदि को प्रभावित करेंगी।तेजी के लिए अपेक्षित तिथि: 4, 7, 9, 10, 15, 18, 21, 22, 23, 27 और 28 जून 2020मंदी के लिए अपेक्षित तिथि: 1, 2, 8, 14, 17, 20, 24 और 29 जून
July
Julyजुलाई के महीने में शेयर, स्टॉक और वस्तुओं के संबंध में मिश्रित परिणाम मिलेंगे। विभिन्न ग्रहों के राशियों में होने वाले गोचर बहुत सारे तत्वों और परिणामों को प्रभावित करेंगे, जिनसे या तो निवेशकों को बहुत अधिक लाभ कमाने में मदद मिलेगी या फिर उनके लिए कुछ चुनौतियाँ आ सकती हैं। जुलाई 2020 की शुरुआत में, नेप्च्यून, राहु, सूर्य और बुध मिथुन राशि में स्थित दिखाई देंगे, जबकि प्लूटो धनु राशि में होगा। 9 जुलाई को, बुध पूर्व में उदय होगा, जिसकी वजह से मिश्रित परिणाम मिलने की संभावना है।त्पादों (मैरिको, डाबर) और चावल (केआरबीएल) के शेयरों की मांग में वृद्धि देखी जाएगी। 12 तारीख को बुध मार्गी गति शुरू करेगा। बैंकिंग, पेपर (जेके, वेस्ट कोस्ट), रसद (ब्लू डार्ट) और बीमा (एलआईसी, जीआईसी) कंपनियों के शेयरों में शुरुआती अड़चन के बाद तेजी देखने को मिलेगी। जैसे ही सूर्य 16 तारीख को कर्क राशि में प्रवेश करेगा, यह शनि के साथ 180 डिग्री का संयोग बनाएगा। मंदड़ियों की दखलअंदाजी के बावजूद बाजार में तेजड़ियों का बोलबाला रहेगा।19 तारीख को सूर्य शत्रु ग्रह द्वारा शासित पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेगा। धातु, इस्पात, पूंजीगत वस्तुओं (हैवेल्स) और उपभोक्ता वस्तुओं (गोदरेज कंज्यूमर, आईटीसी, डाबर) के स्टॉक्स मांग में बने रहेंगे।आईटी और सॉफ्टवेयर स्टॉक 23 तारीख को निवेशकों के प्रिय हो जाएंगे क्योंकि इस दिन शुक्र ग्रह मृगशिरा नक्षत्र में राहु के साथ युति करेगा। विवेकपूर्ण निवेशक हर गिरावट पर अच्छी गुणवत्ता वाले स्टॉक खरीदने के हर अवसर का उपयोग करेंगें। महीने के आखिरी सप्ताह में तेजी में कमी आएगी।उतार-चढ़ाव के साथ-साथ लौह और इस्पात उद्योग, वनपति उद्योग, तंबाकू उद्योग, सीमेंट उद्योग, कृषि, रबर उद्योग, खनन उद्योग, ट्रैक्टर ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में बढ़ोतरी देखी जाएगी। स्टॉक मार्केट इंडेक्स में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।तेजी के लिए अपेक्षित तिथि: 1, 4, 7, 8, 12, 13, 15, 19, 21, 24, 25, 27 और 29 जुलाई 2020मंदी के लिए अपेक्षित तिथि: 5, 6, 11, 14, 18, 22 और 26 जुलाई 2020

August

August2020के अगस्त महीने की शुरुआत में ग्रहों की कई दिलचस्प घटनाएं होंगी।हालांकि, ग्रहों की स्थिति और चाल आपको मिलेजुले परिणाम दिलवा सकती है। ग्रहों की स्थिति के बारे में बात करें तो कुंडली का विश्लेषण करने के बाद देखा जा सकता है कि महीने की शुरुआत में सूर्य और बुध ग्रह कर्क राशि में रहेंगे, मंगल ग्रह मीन राशि में, बृहस्पति और प्लूटो ग्रह धनु राशि में, शुक्र और राहु ग्रह मिथुन राशि में, यूरेनस ग्रह मेष राशि में और नेपच्यून ग्रह कुंभ राशि में रहेगा । 17 तारीख को सूर्य और मंगल क्रमशः सिंह और मेष राशि में गोचर कर रहे हैं, जबकि 18 तारीख को बुध सिंह राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र मिथुन राशि में राहु के साथ प्रवेश करेगा और केतु और बृहस्पति की युति पर इसकी विपरीत दृष्टि होगी। और ग्रह मंगल शुक्र और राहु की युति पर दृष्टि डालेगा। बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी। समझदार व्यापारी हर बढ़त पर लाभ उठाएंगे। 4 तारीख को पुष्य नक्षत्र में बुध के आने से रजत-स्वर्ण में गिरावट देखने को मिलेगी। वाणिज्य और व्यापार का मुख्य ग्रह, बुध सूर्य के साथ अश्लेषा नक्षत्र में युति बनाएगा। गैस, खान (कोल इंडिया, वेदांता), किफायती आवास (आशियाना, एल्डेको) और सीमेंट (अल्ट्राटेक) सेक्टर के शेयरों में उछाल आएगा। हालांकि बाजार में तेजी की स्थिति की अचानक दिशा बदलने की संभावना है, क्योंकि मंगल मेष राशि में प्रवेश करके बुध पर दृष्टि डालकर बुध की स्थिति को कमजोर करेगा।14 तारीख से बैंकिंग और फाइनेंस, हिंदुस्तान लीवर, वनस्पती, और तंबाकू से संबंधित कंपनियों के स्टॉक की कीमतों में गिरावट आ सकती है, हालांकि जिन-जिन क्षेत्रों के शेयर मंगल, राहु और शनि द्वारा शासित होते है, उनके ग्राफ में निरंतर वृद्धि देखी जाएगी।कुल मिलाकर, 21 तारीख तक बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है। 22 तारीख से, ग्रहों की स्थिति में परिवर्तन बाजार में मंदी की स्थिति को प्रभावित करेगा। खुदरा बाजार में 29 तारीख तक अपस्फीति का अनुभव होगा। महीने के अंतिम दिन शुक्र ग्रह का प्रवेश जल तत्व की राशि कर्क में होपर मंगल की दृष्टि होगी। यह संयोग तेजड़ियों के चहरों पर मुस्कानगा। यहां शुक्र लाएगा।
तेजी के लिए अपेक्षित तिथि: 4, 6, 8, 12, 17, 19, 24 और 31 अगस्त 2020मंदी की अपेक्षित तिथि: 1, 2, 5, 10, 12, 15, 18, 22, 23, 27 और 29 अगस्त 2020

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शेयर बाजार – स्टॉक मार्केट 2020 वस्तु बाजार का व्यापार-विमर्श एवं विश्लेषण के बारे में निकाला गया निष्कर्ष विशुद्ध रूप से ग्रह स्थितियों पर आधारित है। न तो लेखक नाwebsite किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार है। यह ज्योतिषीय निष्कर्ष स्टॉक मार्केट में व्यापार करने के लिए न तो निमंत्रण है और न ही सुझाव/सिफारिश है। निवेश करने से पहले पंजीकृत वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। हो सकता है लेखक ने उल्लेखित शेयरों में निवेश किया हो।


लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...