कौटिल्य, आचार्य चाणक्य, जो स्वयं काल सर्प योगी थे, ने ईसा पूर्व तीसरी सदी में अपनी कूटनीति से विश्व विजय का सपना लेकर आए सिकन्दर को व्यास नदी की तट सीमा पर ही रोक कर यूनानी सेना को (स्वदेश) वापस जाने को बाध्य किया तथा चन्द्रगुप्त मौर्य को विशाल आर्यावर्त का सम्राट बनवाया।
इतिहास साक्षी है दसवीं शताब्दी में केरल में नम्बूदिरिपाद ब्राह्मण आचार्य विद्याधर के धर्मात्मा पुत्र शिवगुरु के यहां शंकर ने जन्म लिया। उनकी कुंडली में भी कालसर्प योग था, जो आगे चलकर आदिगुरु शंकराचार्य के नाम से विख्यात हुए। उन्होंने वैदिक धर्म की धर्मध्वजा फहरायी और हिन्दू धर्म को पुनर्जाग्रत कर चार धामों (केदारनाथ, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम्) की स्थापना कर भारतीय जनजीवन में धार्मिक आस्थाओं को जीवन्त किया।
चंगेज खां, एडोल्फ हिटलर और मुसोलिनी सरीखे जातकों की कुंडली में भी कालसर्प योग था। मुगल बादशाह अकबर, राष्ट्रपति अय्यूब खां, सद्दाम हुसैन, श्रीमती भंडार नायके, सर हेरोल्ड विल्सन, श्रीमती मारग्रेट थैचर तथा स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत के प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, पी.वी.नरसिंहराव, अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहीम लिंकन, बिल क्लिंटन, स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल, फिल्मी दुनिया से अशोक कुमार, दिलीप कुमार, संगीत की देवी लता मंगेशकर खेल जगत से मेजर ध्यानचंद (हाकी), सचिन तेंदुलकर आदि सभी व्यक्तियों की जन्म कुंडलियां कालसर्प योग से प्रभावित रही हैं।
मेरी दृष्टि में जो जानकारी आई- कालसर्प योग से प्रभावित व्यक्तियों की वह तो सूक्ष्मतम् है। मेरा मकसद मात्र इतना है कि जिन व्यक्तियों की कुंडली कालसर्प योग से प्रभावित हो, वे संघर्ष करें, विचलित न हों, अपने-अपने इष्ट की मनसा, वाचा-कर्मणा से साधना करें। विद्यार्थीगण 12 से 16 घंटे प्रतिदिन अपने अध्ययन, मनन में अध्ययनरत रहें, मेरा विश्वास है कि सफलताएं उनके कदम चूमेंगी।
भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना, अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वाहन के साथ ही पूरी करें। राष्ट्र सेवा सदैव ईमानदारी से करें। यथा संभव गरीबों की मदद करें। मानवीय संवेदनाएं आपके व्यक्तित्व को सजीवता प्रदान करेगी। पद का अंहकार कभी न करें अन्यथा पद से च्युत होते ही मानव समाज हिकारत की नजर से देखती है। वे कुर्सियां, वे लाल-पीली बत्तियां, वे मनुहार करते लोगों की भीड़ न जाने कहां गुम हो जाती हैं। यकीन न हो तो देखिये- वे राजनैतिक, प्रशासनिक चेहरे जो पदों से जैसे ही मुक्त हुए, समाज में रहते हुए भी वानप्रस्थ की मानसिकता में जी रहे हैं।
[30/01, 21:29] Acharya Rajesh: इस योग की खासियत है कि काल सर्प योगियों का जन्म निश्चित रूप से कर्म-भोग के लिए है। किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित आत्मा की सन्तान भी कालसर्प योगी ही होगी। सूक्ष्म दिव्य संचालन राहु केतु करते हैं।
'काल सर्पयोग व्यक्ति, सामान्य व्यक्ति से कुछ अलग होते हैं। इसके अलावा इस योग के सकारात्मक फल भी होते हैं। साथ ही नकारात्मक फल भी इस योग में अन्य ग्रहों के कारण बनते हैं। मित्रों कल बहुत करते हैं उनकी मित्रों वैसे तो उपाय आपकी कुंडली के अनुसार ही बताए जाते हैं पर यहां कुछ आसान से उपाय जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं वो यह बताने की कोशिश कर रहा हूं जिसको करके आप लाभ उठा सकते हो
कालसर्प योग अत्यन्त ही चर्चित विषय है। इस विषय में सही जानकारी एवं ज्ञान रखने वाले ज्योतिषी अत्यन्त ही सीमित संख्या में हैं। कालसर्प योग इतना प्राचीन है कि 'लाल किताब में भी इसके निवारण के उपाय मिलते हैं। कालसर्प योग मूलत: सर्पयोग का ही परिष्कृत स्वरूप है। किसी भी जातक के भाग्य का निर्णय करने में राहु-केतु का बहुत योगदान रहता है। इसी कारण विंशोतरी महादशा में अठारह वर्ष और अष्टोत्तरी महादशा में बारह वर्ष राहु दशा मानी गई है।लाल किताब के अनुसार उपाय
राहु की स्थिति केतु की स्थिति लाल किताब के अनुसार उपाय
1/ 7 ठोस चांदी से बनी गेंद अपने पास सदैव रखें
2 /8 दो रंग का कम्बल दान करें
3 /9 चना दाल को पानी में प्रवाहित करें
4 /10 एक चांदी के डिब्बे में शहद घर के सामने गाड़ दें
5 /11 ठोस चांदी से बना हाथी घर पर रखें
6/ 12 जातक पालतू जानवर रखें
7/ 1 चांदी के बर्तन में जल रखें व घर में चांदी से बनी कोई चीज़ गाड़ दें |
8 /2 नारियल जल में प्रवाहित करें
9/ 3 चना दाल को नदी में प्रवाहित करें
10 /4 पीतल के बर्तन में पानी भरकर घर में रखें
11/ 5 किसी धार्मिक स्थल पर मूली दान करें
12 /6 सोने को धारण करें
लाल किताब में कई ऐसे अन्य उपायों का विवरण भी है | जैसा की हमने पहले भी आपको अवगत करवाया कि जातक को किसी भी उपाय को अपनाने से पहले अपनी कुंडली में स्थित दोष के बारे में विस्तार से जान लेना चाहिए और उसी के अनुसार उपाय भी करवाना चाहिए | आप अपनी कुंडली लाल किताब के अनुभवी जानकार के साथ साझा कर सकते है |
कालसर्प योग का निवारणके अन्य उपाय
शक्कर के बने पताशे जन्मकुंडली में बारहवें मंगल का रूप माने जाते हैं। जब भी किसी की कुंडली में राहु बहुत ज्यादा बुरा असर दिखाने लगे तो बतासे के प्रयोग से उसके सभी बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।
(2) जिनकी कुंडली में कालसर्पयोग हो उन्हें अपने घर के नैऋत्य कोण (दिशा) में बम्बू (बांस) का पेड़ लगाना चाहिए। साथ ही रोजाना उसका पानी बदलते रहना चाहिए। इससे कालसर्पयोग से होने वाले सभी बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
कालसर्प दोष वालों को मोर पंख को अपने दाहिने हाथ में सफेद कपड़े में बांधना चाहिए। इससे जीवन भर के लिए कालसर्प दोष का असर खत्म हो जाता है।
(4)कोयला पानी में वहां
(5) अक्सर रहने के घरों में कई बार कीमती चीजें, जेवर, रूपया आदि छिपाने के लिए सीक्रेट जगह बना दी जाती है। यदि ऎसी जगह खाली रहे तो उस घर में कभी भी पैसा नहीं आ पाता वरन उस घर में हमेशा कर्जा ही चलता रहेगा। ऎसी सीक्रेट जगहों के बुरे असर से बचने के लिए वहां पर बादम, छुआरे या कोई दूसरी मीठी चीज रख देनी चाहिए जिससे घर में पैसा आना शुरू हो जाए।
आजकल मकान बनाते समय घर में कहीं भी खाली जगह (मिट्टी वाली जगह) नहीं छोड़ी जाती वरन पूरे फर्श को ही पक्का करवा लिया जाता है। ऎसे में उस घर में शुक्र का खात्मा हो जाता है जिसके कारण वहां सुख, सौन्दर्य, शांति और भोग-विलास के साधन खत्म हो जाते हैं। इससे बचने के लिए या तो घर में कुछ जगह खाली छोड़ देनी चाहिए। अथवा घर में मनीप्लांट तथा अन्य पौधे मिट्टी के गमलों में स्थापित कर लेने चाहिए।
(7) यदि किसी की लाल किताब के अनुसार बनाई कुंडली में शुक्र दसवें घर में बैठा हो तथा वह अत्यंत बीमार चल रहा हो तो परिजनों को उसके निमित्त कपिला गाय दान देनी चाहिए। गाय के दान करने से से लाभ हैगा जातक को चाहिए वो खाना रसोईघर में ही खाये व खाना बैठकर खाये
घर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें
जातक काले व नीले कपड़े न धारण करें
जातक अपने ससुराल पक्ष से मधुर सम्बन्ध बना कर रखे
जातक अपने निवास स्थल में ठोस चांदी से बना हाथी रखें
जातक को किसी लाल किताब के महाज्ञाता से मिलकर उनके राय के अनुसार मंगल या गुरु कर उपाय करें
राहु की पूजा करें
गंगा जल भरकर घर में रखे |
गले में चांदी का चौकोर ठोस टुकड़ा धारण करें
- केसर का तिलक प्रतिदिन मस्तक पर लगाएं।
- रात को सोते समय गीले कपड़े में वाघ कर 'जौ सिरहाने रखें और सुबह होते ही पक्षियों को खाने के लिए डाल दें।
- 108 दिनों तक नित्य पांच पाठ के हिसाब से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर में रखें।
- शिवलिंग पर तांबे का सर्प प्राण-प्रतिष्ठा करके, विधि-विधान पूर्वक चढ़ाएं।
- 'ऊँ नम: शिवायÓ का मानसिक जाप हर समय करते रहें।
- घर तथा कार्यलय में मोर पंख स्थापित करे
- चंदन की लकड़ी के छोटे चौकोर टुकड़े पर चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बनवाकर जड़वा लें और वह ताबीज गले में धारण करें मित्रों के कुछ उपाय मैंने आपको बताए हैं फिर भी आप किसी अच्छे जानकार को अपनी कुंडली दिखाकर उपाय करें या आप हम से भी संपर्क कर सकते हैं या अपने बच्चों की जन्मकुण्डली बनवाने या जन्मकुण्डली विश्लेषण करवाने लिए कॉल करें 9414481324/
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