शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

कभी भी चणा कभी मुट्ठी भर चना

घी का रूप दूध से बनता है पहले दूध को जमाया जाता है फ़िर दही बनाकर उसे बिलोकर दूध का सार रूप घी को निकाला जाता है.चौथे भाव का रूप दूध से है तो दूध का बदला हुआ रूप नवे भाव से है और नवे भाव का सार घी रूप मे बारहवा भाव है,बारहवा भाव हकीकत मे राहु से जोड कर देखा जाता है और राहु जो अद्रश्य रूप से अपनी शक्ति को रखता है कहने को तो घी तरल पदार्थ है लेकिन वह भोजन मे लेने से शरीर को तन्दुरुस्त बनाता है,चौथे भाव के राहु की नजर पहले तो अष्टम पर भी होती है फ़िर नवी नजर बारहवे भाव पर भी होती है इस भाव का राहु अगर राजी हो गया तो घी ही पैदा करता जाता है और राजी नही है तो वह छठे भाव से कडी मेहनत करवाने के बाद केवल मुट्ठी भर चने खिलाकर ही पेट पालने के लिये अपनी शक्ति को दे पाता है वैसे चना भी शनि के लिये कहा जाता है राहु शनि जब आमने सामने हो जाते है तो दसवे भाव का शनि जातक को कडी मेहनत के बाद भी मेहनत का फ़ल सही नही दे पाता है.

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

दिन का स्वामी सूर्य रात का मालिक शनि

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दिन का स्वामी सूर्य रात का स्वामी शनि
दिन को कामकाज करना चाहिये रात को सोना चाहिये
सूर्य दिन का स्वामी है,शनि रात का स्वामी है,सूर्य शरीर मे फ़ुर्ती और ताकत को भरने वाला है और जब शरीर कार्य करते समय थक जाता है तो शनि शरीर को आराम देने के लिये रात को प्रदान करता है,दिन की थकान को रात को सोने बाद समाप्त हो जाती है। दिन के तीन भाग मुख्य माने जाते है,पहला दिन का उदय होना दूसरा दिन का मध्य जिसे दोपहर कहते है और तीसरा दिन की समाप्ति का समय जिसे सन्ध्या काल काल कहा जाता है,दिन के उदय होने और दिन के समाप्त के समय को शनि और सूर्य की मिलन की सीमा में लाते है,सुबह को शनि जीव को सूर्य को सौंपता है,और सन्ध्या को सूर्य जीव शनि को सौंपता है। शनि के द्वारा जातक के अन्दर जो तत्व भरे जाते है उन्हे सूर्य उपभोग में लेता है और दिन को जो तत्व शरीर मे भरे जाते है वे शनि रात को उपयोग करता है। जैसे दिन को किये जाने वाले कार्यों से शरीर मे फ़ुर्ती रहती है और शाम होते होते शरीर की ककक थक जाती है,थकी हुयी ग्रंथियों की रूप रेखा और कार्य करने की क्षमता को अगर थका हुआ ही रखा जाये तो जीव दूसरे दिन कार्य करने के लायक ही नही रहेगा,इसलिये सूर्य शनि को शरीर सौप देता है,शनि उन थकी हुयी ग्रंथियों को अपनी शक्ति से फ़िर से संभालता है जो ग्रंथिया निढाल होकर कार्य करने से बिलग हो गयी होती है उन्हे शरीर से शनि के तत्वों को प्रदान किया जाता है जैसे हाथ का थक जाना और जब रात होती है तो शनि की आराम करने वाली अवस्था में उस हाथ को कार्यविहीन करने के बाद जमे हुये खून के थक्के को एन्जाइम के द्वारा फ़िर हटाना और हाथ के अन्दर दुबारा से स्फ़ूर्ति को भरना जो नशे काम नही कर पाती है खून की चाल से दुबारा से काम करने के काबिल बनाने का काम शनि का ही होता है।इस प्रकार से शनि जब कार्य करने की शक्ति को पूरा करता है तो सूर्य सुबह को तरोताजा शरीर से कार्य करवाने के लिये अपने अनुसार नयी सोच और नयी रास्ता देता है,जिससे जीव अपने पालन पोषण के लिये संसार के कार्य करने के लिये और नये निर्माण के लिये अपने शरीर को संसार के हवाले कर देता है शाम तक वह पूरी शक्ति से कार्य करता है और दुबारा से शनि के पास चला जाता है इस प्रकार से जीव के क्रम को शनि और सूर्य अपने अपने अनुसार पालते है,जैसे ही जीव की शक्ति का खात्मा हो जाता है जीव की गति को दूसरे जीवन में ले जाने के लिये अन्य ग्रह अपना अपना कार्य करने के बाद शांति देते है।जन्म लेना ही सूर्य है और मृत्यु को प्राप्त करना ही शनि है
तमसो मा ज्योतिर्गमय कहावत के अनुसार अन्धकार से निकलकर प्रकाश में जाने का उदाहरण दिया गया है,बन्द आंखों को खोलने के बाद जब जीव को चेतना मिलती है तो उसे प्रकाश की प्राप्ति होती है। जैसे ही प्रकाश की प्राप्ति होती है जीव अपनी चेतना को जगत के हित के लिये उपयोग में लाने की क्रियायें करने लगता है,इन क्रियाओं में जो शक्ति मिलती है वह दूसरों के हित के लिये ही मानी जाती है,देखने में भले ही सूर्य के सामने किसी का अहित किया जाता हो लेकिन उसे किसी न किसी प्रकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हित ही मिलता है। जीव अपनी शक्ति को प्राप्त करने के लिये तरह तरह की हिंसा को करता है,जैसे एक शेर हिरन को मारता है,हिरन का रूप शेर के लिये भोजन के लिये होता है उसी हिरन के लिये वनस्पति भोजन के रूप में होती है,वनस्पति के लिये भोजन के रूप में धरती के अन्दर के तत्व जो कीणों मकोडों और सडे हुये जीवाश्मों के रूप में होते है,जो कृषि विज्ञान में ह्यूमस के रूप में माने जाते है होते है कीणों मकोडों के लिये दूसरे तरह की प्राणी जगत को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है,का भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार से देखने में तो शेर हिरन के लिये हिंसक होता है लेकिन हिरन भी वनस्पति के लिये हिंसक होता है,यह क्रम लगातार चला करता है,सूर्य अपनी शक्ति से प्रकृति को पैदा करता है और प्रकृति अपनी शक्ति से जीवों को पैदा करती है जीवन चक्र को चलाने के लिये एक दूसरे की हिंसा को करती है,उस हिंसा को समझ से दूर रखने के लिये शनि का प्रयोग होता है,कारण अगर सामने हर जीव की हिंसा होती है और शनि के द्वारा उसे दुबारा से पूर्ण नही किया जाता है तो दूसरे दिन जीव के लिये आहार मिलना नही होगा और संसार चक्र रुक जायेगा। इस नही रुकने देने की क्रिया को पूरा करने के लिये शनि और सूर्य दोनो ही अपनी अपनी गति को निर्बाध रूप से चलाये जा रहे है। प्रकट करना सूर्य का काम होता है और समाप्त करना शनि का कार्य होता है,जो प्रकट होता है वह जन्म है और जो समाप्त होता है वह मृत्यु है।

जीवन की गति गुरु के द्वारा दिये गये मूल्य पर निर्भर है
सूर्य के द्वारा जीवन को दिया जाता है लेकिन गुरु उस जीव का मूल्य प्रदान करता है,जैसे जब जीव ने जन्म लिया उस समय जीव के शरीर को पूर्ण करने वाले कौन कौन से तत्व थे जो शरीर को पूर्णता और कमी की सीमा को दर्शाते है,जीव जन्म लेने के बाद कितनी निर्माण करने की ताकत को रखता है वह अपनी बुद्धि को कैसे प्रयोग कर सकता है उसे जो शक्ति मिली है उसे वह कहां और कैसे प्रयोग कर सकता है,उसके द्वारा प्रयोग करने वाली शक्ति का मूल्य विकास के लिये किया जाता है तो जीव का मूल्य बढ जाता है एक जीव का कार्य दूसरे जीवों केलिये बहुत समय तक और बहुत प्रकार से फ़ायदा देने वाला होता है तो जीव की चाहत बढ जाती है और जीव का मूल्य बढ जाता है उस जीव की रक्षा करने के लिये प्रकृति अपने अपने प्रकार से सहायता करती है,जीव को शक्ति से जीव को बुद्धि से और जीव को प्राकृतिक रूप से अपनी सहायता करने की हिम्मत प्रकृति देती है।

गुरु के साथ सूर्य का होना जीव का चेतन होना और दिन का प्रकार माना जाता है
गुरु के साथ जब सूर्य का प्रकट रूप मिलता है तो जीव चेतन अवस्था के कारकों में आजाता है जीव के अन्दर आत्मा का संयोग मिल जाता है जीव की बुद्धि प्रखरता की सीमा से ऊपर चली जाती है,वह दूसरों के हित और अनहित की बात को सोचने और करने लगता है उसे केवल अपने शरीर की सन्तुष्टि से लगाव नही होकर दूसरे की भलाई के लिये भी अपनी गति अपने आप ही बनानी पडती है,उसे उस भलाई करने के लिये अलग अलग कारक अपनी अलग अलग शक्ति से सहायता भी करने लगते है। जब तक जीव चेतन अवस्था में अपने प्रखर ज्ञान को प्रकट करने के बाद उस ज्ञान को प्रयोग में लाने लगता है उसका दिन माना जाता है,जैसे ही तामसी कारणों से जीव अपने ज्ञान को अज्ञान के रूप में प्रकट करने लगता है जीव की रात मानी जाती है।

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

सूर्य की अष्टम द्रिष्टि

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सूर्य की अष्टम द्रिष्टि भी उसी तरह से मानी जाती है जैसे बाकी के ग्रहों की लेकिन साधारण ज्योतिष मे इसका फ़लकथन नही किया गया है,लालकिताब के अनुसार यह कथन मिलता है कि किसी भी भाव की लगन अपने से सप्तम से मंत्रणा करती है अष्टम से देखती है और ग्यारहवे से नतीजा देती है,यानी लगन सिंहासन है सप्तम मंत्री है अष्टम आंखे है ग्यारहवा चलने वाले पैर माने जाते है उसी प्रकार से गुरु के लिये भी एक बात जरूरी मानी जाती है कि वह वह अगर नीच है और नीच भाव को भी अपनी द्रिष्टि से देखता है तथा उस नीच का फ़ल भी तब और खराब हो जाता है जब गुरु एक चोर भाव मे बैठ कर चोरी से ग्यारहवे भाव को देखे,(छठे से छठा) और इस तरह की बाते तब और भी समझ मे आती है कि गुरु जो सम्बन्ध का कारक है और वह चोरी से अपने साथ काम करने वाले लोगो से मित्रता को बढाकर उनसे अपनी अनैतिकता को पूर्ण करता है तो वह बहुत ही खतरनाक हो जाता है.सूर्य और चन्द्रमा के लिये भी माना जाता है कि वे जिस स्थान पर होते है उस स्थान से अपने अष्टम को उखाड कर फ़ेंकने के लिये और अपने से दसवे स्थान के साथ विश्वासघात करने के लिये योजना जरूर बनाते है बशर्ते कोई उनका दुश्मन राहु केतु शुक्र शनि उन्हे रोक नही रहा हो तो.

सोमवार, 13 दिसंबर 2021

Tantra (तंत्र क्या है)


तंत्र- भी इसी तरह एक टेक्नोलॉजी है, लेकिन एक अलग स्तर की, पर है भौतिक ही। यह सब करने के लिए इंसान अपने शरीर, मन और ऊर्जा का इस्तेमाल करता है टेक्नोलॉजी चाहे जो हो, हम अपने शरीर, मन और ऊर्जा का ही इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर हम अपनी जरूरतों के लिए दूसरे पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन एक mobile फोन या किसी टेक्नोलॉजी के उत्पादन के लिए जिन बुनियादी पदार्थों का उपयोग होता है, वे शरीर, मन और ऊर्जा ही होते हैं
आज जबकि तंत्र या तांत्रिक को पढे लिखे लोग धोखा,पाखण्ड तथा अन्धविश्वास कहते है तो तन्त्र प्रयोग लिखने का औचित्य क्या है? आप किसी भी चीज को दिखाना चाहते है या उसे समझाना चाहते है, यदि वह व्यक्ति उस विषय की गहराई या उस चीज की विशेषता को नहीं जानता इसलिये वह आपका आपकी चीज का तथा आपकी बात का मजाक उडाता है,व्यंग बाण छोडता है तथा अन्धविश्वास कहता है,यही स्थिति पढे लिखे लोगों की हो गयी है,वे अपने अपने विषय के अलावा और कुछ समझने की कोशिश ही नही करते है,उन्हे यह भी पता नही होता है कि वे जब अपनी माँ के पेट में आये होते है उस समय भी दाई ने या डाक्टर ने कोई तंत्र ही किया होता है,अगर दाई या डाक्टर नही होगा तो घर की किसी बढी बूढी महिला के द्वारा तंत्र बताया गया होगा कि इस प्रकार से इतने दिन के पीरियड के समय में बच्चा गर्भ मे आ सकता है,और इतने दिन के पीरियेड के बाद कन्या गर्भ में आ सकती है,इतने दिन के पहले या इतने दिन के बाद गर्भ धारण किया तो बच्चा या तो गर्भपात से गिर जायेगा या पैदा होते ही मर जायेगा,जो लोग तंत्र को नही जानते है वे या तो बच्चों के लिये जीवन भर पछताते रहते है या फ़िर किसी का बच्चा गोद लेकर अपना काम चलाते है,इसके लिये भी अस्पतालों एक फ़र्टिलिटी सेंटर खुल गये है वे आसानी से किसी के वीर्य को किसी के गर्भ में स्थापित कर देते है और एक की जगह दो दो बच्चे जुडवां तक दे देते है। यह सब तंत्र नही है तो क्या है,डाक्टर को दवाई और शरीर विज्ञान का तंत्र आता है उसे आता है कि किस स्थान की कमी है और उस कमी को पूरा करने के लिये कौन सी नश को काट कर या नकली नश को लगाकर काम चलाया जा सकता है,आजकल तो तंत्र के बलबूते पर डाक्टर नकली वाल्व लगाकर दस बारह साल के लिये ह्रदय को चालू कर देते है।
जिस पश्चिमी सभ्यता के पीछे आज के भारतीय लोग दौडे चले जा रहे है,उन लोगों को पता नही था कि भारत में हनुमान जी की पूजा आदि काल से की जाती रही है,वे जब भारत में घूमने के लिये आते तो वे भारत में मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में जाकर लोगों को चिढाया करते थे,Oh ! here is monkey Go? क्या बात है यहां तो बन्दर भी भगवान हैं। जब उन्होने ही मंगल पर वाइकिंग भेजा और जब पहली मंगल की तस्वीर वाइकिंग ने भेजी तो उन्हे यह देखकर महान आश्चर्य हुआ कि जो तस्वीर बंदर के रूप में भारत में पूजी जाती है वह कोई बन्दर की तस्वीर नही होकर "Face of Mars" मंगल का चेहरा है।हमारे यहाँ हनुमान जी की पूजा का महत्व मंगलवार के दिन ही माना जाता है,और मंगल ग्रह की शांति के लिये ही हनुमानजी की पूजा की जाती हैऔर जब भी कोई बाधा आती है तो एक ही दोहा उनकी आराधना के लिये मसहूर माना जाता है,-"लाल देह लाली लसे,और धरि लाललंगूर,बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि शूर",आज जब वैज्ञानिक इस तस्वीर को पा गये है तो उनको आश्चर्य होने लगा है कि यह चेहरा भारत में कैसे पूजा जाने लगा,भारत के लोगों को कैसे पता लगा कि मंगल का चेहरा बन्दर जैसा है,वे बिना किसी यान या विमान के वहाँ कैसे पहुंच गये,जब लोगों को पता लगा कि भारतीयों के पास तांत्रिक विद्या है और उस विद्या से वे किसी भी ग्रह की परिक्रमा आराम से कर लेते है और किसी भी विषय को तंत्र द्वारा आराम समझ सकते है तो उन्हे भारी ग्लानि हुयी,सन दो हजार में मिली फ़ेस आफ़ मार्स की फ़ोटो उन्होने दो हजार दो में इसलिये ही प्रकाशित की थी कि कहीं पूरे विश्व में ही हनुमान जी की आराधना शुरु न हो जाये और जिन लोगों की वे खिल्ली उडाया करते थे वे ही अब उनकी खिल्ली नही उडाने लगें। भारत के अन्दर जो भी संस्कृत और हिन्दी के अक्षर है उनकी कलात्मक रचना ही देवी और देवता का रूप माना गया है,छोटा "अ" अगर सजा दिया जाये तो वह धनुष बाण लेकर खडे हुये व्यक्ति का रूप बन जाता है,शनि जी का रंग काला है और शनि के मंत्र के जाप के समय "शं" बीज का उच्चारण करते है,अगर शं के रूप को सजा दिया जाये तो वह सीधा श्रीकृष्ण भगवान का रूप बन जाता है। इसी प्रकार से "शिव" शब्द को सजाने से भगवान शंकर का रूप बनता है,विष्णु शब्द को सजाने पर वह भगवान विष्णु का रूप बनता है,""क्रीं" शब्द को सजाने पर शेर पर सवार माता दुर्गा का रूप बनता है,आदि रूप आप खुद परख सकते है। जब उन्हे भारत की तंत्र क्रिया पर विश्वास हो गया तो उन्होने भारत से हिन्दी भाषा को ही भारत से गायब करवाने की सोची न रहेगा बांस और न ही बजेगी बांसुरी।

गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

मन का राजा चन्द्रमा


चन्द्रमा मन का राजा है,"मन है तो जहान है मन नही है तो शमशान है",यह कहावत चन्द्रमा के लिये बहुत अच्छी तरह से जानी जाती है। पल पल की सोच चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है चन्द्रमा जब अच्छे भाव मे होता है तो वह अच्छी सोच को कायम करता है और बुरे भाव मे जाकर बुरे प्रभाव को प्रकट करता है। लेकिन जब चन्द्रमा कन्या वृश्चिक और मीन का होता है तो अपने अपने फ़ल के अनुसार किसी भी भाव मे जाकर राशि और भाव के अनुसार ही सोच को पैदा करता है। जैसे मेष लगन का चन्द्रमा अगर कर्क राशि मे है तो वह भावनात्मक सोच को ही कायम करेगा अगर वह लगन मे है तो अपनी काया के प्रति भावनात्मक सोच को पैदा करेगा और वृष राशि मे है तो अपने परिवार के लिये धन के लिये और भौतिक साधनो के लिये भावनात्मक सोच को पैदा करेगा वही चन्द्रमा अगर मिथुन राशि का होकर तीसरे भाव मे चला गया है तो वह केवल अपने पहिनावे लिखने पढने और इसी प्रकार की सोच को पैदा करेगा,अष्टम मे है तो वह अपनी भावनात्कम सोच को अपमान होने और गुप्त रूप से प्राप्त होने वाले धन अथवा सम्मान के प्रति अपनी सोच को रखने के साथ साथ वह मौत के बाद के जीवन के प्रति भी अपनी सोच अपनी भावना मे स्थापित कर लेगा। इसी प्रकार से कन्या राशि का चन्द्रमा अगर अच्छे भाव मे है तो वह अच्छी सोच को पैदा करने के लिये सेवा वाले कारणो को सोचेगा और बुरे भाव मे है तो वह केवल चोरी कर्जा करना और नही चुकाना दुश्मनी को पैदा कर लेना और हमेशा घात लगाकर काम करना आदि के लिये ही सोच को कायम रख पायेगा।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

Solar eclipse (सूर्य) ग्रहण)ओर काल सर्प

Solar eclipse (सूर्य) ग्रहण)ओर काल सर्पSolar eclipse (सूर्य) ग्रहण)ओर काल सर्प Acharya Rajesh:
मित्रो साल 2021का आखिरी ग्रहण सुर्य ग्रहण4 दिसंबर को होने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्यग्रहण होगा। यह साल का दूसरा और अंतिम सूर्यग्रहण होगा।
- हिंदू पंचांग की ज्योतिषीय गणना के आधार पर यह सूर्यग्रहण विक्रम संवत 2078 के कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा।
- भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा इस कारण से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।क्योकिभारत में इस सूर्य ग्रहण को देखा नहीं जा सकेगा। इसी दिन शनि अमावस्या भी है   जब भी अमावस्या की तिथि शनिवार के आती है इसे शनि अमावस्या कहा जाता है सूर्य ग्रहण सुबह लगभग 11 बजे शुरू हो जाएगा। दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर ग्रहण खत्म हो जाएगा। करीब 01 बजकर 57 मिनट पर यह ग्रहण पूर्ण रूप से चंद्रमा की छाया में रहेगाबीते दो वर्षों में दिसंबर के महीने में सूर्यग्रहण लगता आ रहा है। इस साल दिसंबर में सूर्य ग्रहण की हैट्रिक लगने जा रही है। यानी लगातार 3 वर्षो से दिसंबर में सूर्यग्रहण का संयोग बना रहा है। लेकिन इस बार के सूर्यग्रहण की खास बात यह है कि इस बार सूर्यग्रहण धनु राशि में नहीं बल्कि वृश्चिक शाशि में लगने जा रहा है। इससे पहले के दोनों सूर्यग्रहण धनु राशि में घटित हुए थे। मित्रों 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण होगा औरसूर्य ग्रहण के अगले दिन ही मंगल अपनी राशि वृश्चिक में आकर सूर्य से मिलेंगेओर उसके साथ ही 5 दिसंबर को सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाएंगे जिसको ज्योतिष भाषा में कालसर्प योग कहा जाता है

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि 2019 में भी ऐसा सूर्य ग्रहण लगा था और उस समय भी कालसर्प योग का निर्माण हुआ था उसके बाद कोरोना वायरस पुरी दुनिया में भयंकर रूप से फैल गया इस वायरस से कई लोगों की जान ले गई इसीलिए दोस्तों अभी भी यह समय काफी दिक्कत वाला कहा जा सकता है इसीलिए हमें जो भी सरकार की तरफ से निर्देश है उसका पालन करते रहना चाहिए मित्रों सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय बनने वाली कुंडली का विशेष महत्व दिया गया है। इसमें बताया गया है कि ग्रहण का प्रभाव उन स्थानों पर अधिक होता है जहां वह दृष्टिगोचर यानी दिखाई देते हैं किन्तु गोचर में बन रही विशेष ग्रह स्थिति के कारण ग्रहण का कुछ प्रभाव लगभग सर्वत्र ही दिखाई देता है। अभी हाल ही में 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ा आंशिक चंद्र ग्रहण भारत में केवल पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्र में आंशिक रूप से दृश्य था, किन्तु इसी दिन ‘कृषि-कानूनों’ को रद्द करने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा ने देश की राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया।अब आगे 4 दिसंबर के सूर्य ग्रहण के बादओर 5 दिसम्बर के गोचर को देखते हुए सर्दी के मौसम के तेज़ी से करवट लेने के साथ-साथ भारत की राजनीति में कुछ ‘गरमा-गर्मी’ और अप्रिय-संवाद के चलते कुछ बड़ी हलचल होगी। किसान आंदोलन के कारण उत्तर-प्रदेश की राजनीति में बड़ी उथल-पुथल होगी।सरकार के द्वारा जनता के हित में कुछ कल्याणकारी कदम उठाने का संकेत है। पेट्रोल और डीज़ल के दामों में कुछ कमी से जनता को महंगाई से राहत मिलेगी। 5 दिसंबर को मंगल के वृश्चिक राशि में आने के कुछ दिनों के भीतर खाने-पीने  के सामान के दामों में कमी का लाभ भी जनता को मिलेगा।  कुछ बड़े निर्णयों से जनता को लाभ होगा। सुप्रीम कोर्ट के दबाव में केंद्र सरकार को प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कोई नई नीति बनानी पड़ सकती है। सूर्य ग्रह यहां भी दिखाई देगा जहां एक बड़े समुद्री तूफान और बेमौसमी वर्षा से देश के पश्चिमी हिस्से में भारी क्षति पहुंच सकती है। जल तत्व की राशि वृश्चिक में पड़ रहे इस सूर्य ग्रहण की राशि को 7 दिसंबर से मंगल प्रभावित करेंगे जिसके 45 दिन के भीतर जहां कुछ बड़े तूफान आएंगे तो भारत में रिकॉर्डतोड़ सर्दी जनता को कष्ट देगी। इस वर्ष सर्दी के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा गेहूं और मक्के के किसानों को लाभ देगी।

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...