शनिवार, 15 अगस्त 2020

लाल किताब अनुसार ग्रहों के रुप और उपाय


नवग्रह कहे जाने वाले 9 ग्रह वैदिक ज्योतिष में बड़ा महत्व रखते हैं | इसमें सूर्य, चन्द्रमा के अलावा मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु-केतु शामिल हैं | इनमें से राहू-केतु को छाया ग्रह (Planets) माना जाता है | आपको बता दूं कि इन सभी ग्रहों की प्रकृति एक-दूसरे से भिन्न होती है। कुछ बहुत शुभ होते हैं, तो कुछ आपके काम में रूकावट डालने का प्रयास करते हैं। अतः आज हम उसी पर चर्चा करेंगेग्रहों का प्रतिनिधित्व हमारे जीवन के साथ-साथ हमारे शरीर के विभिन्न अंगों पर भी होता है। ऋषियों ने भी मस्तक के बीच भगवान सूर्य का स्थान माना है। ज्योतिष विद्या के अनुसार भी मस्तिष्क पर सूर्य देव का अधिकार होता है। चिंतन और मनन, इन सभी का आधार सूर्य ग्रह को माना गया है सूर्य ग्रह से एक अंगुली नीचे चंद्रमा का स्थान माना गया है। चंद्रमा का नाता भावुकता और चंचलता से है, साथ ही मनुष्य की कल्पना शक्ति भी चंद्रमा के द्वारा ही संचालित होती है। ज्योतिष भी कहता है कि चंद्रमा को अपनी रोशनी के लिए सूर्य पर ही निर्भर रहना पड़ता है, इसलिए चंद्रमा हमेशा सूर्य के साये में ही रहता है। जब सूर्य का तेज रोशनी बनकर चंद्रमा पर पड़ता है तभी व्यक्ति के विचार, उसकी कल्पना और चिंतन में सुधार आता है। गरुड़ पुराण के अनुसार नेत्रों में मंगल ग्रह का निवास माना गया है। 
मंगल ग्रह शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और यह रक्त का संचालक माना गया है। बुध ग्रह को हृदय में स्थापित ग्रह माना गया है। बुध बौद्धिकता और वाणी का कारक ग्रह माना गया है। जब भी किसी व्यक्ति का व्यवहार, स्वभाव और वाचन शक्ति का पता लगाना हो तो बुध ग्रह की स्थिति को ही देखा जाता है। कामवासना और इच्छाशक्ति, इसका प्रतिनिधित्व शुक्र ग्रह द्वारा ही किया जाता है। शनि का स्थान नाभि में माना गया है। किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि और बृहस्पति, एक ही भाव में मौजूद हों तो ऐसा व्यक्ति वेदों, पुराणों और शास्त्रों का ज्ञाता होता है। राहु का स्थान मानव मुख में माना गया है। राहु जिस भाव में बैठा होता है उसी के अनुसार फल देता है। इसके साथ अगर मंगल का तेज मिल जाए तो ऐसा व्यक्ति क्रोधी तो होता है साथ ही उसकी वाणी में वीरता होती है। राहु के साथ अगर बुध की शक्ति मौजूद हो तो संबंधित जातक मधुर वाणी बोलता है, वहीं बृहस्पति की शक्ति हो तो वह अत्यंत ज्ञानवर्धक और शास्त्रों से जुड़ी बातें बोलेगा। अगर राहु के साथ शुक्र की शक्ति मिल जाए तो व्यक्ति बहुत रोमांटिक बातें करता है। केतु का स्थान कंठ से लेकर हृदय तक होता है। केतु ग्रह का संबंध गुप्त और रहस्यमयी कार्यों से भी होता है। गुरु गुरु हवा का कारक है जीव का कारक है प्राण का कारक है।इसी तरह ग्रहो के शुभफल के लिए हम 
कई प्रकार के रत्न आभूषण धातु तंत्र मंत्र यंत्र आदि उपाय को अपनाते हैं पर जब कोईअपाय काम नही कर रहे हा तो अपने निवास मे उस ग्रह के लिये एक सटीक उपाय और भी है जो अंजवाया हुआ है और काम भी सही करता है।यह उपाय किसी भी जाति धर्म या संस्कार वाला कर सकता है तथा किसी प्रकार की बन्दिस इस उपाय मे नही है। लाल किताब के अनुसार ग्रहों के अलग अलग देवता होते है,जैसे सूर्य के देवता विष्णु होते है चन्द्रमा के देवता शिवाजी होते है,मंगल के दो प्रकार के देवता होते है एक मंगल नेक के देवता हनुमान जी को माना गया है और मंगल बाद के देवता भूत प्रेत पिशाच माने जाते है बुध की देवी दुर्गा होती है गुरु के ब्रह्मा जी माने जाते है शुक्र की लक्ष्मी और शनि के देवता भी शिवजी माने जाते है लेकिन वे शासमशानी देवता भैरो के रूप में जाने जाते है राहू के देवता सर्प होते है केतु के देवता गणेश जी को भी माना गया है और जो भी देवताओं के वाहन होते है उन्हें भी केतु का देवता माना जाता है.उसी प्रकार से मिश्रित गढ़ों के देवताओं का रूप भी अलग अलग बन जाता है जैसे सूर्य और चन्द्र के देवता मिलकर पार्वती का रूप बन जाता है सूर्य और मंगल के देवता के रूप में भगवान राम को माना जाता है सूर्य और बुध के रूप में इंद्र को माना जाता है सूर्य और गुरु के बीच में विश्वामित्र को माना जाता है सूर्य और शुक्र के लिए विष्णु लक्ष्मी को माना जाता है सूर्य और शनि के लिए गायत्री को माना जाता है सूर्य और राहू के लिए राजा बलि को माना जाता है सूर्य और केतु के लिए अश्विनी कुमार को माना जाता है.इसी प्रकार से चन्द्र मंगल के लिए दक्षिण मुखी शिवजी को माना जाता है माता भद्रकाली को भी पूजा जाता है,चन्द्र और बुध के लिए सरस्वती को माना जाता है चन्द्र और गुरु के लिए पवन देवता को माना जाता है चन्द्र और शुक्र के लिए गाय को देवता के लिए माना जाता है चन्द्र और शनि के लिए अर्धनारीश्वर को माना जाता है चन्द्र और राहू के लिए स्थान देवता को तथा चन्द्र और केतु के लिए पार्वती सहित गणेश जी को माना जाता है,मंगल और बुध के लिए गरुण पर सवार विष्णु को माना जाता है मंगल और गुरु के लिए माता तारा को पूजा जाता है मंगल और शुक्र के लिए गरुण पर सवार गायत्री को माना जाता है मंगल और शनि के लिए ज्वालामुखी देवी को पूजा जाता है मंगल और राहू के लिए प्रेतात्मक शक्तियों को माना जाता है मंगल केतु के लिए काली और शाकिनी आदि की पूजा की जाती है,बुध और गुरु के लिए वैदिक पूजा को माना जाता है बुध और शुक्र के लिए कुलदेवी की पूजा की जाती है बुध और शनि के लिए कार्तिकेय को पूजा जाता है बुध और राहू के लिए सरस्वती का रूप माना जाता है बुध और केतु के लिए कार्तिकेय को पूजा जाता है.गुरु और शुक्र के लिए इन्द्रानी की पूजा की जाती है गुरु और शनि के लिए अमरनाथ को पूजा जाता है गुरु और राहू के लिए केदार नाथ का पूजन किया जाता है गुरु केतु के लिए बद्रीनाथ को पूजा जाता है.शुक्र और शनि के लिए भोमिया जी की पूजा की जाती है शुक्र और राहू के लिए गज लक्ष्मी को पूजा जाता है शुक्र और केतु के लिए गणेश जी के साथ लक्ष्मी को पूजा जाता है,शनि राहू के लिए भैरो को पूजा जाता है शनि केतु के लिए रूद्र की पूजा की जाती है.
इसी प्रकार से जो कष्ट मिलते है उनके लिए मिश्रित ग्रहों के प्रभाव को देखना चाहिए जैसे सूर्य और गुरु इकट्ठे हो और आर्थिक कष्ट हो रहा हो तो गुरु से सम्बंधित उपाय करने जरूरी होती है,जैसे पीली वस्तुओ का सेवन करना और सोने के आभूषण धारण करना या सोने के पात्रो में भोजन करना,सूर्य और शनि के इकट्ठे होने पर पुत्र की पैदाइस के बाद स्त्री का स्वास्थ्य खराब हो गया हो तो स्त्री के वजन के बराबर हरी वस्तुओ का दान करना चाहिए,जैसे वजन के बराबर का चारा गायो को खिलाना.इसी प्रकार से सूर्य और शनि के इकट्ठे होने पर अगर राज्य की तरफ से कोइ हानि मिल रही है या कार्य बंद हो रहा हो तो फ़ौरन सूर्य से सम्बंधित वस्तुओ को दान करना चाहिए जैसे गेंहू आदि इसी प्रकार से शनि के कारण अगर इज्जत में दिक्कत आ रही हो तो फ़ौरन लोहा तेल बादाम आदि दान करने चाहिए.
 चन्द्रमा और राहू अगर कुंडली में इकट्ठे है और माता या मन या मकान पर कोइ संकट आ रहा है वाहन के बार बार एक्सीडेंट आदि हो रहे है हो तो फ़ौरन राहू से सम्बन्धित चीजे पानी में बहानी चाहिए जैसे कोयला सरसों राख आदि,इसी प्रकार से शनि चन्द्र के इकट्ठे होने से अगर चलता हुआ व्यापार रुक रहा है तो शनि से सम्बंधित धुप व्यापार स्थान में रोजाना जलाने से ग्राहकी चलने लगती है यह धुप खुद भी बनायी जा सकती हैजैसे एक पाव काली मिर्च एक पाव लाख जिसकी चूड़ी आदि बनायी जाती है एक पाव गुग्गुल को लेकर बारीक पीस करदेसी घी और कपुर सभी को मिलाकर शाम के समय व्यापार स्थान में आग बनाकर धुप की तरह जलाकर रखना चाहिए.

रक्की,उन्नति रोकी तो नहीं जा रही? कहीं आप बुरे प्रभाव में तो नहीं?

कहीं आपकी तरक्की,उन्नति रोकी तो नहीं जा रही? कहीं आप बुरे प्रभाव में तो नहीं?

www.acharyarajesh.in कर पा रहे आप अच्छे पृष्ठभूमि से हैं। पर आप उसे भी बरकरार नहीं रख पा रहे जो बाप-दादाओं ने बनाया उसे भी नहीं संभल पा रहे ,जबकि आपमें सारी क्षमताएं और योग्यताएं हैं। आप अच्छी शिक्षा ,क्षमता ,योग्यता के बावजूद निम्न स्थिति में जीने को विवश हैं ,जबकि आपके आसपास अथवा परिवार में ही कोई अन्य लगातार उन्नति करता जा रहा ,हर तरफ विकास करता जा रहा अनावश्यक कभी रोग तो कभी हानि ,कभी कलह तो कभी लड़ाई झगड़े ,कभी कर्ज तो कभी दुर्घटनाएं ,कभी बच्चों की समस्याएं तो कभी माता -पिता की ,कभी नौकरी में समस्या तो कभी व्यवसाय में ,कभी पारिवारिक विवाद /मतभेद तो कभी मुकदमे लगातार कुछ न कुछ लगा ही रहता है ,जबकि आप यदि एकाग्र हो कर किसी भी क्षेत्र में जुट जाएँ तो आप सफल हो जायेंगे ,पर आप एकाग्र हो ही नहीं पा रहे ,पूरा समय लक्ष्य पर दे ही नहीं पा रहे इन सबके पीछे कुछ नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो सकता है। आप माने या न माने पर ऐसा होता है।  विज्ञान भी नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा को स्वीकार करता है। यह नकारात्मक ऊर्जा ग्रह दोष के कारण हो सकती है। वास्तु दोष के कारण हो सकती है। स्थान अथवा भूमि दोष के कारण हो सकती है। आपके यहाँ पित्र दोष के कारण हो सकती है। आपके कुलदेवता /देवी की असंतुष्टि के कारण हो सकती है। कहीं से आये भूत -प्रेत -ब्रह्म -जिन्न के कारण हो सकती है। किसी के द्वारा भेजे गए भूत-प्रेत के कारण हो सकती है। किसी के द्वारा आपके विरुद्ध किसी तांत्रिक से अभिचार कराने के कारण हो सकती है। आपके किसी नजदीकी द्वारा समय समय पर आपके विरुद्ध टोटके किये जाने के कारण हो सकती है। आपके व्यावसायिक प्रतिद्वंदी अथवा दुश्मन या विरोधी द्वारा आपके विरुद्ध अभिचार कराने के कारण हो सकती है। नौकरी के किसी सहकर्मी अथवा किसी परिचित द्वारा आपकी उन्नति न देख पाने से कोई क्रिया कराने के कारण हो सकती है। इन नकारात्मक या दूषित प्रभावों के कारण ,आपकी उन्नति रुक जाती है ,आपका पतन होने लगता है। स्वभाव में खराबी आ जाती है। व्यवहार व् बर्ताब बिगड़ने लगता है। समय पर कार्य में बाधा आती है। आपके निर्णय गलत होने लगते हैं। आलस्य और प्रमाद घेरने लगता है। निराशा और डिप्रेसन होने लगता है। कभी स्वभाव में उग्रता आती है कभी हीन भावना ,क्षोभ और वितृष्णा रहती है। बुरे स्वप्न आ सकते हैं।अशुभ लक्षण दिख सकते हैं ।रात में निंद का ना आना या भय सा महसूस हो सकता है। कभी ऐसा लग सकता है। की कमरे में आपके अतिरिक्त भी कोई है। किन्तु आपको दीखता नहीं कभी सोते समय कोई आपके ऊपर आ सकता है। लग सकता है। की कोई आपको दबा रहा है। कभी कोई  शक्ति अलग अलग चेहरे भी दिखा सकती है। या चेहराविहीन भी हो सकती है। बार बार घर परिवार अथवा खुद पर बीमारी आ सकती है।घर या कमरे से दुर्गन्ध महसूस हो सकती हैं।सीलन भरा वातावरण बन सकता है। बिना मतलब मुकदमे ,विवाद शुरू हो सकते है। पूरी म्र्हनत के बाद भी व्यवसाय दिन पर दिन कम हो सकता है।सारे प्रयास के बाद भी नौकरी नहीं लग रही या उपयुक्त नहीं मिल रही ।अगर ऐसा कुछ है तो आप नकारात्मक उर्जा से प्रभावि हैं।अगर आपके घर में जाते समय आपका सर भारी हो जाए अथवा आपके कार्य व्यवसाय की जगह पहुचते ही सर भारी हो जाए अथवा दोनों जगह सर भारी हो अनायास अशुभ लक्षण बार बार अथवा कभी लगे की दिमाग विचारशून्य हो गया है या सोचने समझने की क्षमता कम हो जाए कहीं ठीक से मन न लगे तनाव और मानसिक भारीपन महसूस हो |खुद पर से ही विश्वास कम हो जाए बेवजह कमजोरी महसूस हो कुछ करने का मन न करे आलस्य हो तो आप नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित हो सकते हैं। और इनके द्वारा आपकी उन्नति रोकी जा रही है।इस प्रकार की नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव टोटकों से नहीं समाप्त किया जा सकता इस तरह की समस्याओं को सोसल मीडिया और टोटकों /उपायों की किताबों से पढ़कर अथवा नीम हकीम ज्योतिषी -तांत्रिक से सुनकर करके नहीं हटाया जा सकता ,क्योकि इन्हें तो खुद इनकी तकनिकी ,समय ,मुहूर्त ,पूर्ण क्रिया ,इसके विज्ञानं ,उर्जाओं की समझ नहीं होती न जानकारी होती है। यह खुद यहाँ वहां लिखे अथवा पोस्ट किये हुए उपाय अथवा टोटके उठाकर बता देते हैं। कैसे ,कब ,कहाँ ,किस तरह और क्यों किये जा रहे उपाय अथवा टोटके जानकारी नहीं होती ,इनके पीछे क्या विज्ञान कार्य करता है ,कैसे ऊर्जा समीकरण बनते और बनाये जाते हैं। इन्हें खुद नहीं पता इसीलिए लाखों लोग ऐसे उपाय ,टोटके करके कोई लाभ नहीं पाते और इनका विश्वास ज्योतिष और तंत्र से उठ जाता है ,इन्हें लगता है। सब ठग हैं। और केवल यह सब ठग विद्या है। वास्तव में यहाँ बस वास्तविक पकड़ की बात होती है ।तलवार की जहाँ जरुरत है। वहां सुई चुभोने से काम नहीं होता अपितु नकारात्मक ऊर्जा और उग्र हो अधिक नुक्सान करती है।किसी को छेड़कर अथवा लाठी मार के छोड़ दीजिये तो वह और उग्र हो प्रतिक्रिया करता है ऐसा ही कुछ नकारात्मक उर्जा के साथ होता है |ज्योतिषीय उपाय भी अगर पूर्ण और प्रभावी नहीं किये जाएँ तो कोई प्रभाव नहीं दे पाते टोटके केवल सामान्य परिस्थिति में ही प्रभाव डालते हैं। नकारात्मक ऊर्जा अगर शक्तिशाली हुई तो टोटकों पर उलटी ही प्रतिक्रिया सामने आती है ।यही सब कारण है की यहाँ वहां से लोग उपाय जानकर करते रहते हैं। और परेशान के परेशान ही रहते हैं।इस तरह की नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाब कोकाटने के लिए किसी अच्छे जानकार से ही परामर्श करना चाहिए, और उसके बताये मार्गों का ही अनुसरण करना चाहिए यहाँ वहां से उपाय देखकर और सुनकर नहीं करना चाहिए ,क्योकि इनका अपना विज्ञानं होता है और हर वस्तु ऊर्जा स्वरुप है ,जिसका उपयोग उचित ढंग से न होने पर या तो लाभ होगा नहीं अथवा नुकसान भी संभव है |तांत्रिक उपायों में तो और भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए नकारात्मक ऊर्जा पर सात्विक और सौम्य शक्तियों का बहुत प्रभाव नहीं पड़ता हाँ यह घर और व्यक्ति पर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ा जरुर देती हैं जिससे नकारात्मकता की मात्रा का बैलेंस जरुर कम हो जाता है पर वह न समाप्त होती है न कम होती है जो अच्छे या शुभ परिणाम दीखते हैं वह सकारात्मकता बढने के कारण होते हैं।नकारात्मक ऊर्जा तो यथावत बनी ही रहती है और गाहे बगाहे अपना असर दिखाती ही रहती है। नकारात्मक उर्जाओं को हटाने के लिए उग्र शक्तियों का ही सहारा लेना पड़ता है। इसीलिए तांत्रिक और उग्र महाविद्याओं ,भैरवकाली, आदि के साधक इन कार्यों में अधिक सफल होते हैं। नकारात्मकता हटाने के लिए उग्र महाशक्तियों यथा काली ,बगलामुखी ,तारा ,काल भैरव ,नृसिंह ,दुर्गा ,आदि की साधना उपासना और हवन अधिक प्रभावी होते हैं इन नकारात्मक शक्तियों से किसी भी तरह प्रभावित व्यक्तयों को उपरोक्त उग्र शक्तियों के यन्त्र ,कवच में धारण करने चाहिए,स्पष्ट छाया या वायव्य बाधाओं से ग्रस्त व्यक्तियों को खुद  कवच धारण करना चाहिए, और किसी अच्छे तांत्रिक या महाविद्या साधक से संपर्क करना चाहिए,नोट कुछ लोग दो कश्तियों पर सवार होकर  समस्याओं का हल करना चाहते हैऐसे सज्जन कभी भी सफल नहीं हो पाते किसी जानकार योग्य से ही हल करवाएं एक पर भरोसा करके उसके कहे अनुसार ही उपाय करें  जय माता दी

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...