मंगलवार, 21 जुलाई 2020

मंत्र की शक्ति

मंत्र की शक्ति
मंत्र की अपने आप में पूर्ण और स्वतंत्र सत्ता है।मंत्र विद्या के रहस्य इस दुनिया के ऐसे अजूबे हैं कि जिनके समझ में आ गए, उनके लिए किसी दिव्य अनुदान से कम नहीं हैं हमारा भारतवर्ष इस क्षेत्र में सर्वोपरि था, क्योंकि यहां के साधक और महर्षि अपने आप में मंत्रमय थे, उनका पूरा जीवन मंत्र और उनके रहस्य को समझने-समझाने में बीत जाता था। वे शिष्यों को अपने साथ रखकर उन्हें पुत्रवत स्नेह देते थे और उन्हें मंत्र की मूल ध्वनि का ज्ञान कराते थे। यह परम्परा मौलिक रूप से बराबर आगे बढ़ती गयी, परन्तु मुगलकाल में इस पद्धति का ह्रास हुआ और उस समय फारसी कलमा तथा इसी प्रकार के मंत्रों का प्रचलन बढ़ा, फलस्वरूप मूल मंत्र और उसके रहस्य को समझने वाले महर्षि कम होते गए।मंत्र का अर्थ होता है जो मन से त्राण दिला दे यानी मन से मुक्त कर दे । मन से मुक्त होने का एक अर्थ ये भी है कि आप ध्यान की अवस्था मे प्रवेश कर गए।कई लोग ध्यान का अर्थ मन का एकाग्र होना मानते है पर ऐसा नही है। ध्यान का अर्थ न मन की एकाग्रता से है न चंचलता से ध्यान निर्विचार अवस्था है ।
अब मंत्र विज्ञान के बारे में बात करते है। मंत्र विज्ञान पे आज के समय मे भरोसा करना बहुत कठिन है क्योकि हमारे पास जब किसी चीज़ के सूत्र खो जाते है तब बड़ी कठिनाई होती है हमारे बस मंत्र बच गए है उसका विज्ञान खो गया है।
मंत्र का विज्ञान नाद के विज्ञान पे काम करता है। नाद का अर्थ हर अक्षर का हर शब्द का एक विशेष ध्वनि है जिसे नाद भी कहते है। वो ध्वनि हमारे मन पे हमारे शरीर पे एक विशेष प्रभाव डालती है। हमारे शरीर का कुछ विशेष हिस्सा कुछ विशेष शब्दो को बोलते हुए उसमे सम्मलित होता है। जैसे आप हुम् बोले तो आपके हृदय से लेकर आपके नाभि तक विशेष कंम्पन होगा। आप शांत होकर अगर ‘माँ ’ की ध्वनि करे तो आप पाएंगे आपके दोनों आंखों के बीच आपको हल्का कंम्पन महसूस होगा। जैसे आप बिना जीभ का प्रयोग किये ‘ह’ तो बोल सकते परंतु ‘ट’ नही बोल सकते है। इसी तरह हर अक्षर हर शब्द किसी न किसी तरह आपके शरीर के किसी विशेष हिस्से पे प्रभाव डालता है। कुछ विशेष शब्द आपके मन पे भी प्रभाव डालते है जैसे कोई आपको ‘ मूर्ख’ कहे आपका मन तुरंत गुस्से से भर जाएगा कोई आपको ’ सज्जन’ कहे आप तुरंत प्रसन्न हो जायेगे। इसी प्रकार मंत्र आपके मन पे भी प्रभाव डालता है।
अब आती है वो बात जिसपे विश्वास करना मुश्किल है यानी मंत्र से बहुत दूसरी परिस्थितिया भी बदली जा सकती है।अब उसको समझना बहुत कठिन है वो अनुभव का विषय है।पूरा अस्तित्व ध्वनियों का एक जटिल संगम है। उसमें से हमने कुछ ध्वनियों को पहचाना जो ब्रह्मांड के हर आयाम को खोलने वाली कुंजियों की तरह हैं। जब तक आप खुद चाभी नहीं बन जाते, वह आपके लिए नहीं खुलेगा। मंत्र बनने का मतलब है कि आप चाभी बन रहे हैं, चाभी बन कर ही आप ताले को खोल सकते हैं, जिस समय आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, तब ध्वनि की जो विशिष्ट आन्दोलनयुक्त तरंगें निर्मित होती हैं, उन तरंगों का सीधा प्रभाव आपके मस्तिष्क में आता है।किन्हीं विशिष्ट ध्वनि-तरंगों को निर्मित कर पत्थर भी तोड़े जा सकते हैं। जैसे लेज़र किरणों से पेट की पथरी को तोड़कर ख़त्म कर देते हैं, इसी तरह ध्वनि की विशिष्ट तरंगों द्वारा किसी ठोस चीज़ को भी तोड़ा जा सकता है।
एक बार बादशाह अकबर के दरबार मेंमें तानसेन और बैजू बावरा में एक प्रतियोगिता करायी गयी। इस प्रतियोगिता में एक संगमरमर की शिला रखी गयी। प्रतियोगिता में शर्त यह रखी गयी कि जो अपने गायन से उस संगमरमर की शिला को तोड़ देगा वही जीतेगा।
हथौड़ी या छैनी से नहीं, डण्डे-भाले से भी नहीं, कण्ठ से निकली हुई ध्वनि तरंगों से और बैजू ने यह कर दिखाया। इटली वेफ संगीत की एक पद्घति है उसमें एक महिला होती है, उसको ‘सोपरानो’ कहते हैं। उसकी गायकी का कमाल यह है कि वह इतने तीव्र सप्तक में गा सकती है कि उसवे सामने रखे हुए काँच के गिलास को वह अपनी आवाज़ से तोड़ देती है। जो महिला ग्लास को तोड़ दे, उसे ‘बेस्ट सोपरानो’ माना जाता है। का सीधा संबंध उच्चारण से है। इसे 'ध्वनि विज्ञान' भी कहा जाता है। जो खोज हुई है उनके अनुसार, वह समय करीब ही है, जब ध्वनि विज्ञान ऋषियों जैसे ही काम करने लगेगा। कौत्स मुनि ने मंत्रों को अनर्थक माना है। अनर्थक यानि जिसका कोई अर्थ न हो। ध्वनि प्रवाह को, शब्द गुंथन को महत्व दिया जाना चाहिए। 'ह्रीं, श्रीं, क्लीं, ऐं' आदि बीज मंत्रों के अर्थ से नहीं, ध्वनि से ही प्रयोजन सिद्ध होता है। संगीत का शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य पर जो असाधारण प्रभाव पड़ता है, उससे समस्त विज्ञान जगत परिचित है।
निश्चित गति से शीशे के गिलास के पास ध्वनि पैदा करें, तो वह टूट जाएगा। पुल पर चलते हुए सैनिकों को कदम मिलाकर चलने की ध्वनि नहीं करने दी जाती, क्योंकि तालबद्धता से पुल गिर सकता है। इस ही ध्वनि विज्ञान के आधार पर मंत्रों की रचना हुई है। उनके अर्थों का उतना महत्व नहीं है, इसलिए कौत्स मुनि ने उन्हें 'अनर्थक' बताया है। 
ध्वनि की तरंगों में से बड़ी ऊर्जा, बड़ी शक्ति निकलती है। जिस समय आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, तब मंत्र के द्वारा उत्पन्न की गयी ध्वनि तरंगों का सीधा प्रभाव आपवे मस्तिष्क की तीनों ग्रन्थियों हाइपोथेलेमस, पिट्यूटरी और पीनियल पर पड़ता है।
विशेषतः जब आप मंत्र की ध्वनि का गुंजन करते हैं, तब आप अंगूठे से कान बंद कर लेते हैं, ताकि बाहर की कोई आवाज़ भीतर जाये ही नहीं। इस तरह अंगूठे से कान बंद करके जब आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, तब उसकी तरंगें सीधे आपके मस्तिष्क में पहुँच कर मस्तिष्क की सूक्ष्म संरचना को बदल सकती हैं।
मेडिकल साइन्स के पास हाइपरटेन्शन के कारणों को दूर करने की कोई दवा नहीं है। हाइपरटेन्शन का सबसे बड़ा कारण है ‘तनाव’। ऐसी कोई दवा मेडिकल साइन्स के पास नहीं है, जिसको खाने से आप तनावमुक्त हो सकें। अभी तक तो बनी नहीं है। अभी तक जितनी दवाएँ बनी हैं या बन रही हैं, वे केवल तनाव के कारण शरीर में आने वाले लक्षणों को दूर करने के काम आती हैं।
वास्तव में दवाओं में कुछ केमिकल्स ही होते हैं। उनमें से कुछ दवाएँ कैल्शियम के रूप में होती हैं। कुछ दवाएँ नसों में से रक्त-प्रवाह सुचारु रूप से बहे इसलिये दी जाती हैं या फिर कोई दवा रक्त में बन रहे क्लॉट्स को पिघला कर पतला कर देती है।
मेडिकल साइन्स ने अभी तक ऐसी कोई गोली नहीं बनायी है, जिसके सेवन से मस्तिष्क में तनाव ही न रहे। परंतु ऋषियों के पास ऐसी दवा है और उनकी इस दवा को हम मंत्र कहते हैं। मंत्र की उपयोगिता अनदेखे ईश्वर को ख़ु़श करने के लिये नहीं है। मेरी दृष्टि में मंत्र का उच्चारण यह कोई साधना भी नहीं है। मंत्र का उच्चारण  शरीर,  दिमाग़ और मन को संतुलित करने के लिये सर्वोत्तम उपाय है।शक्ति का स्फोट मंत्र शक्ति की ही प्रक्रिया है, लेकिन रहस्य में लिपटी हुई। अणु विस्फोट से उत्पन्न होने वाली भयावह शक्ति की जानकारी हम सभी को है। शब्द की एक शक्ति सत्ता है। उसके कंपन भी चिरंतन घटकों के सम्मिश्रण से बनते हैं। इन शब्द कंपन घटकों का विस्फोट भी अणु विखंडन की तरह ही हो सकता है। मंत्र, योग साधना के उपचारों के पीछे लगभग वैसी ही विधि व्यवस्था रहती है। मंत्रों की शब्द रचना का गठन मनीषियों ने इस प्रकार किया है कि उसका उपात्मक, होमात्मक और दूसरे तप साधनों तथा कर्मकांडों के सहारे अभीष्ट स्फोट किया जा सके। वर्तमान बोलचाल में विस्फोट शब्द जिस अर्थ में प्रयुक्त होता है, लगभग उसी अर्थ में संस्कृत में स्फोट का प्रयोग किया जाता है। मंत्र-साधना वस्तुतः शब्द शक्ति का विस्फोट ही है।

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...