रविवार, 31 जुलाई 2022

क्या राशिफल सही होता है।


क्या राशिफल सही होता है।
प्यारे मित्रों मैंने पहले भी राशिफल पर आपको एक पोस्ट लिखकर बताया था लेकिन कुछ लोग अब भी मुझसे कुछ सवाल कर रहे हैं राशिफल को लेकर तो आज फिर से पोस्ट लिख रहा हूं की राशिफल सही है या गलत आप खुद ही फैसला करें राशियाँ 130 करोड़ लोग भारत वर्ष में। यानी एक राशि के दस करोड़ से ज़्यादा लोग । दस करोड़ लोगों का आज का दिन एक जैसा रहने वाला है । सभी की यात्रा सुखद रहेगी, सभी का पत्नी से झगड़ा हो सकता है, सभी को आर्थिक हानि की सम्भावना है ।जो राशिफल आप अख़बार में पढ़ते हैं या टी॰वी॰, इंटेरनेट या यू ट्यूब पर देखते हैं उसका कोई औचित्य नहीं है। आप मनोरंजन के लिए देखना या पढ़ना चाहते है तो ठीक है ।नाम का पहला अक्षर से देखें तो राम-रावण

कृष्ण- कंश 

भूत-भगवान

देवता-दैत्य  ------   सभी के नाम का पहला अक्षर समान है तो फिर इनकी सोच में इतना अंतर क्यों है। कहते हैं कि इनकी राशि एक है लेकिन व्यक्तित्व अलग-अलग हैं क्योंकि इनका जन्म, स्थान, समय, और वातावरण भिन्न है। वजह जो भी हो इससे यह साबित होता है कि हमारा नाम हमारी किस्मत नहीं लिखता  हमारे द्वारा जो इस जीवन में कर्म किए जाते हैं उसी से हमारी जन्मकुंडली बनती है ।अब इसे अच्छी तरह से समझ 
  एक राशि में सव्वा दो नक्षत्र होते एक नक्षत्र में चार चरण ऐसे दो नक्षत्र के आठ चरण और तीसरे नक्षत्र का एक चरण ऐसे कुल आठ चरण हुए अब एक ही राशि में पैदा हुए व्यक्ति के नक्षत्र और चरण भिन्न - भिन्न हुए तो राशि फल भी भिन्न भिन्न हुए ,एक ही माँ के गर्भ से जन्मे दो जुड़वा बच्चे की राशि तो क्या जन्म कुंडली एक जैसी होती है एक डॉक्टर है तो दूसरा संगीतकार ऐसा क्यों ! क्योकि कृष्णमूर्ति पद्धति अनुसार दोनों की राशि एक है ,नक्षत्र भी एक है लेकिन उप नक्षत्रेश भिन्न है उपस्वामी भिन्न है इसलिए इसमें समय का बड़ा महत्त्व है ,राम और रावण तथा कृष्ण और कंस की राशि एक है लेकिन व्यक्तित्व अलग है यह फर्क के कारन भले राशिया एक हो लेकिन समय के नुसार नक्षत्र के उप - उप स्वामी भिन्न होने से फल अलग हुए हमारा भविष्य कथन सिर्फ चंद्रराशि से तय नहीं होता लेकिन आपके जन्म समय जन्म स्थान से पूर्व दिशामेकौनसी राशि उदित हुई (लग्नराशि ) और पुरे 12 घरोंमे कौन कौन से ग्रह बैठे है और कितने अंश के है और एक दुसरे से कितने अंश पर है ऐसी बहुत सारी बाते फलकथन पर निर्भर करती है और साथ - साथ भविष्य फल कथन करने वाला कितना जानकार है यह भी फलकथन पर आधार रखता है इसलिए एक ही राशि का फलकथन सब के लिए 100 % लागु नहीं होता है
लेकिन हाँ, राशिफल बिलकुल सटीक हो सकता है अगर आपको ज्योतिष का ज्ञान हो तब। मैं बताता हूँ राशिफल कैसे निकालते हैं। राशिफल के लिए ये देखना होता है की गोचर में कौनसे ग्रह किस राशि में भ्रमण कर रहे हैं और आपकी कुंडली के कौनसे घर में स्थित है । दैनिक राशिफल के लिए बाक़ी ग्रह के साथ चंद्रमा किस राशि में है ये देखना होता है ।
सटीक भविष्यवाणी के लिए अगर दशा कौनसे ग्रह की चल रही है ये भी देखा जा्ऐ। किसी की भी कुंडली देख कर राशिफल बताया जा सकता है, दैनिक भी, वार्षिक भी।आपका दिमाग़ चक्कर खा रहा होगा, खाएगा ही क्योंकि इसको समझने के लिए ज्योतिष आना चाहिए।

निष्कर्ष यह है की बिना कुंडली देखे ये कह देना की मेष राशि वालों का दिन ऐसा रहेगा , वृष राशि वालों का दिन वैसा रहेगा ये सही नही है।
जिस राशिफल की मैं बात कर रहा हुँ यानी अख़बार वाला you tube, internet वाला राशिफल नही,अब आपको समझ में आया होगा कि  TV channel पर बैठे ज्योतिषी सिर्फ आप लोगों को मुर्ख बना रहे हैं और अपनी दुकान चला रहे हैं फिर भी अगर आप राशिफल सुनते हैं या पढ़ते हैं तों आपकी मर्जी जो सच्चाई है वो मैंने कहा दिया है मुझे मालूम है कि कुछ ज्योतिषी जो राशिफल कहते हैं या लिखते हैं उन्हें  मेरी बात अच्छी नहीं लगने वाली पर मित्रों मेरा काम आपको जानकारी देना बाकि फिर  आचार्य राजेश

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

सिंह लग्न का बारहवां सूर्य


सिंह लग्न का बारहवां सूर्य
भचक्र की पांचवी राशि सिंह राशि है,लगन में इस राशि का प्रभाव बहुत ही प्रभाव वाला माना जाता है,यह अपनी औकात के अनुसार जातक के अन्दर गुण देती है,जैसे जातक का स्वभाव बिलकुल शेर की आदत से जुडा होता है,जातक जो खायेगा वही खायेगा,जातक जहां जायेगा वहां जायेगा,जातक के लिये कोई बन्धन देने वाली बात को अगर सामने लाया जायेगा तो वह बन्धन की बात को करने वाले या बन्धन का कारण पैदा करने वाले के लिये आफ़त को देने वाला बन जायेगा। इस राशि के स्वभाव के अनुसार वह एक सीमा में अपने को बान्धने के लिये मजबूर हो जाता है,वह अपने परिवार यानी माता पिता से तभी तक सम्बन्ध रखता है जब तक माता पिता के द्वारा वह समर्थ नही हो जाता है,अक्सर जातक को माता के प्रति सहानुभूति अधिक होती है लेकिन पत्नी के आने के बाद माता से दूरिया बढ जाती है पिता को केवल पिता की शक्ति के अनुसार ही जातक मानता है जैसे ही पिता से दूरिया होती है वह अपने बच्चों और जीवन साथी के प्रति समर्पित हो जाता है और जीवन साथी के द्वारा ही उसके लिये अधिक से अधिक कार्य पूरे किये जाते है,जब तक जीवन साथी के द्वारा उसके लिये प्रयास करने के रास्ते नही दिये जाते है वह किसी भी रास्ते पर जाने के लिये उद्धत नही होता है लेकिन जीवन साथी के उकसाने के बाद वह अपने को पूरी तरह से करना या मरना के रास्ते को अपना लेता है,जितना वह जीवन साथी के लिये समर्पित होता है उतनी ही आशा अपने जीवन साथी से छल नही करने के लिये रखता है,अगर कोई शक्ति को अपना कर जीवन साथी के प्रति आघात करता है तो वह अपने अनुसार या तो अपने को पूरी तरह से समाप्त कर लेता है या अपने को इतना बेकार का बना लेता है कि वह दूसरे किसी जीवन साथी को अपना कर उसी प्रकार से त्यागना शुरु कर देता है जैसे एक कुत्ता अपने लिये कामुकता की बजह से भटकाना शुरु कर देता है। यह तभी होता है जब उसे जीवन साथी के द्वारा कोई आहत करने वाला कारण बनता है।इस राशि वाले जातक की आदत होती है कि वह अपनी शक्ति से ही कमा कर खाने में विश्वास रखता है और जब वह शक्ति से हीन हो जाता है तो अपने को एकान्त में रखकर अपनी जीवन लीला को समाप्त करने की बाट जोहने लगता है। वह दया पर निर्भर रहना नही जानता हैअक्सर इस राशि वाले की पहिचान इस प्रकार से भी की जाती है कि वह अगर किसी स्थान पर जाता है तो वह उस स्थान पर अपने को बैठाने के लिये किसी के हुकुम की परवाह नही करता है उसे जहां भी जगह मिलती है आराम से  अपनी जगह को सुरक्षित रूप से तलाश कर बैठने की कोशिश करता है। एक बात और भी देखी जाती है कि इस राशि वाले अक्सर किसी के प्रति लोभ वाली नजर से देखते है तो उनकी पहली नजर गले पर जाती है वे आंखों से आंखो को नही मिलाते है।
बारहवा स्थान कालपुरुष की कुंडली के अनुसार गुरु की वायु राशि मीन है,लेकिन सिंह लगन के लिये इस इस राशि मे पानी की राशि कर्क का स्थापन हो जाता है। कर्क राशि के स्थापन के कारण और सूर्य का बारहवे भाव में बैठना आसमान के राजा का आसमान में ही प्रतिस्थापन भी माना जाता है। यह सूर्य बडे सन्स्थानों में राजनीति वाली बाते करने और राजनीति के मामले में भी जाना जाता है,कर्क राशि घर की राशि है,और सूर्य इस राशि में लकडी अथवा वन की उपज से अपना सम्बन्ध रखता है। जातक की पहिचान और जाति के समबन्ध में कर्क राशि का सूर्य अगर किसी प्रकार से मंगल से सम्बन्ध रखता है तो जातक के परिवार को उसी परिवार से जोड कर माना जाता है जहां से जातक की उत्पत्ति होती है,जातक या तो वन पहाडों में लकडी के बने घर में पैदा होता है और पिता के द्वारा मेहनत करने के बाद वन की उपज से घर को बनाया गया होता है,जातक का पैदा होना और जातक के पिता का बारहवें भाव में होना यानी पिता का बाहर रहना भी माना जाता है। चन्द्र केतु अगर चौथे भाव में है और मंगल का भी साथ है तो जातक के पैदा होने के समय में जितनी मंगल में शक्ति है उतनी ही तकनीक को रखने वाली दाई के साये में जातक का जन्म हुआ होता है और जातक के पिता के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना होनी मानी जाती है।मंगल के साथ केतु के होने से जातक के लिये एक तकनीकी काम का करने वाला साथ ही धन वाले कारणो को पैदा करने के लिये।

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...