शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

सही astrologer ज्योतिषी का चयन किस तरह से करें


 
बदलने का नाम ही जीवन है, और जीवन रोज करवट बदलता है, जिससे हम सभी के जीवन की घट्नाओं में भी हर रोज बदलाव होता है। यह बदलाव हम सभी अपने दैनिक जीवन में सहजता से देख सकते है, इस बदलाव को महसूस कर सकते है।कर्म व्यक्ति को जीने की वजह और जीने के साधन उपलब्ध कराता है।
 मित्रों ज्योतिष  विज्ञान  की मदद के माध्यम से हर कोई जीवन में बहुत जल्द प्रगति करना चाहता है। शहर में या social media पर कई लोग अपनी अर्धकचरी ज्योतिष जानकारी से समाज को गुमराह कर रहें हैं। ऐसे में थोड़ी सी सावधानी से आप, ज्योतिष  विज्ञानं में आपकी आस्था से किया जाने खिलवाड़ को रोक सकतें हैं। साथ ही साथ ज्योतिष पवित्र शास्त्र की गरिमा संरक्षित रखने में भी आपका पुण्य योगदान हो सकेगा।
सदैव ध्यान रखें:
जो astrologer राशि फल के माध्यम से कोई भी उपाय करवाते  हैं उनको ज्योतिष की जानकारी नहीं हो सकती आप यह घ्यान रखें उसके वहकावे में ना आएं अपनी भविष्यवाणी को बढ़ाचढ़ा कर कर पेश करने वालों को दूर से ही नमस्कार कर लें।
निशुल्क या स्वेच्छाशुल्क द्वारा ज्योतिष परामर्श देने वाले महान पंडित जी से किसी भी तरह का परामर्श लेने के पहले समझ लें ये आपके जीवन में उपयोगी नहीं सिद्ध होगा।
अपनी समस्या या जन्म कुंडली को सोशल साइट्स पर ज्यादा पंडित को दिखाने के फेर में न रहें। इससे भ्रम की स्तिथि का शिकार होकर अपने कर्म में दिशाहीनता को प्राप्त हो सकने की सम्भावना प्रबल ही करेंगे।
जन्मपत्रिका, फलित, समय की विवेचना किसी ऐसे ज्योतिष जानकर से ही प्राप्त करें जो कम से कम एक निर्धारित मात्रा में आपकी पत्रिका और आपको समय दे सकने की स्तिथि में हो।
फ्री परामर्श के वजाय शुल्क / दक्षिणा के साथ ही ज्योतिष परामर्श प्राप्त करने का नियम बांध लें।व्यक्तिगत परामर्श के दौरान होने वाला discussion अपनी एक या दो तात्कालिक समस्या तक ही सिमित रखें।
ज्योतिष जानकर भाई से अपनी जीवन में हुए कुछ recent progress/downfall का accurate samay आधारित विवरण discussion के शुरुआत में जानने का प्रयास करें। ध्यान रखें इस के द्वारा आप पंडित जी की विषय कुशलता तो समझ ही लेंगें साथ ही साथ कुंडली ठीक बनी है या नहीं, ये भी पुष्ट हो सकेगा।
ज्योतिष परामर्श के दौरान सभी बातचीत के तथ्य नोट जरुर करें।
अच्छा समय कब बन रहा है ?
ये जानकारी अवश्य ले। ध्यान रखें आपका वक्त और जन्म पत्रिका कितनी भी दुर्बल क्यों न हो, आने वाला "अच्छा समय की जानकारी मात्र ही आपके हौसले को बुलन्द् कर आपके समय को आज से ही बदल सकने में पूर्णतया सक्षम है"।
यदि आप दुर्बल समय के चलते ग्रह सम्बंधित कोई उपाय करने हेतु गम्भीर, प्रबल इच्छायुक्त एवं द्रर्ण संकल्पित हैं तो आपकी जीवनशैली अनुरूप उपाय की जानकारी हेतु निवेदन अवश्य करें। 
हर उपाय हर किसी के लिए सामान रूप से उपयोगी नहीं साबित होते हैं। व्यक्तिगत परामर्श में बातचीत की संजीदगी के माध्यम से आपकी जीवनशैली के अनुसार ही उपाय बताने की सम्भावना बनती है।
बताये गए उपाय पर कम से कम तीन माह अमल जरुर करें। कुछ शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक उर्जा बदलने के शुरुआती संकेत होते हैं जो आप खुद भी notic कर सकने में समर्थ हैं।
उर्जा संतुलन हेतु किये जा रहें उपाय मन्त्र जप, हवन,   वर्जन, जल सेवन वर्जन, दान, यन्त्र धारण रत्न धारण स्रोत/ कवच पाठ के द्वारा बनने वाले आत्मिक वैचारिक बल बदलाव को कैसे समझा जाये ये आपका सलाहकार आपको पूर्व में ही guide कर सकने में समर्थवान हो सकता है।
धयान रखें की उपाय शुरू करते ही 2 हफ्ते के भीतर ( चंद्रमा 180 डिग्री, सूर्य 15 डिग्री गोचर भ्रमण दौरान) ही ग्रहबल वर्धन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अश्थापूर्वक उपाय करने के बावजूद भी लाभ न मिलने की दशा में अपने astrologer को पुनः संपर्क कर इस बारे में जरुर बताएं।
एक कर्मकांड करने वाले पंडित और ज्योतिषी में फर्क करना सीखें
कलियुग में कोई भी इन्सान किसी भी रूप में आपकी मदद को पूर्णतया तभी तैयार होगा जब आप पूर्ण श्रद्धा भाव से व्यक्तिगत रूप से मिलकर कुछ निवेदन करेगें।
गुरु का स्थान गोविन्द से भी बड़ा है। 

सही नीयत और जानकारी वाले गुरु तक पहुचना एक अनिवार्य नियम है। इसकी अवहेलना से बचकर रहना ही सुमति का परिचायक है, बाकि आपकी मर्जी

बुधवार, 9 दिसंबर 2020

www.acharyarajesh.in14 Dec 2020 Surya Grahan Time: सूर्य लगने जा रहा है. साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कई मामलों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है.


मित्रों 14 दिसंबर अमावस्या की रात को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण भारतीय समयानुसार रात में होगा इसलिए यह न तो भारत में दिखाई देगा, न ही इसका कोई प्रभाव भारत में पड़ेगा। सूतक भी नहीं लगेगा। सूर्य ग्रहण शाम 7:03 बजे से प्रारंभ होकर रात 12:23 बजे तक अर्थात लगभग पांच घंटे 20 मिनट का होगा। इसे दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा।सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगने जा रहा है.  सूर्य ग्रहण के समय पांच ग्रह एक साथ होंगे ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है. किसी भी तरह के ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान सूर्य की शक्ति क्षीण हो जाती है, यानि सूर्य कमजोर और पीड़ित हो जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार राहु और केतु ग्रहण के दौरान सूर्य को जकड़ लेते हैं, जिस कारण सूर्य पीड़ित हो जाता है. इस दौरान सूर्य पर तेज आंधी चलती हैं. जिससे कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा निकलती है.आपकी कुंडली में भी सूर्यग्रहण होता है. इसे ज्योतिष के सबसे बुरे योगों में से एक माना गया है जातक की कुंडली में यदि सूर्य और राहू ग्रह एक साथ हों तो इसे जातक के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. कुंडली में सूर्य और राहू के योग को ग्रहण दोष के नाम से जाना जाता है. सूर्य जिस भाव में हो  ककुंडली में सूर्यग्रहण की इस स्थिति को पितृदोष भी मानते हैं।
कुंडली में यदि सूर्यग्रहण हो अर्थात ग्रहण दोष हो तो जातक के जीवन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पडता है. ग्रहण दोष के कारण जातक के जीवन में हमेशा अस्थिरता बनी रहती है। घर में कलह बनी रहती है, विवाह और संतान प्राप्ति में देरी होती है, कैरियर में भी असफलता मिलती है। इतना ही नहीं उसे बीमारियां घेर लेती हैं, और उसमें आत्मविश्वास की बेहद कमी रहती हैं। जातक को नजदीकी रिश्तों, पारिवारिक संबंधों में भी कष्ट और धोखा मिलता है।.ज्योतिष में जब इसका उल्लेख आता है तो सामान्य रूप से हम इसे सूर्य व चन्द्र देव का किसी प्रकार से राहु व केतु से प्रभावित होना मानते हैं . .पौराणिक कथाओं के अनुसार अमृत के बंटवारे के समय एक दानव धोखे से अमृत का पान कर गया .सूर्य व चन्द्र की दृष्टी उस पर पड़ी और उन्होंने मोहिनी रूप धरे विष्णु जी को संकेत कर दिया ,जिन्होंने तत्काल अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया .इस प्रकार राहु व केतु दो आकृतियों का जन्म हो गया . अब राहु व केतु के बारे में एक नयी दृष्टी से सोचने का प्रयास करें .राहु इस क्रम में वो ग्रह बन जाता है जिस के पास मात्र  सिर है ,व केतु वह जिसके अधिकार में मात्र धड़ है .अब ग्रहण क्या होता है ?राहु व केतु का सूर्य या चन्द्र के साथ युति करना आमतौर पर ग्रहण मान लिया जाता है .किन्तु वास्तव में सूर्य ग्रहण मात्र राहु से बनता है व चन्द्र ग्रहण केतु द्वारा .ज्योतिष में बड़े जोर शोर से इसकी चर्चा होती है .बिना सोचे समझे इस दोष के निवारण बताये जाने लगते हैं .बिना यह जाने की ग्रहण दोष बन रहा है तो किस स्तर का और वह क्या हानि जातक के जीवन में दे रहा है या दे सकता है .बात अगर आकड़ों की करें तो राहु केतु एक राशि का भोग 18 महीनो तक करते हैं .सूर्य एक माह एक राशि पर रहते हैं .इस हिसाब से वर्ष भर में जब जब सूर्य राहु व केतु एक साथ पूरा एक एक महीना रहेंगे तब तब उस समय विशेष में जन्मे जातकों की कुंडली ग्रहण दोष से पीड़ित होगी .इसी में चंद्रमा को भी जोड़ लें तो एक माह में लगभग चन्द्र पांच दिन ग्रहण दोष बनायेंगे .वर्ष भर में साठ दिन हो गए .यानी कुल मिलाकर वर्ष भर में चार महीने तो ग्रहण दोष हो ही जाता है .यानी दुनिया की एक तिहाई आबादी ग्रहण दोष से पीड़ित है .अब कई ज्योतिषियों द्वारा राहु केतु की दृष्टि भी सूर्य चन्द्र पर हो तो ग्रहण दोष होता है .हम जानते हैं की राहु केतु अपने स्थान से पांच सात व नौवीं दृष्टि रखते हैं .यानी आधे से अधिक आबादी ग्रहण दोष से पीड़ित है .अब ये आंकड़ा कम से कम मुझे तो विश्वसनीय नहीं लगता मित्रों .इसी लिए फिर से स्पष्ट कर दूं की मेरी नजर में ग्रहण दोष वहीँ तक है जहाँ राहु सूर्य से युति कर रहे हैं व केतु चंद्रमा से .इस में भी जब दोनों ग्रह  एक ही अंश -कला -विकला पर हैं तब ही उस समय विशेष पर जन्म लेने वाला जातक वास्तव में ग्रहण दोष से पीड़ित है ,और इस टर्मिनोलॉजी के अनुसार संसार के लगभग दस प्रतिशत से कम जातक ही ग्रहण दोष का कुफल भोगते हैं .हाँ आंकड़ा अब मेरी पसंद का बन रहा है. अन्य प्रकार की युतियाँ कुछ असर डाल सकती है जिनके बारे में आगे जिक्र करूँगा।किन्तु किसी भी भ्रमित करने वाले ज्योतिषी से सावधान रहें जो ग्रहण दोष के नाम पर आपको ठग रहा है .दोष है तो उपाय अवश्य है किन्तु यह बहुत संयम के साथ करने वाला कार्य है .मात्र  तीस सेकंड में टी .वी पर बिना आपकी कुंडली देखे ग्रहण दोष सम्बन्धी यंत्र आपको बेचने वाले ठगों से सचेत रहें ,शब्दों पर मित्रों से थोडा रिआयत चाहूँगा ,बेचने  वाले नहीं अपितु भेड़ने वाले महा ठगों से बचना दोस्तों.एक पाठक का पैसा भी बचा तो जो भी प्रयास आज तक ब्लॉग के जरिये कर रहा हूँ ,समझूंगा काम आया .   जैसा की हमें ज्ञात है सूर्य हमारी कार्य करने की क्षमता का ग्रह है,हमारे सम्मान ,हमारी प्रगति का कारक है यह जगतपिता है,इसी की शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है,यह आत्मा कारक और पितृ कारक है,पुत्र राज्य सम्मान पद भाई शक्ति दायीं आंख चिकित्सा पितरों की आत्मा शिव और राजनीति का कारक है..राहु के साथ जब भी यह ग्रहण दोष बनाता है तो देखिये इसके क्या परिणाम होते हैं राहु की आदत को समझने के लिये केवल छाया को समझना काफ़ी है। राहु अन्दरूनी शक्ति का कारक है,राहु सीमेन्ट के रूप में कठोर बनाने की शक्ति रखता है,राहु शिक्षा का बल देकर ज्ञान को बढाने और दिमागी शक्ति को प्रदान करने की शक्ति देता है,राहु बिजली के रूप में तार के अन्दर अद्रश्य रूप से चलकर भारी से भारी मशीनो को चलाने की हिम्मत रखता है,राहु आसमान में बादलों के घर्षण से उत्पन्न अद्रश्य शक्ति को चकाचौन्ध के रूप में प्रस्तुत करने का कारक होता है,राहु जड या चेतन जो भी संसार में उपस्थित है और जिसकी छाया बनती है उसके अन्दर अपने अपने रूप में अद्रश्य रूप में उपस्थित होता है।.राहु जाहिर रूप से बिना धड का ग्रह  है ,जिस के पास स्वाभाविक रूप से दिमाग का विस्तार है .यह सोच सकता है,सीमाओं के पार सोच सकता है .बिना किसी हद के क्योंकि यह बादल है ..जिस कुंडली में यह सूर्य को प्रभावित करता है वहाँ जातक बिना कोई सार्थक प्रयास किये ,कल्पनाओं के घोड़े  पर सवार रहता है .बार बार अपनी बुद्धि बदलता है .आगे बढने के लिए हजारों तरह की तरकीबों को आजमाता है किन्तु एक बार भी सार्थक पहल उस कार्य के लिए नहीं करता, कर ही नहीं पाता क्योंकि प्लान को मूर्त रूप देने वाला धड उसके पास नहीं है .अब वह खिसियाने लगता है .पैतृक  धन  बेमतलब के कामों में लगाने लगता है .आगे बड़ने की तीव्र लालसा के कारण चारों तरफ हाथ डालने लगता है और इस कारण किसी भी कार्य को पूरा ही नहीं कर पाता .हाथ में लिए गए कार्य को (किसी भी कारण) पूरा नहीं कर पाता ,जिस कारण कई बार अदालत आदि के चक्कर उसे काटने पड़ते हैंसूर्य की सोने जैसी चमक होते हुए भी धूम्रवर्णी  राहु के कारण उसकी काबिलियत समाज के सामने मात्र लोहे की रह जाती है. उसकी क्षमताओं का उचित मूल्यांकन नहीं हो पाता .अब अपनी इसी आग को दिल में लिए वह इधर उधर झगड़ने लगता है.पूर्व दिशा उसके लिए शुभ समाचारों को बाधित कर देती है .पिता से उसका मतभेद बढने लगता है .स्वयं को लाख साबित करने की कोशिश भी उसे परिवार की निगाह में सम्मान का हक़दार नहीं होने देती .घर बाहर दोनों जगह उसकी विश्वसनीयता पर आंच आने लगती है सूर्य के साथ राहु का होना भी पितामह के बारे में प्रतिष्ठित होने की बात मालुम होती है ,जातक के पास कानून से विरुद्ध काम करने की इच्छायें चला करती है,पिता की मौत दुर्घटना में होती है,या किसी दवाई के रियेक्सन या शराब के कारण होती है,या वीमारी सेजातक के जन्म के समय पिता को चोट लगती है,जातक को नर  सन्तान भी कठिनाई से मिलती है,पत्नी के अन्दर गुप चुप रूप से सन्तान को प्राप्त करने की लालसा रहती है,पिता के किसी भाई को जातक के जन्म के बाद मौत जैसी स्थिति होती है।.वहीँ दूसरी और केतु (जिस के पास सिर नहीं है ) से सूर्य की युति होने पर  जातक बिना सोचे समझे कार्य करने लगता है .यहां वहां मारा मारा फिरता है .बिना लाभ हानि की गणना किये कामों में स्वयं को उलझा देता है .लोगों के बहकावे में तुरंत आ जाता है . मित्र ही उसका बेवक़ूफ़ बनाने लगते हैं केतु और सूर्य का साथ होने पर जातक और उसका पिताधार्मिक होता है,दोनो के कामों के अन्दर कठिनाई होती है,पिता के पास कुछ इस प्रकार की जमीन होती है,जहां पर खेती नही हो सकती है,नाना की लम्बाई अधिक होती है,और पिता के नकारात्मक प्रभाव के कारण जातक का अधिक जीवन नाना के पास ही गुजरता है या नाना से ख़र्च में मदद मिलती है .(यहाँ कुंडली में लग्नेश कीस्थिति व कारक होकर गुरु का लग्न को प्रभावित करना समीकरणों में फर्क उत्पन्न करने में सक्षम है).जिस जातक की कुंडली में द ग्रहण दोष हों वो सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर पाता ,ये निश्चित है .कई उतार-चड़ाव अपने जीवन में उसे देखने होते हैं .मनुष्य जीवन के पहले दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण  ग्रहों का दूषित होना वास्तव में दुखदायी हो जाता है .ध्यान दें की सूर्य -चन्द्र के आधिपत्य में एक एक ही राशि है व ये कभी वक्री नहीं होते . अर्थात हर जातक के जीवन में इनका एक निश्चित रोल होता है एक ज्योतिषी की जिम्मेदारी है की जब भी किसी कुंडली का अवलोकन करे तो इस दोष पर लापरवाही ना करे .उचित मार्गदर्शन द्वारा क्लाइंट को इस के उपचारों से परिचित कराये .किस दोष के कारण जातक को सदा जीवन में किन किन स्थितियों में क्या क्या सावधानियां रखनी हैं ताकि इस का बुरा प्रभाव कम से कम हो , इन बातों से परिचित कराये .  अगर असल में आपकी कुंडली में ग्रहन  दोष हो तो पह कुंडली दिखाकर जानकारी हासिल् कर ले यहां पर कुछ उपाय  करके लाभ ले सकते हैं आचार्य राजेश -

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...