रविवार, 16 मई 2021

Gemstone रत्न किस तरह चारण करें

Gemstone रत्न किस तरह चारण करें 
 
मित्रों ग्रहों को मजबूत करने के लिए रत्‍नों का प्रयोग किया जाता है। कुंडली में कमजोर ग्रहों के शुभ प्रभाव को पाने के लिए भी रत्‍न धारण किए जाते हैं.liकुंडली में कमजोर ग्रहों के शुभ प्रभाव को पाने के लिए भी रत्‍न धारण किए जाते हैं. आइए जानते हैं कि वैदिक ज्‍योतिष में रत्‍नों को किस तरह से धारण करना उत्तम माना गया है।

रत्‍न नौ प्रकार के होते हैं

ग्रहों के आधार पर रत्‍नों को नौ भागों में बांटा गया है। हर एक ग्रह को मजबूती प्रदान करने के लिए एक रत्‍न निर्धारित किया गया है। सूर्य के लिए माणिक, चंद्रमा के लिए मोती, बुध के लिए पन्‍ना, मंगल के लिए मूंगा, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया पहना जाताहै मित्रों एक रतन कई किसानों का कई प्रजातियों का और उसमें अलग-अलग बंद होते हैं तब तब होते हैं यह सब एक एस्ट्रोलॉजर जातक की कुंडली को देख कर ही निर्धारित करता है कि उसको कौन सा नीलम या कौन सा पुखराज बनाया जाए गलत नीलम या गलत पुखराज पहनाने से भी परेशान आ सकते परेशानी आ सकती है। इसलिए एक अच्छा रत्न expert ही बता सकता है
 रत्‍न राशि अनुसार नहीं बल्कि कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार पहनने चाहिए। कौन-सा रत्‍न कब पहना जाएं इसके लिए कुंडली का सूक्ष्‍म विश्‍लेषण करना जरूरी होता है। लग्‍न कुंडली के अनुसार कारक ग्रहों के रत्न ही पहनने चाहिए। अगर कुंडली में कोई भी कारक ग्रह शुभ ग्रह किसी भी तरह पीड़ित हो रहा हो  अस्त हो रहा तो उसको उस ग्रह को मजबूत करने के लिए रत्न धारण करना चाहिए। जो ग्रह कुडली में उपयोगी है उसकी ताकत को बढ़ाया जाए 
 सामान्यत: लग्न कुंडली के अनुसार कारकर ग्रहों के  रत्न पहने जा सकते हैं जो ग्रह शुभ भावों के स्वामी होकर पाप प्रभाव में हो, अस्त हो या श‍त्रु क्षेत्री हो उन्हें प्रबल बनाने के लिए भी उनके रत्न पहनना प्रभाव देता है।
किसी भी व्यक्ति के जीवन में रंग और तरंग का सर्वाधिक महत्व होता है. रत्न भी इन्ही रंगों और तरंगों के माध्यम से प्रभाव डालते हैं. व्यक्ति के शरीर के सात चक्र इन्ही रंगों और तरंगों को ग्रहण करते हैं. रत्नों के प्रयोग से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में तुरंत बदलाव हो जाता है. रत्नों का असर शरीर के साथ ही मन और कार्यों पर भी पड़ता है. रत्नों का लाभ तो थोड़ी देर में होता है लेकिन गलत रत्न पहनने का नुकसान जल्दी होने लगता है.मित्रो इन लेखों में मैंने वर्तमान में रत्‍न को लेकर चल रहे कई सिद्धांतों और उनके कारण पैदा हो रहे व्‍याघात को समझाने का प्रयास किया है। निर्बल और उच्‍च ग्रह का उपचार भी ऐसा ही एक और व्‍याघात है। इसे एक उदाहरण कुण्‍डली से समझने का प्रयास करते हैं। मान लीजिए एक तुला लग्‍न की कुंडली है। उसमें शुक्र लग्‍न का अधिपति हुआ। एक केन्‍द्र और एक त्रिकोण का अधिपति होने के कारण शनि इस कुंडली में कारक ग्रह है। नवम भाव का अधिपति होने के कारण बुध का उपचार भी किया जा सकता है।
अब कृष्‍णामूर्ति की माने तो इस कुंडली के शुक्र, शनि और बुध ग्रह का ही इलाज किया जा सकता है। अब इस कुंडली में अगर गुरू, सूर्य या मंगल खराब स्थिति में है तो उनके इलाज की जरूरत ही नहीं है। एक व्‍यक्ति राजमहल में रह रहा हो तो उसे ज्ञान, आधिपत्‍य, और ताकत स्‍वत: मिलती है, और अगर न भी मिले तो उसके लिए प्रयास करने की जरूरत भी नहीं है।
ऐसा जातक अगर ज्‍योतिषी से यह मांग करे कि उसे अपने आधिपत्‍य, ताकत और ज्ञान में बढ़ोतरी की जरूरत है तो मान लीजिए कि वह केवल किसी लालसा की वजह से कुछ समय के लिए भटककर यह सवाल कर रहा है। वास्‍तव में उसे जो चाहिए वह ऐश्‍वर्य, विरासत, कंफर्ट, कम्‍युनिकेशन स्किल और अपनी चाही गई चीजों के लिए ईज ऑफ एक्‍सस की जरूरत है। यानि वह अपनी जरूरतों के लिए लम्‍बी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार नहीं है।
अगर वह जातक किसी साधन या व्‍यवस्‍था को पाने का प्रयास कर रहा है या रही है तो यह कुछ समय की बात हो सकती है दीर्घकालीन जरूरत नहीं। ऐसे में तुला लग्‍न में बैठे नीच के सूर्य को ताकतवर बनाने के लिए माणिक्‍य भी पहना दिया तो फायदा करने के बजाय नुकसान अधिक करेगा।
यही बात अन्‍य लग्‍नों के लिए भी लागू होती है। तो जातक का इलाज करते समय यह ध्‍यान रखने वाली बात है कि वास्‍तव में जातक का मूल स्‍वभाव क्‍या है। उसे अपनी मूल स्थिति में लौटाने से अधिक सुविधाजनक कुछ भी नहीं है। भाग्‍य को धोखा नहीं दिया जा सकता, लेकिन मानसिक स्थिति में सुधार कर खराब समय की पीड़ा को दूर किया जा सकता है। ऐसे में किसी एक जातक की लालसा का पोषण करने के बजाय उसे सही रास्‍ते की ओर भेजना मेरी समझ में सबसे सही उपाय है। ऐसे में मेष से लेकर मीन राशि और लग्‍न वाले जातकों के लिए अलग-अलग उपचार होंगे। आप गौर करेंगे कि कुछ ग्रहों को कारक तो कुछ को अकारक भी बताया गया है।
इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी कुंडली में कारक ग्रहों का प्रभाव होता है और अकारक का नहीं होता। प्रभाव तो सभी ग्रहों का होगा, लेकिन मूल स्‍वभाव कारक ग्रह के अनुसार ही होगा। ऐसे में उपचार के समय भी कारक ग्रहों का ही ध्‍यान रखा जाए।
रही बात उच्‍च और नीच की… यह तो रश्मियों का प्रभाव है। नीच ग्रह की कम रश्मियां जातक तक पहुंचती है और उच्‍च ग्रह की अधिक रश्मियां। ऐसे में अगर कारक ग्रह अच्‍छी स्थिति यानि अच्‍छे भाव में बैठकर कम रश्मियां दे रहा है तो उसके लिए उपचार करना चाहिए। और अकारक ग्रह खराब स्थिति में या नीच का भी है तो उसे छेड़ने की जरूरत नहीं है। मित्रों एक राजा होकर अगर वह किसी खड्डे में गिर जाए तो उसको से आसन पर बैठा देने में ही समझदारी होती है अगर आप भी अपनी कुंडली दिखा कर रतन धारण करना चाहते हैं या अपने ग्रहों का चार करवाना चाहते हैं तो आप संपर्क कर सकते हैं

सोमवार, 3 मई 2021

Importance of number in life(जीवन में नम्बर का महत्व

Importance of number in life(जीवन में नम्बर का महत्व

 

जीवन में नम्बर का महत्व
जैसे हम जीवन की शुरुआत मे शब्दो को प्रयोग मे लाने के लिये अक्षरों का ज्ञान करते है वैसे ही जीवन मे गिनती करने के लिये नम्बरों को सीखते है। जीरो से लेकर नौ के अंक तक सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाया हुआ है। हर  व्यक्ति एक नम्बर के आधार पर चला करता है उस नम्बर के बिना उसका जीवन अधूरा सा रहता है,कोई नम्बर भाग्य को देने वाला होता है और कोई नम्बर बहुत ही दुर्भाग्यशाली भी होता है। जन्म के नम्बर से ही पता लग जाता है कि जीवन कितने समय का है और जीवन मे किस किस वक्त कौन सी आफ़त आयेगी या जायेगी साथ ही अगर सूक्ष्म रूप से भी देखा जाये तो हर साल महिना दिन और दिन का एक एक घंटा अपनी गति को प्रदान करता है। नम्बर का जो रूप जीवन मे काम आता है वह इस प्रकार से है :-

जीवन को चलाने वाला नम्बर
जीवन जिस दिन से शुरु हुआ होता उस दिन के नम्बर से ही गति का पता लग जाता है जीवन को चलाने के लिये माता के गर्भ मे आने से ही इस नम्बर की शुरुआत हो जाती है और महिने दिन तथा घंटे से इस नम्बर का पता लगाया जाता है,पैदा होने का समय भी इसी नम्बर से प्राप्त किया जाता है।

ह्रदय की चाहत वाला नम्बर

समय समय पर मनुष्य की चाहत बदलती रहती है और जीवन मे अगर एक ही चाहत बनी रहे तो जीवन का चलना दूभर हो जाता,जब हम जन्म लेते है उसी दिन से गणना शुरु हो जाती है और इस नम्बर के लिये यह भी कहा जाता है बच्चा भी अपने दिल मे चाहत रखता है लेकिन शरीर के परिपक्वता पर आधारित होने के कारण इस नम्बर का एक प्रभाव हमारे दिल मे हमेशा रहता है अगर हमे पता लग जाये कि किस नम्बर के दिन मे हमारी चाहत बदलेगी और इस चाहत के बदलने का समय क्या होगा तो हमे काफ़ी आसानी हो सकती है.

एक नम्बर जो हमेशा मन मे रहे
कहा जाता है कि मन हमेशा चलायमान है लेकिन मन का क्षेत्र भी एक केन्द्र पर जुडा होता है जब तक केन्द्र का संचालक मन के अन्दर भाव नही भरेगा तब तक मन का चलायमान होना हो ही नही सकता है। इस नम्बर के लिये यह भी कहा जा सकता है कि जब भी कोई बात अच्छी या बुरी मन के अन्दर आयेगी उसी नम्बर के अनुसार ही आयेगी.

जन्म दिनांक
जिस दिन जातक का जन्म होता है अपनी अपनी भाषा और संस्कृति के अनुसार उस दिन का एक नम्बर भी होता है जैसे अंग्रेजी मे अगर तारीख को दिन का नम्बर मानते है तो हिन्दी मे तिथि को नम्बर के रूप मे प्रयोग किया जाता है उसी प्रकार से मुसलमानी कलेण्डर मे चन्द्रमा की तारीख को ही मान दिया जाता है.वैसे दिन की मान्यता भी दी जाती है और जातक के जन्म के दिन के अनुसार ही उसका नम्बर काम मे लिया जाता है जैसे केरल मे जिस दिन व्यक्ति का जन्म होता है उसी दिन के नम्बर के अनुसार उसका फ़लादेश दिया जाता है।
मिलने वाले चेलेंज का नम्बर
जीवन मे जो भी काम करना पडता है उन सभी के लिये एक चेलेन्ज मिलता है जिस दिन काम करने का वह अच्छा हो या बुरा चेलेन्ज मिल जाता है उसी दिन से उस काम के लिये मानसिकता बन जाती है कई नम्बर तो इतने ओड होते है कि उनके लिये आजीवन एक ही प्रकार का चेलेंज स्वीकार करने के लिए व्यतीत करना पडता है।

व्यक्तिगत साल का नम्बर
हिन्दी मे हिन्दी महिनो का नम्बर और अंग्रेजी मे अंग्रेजी महिनो का नम्बर प्रयोग मे लाया जाता है। इसी प्रकार से अलग अलग देशो मे अपने अपने अनुसार महिनो की गणना के अनुसार नम्बर का प्रयोग किया जाता है। नम्बरो के आधार से ही किसी भी अल्प मध्य और उच्च गति का विश्लेषण साल के नम्बर से किया जाता है.
व्यक्तिगत महिने का नम्बर
साल के बाद महिने का नम्बर केवल शरीर की बारह गतियों पर निर्भर करता है जो गति छ: महिने पहले अच्छी थी वही गति छ: महिने बाद खराब हो जाती है जो इन गतियों को पहिचानते है वह अपने लिये पहले से ही इन्तजाम कर लेते है और वे आने वाली मुसीबत से बचकर अपने कार्य को उस मिलने वाली आफ़त से भी अपने को फ़ायदा मे ले जाते है। 

व्यक्तिगत दिन का नम्बर

सूर्य का रोजाना एक अंश का मान देखा गया है चाहे साल का समय या महिने का समय एक बार गडबडा जाये लेकिन दिन का मान उतना ही रहेगा और निश्चित समय मे ही दिन का मान बदल जायेगा,यह मान अच्छे के लिये भी और बुरे के लिये भी माना जाता है। दिन के नम्बर से अक्सर रोजाना के किये जाने वाले कामो की सफ़लता असफ़लता के लिये देखा जाता है और जिस दिन का नम्बर खराब होता है या धोखा देने वाला होता है उसी के अनुसार सम्भाल लेने पर गति के अनुसार नम्बर का प्रयोग कर लिया जाता है।
जीवन की शुरुआत का नम्बर
जीवन की शुरुआत का मतलब पैदा होने से नही है जब व्यक्ति जीवन की प्रोग्रेस मे अपने को ले जाने के लिये आगे जाना शुरु होजाता है वह ही जीवन की शुरुआत मानी जाती है कभी कभी यह भी देखा गया है कि व्यक्ति पैदा होता है खाता पीता सोता जागता है और एक दिन वह चला जाता है लेकिन उसके जीवन मे किसी प्रोग्रेस का अध्याय जुड ही नही पाता है वह दूसरो के भरोसे रहकर ही पूरे जीवन को निकाल जाता है।
जीवन के परिपक्व होने का नम्बर
जीवन के तीन प्रकार माने गये है एक कच्चा जीवन होता है जिसका मान न के बराबर होता है कि कब कहां किस मोड पर जीवन जाकर रुक जाये या किस मोड पर जाकर जीवन का अन्तिम सफ़र ही पूरा हो जाये दूसरा प्रकार अल्प परिपक्व होता है जो जीवन को आगे भी चलाता है और जब चलाने के लिये शुरु हुआ जाये तो वह कार्य या व्यवहार से अपने को नेस्तनाबूद कर ले,तीसरा प्रकार वह होता है कि जीवन पूरी तरह से हर क्षेत्र की जानकारी से पूर्ण हो गया है व्यक्ति के सामने कोई भी बात अच्छी या बुरी आये वह उसे पूरी तरह से निपटाने के लिये अपने व्यवहार को सामने कर देगा इसके लिये भी एक नम्बर होता है जो निश्चित समय का बखान करता है।
अपने को प्रदर्शित करने का नम्बर
व्यक्ति को एक नाम जन्म के बाद दिया जाता है जो नाम पूरे जीवन साथ रहता है और मरने के बाद भी कुछ काल तक भी बना रहता है और मरने के कुछ समय बाद भी समाप्त हो जाता है,नाम का पहला शब्द जीवन को प्रदर्शित करने के लिये माना जाता है इस शब्द के अक्षर और उन अक्षर से बनने वाले नम्बर के बाद ही इस कारण को जाना जाता है।

किये जाने वाले कार्यों का नम्बर
जीवन मे कितने ही कार्य किये जाते है हर कार्य का एक नम्बर होता है जो नम्बर जीवन की शुरुआती हालत मे होता है उसे जीवन के कुछ क्षेत्र के लिये मानते है फ़िर आगे बढने पर दूसरा कोई नम्बर साथ हो जाता है उस नम्बर को भी देखना जरूरी हो जाता है,जितने भी कार्य जीवन मे किये जाने है वह कार्य एक सम्बन्धित नम्बर से जुडे होते है उस नम्बर के आसपास घूमने वाले नम्बरो के आधार पर गिना जाता है कि व्यक्ति कितने प्रकार के कार्य करने के लिये समर्थ है और कितने कार्य वह नही कर सकता है।

किसलिये कार्य करने है का नम्बर
कोई भी कार्य करने का एक कारण होता है और जो कारण बनता है उसका भी एक नम्बर होता है जब तक कार्य के लिये कारण नही बनेगा तब कार्य किया जाना या उसके अच्छे बुरे होने का कोई प्रभाव भी नही जाना जा सकेगा,जीवन मे अलग अलग समय जो कारण बनेगा उसके लिये भी एक नम्बर का प्रकार बनेगा लेकिन उस कारण वाले नम्बर को जानने के लिये बाकी के नम्बरो के अनुसार ही कारण का होना माना जायेगा.

दिमाग को स्थिर रखने का नम्बर
समय काल और दूरी के नियम के अनुसार दिमाग को स्थिर रखने का भी एक नम्बर होता है जैसे समय है लेकिन काम करने का कारण नही बना है काम करने का कारण भी बना है लेकिन काम मे कठिनता आ रही है इन तीनो से तभी फ़ायदा मिलना माना जा सकता है जब दिमाग मे काम करने की स्थिरता है यह स्थिरता भी नम्बर के अनुसार ही आ पाती है।

आत्मीय नम्बर
कभी कभी देखा होगा कि किसी फ़ोन के आने से उसके साथ नया होने के बाद भी मन जुड जाता है और उस नम्बर से बात करने वाले से लगातार बात करने का मन करता है भले ही वह बात करने वाला किसी भी प्रकार से छ्ल कर दे,और कभी यह भी होता है कि कोई फ़ायदा देने वाला बात कर रहा है लेकिन उसके फ़ोन का नम्बर कुछ इस प्रकार का है कि उससे चाहते हुये भी बात नही हो पाती है आदि बाते आत्मीय नम्बर के बारे मे देखी जाती है जैसे फ़ोन का नम्बर घर का नम्बर वाहन का नम्बर और घर मे रहने वाले लोगो का नम्बर आदि.

जीवन के प्रति योजना बनाने का नम्बर
जिस समय कोई कार्य करना होता है वह चाहे घर से सम्बन्धित हो या बाहर से सम्बन्ध रखता हो वह शादी विवाह के लिये हो या किसी प्रकार के इलाज आदि के लिये किसी शिक्षा से जुडा हो या किसी प्रकार से अन्य कारण से उस समय के नम्बर पर आधारित होता है कि जो योजना कार्य के लिये बनायी जा रही है अगर वह योजना ही गलत नम्बर के समय मे बना दी गयी है तो योजना के लिये भले ही सभी साधन मिल जाये लेकिन वह योजना चाह कर भी पूरी नही होती है,यही बात अक्सर प्रेम करने वाले लोगो के लिये भी देखी जाती है प्रेम का अन्त शादी से होता है और प्रेम करने के समय से अगर शादी के समय मे फ़ेर है और बिना विचार के किये गये ही किसी गलत नम्बर के समय मे शादी की बात चलायी जाती है तो प्रेम होने के बावजूद भी शादी नही हो पाती है आदि बाते इस नम्बर से देखी जाती है।

छुपे रूप में की जाने वाली घात का नम्बर
हम अपने जीवन के प्रति सुरक्षा को लेकर चलते है और कभी कभी यह भी होता है कि हम जिस व्यक्ति से अपना सम्पर्क बना रहे होते है या जिसके ऊपर भरोसा करके चल रहे होते है वह व्यक्ति गुप्त रूप से घात करके चला जाता है या किसी प्रकार से हमने गलत नम्बर का मकान खरीद लिया है और अपनी घात का नम्बर नही पता है तो किसी न किसी प्रकार से वह मकान या वाहन हमारे लिये गुप्त रूप से हानि देने के लिये माना जायेगा चाहे वह वाहन के रूप मे एक्सीडेंट करवाये या घर के नम्बर के रूप मे आजीवन कमाने के बाद भी एक दिन डकैती डलवा दे या वह शिक्षा की शुरुआत करने के बाद ही अपनी योजना को हटाकर शिक्षा के बाद भी काम धन्धे के लिये भटकाव पैदा हो जाये.

हमेशा कष्ट देने वाला नम्बर
कई नम्बर हमारे जीवन मे ऐसे भी होते है जो बिना कारण के ही कष्ट दिया करते है,अक्सर देखा होगा कि जब हम अपने वाहन से आगे जा रहे होते है तो जिस वाहन को कष्ट देना वह किसी भी तरह से आगे जाने की प्रतिस्पर्धा मे सामने आने की कोशिश करेगा,या यह भी देखा होगा कि मकान का नम्बर अगर सही नही है तो गलत नम्बर वाला पडौसी बेकार मे ही परेशान करने लगेगा या कोई फ़ोन का नम्बर ही बेकार मे ही परेशान करने के लिये अपनी काल करने लगेगा आदि इस नम्बर को पहिचान कर पता की जाती है. मित्रों इसी तरह के और लेख आप पढ सकते है.acharyarajesh.in पर जाकर पढ़ सकते हैं मित्रों आचार्य राजेश

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...