रविवार, 30 दिसंबर 2018

जीते जी मरने की कला

प्रत्येक व्यक्ति अलग इंद्रिय से मरता है। किसी की मौत आंख से होती है, तो आंख खुली रह जाती है

—हंस आंख से उड़ा। किसी की मृत्यु कान से होती है। किसी की मृत्यु मुंह से होती है, तो मुंह खुला रह जाता है। अधिक लोगों की मृत्यु जननेंद्रिय से होती है, क्योंकि अधिक लोग जीवन में जननेंद्रिय के आसपास ही भटकते रहते हैं, उसके ऊपर नहीं जा पाते। हम्हारी जिंदगी जिस इंद्रिय के पास जीयी गई है, उसी इंद्रिय से मौत होगी। औपचारिक रूप से हम मरघट ले जाते हैं किसी को तो उसकी कपाल—क्रिया करते हैं, उसका सिर तोड़ते हैं। वह सिर्फ प्रतीक है। समाधिस्थ व्यक्ति की मृत्यु उस तरह होती है। समाधिस्थ व्यक्ति की मृत्यु सहस्रार से होती है।

जननेंद्रिय सबसे नीचा द्वार है। जैसे कोई अपने घर की नाली में से प्रवेश करके बाहर निकले। सहस्रार, जो हम्हारे मस्तिष्क में है द्वार, वह श्रेष्ठतम द्वार है। जननेंद्रिय पृथ्वी से जोड़ती है, सहस्रार आकाश से। जननेंद्रिय देह से जोड़ती है, सहस्रार आत्मा से। जो लोग समाधिस्थ हो गए हैं, जिन्होंने ध्यान को अनुभव किया है, जो बुद्धत्व को उपलब्ध हुए हैं,जो जिते जी मरे है उनकी मृत्यु सहस्रार से होती है।

उस प्रतीक में हम अभी भी कपाल—क्रिया करते हैं। मरघट ले जाते हैं, बाप मर जाता है, तो बेटा लकड़ी मारकर सिर तोड़ देता है। मरे—मराए का सिर तोड़ रहे हो! प्राण तो निकल ही चुके, अब काहे के लिए दरवाजा खोल रहे हो? अब निकलने को वहां कोई है ही नहीं। मगर प्रतीक, औपचारिक, आशा कर रहा है बेटा कि बाप सहस्रार से मरे; मगर बाप तो मर ही चुका है। यह दरवाजा मरने के बाद नहीं खोला जाता, यह दरवाजा जिंदगी में खोलना पड़ता है। जीते जी मरना पड़ता है इसी दरवाजे की तलाश में सारे योग, तंत्र की विद्याओं का जन्म हुआ। इसी दरवाजे को खोलने की कुंजियां हैं योग में, तंत्र में। इसी दरवाजे को जिसने खोल लिया, जिसने पे कला सीख ली वह परमात्मा को जानकर मरता है। जिते जी मरता है यह कहूं कि जीते जी मरने की कला सीख लेता है जान लेता है  उसकी मृत्यु समाधि हो जाती है। इसलिए हम साधारण आदमी की कब्र को कब्र कहते हैं, फकीर की कब्र को समाधि कहते हैं—समाधिस्थ होकर जो मरा है।

प्रत्येक व्यक्ति उस इंद्रिय से मरता है, जिस इंद्रिय के पास जीया। जो लोग रूप के दीवाने हैं, वे आंख से मरेंगे; इसलिए चित्रकार, मूर्तिकार आंख से मरते हैं। उनकी आंख खुली रह जाती है। जिंदगी—भर उन्होंने रूप और रंग में ही अपने को तलाशा, अपनी खोज की। संगीतज्ञ कान से मरते हैं। उनका जीवन कान के पास ही था। उनकी सारी संवेदनशीलता वहीं संगृहीत हो गई थी। मृत्यु देखकर कहा जा सकता है—आदमी का पूरा जीवन कैसा बीता। अगर  मृत्यु को पढ़ने का ज्ञान हो, तो मृत्यु पूरी जिंदगी के बाबत खबर दे जाती है कि आदमी कैसे जीया; क्योंकि मृत्यु सूचक है, सारी जिंदगी का सार—निचोड़ है—आदमी कहां जीया।

हरि हां, वाजिद, ज्यूं तीतर कूं बाज झपट ले जाहिंगे।।

जल्दी ही बाज तो आएगा, उसके पहले तैयारी कर लो। अगर  सहस्रार पर पहुंच जाओ, तो फिर मौत का बाज हमे झपटकर नहीं ले जा सकता। फिर तो परमात्मा तलाशता आता है। अगर कोई किसी और इंद्रिय से मरे, तो वापिस लौट आना पड़ेगा देह में; क्योंकि बाकी सब द्वार देह में हैं। सहस्रार देह का द्वार नहीं है, आत्मा का द्वार है। सहस्रार ग्यारहवां द्वार है, बाकी दस द्वार शरीर के हैं। ग्यारहवें द्वार को तलाशो—हम्हारे भीतर है, बंद पड़ा है

बुधवार, 5 दिसंबर 2018

शिव ओर शिवलिग

शिव ओर शिवलिग.           ,                      ,मिञो् शिवलिंग, का अर्थ है भगवान शिव का आदि-अनादी स्वरुप। शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्द पुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है। धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो 

उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है | वातावरण सहित घूमती धरती या सारे अनन्त ब्रह्माण्ड (ब्रह्माण्ड गतिमान है) का अक्ष/धुरी ही लिंग हैhttps://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/8/8f/Shivling_in_Abu.JPG


पुराणो में शिवलिंग को कई अन्य नामो से भी संबोधित किया गया है जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंगशिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादी एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतिक भी अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है अर्थात दोनों सामान है | हम जानते है की सभी भाषाओँ में एक ही शब्द के कई अर्थ निकलते है जैसे: सूत्र के - डोरी/धागा, गणितीय सूत्र, कोई भाष्य, लेखन को भी सूत्र कहा जाता है जैसे नासदीय सूत्र, ब्रह्म सूत्र आदि | अर्थ :- सम्पति, मतलब  उसी प्रकार यहाँ लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी या प्रतीक है, लिङ्ग का यही अर्थ वैशेषिक शास्त्र में कणाद मुनि ने भी प्रयोग किया। ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है : ऊर्जा और पदार्थ। हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है | ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है | अब जरा आईंसटीन का सूत्र देखिये जिस के आधार पर परमाणु बम बनाया गया, परमाणु के अन्दर छिपी अनंत ऊर्जा की एक झलक दिखाई जो कितनी विध्वंसक थी 

इसके अनुसार पदार्थ को पूर्णतयः ऊर्जा में बदला जा सकता है अर्थात दो नही एक ही है पर वो दो हो कर स्रष्टि का निर्माण करता है। हमारे ऋषियो ने ये रहस्य हजारो साल पहले ही ख़ोज लिया था | हम अपने देनिक जीवन में भी देख सकते है कि जब भी किसी स्थान पर अकस्मात् उर्जा का उत्सर्जन होता है तो उर्जा का फैलाव अपने मूल स्थान के चारों ओर एक वृताकार पथ में तथा उपर व निचे की ओर अग्रसर होता है अर्थात दशोदिशाओं की प्रत्येक डिग्री (360 डिग्री)+ऊपर व निचे) होता है, फलस्वरूप एक क्षणिक शिवलिंग आकृति की प्राप्ति होती है जैसे बम विस्फोट से प्राप्त उर्जा का प्रतिरूप, शांत जल में कंकर फेंकने पर प्राप्त तरंग (उर्जा) का प्रतिरूप आदि।

स्रष्टि के आरम्भ में महाविस्फोट  के पश्चात् उर्जा का प्रवाह वृत्ताकार पथ में तथा ऊपर व नीचे की ओर हुआ फलस्वरूप एक महाशिवलिंग का प्राकट्त  जिसका वर्णन हमें लिंगपुराण, शिवमहापुराण, स्कन्द पुराण आदि में मिलता  भगवान शिव की जगह-जगह पूजा हो रही है, लेकिन पूजा की वात नहीं है। शिवत्व उपलब्धि की बात है। वह जो शिवलिंग हमने देखा है बाहर मंदिरों में, वृक्षों के नीचे, हमने कभी ख्याल नहीं किया, उसका आकार ज्योति का आकार है। जैसे दीये की ज्योति का आकार होता है। शिवलिंग अंतर्ज्योति का प्रतीक है। जव हम्हारे भीतर का दीया जलेगा तो ऐसी ही ज्योति प्रगट होती है, ऐसी ही शुभ्र! यही रूप होता है उसका। और ज्योति बढ़ती जाती है, बढ़ती जाती है। और धीरे  धीरे ज्योतिर्मय व्यक्ति के चारों तरफ एक आभामंडल होता है; उस आभामंडल की आकृति भी अंडाकार होती है।

स.तो इस सत्य को सदियों पहले जान लिया था। लेकिन इसके लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं थे। लेकिन  रूस में एक बड़ा वैज्ञानिक प्रयाग ची नहा है-किरलियान फोटोग्राफी। मनुष्य के आसपास जो ऊर्जा का मंडल होता है, अब उसके चित्र लिये जा सकते हैं। इतनी सूक्ष्म फिल्में बनाई जा चुकी हैं, जिनसे न केवल तुम्हारी देह का चित्र बन जाता है, बल्कि देह के आसपास जो विद्युत प्रगट होती है, उसका भी चित्र बन जाता है। और किरलियान चकित हुआ है, क्योंकि जैसे -जैसे व्यक्ति शांत होकर बैठता है, वैसे – वैसे उसके आसपास का जो विद्युत मंडल है, उसकी आकृति अंडाकार हो जाती है। उसको तो शिवलिंग का कोई पता नहीं है, लेकिन उसकी आकृति अंडाकार हो जाती है। शांत व्यक्ति जब बैठता है ध्यान तो उसके आसपास की ऊर्जा अंडाकार हो जाता है। अशांत व्यक्ति के आसपास की ऊर्जा अंडाकार नहीं होती, खंडित होती है, टुकड़े -टुकड़े होती है। उसमें कोई संतुलन नहीं होता। एक हिस्सा छोटा- कुरूप होती है।में निर्मित शिवलिंग इतना विशाल तथा की देवता आदि मिल कर भी उस लिंग के आदि और अंत का छोर या शास्वत अंत न पा सके हमारे शरीर मे भी सात चक्रो की    Akriti आकृति muladhar chakkar से यात्रा शुरू होती है  शिवलिंग के अकार की तरह है बात करते हैं शिवलिंग पर जल सहित, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़ाने की। आपको जानकर हैरानी होगी कि शिवलिंग खुद में न्यूक्लियर रिएक्टर का सबसे बड़ा सिम्बल है। इसकी पौराणिक कथा तो ब्रह्मा और विष्णु के बीच एक शर्त से जुड़ी है। शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधि है। जितने भी ज्योतिर्लिंग हैं, उनके आसपास सर्वाधिक न्यूक्लियर सक्रियता पाई जाती हैयही कारण है कि शिवलिंग की तप्तता को शांत रखने के लिए उन पर जल सहित बेलपत्र, धतूरा जैसे रेडियो धर्मिता को अवशोषित करने वाले पदार्थों को चढ़ाया जाता है।

आप देखेंगे कि कई ऐसी मान्यताएं केवल परंपरा व धर्म के नाम पर निभाई जाती हैं किंतु यदि उनकी गहराई से छानबीन की जाए  Rajesh Kumar 07597718725 09414481324

रविवार, 2 दिसंबर 2018

शेयर बाजार ओर ज्योतिष

ज्योतिष का अच्छा ज्ञान होने के कारण मैंने अक्सर कुंडली (kundli, horoscope) और शेयर मार्किट में होने वाले फायदे और नुक्सान के संबंधों पर विशेष ध्यान दिया है. इसके साथ ही मुझे कई लोगों को स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग सिखाने का मौका मिला.

 इस दौरान मैंने उनकी कुंडली का भी अध्ययन किया और यह पाया की ग्रहों की दशा का असर, आपकी ट्रेडिंग और निवेशक के द्वारा लिए जाने वाले निर्णय पर पड़ता है. मेरे कई जातकोऔर साथी ट्रेडर्स, निवेशकों ने कई बार ऐसे स्टॉक्स (stocks), फ्यूचर या आप्शन (पुट और कॉल) ख़रीदे और नुक्सान उठाया जिनमें की सामान्य दशा में वह कभी भी ट्रेड नहीं करते. ऐसे में मेरे पास सलाह के लिए आने पर मुझे उनकी कुंडली (kundali, kundli, horoscope) देखने का मौका मिला और यह पाया की ज्यादातर ऐसे निर्णयों के लिए उनकी ग्रह दशा जिम्मेदार थी. भारतीय ज्योतिष (में नौ ग्रहों सत्ताईस नक्षत्रों  बारह राशियों  और कुंडली के बारह भावों या घर  आदि की स्तिथियों के अनुसार व्यक्ति का भूत, भविष्य और वर्तमान का पता लगाया जा सकता है इसके साथ ही कुंडली में लग्न, भाव, दशा, महादशा आदि का विचार करके जातक (वह व्यक्ति जिसकी कुंडली का अध्ययन किया जा रहा है) को फायदा होगा या नुक्सान आदि का पता लगाया जा सकता है.गोचर की स्थिति पर भी शेयर बाजार की मंदी तेजी प्रभाव रखती है  जैसे शेयर बाजार की तेजी शनि के वक्री होने के बाद होती है.शेयर बाजार की मन्दी शनि के मार्गी होने के दो माह बाद होती हैबुध वक्री,शनि मंगल का साथ शानि राहु का साथ शेयर बाजार को तेज रखता है.वक्री बुध शेयर बाजार में तेजी लाता हैबुध अस्त समय मे मन्दी का कारक होता है.सूर्य से बुध की युति में अस्त और उदय होने की स्थिति शेयर बाजार के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। जब बुध का अस्त पूर्व दिशा में होता है तब शेयर के भाव तेजी की तरफ होते हैं, किंतु जब बुध का अस्त पश्चिम दिशा में होता है, तब बाजार में मंदी का माहौल बनता है। इसी तरह जब बुध का उदय पूर्व दिशा में होता है, तब बाजार में तेजी का और जब पश्चिम दिशा में होता है, तब मंदी का माहौल बनता है। सूर्य का गोचर भ्रमण विभिन्न नक्षत्रों से होता है, तब तेजीकारक या मंदीकारक या मिश्रफल कारक नक्षत्रों के प्रभाव से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आते हैं। सूर्य को एक राशि का भ्रमण पूरा करने में एक माह लगता है। शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में गोचर  की भूमिका अहम होती है।मंगल के वक्री होने के समय सोने में तेजी आती है,धन का कारक  शुक्र है बुध धन की छाप है,गुरु उसकी कीमत है,सूर्य राजकीय नियंत्रण है,मंगल उसका तकनीकी रूप से विकसित करने का काम है,चन्द्रमा प्रचलन में है,केतु खाली स्थान है और राहु भरने वाला कारक है,जिस ग्रह के साथ होगा उसे केतु खाली करेगा और राहु जिस स्थान और ग्रह के साथ होगा उसे उसी प्रभाव से भरेगा.दूसरे का चौथा पंचम,पंचम का चौथा अष्टम,अष्टम का चौथा ग्यारहवां भाव,धन के व्यापार से देखा जाता है,अगर केतु इन स्थानो मे है तो इन भावो को खाली करेगा और इसके विपरीत वाले भाव राहु के बल से भरने का काम करेंगे,बाकी के ग्रह अपने अपने अनुसार शक्ति देंगे.नकद पूंजी दूसरे भाव से पंचम की बुद्धि से व्यवसाय का रूप और स्थान लेकर अष्टम की जोखिम से लाभ वाले स्थान की पूर्ति और इनसे एक घर भी आगे निकल गये तो हानि का घर ही सामने आयेगाआप चाहे छत्तीस प्रकार की टेक्निकल एनालिसिस कर ले या दुनिया भर की रिसर्च, चार्ट्स आदि का अध्ययन कर ले, बड़े से बड़ा मार्किट एक्सपर्ट या टिप्स, सब चीज़े बेकार हो जाती है अगर आपकी किस्मत में पैसा नहीं लिखा है. जैसे ही आप ट्रेड लगाते है या निवेश करते है, आपका अपना अनुभव होगा की बाजार में ऐसी खबर आएगी जिससे की आपका शेयर या बाजार पलट जायेगा और आप घाटे  या नुक्सान में चले जायेंगे. इसका एक कारण आपकी मनस्थिति है. नव ग्रहों का आपकी मनस्थिति पर ऐसा असर पड़ता है की आप मूर्खतापूर्ण निर्णय लेते है और बाद में पछताते है.

लाल का किताब के अनुसार मंगल शनि

मंगल शनि मिल गया तो - राहू उच्च हो जाता है -              यह व्यक्ति डाक्टर, नेता, आर्मी अफसर, इंजीनियर, हथियार व औजार की मदद से काम करने वा...