रविवार, 25 दिसंबर 2016

[25/12 2:11 pm] Acharya rajesh: मित्रो लेख थोङालंवा खिच गया क्षमा चाहुगा माना जाता है जो अंक हमसे जुड़े होते हैं, वे हमारी किस्मत पर प्रभाव डालते हैं। क्या ऐसा सच में होता है? क्या अंक ज्योतिष कारगर है? या फिर हमें खुद की क्षमता को बढाने पर ध्यान देना चाहिए? : एक दिन कोई उद्योगपति मुझसे मिलने आए थे उन्होंने अपना विजिटिंग कार्ड दिया। थोड़ी देर बातें करते रहे विदा लेकर निकलते हुए जरा हिचकते हुए खड़े रहे। आखिर पूछ ही दिया : आचार्य जी मेरे साथ बात करते समय आप बीच बीच में ‘रमियान’ ‘रमियान’ कह रहे थे। उस मंत्र का क्या अर्थ है मैं चौंक उठा उनका दिया विजिटिंग कार्ड दिखाते हुए मैंने कहा : यही तो आपका नाम है कार्ड में Rhamean ही तो लिखा है ‘‘नहीं महाराज मेरा नाम रमन है। न्यूमरालॅजी के ज्योतिषी ने परामर्श दिया था कि मेरे नाम को अँग्रेजी में इस तरह लिखा जाए तो व्यवसाय में सफलता मिलेगी मैं अपनी हँसी रोक नहीं पाया। मनुष्य ने ही तो अंकों और अक्षरों को रूप दिया है। फिर वे कैसे मानव की किस्मत बना सकते हैं? बताइए, आप अपनी क्षमता के बूते पर उद्योग खड़ा करेंगे या अंकों पर विश्वास करके? नंबर क्या कर सकते हैं?अगर किसी ने कहा दिया कि अंक दो आपके लिए भाग्यशाली है तो क्या आप आँख मूँदकर उस पर विश्वास कर बैठेंगे ज्योतिषी के कहने पर अपना हाथ या पैर काट डालेंगे? कितनी मुरखो वाली वात हमने अपनी सुविधा के लिए दिन, वार और संख्याओं की व्यवस्था की थी। क्या ये सब चीजें हमारे जीवन को तय कर सकती हैं प्राणवान होकर आप लोग जो बेवकूफियाँ करते हैं उनके लिए बेजान ग्रहों को जिम्मेदार ठहराना कितनी बड़ी कायरता है। ग्रहों में जो स्पंदन होते हैं, उनका असर पृथ्वी पर पड़ सकता है। लेकिन जिन लोगों का मन संतुलित है, उन पर इन स्पंदन झेलने की ताकत हो सकती है कार्य आरंभ करने से पहले आप ज्योतिषी के पास जाएँगे। अगर वे कह दें कि कार्य में सफलता मिलेगी तो आप उसी पर विश्वास करते हुए पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करेंगे। अगर वे कहें कि सफलता नहीं मिलेगी तब निराशा के मारे लगन के साथ काम नहीं करेंगे। तब ज्योतिषी के पास जाने का मतलब ही क्या है?आधे-अधूरे काम करेंगे तो सफलता कहाँ से मिलेगी इच्छित वस्तु को पाना हो तो अपनी क्षमता बढ़ा लीजिए। खेलने के लिए उतरने से पहले ही परिणाम पाने की इच्छा न करें। अपने काम की जिम्मेदारी स्वयं लेने की आदत डालें।फिर भी पुरी दुनियामे कितनी भाषा वोली जाती है ओर कितने तरह के अक्षर है इसलिए अंक ज्योतिष, रामशलाका, भैरव ज्ञान, नंदी नाड़ी, स्वर ज्योतिष, क्रिस्टल बॉल, रमल ज्योतिष जैसे उपाय चलन में आए। भविष्य जाने की इन विधाओं के बावजूद फलित ज्योतिष ज्यादा xलोकप्रिय रहा है, वजह उसकी समझ में आने वाला वैज्ञानिक आधार और लम्बी परंपरा वैदिक ज्योतिष भारतीय ज्योतिष विधि में सबसे प्रमुख है। यह वेद का हिस्सा है जिसे वेद की आंखें भी कहते हैं। इसमें जन्म कुण्डली के आधार पर भविष्य कथन किया जाता है। इस विधि से भविष्य जानने के लिए जन्म समय, जन्मतिथि एवं जन्म स्थान का ज्ञान होना आवश्यक होता है। महर्षि पराशर और जैमिनी दोनों ही समकालीन थे। इन दोनों ऋषियों ने वैदिक ज्योतिष के आधार पर भविष्य आंकलन की नई विधि को जन्म दिया।जैमिनी पद्धति दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। यह पद्धति वैदिक ज्योतिष से मिलती-जुलती है परंतु इसके कुछ अपने सिद्धांत और नियम हैं। जो ज्योतिषशास्त्री जैमिनी और पराशरी ज्योतिष दोनों से मिलाकर भविष्य कथन करते हैं उन्हें परिणाम काफी सटीक मिलते हैं। प्रश्न कुण्डली प्रश्न पर आधारित ज्योतिषीय विधि है; जिन्हें अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान का ज्ञान नहीं होता उनके लिए यह ज्योतिष विधि श्रेष्ठ मानी जाती है। इन विधियों की सच्चाई या विश्वसनीयता के बारे मे मेरा मानना यह हे ' कि ज्योतिष के रहस्य प्रामाणिक व्यक्ति के सामने ही खुल कर आते है, जो विद्या भूत भविष्य के बारे में सटीक जानकारी देती हो वह इतनी कमजोर और सहज नहीं हो सकती की जिस तिस के सामने उसके गूढ़ अर्थ उजागर हो जाएं। गणित या भूगोल जैसे प्रतिदिन काम आने वाले विषयों के बारे में आधिकारिक प्रवेश के लिए एक न्यूनतम अनुशासन होना जरूरी है। उसके बिना इन विद्याओं का क ख ग भी पता नहीं चलता इसलिए ज्योतिष जैसे गूढ़ विषय में अधिकार की शर्तें या पात्रता तो और भी गंभीर है। ईमानदारी और निस्वार्थ भावना पहली शर्त है, इसके बिना कोई व्यक्ति इस विषय का जानकार तो हो सकता है पर आधिकारिक विद्वान नहीं, की उसकी की हुई गवेषणा सही निकले। भविष्य जानने की अन्य विधाओं का भी अलग-अलग नियम है, उन पर भी गौर किया जाना चाहिए।आज ईतना ही । आचार्य राजेश

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