आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
गुरुवार, 29 दिसंबर 2016
सामान्यतयः लग्न लगभग दो घंटे तक एक ही रहती है फिर भी जिस तरह दो व्यक्तियों के अंगूठे का निशान , आँखोँ के रैटीना की डिजायन या हृदय की धड़कन एक जैसी नहीं हो सकती ठीक उसी तरह कभी भी दो व्यक्तियों की जन्मकुंडली एक जैसी नहीं हो सकती है l यहाँ तक कि एक ही स्थान पर एक ही माँ से जन्म लेने वाले दो जुड़वाँ बच्चो की जन्मकुंडली भी एक जैसी नहीं हो सकती है क्योकि स्थूल रूप से देखने पर लग्न कुण्डली, चन्द्र कुण्डली, नवमांश कुण्डली, चलित कुण्डली तो एक जैसी ही दिखती है किन्तु जब कुण्डली के विस्तृत विश्लेषण की बात आती है तो विद्या के लिये चतुर्विशांश, बलाबल के लिये सप्तविशांश, अरिष्ट गणना के लिये त्रिविशांश, सुख कि गणना के लिये षोडशांश आदि कुंडलियाँ बनानी पड़ती है, जो कि एक ही लग्न में लगभग हर 2 मिनट बाद बदलती रहती है I अन्य अधिक बारीक़ गणना की स्थिती में प्रत्येक 3 सेकेंड के अन्तराल पर कुंडलियों का सूक्ष्म विश्लेषण बदलता रहता है I ऐसी स्थिती में यह आवश्यक हो जाता है कि जन्म के सही समय की गणना सटीकता से की जाये ।अव राशी फल ईस लिऐ भी वोगस हो जाता है जेसा मैने पहले भी कहा है 6 अरव की आवादी पुरे विश्व की है 12 राशीया अव 50 करोङ के लग भग ऐक राशी के लोग जिसमे वच्चे वुढे जवान ओर ईसमे भी सभी अलग अलग काम घन्घे वाले तो राशी फल संभव ही नही कोई भी समझदार जातक राशीफल को वोगस ही कहेगा हा गोचर से हम देश काल मे होने वाले घटना से संबंध का अनुमान लगाया जा सकता है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कर्म फल और ईश्वर
परमात्मा हमारे/मनुष्यों के कर्मों का फल स्वयं देने नहीं आता। वह ऐसी परिस्थिति और संयोग बनाता है, जहाँ मनुष्य को फल मिल जाता है। यूं कहें कि ...
-
https://youtu.be/hb9Ouf_rST4 मित्रों आज बात करेंगे बुध और शनि की युति जब एक ही भाव में एक साथ हो या किसी भी तरह की युति बन रही है, तो कल क्य...
-
लक्ष्मी योग शुभ ग्रह बुध और शुक्र की युति से बनने वाला योग है।बुध बुद्धि-विवेक, हास्य का कारक है तो शुक्र सौंदर्य, भोग विलास कारक है।अब ये द...
-
जब किसी के जीवन में अचानक परेशानियां आने लगे, कोई काम होते-होते रूक जाए। लगातार कोई न कोई संकट, बीमारी बनी रहे तो समझना चाहिए कि उसकी कुंडली...
-
दशम भाव ज्योतिष भाव कुडंली का सबसे सक्रिय भाव है| इसे कर्म भाव से जाना जाता है क्यूंकि ये भाव हमारे समस्त कर्मों का भाव है| जीवन में हम सब क...
-
https://youtu.be/I6Yabw27fJ0 मंगल और राहूजब राहु और मंगल एक ही भाव में युति बनाते हैं, तो वह मंगल राहु अंगारक योग कहलाता है। मंगल ऊर्जा का स...
-
मालव्य योग को यदि लक्ष्मी योगों का शिरोमणी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं। मालव्य योग की प्रशंसा सभी ज्योतिष ग्रन्थों में की गई है। यह योग शुक्...
-
https://youtu.be/9VwaX00qRcw ये सच है कि हर रत्न इस धरती पर मौजूद हर व्यक्ति को शोभा नहीं देता है. इसे पहनने के लिए ज्योतिष की सलाह आवश्यक ह...
-
-
आचार्य राजेश ईस बार मलमास 15 दिसंबर से आरंभ हो रहा है जो 14 जनवरी 2018तक रहेगा। मलमास के चलते दिसंबर के महीने में अब केवल 5 दिन और विवाह मुह...
-
मित्रों आज वात करते हैं फिरोजा रतन की ग्रहों के प्रभाव को वल देने के लिए या फिर उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए ज्योतिष विज्ञान द्वारा विभि...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें