आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
मंगलवार, 27 दिसंबर 2016
*वर्ष - 2017* *•• शनि राशि बदलकर धनु में प्रवेश करेगा, सीधे मूला-नक्षत्र में संचार* *करेगा । गुरु बृहस्पति शत्रु राशि में है और निर्बल है । गुरु बृहस्पति के निर्बल होने से सुधार और रचनात्मकता की प्रक्रिया थमी रहेगी और पाप ग्रह उत्पात करेंगे । राहु-केतु - वर्ष के मध्य में राशियां बदलेंगे । ये ग्रह-योग दर्शाते हैं कि - ये वर्ष सहज और सरल नहीं है ।* *ये वर्ष - समय, सम्बन्ध और संचार की जटिलता का है । समय निरंतर बदलता रहेगा और असमंजस तथा उलझनों का निर्माण करता रहेगा । संबंधों की नयी परिभाषा बनेगी और वैचारिक मतभेद - संबंधों की सीमायें तय कर देंगे । संचार पर निर्भर रहने वाली ये दुनियाँ खुद को अफवाओं से नहीं बचा पायेगी और ये काम संचार माध्यम खुद ही करेगा । लोग अपने आप में सिमट जायेंगे और किसी पर विश्वास नहीं करेंगे ।* *संचार और संबंधों का कारक बुध है - शनि - बुध के नक्षत्र - ज्येष्ठा में है । गुरु बृहस्पति - बुध की राशि कन्या में है । इसलिये बुध बुनियाद में है । जैसे ही शनि - धनु-राशि में प्रवेश करेगा - बुध की बुनियाद हिल जायेगी । केतु का नक्षत्र बुध के प्रभाव को समाप्त कर देगा और समय रहस्यमय आवरण से लिपट जायेगा । केतु रहस्यमयी ग्रह है और बुध का शत्रु है । इससे संबंधों की नयी परिभाषा बन जायेगी और संचार माध्यम अफवाओं को जन्म देने लगेगा अर्थात संचार माध्यम भय का वातावरण निर्माण करने लगेगा । शनि जोकि समय का कारक है । पहले बुध के नक्षत्र से केतु के नक्षत्र में संचार करेगा फिर केतु के नक्षत्र से बुध के नक्षत्र में संचार करेगा । नक्षत्र तो अदल-बदल करेगा ही राशियां भी बदलेगा । ऐसा वो 21 ऑक्टोबर तक करता रहेगा । अर्थात लगभग पूर्ण वर्ष ऐसा ही करता रहेगा । इससे संपूर्ण वर्ष - समय की उथल-पुथल चलती रहेगी और लोग भविष्य की योजनायें नहीं बना पायेंगे । गुरु बृहस्पति संपूर्ण वर्ष शत्रु राशियों में संचार करता रहेगा । पहले कन्या राशि में फिर वर्ष-मध्य से तुला राशि में संचार करेगा जिससे उसकी निदान प्रस्तुत करने की क्षमता प्रभावित होगी । लोग समस्याओं के उपाय और परिहार नहीं तलाश कर पायेंगे ।* *बुध के कारण ही संचार व्यवस्था ठप्प हो सकती है, लोग अपने फोन इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे तथा इंटरनेट व्यवस्था बाधित हो सकती है और आपस के संपर्क-सम्बन्ध टूट सकते हैं । जन-साधारण को वैकल्पिक* *व्यस्थाओं के विषय में सोचना होगा ।* *26 जनवरी, 2017 को शनि - धनु राशि में प्रवेश करेगा और इसके साथ ही केतु के नक्षत्र मूला में भी संचार करने लगेगा । मूला नक्षत्र चमकदार, अग्निकारक और मोक्ष कारक है । शनि धर्म-पारायण, कर्तव्य-पारायण और कर्म-कारक है । मूला नक्षत्र से इसका तालमेल धर्म की कट्टरता को बढ़ावा देगा । धार्मिक कट्टरतावाद से दुनिया का तीव्रता से ध्रुवीकरण होगा और मोक्ष-कारक केतु के प्रभाव से मृत्यु दर बढ़ेगी । आतंकवाद का एक नया चेहरा सामने आ सकता है । शनि के कारण दुनियाँ कर्मफल की और अग्रसर होगी और जिसने जैसा किया है उसे वैसा फल मिलेगा । युद्ध के बादल और घने होंगे तथा रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से दुनियाँ सिहर सकती है । केतु - रसायन का कारक है अचानक चौका देने का फल कर सकता है* *खाड़ी देशों को विशेष रूप से याद रखना होगा क्योंकि धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा उठापटक वही होती आयी है । युद्ध की आग तो वहां सुलग ही रही है - शनि के वक्रि होते ही ये आसपास फ़ैल सकती है ।* *ऐसी शंकायें भी हैं कि - इस बार विश्व-युद्ध देशों के बीच नहीं बल्कि सभ्यताओं के बीच होगा ।* *ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, पाकिस्तान, भारत और दुनियां भर में कई जगहों पर आतंकवादी हमलों से ऐसा वातावरण लगभग तैयार भी हो चुका है ।* *दुनियां में जब शक्ति-संतुलन* *बिगड़ने लगे, एक साथ कई शाक्ति-स्तंभ उभर आयें और छोटे-बड़े देश एक-दूसरे पर दबाव बनाने लगे तो* *समझना होगा कि - तृतीय विश्व-युद्ध की भूमिका बन रही है* *केतु - शनि की राशि में है और शनि - केतु के नक्षत्र में होगा - ये योग भयंकर अग्निकांडों को जन्म दे सकता है । गुरु बृहस्पति और शनि के निर्बल होने से 'वायु-तत्व' के अनुपात में घटबढ़ होगी जिससे आंधी-तूफ़ान और* *वायुयान दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जायेगी । बुध के नक्षत्र से निकलकर केतु के नक्षत्र में संचार और फिर अचानक वक्रि होकर फिरसे बुध के नक्षत्र में* *प्रवेश से शनि - व्यापार-व्यवसाय को और शेयर मार्केट को अकल्पनीय उतार-चढ़ाव प्रदान कर सकता है ।* *बीच-बीच में जब कभी गुरु बृहस्पति को बल मिलेगा तो कुछ राहत अथवा सुधार की संभावना होगी लेकिन इससे भरपाई और सुधार उतना नहीं हो पायेगा जितनी हानि होगी । बुध के नक्षत्र में वक्रि शनि के लौट आने से भी हालात के बेहतर होने का अंदेशा होगा जबकि हालात और खराब होंगे । ये वर्ष राहु-केतु और शनि के प्रभाव का है । इनकी सक्रियता दुनियाँ में उथल-पुथल प्रकट करेगी । हालांकि समय-समय पर शुक्र, बुध और चंद्र शुभ होकर कुछ समय की राहत और शाँति दे सकते है और ऐसे ही समय में जन-साधारण को अपने कार्य बना लेने का प्रयास करना होगा । समय कम होगा और कार्य अधिक लेकिन जितना बन सके उतना बना लेना ही बुद्धीमानी होगी । ऐसे समय में अपने विवेक से काम लेना होगा और तत्पर बुद्धी से कार्य करना होगा*
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