सोमवार, 20 अगस्त 2018

जन्म कुंडली में दसवें घर (दशम भाव)

दशम भाव ज्योतिष भाव कुडंली का सबसे सक्रिय भाव है| इसे कर्म भाव से जाना जाता है क्यूंकि ये भाव हमारे समस्त कर्मों का भाव है| जीवन में हम सब कर्म करते रहते हैं और अपनी आजीविका कमाना भी एक कर्म है| इसीलिये किसी भी तरह का व्यवसाय कर्म से सम्बंधित है| 

दशम भाव directly कर्म को control करता है|कर्म को दशम भाव में क्यों रखा गया है? पहली बात दशम भाव को कुंडली का Zenith – सर्वोच्च शिखर भाव माना जाता है और चूंकि कर्म करते रहना जीवन है, अकर्मण्य होना मृत्यु, तो ऐसे महत्वपूर्ण subject को सर्वोच्च शिखर भाव में ही रखा जाना चाहिये| दूसरी बात दशम भाव पंचम भाव से छठा भाव है – हमारे पूर्व कर्मों के सबसे अनजाने तथ्य दशम भाव में है क्यूंकि पंचम भाव पूर्व पुण्य भाव है और हमारे इस जन्म के कर्म हमारे पूर्व पुण्य कर्मों से directly related हैं| शास्त्र कहते हैं की लग्न कमजोर हो, पंचम भाव पीड़ित हो, और नवम भाव भी बलहीन हो यानी तीनों महत्वपूर्ण शुभ त्रिकोण भाव पीड़ित हों और सिर्फ दशम भाव ही strong हो, तो भी वो जातक लम्बी, सफल और उन्नत जीवन जीने में सक्षम हो जाता है|स भाव केद्वाराअधिकार,ऐश्वर्य-भोग, यश-प्राप्ति, नेतृत्व, प्रभुता, मान-प्रतिष्ठा, राज्य, नौकरी, व्यवसाय कीर्ति, व्यापार,शरीर के अंगों मेंघुटना,विदेशयात्रा,आत्मविश्वासव्यक्ति के कार्यक्षेत्रकाविश्लेषण,अधिकारी,अधिकार व अधिकारों प्रयोग।सम भाव का स्वामी और एकादस भाव का स्वामी सिर्फ शनि को माना गया है और कारक दसम भाव का कर्म को माना गया है दसम भाव ही कर्म करने की प्रेरणा देता है इसके और कारक जैसे सूर्य, बुध भी माने जाते हैं पर मुख्यता शनि को को इसका अधिकार मिलता है, वहीँ ग्यारह भाव का स्वामी भी शनि ही बनता है जिसका कारक गुरु को बनाया गया इससे यही निष्कर्ष निकलता है की शनि रुपी करम जो के धीमी गति से चलता रहता है वही एकादस के रूप में धीमी गति से गुरु के रूप में कैश फ्लो भी निरंतर देता रहता है यानी करम करोगे तभी फल के हकदार बन पायोगे यही शनि का सन्देश है और शनि का एक और भी सन्देश है की निष्काम भाव से किये हुए करम का असली फल गुरु के रूप में मिलता है , शनि सिर्फ और सिर्फ करम वो भी असली करम यानी वह करम जिससे किसी को हानि न पहुंचे उसका फल ज़रूर अच्छा देता है और गलत करम हालांकि हम कहीं ना कहीं करम करने को मजबूर भी होते हैं परन्तु विवेक और बुधि का इस्तेमाल तो खुद ही करना पड़ता है उस रूप में भी शनि का न्याय चक्र हमें नहीं छोड़ता उसकी चाहे जितनी पूजा कर लो, व्रत रख लो मंत्र पढ़ लो इससे शनि कभी प्रभावित नहीं होते , शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए हमें सही कर्म करने पढेंगे तभी शनिदेव हमारी पुकार सुनेगें नहीं तो ये कुछ ऐसा हुआ के कबूतर ने बिल्ली को देखा और आँखें बंद कर ली उससे तो बिल्ली उसे ज़रूर खाएगी सो कर्म की असली परिभाषा को समझते हुए ही कर्म करेंगे तो ज़रूर अच्छा फल मिलेगा !दशम भाव को 'किस्मत की बुनियाद का मैदान' कहा है। किस्मत की बुनियाद कर्म है। कर्म की नीव पर ही भाग का भवन खड़ा होता है। अतः किस्मत की बुनियाद का मैदान हुआ कर्म का छेत्र।"ग्रहमंडल 9 से ही टेवे ,घर दसवें जब बैठा हो,6 पाँचवे चाहे दोस्त उसके ,दुगुनी जहर का होता है"उस समय निश्चित रूप से नही कहा जा सकता है कि ग्रह अच्छे फल देगा या अनिष्ट करेगा। इतना निश्चित है की वह जो भी फल देगा, दुगने वेग का देगा। शकी ग्रह कैसा फल देगा? इस बात का अनुमान ही लगाया जा सकता है। चन्द्रमा शुभ स्तिथि में हो तो अच्छा फल दुगना हो सकता है।दूसरा भाव भी चंगा हुआ तो शक का ग्रह दुगना शुभ फल दे सकता है। आठवां भाव पीड़ित हुआ तो शक का ग्रह दोगुना बुरा फल दे सकता है। दशम में दो शत्रु ग्रह हुआ तो दोनों लड़ते रहेंगे। उस स्तिथि में भी फल का अनुमान चन्द्रमा की स्तिथि से लगाया जा सकता है।चतुर्थस्थ ग्रह दसवें भाव को देखता है। दसवाँ भाव खाली हुआ तो वे अशुभ फल देते है। दूसरा घर खाली हुआ तो दसवाँ ग्रह सो जाता है ।"घर दूजे के खाली होते, दसवाँ फ़ौरन सोता है"राहु, केतु, बुध इस भाव में हमेशा शक के ग्रह होते है। उनका फल शनि की स्तिथि पर निर्भर करता है। शनि चंगा हुआ तो इनका फल दुगुना चंगा और शनि मंदा हुआ तो इनका फल दुगुना मंदा होताहै अंधे और शक के ग्रहों के अनिष्ट फल के निवारण के लिए माता -पिता से मिलकर चलना चाहिए। दस अंधे व्यक्तियों को मुफ्त में भोजन -सामग्री बाँटनी चाहिए।लाल किताब केअनुसार :मैदाने किस्मत’’ग्रह 10वे का घर 10 शक्की, दुगनी ताकत का हेाता हो;आंख बना है घर दो जिसकी, ख्वाब 12 से लेता हो’’कुण्डली के खाना नम्बर 10 को लाल किताब में किस्मत की बुनियाद का मैदान कहा गया है। अगर खाना नम्बर 10 रद्दी ग्रहोें से रद्दी हो रहा हो तो टेवा अन्धे ग्रहों का होगा। चाहे (ख्वाह) तमाम ग्रह उच्च घरों के हों पर अन्धे की तरह अपना फल देंगे। यह सहन (मकान के बीच या सामने का मैदान या आँगन) है नम्बर 4 का और इसका मुन्सिफ (न्यायकर्ता/इंसाफ करने वाला/दिवानी न्यायलय का एक उच्च पदाधिकारी) होगा चन्द्र।इस घर बमुजिब वर्षफल आया हुआ ग्रह धोखे का ग्रह होगा जो अच्छा बुरा दोनों ही तरफ हो सकता है।  नम्बर 8 मन्दा हो तो दुगना मन्दा और नम्बर 2 नेक हो तो दुगना उम्दा होगा। अगर दोनों तरफ बराबर तो अच्छा असर पहले और बुरा असर बाद में होगा। अगर नम्बर 8 व 2 दोनों ही खाली हों तो नम्बर 3, 5, 11 के ग्रह मददगार होंगे।  अगर वह भी खाली हों तो फैसला सनीचर की हालत पर होगा। जब नम्बर 10 में आपस में (बाहम) लड़ने वाले कोई भी ग्रह बैठे हों तो वह टेवा अन्धे ग्रहों का होगा। यानि वह ग्रह हूबहू ऐसे ही ढंग पर असर देंगे, जिस तरह दुनिया में अन्धा प्राणी चलता फिरता है। ऐसी हालत में फैसला चन्द्र की हालत पर होगा। यानि अगर चन्द्र उम्दा तो असर उम्दा वर्ना मन्दा फल लेंगे। अपने माता पिता से मिलते रहना मदद देगा। 10 अन्धे मर्दों को इकट्ठा ही मुफ्त खुराक तकसीम करना खाना नम्बर 10 के ग्रहों की ज़हर धो सकेगा।  अगर खाना नम्बर 10 खाली ही हो तो खाना नम्बर 4 के ग्रहों का कोई नेक फल न हो सकेगा। चाहे (ख्वाह) उस घर में रिज़क के चश्मे को उभारने केे लिए ग्रह लाख दर्जा ही उम्दा क्यों न हो । राहु केतु बुध तीनों ही इस घर में हमेशा शक्की होंगे। जो शनीचर की हालत पर चला करते हैं। यानि अगर सनीचर उम्दा तो दो गुणा उम्दा और अगर शनीचर मन्दा तो दो गुणा मन्दा असर देंगे।

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