गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

चंद्र राहु की युति एक साथ (ग्रहण योग))

जब किसी के जीवन में अचानक परेशानियां आने लगे, कोई काम होते-होते रूक जाए। लगातार कोई न कोई संकट, बीमारी बनी रहे तो समझना चाहिए कि उसकी कुंडली में कोई दोष है जी हां मित्रो एक बहुत ही बुरे योग कि मैं बात कर रहा हूं चंद्र और राहु की युति जिसको हम ग्रहण दोष भी कहते हैंयह उस ग्रह की पूरी शक्ति समाप्त कर देता है।

यह उस ग्रह और भाव की शक्ति खुद लेलेता है।ह उस भाव से सम्बन्धित फ़लों को दिलवाने के पहले बहुत ही संघर्ष करवाता है फ़िर सफ़लता देता है।

कहने का तात्पर्य है कि बडा भारी संघर्ष करने के बाद सत्ता देता है और फ़िर उसे समाप्त करवा देता हैराहु और चन्द्र किसी भी भाव में एक साथ जब विराजमान हो,तो हमेशा चिन्ता का योग बनाते है,राहु के साथ चन्द्र होने से दिमाग में किसी न किसी प्रकार की चिन्ता लगी रहती है,पुरुषों को बीमारी या काम काज की चिन्ता लगी रहती है,महिलाओं को अपनी सास या ससुराल खानदान के साथ बन्धन की चिन्ता लगी रहती है। राहु और चन्द्रमा का एक साथ रहना हमेशा से देखा गया है, कुंडली में एक भाव के अन्दर दूरी चाहे २९ अंश तक क्यों न हो,वह फ़ल अपना जरूर देता है। इसलिये राहु जब भी गोचर से या जन्म कुंडली की दशा से एक साथ होंगे तो जातक का चिन्ता का समय जरूर सामने होगा। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिले, जो सिर्फ पहेलियों में ही बातें करता हो, तानाकशी में विश्वास करता हो, हड़बड़ाया-सा लगता हो, तथ्य छुपाने की वृत्ति हो तो तय कर लें कि उस व्यक्ति की कुंडली में कहीं न कहीं चंद्र-राहु युति मौजूद हो रमानी जा सकती है 

चंद्र-राहु युति ग्रहण योग भी कहलाती है। राहु की गूढ़ता चंद्र की कोमलता को प्रभावित करती है और व्यक्ति शंकालु, हीन मानसिकता वाला और गूढ़ बनता जाता है।यह युति मानसिक तनाव को बढ़ाती है। परिस्थिति में ढलने की क्षमता कम करती है। ये व्यक्ति जल्दी डिप्रेशन, मानसिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। हि‍स्टीरिया, मिर्गी जैसे रोग भी देखे गए हैं। यह युति ऊपरी बाधा, गुप्त शत्रु, पानी से खतरा दिखाती है। वैवाहिक जीवन में भी तनाव निर्माण करती है। 

अन्य योग प्रबल हो तो चंद्र-राहु की गूढ़ता व्यक्ति को रहस्यकथाओं का लेखक, जादूगर आदि भी बना सक‍ती है।दो विपरीत ग्रह, एक दूसरे के शत्रु ग्रह किंतु अनेक प्रकार से समान भी हैं। दोनों ही धन तथा यात्रा के कारक ग्रह हैं। इन दोनों ग्रहों की युति यदि कुंडली के 3, 7 भावों में हो तो ऐसे जातक को अधिकाधिक यात्राएं करनी पड़ती हैं। नवम भाव में यही युति धार्मिक यात्रा का कारण भी बनती है। सप्तम भाव में व्यापार से संबंधित यात्राएं, लग्न में चंद्र+राहु की स्थिति स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होती है। दोनों ही ग्रह त्वचा के कारक भी हैं अतः लग्नस्थ चंद्र±राहु ग्रहण योग का निर्माण कर त्वचा रोग तथा मानसिक बेचैनी का कारण बनता है। इन पर यदि बुध का दूषित प्रभाव हो तो परिणाम और भी घातक होते हैं।

चंद्रमा जल का कारक ग्रह है और राहु ‘शीशे’ का प्रतिनिधित्व करता है। परिणामतः उत्तम चंद्रमा वाले जातक का मन सदैव जल के समान निर्मल होता है। जब चंद्र + राहु पर गुरु की शुभ दृष्टि आ रही हो तो ऐसे जातक का जीवन के प्रति दृष्टिकोण सदैव शीशे की तरह पारदर्शी एवं निष्पक्ष होता है। एकादश भाव में यदि यह योग शुभ प्रभाव लेकर आ जाये तो अचानक धन लाभ भी देता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी होकर चंद्रमा राहु के साथ द्वादश भाव में युति बनाये तो यह योग विदेश यात्रा का कारक भी होता है।इन दोनों ग्रहों की युति कुण्डली में होने पर व्यक्ति रहस्यमयी विद्याओं में रूचि रखते हैं. अगर आपकी कुण्डली में यह युति बन रही है तो शिक्षा प्राप्त कर आप वैज्ञानिक बन सकते हैं. शोध कार्यों में भी आपको अच्छी सफलता मिल सकती है.। जब किसी के जीवन में अचानक परेशानियां आने लगे, कोई काम होते-होते रूक जाए। लगातार कोई न कोई संकट, बीमारी बनी रहे तो समझना चाहिए कि उसकी कुंडली में ग्रहण दोष लगा हुआ है। उस स्थिति में आप अपनी कुंडली किसी अच्छे एस्ट्रोलॉजर को दिखलाएं जहां हमसे भी आप संपर्क कर सकते हैं और उनका उपाय प्राप्त कर सकते हैं

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