मंगलवार, 20 मार्च 2018

रत्न फिरोजा Gemstone

मित्रों आज वात करते हैं फिरोजा रतन की ग्रहों के प्रभाव को वल देने के लिए या फिर उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए ज्योतिष विज्ञान द्वारा विभिन्न प्रकार के रत्न प्रदान किए गए हैं। 
यह रत्न हमारे जीवन को सुधारने और यहां तक कि कई रोगों से लड़ने में भी सहायक सिद्ध होते हैं।या फिर समस्याओं दूर करने के लिए रत्नों का सहारा लिया जाता है।
वैसे पहले भी हम आपको कई रत्नों जैसे पुखराज, सफेद मोती आदि के बारे में बता चुके हैं इसी कड़ी में आज आपको बताएंगे 'फिरोजा' के बारे में। ये एक ऐसा रत्न है जो दुश्मनों से भी आपको विजय दिला सकता है और आपकी सारी समस्याएं भी सुलझ जाती है। ज्योतिष की मानें तो यह रत्न पूर्ण रूप से वैज्ञानिक हैं और निश्चित समय में काम करना आरंभ कर देते हैं।फिरोजा 16 वीं सदी के आसपास फ्रेंच भाषा के तुर्की (Turquois) से प्राप्त हुवा था। यह गहरे नीले रंग का रत्न है। इस के नाम मे बहोत सारे सहस्य है।  इसे पहनने से बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकताहै फिरोजा नफरत को शांत कर निश्छल प्रेम बढ़ाता है। 

इस रत्न के विषय में माना जाता है कि स्वयं खरीदकर धारण करने की बजाय किसी से उपहार मिलने पर इसका असर ज्यादा होता है। किसी के प्रति अपना प्रेम प्रकट करना हो, तो उसे फिरोजा की बनी मुद्रिका भेंट करनी चाहिए। यह प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी, अथवा मित्र किसी को भी भेंट की जा सकती है। इसमें अनुराग का रंग चढ़ा होता है। अगर पहले से प्रेम अंकुरित है, तो वह पल्लवित होगा, पुष्पित होगा और अंत में फलित भी होगा। यदि पहले से कुछ न हो, तो तब भी प्रेम अंकुरित होने लगेगा। विवाहित युगल एक जैसी दो अंगूठियां फिरोजा की बनवाएं और प्रेमपूर्वक एक दूजे को पहनाएं, तो प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। यदि किसी प्रकार का मतभेद है, तो वह समाप्त हो कर निकटता बढ़ेगी। दो मित्र, अथवा दो सहेलियां भी अपने प्रिय को फिरोजा की अंगूठी, अथवा लाॅकेट भेंट करें, तो मित्रता का रंग चोखा चढ़ेगा। फिरोजा में सात्विक किस्म की वशीकरण शक्ति होती है। एक विशेष प्रयोग के बारे में लिखा जा रहा है। तीन मित्र थे। तीनांे में से दो में किसी बात को ले कर मतभेद हो गया। एक ही शहर में रह कर दोनों ने पांच साल तक बोलचाल बंद रखी। तीसरे मित्र ने, जो दोनों का परम मित्र और शुभ चिंतक था, एक ही तरह की तथा एक ही वजन की तीन फिरोजा की अंगुठियां बनवायीं। अभिमंत्रित होने के बाद तीनों मित्रों ने अंगुठियां पहनीं। दोनों फिरोजा पहने रूठे मित्रों को आपस में हाथ मिलाते देर नहीं लगी।  इस परोपकारी रत्न के अनेक नाम हैंः संस्कृत में पेरोजक, पैरोज, व्योमाभ, नीलकंठक, फारसी में फिरोजा  फिरोजा फारस (नौशपुर नामक स्थान) तिब्बत, अफगानिस्तान, मिस्र, अमेरिका एवं तुर्की ईरान दक्षिण ऑस्ट्रेलिया. में चीन, ब्राजील, मेक्सिको, संयुक्त राज्य अमरीका, इंग्लैंड, बेल्जियम और भी बहोत  आदि देशों में पाया जाता है। इसका रंग गहरा नीला, आसमानी नीला और हरापन लिए होता है। शुद्ध नीले रंग की मांग अधिक होती है। तिब्बत में हरा रंग पसंद किया जाता है। गर्मी, तेज प्रकाश और पसीने से इसका रंग खराब हो सकता है। फिरोजा अपारदर्शक होते हुए भी अपने रंग की चमक के कारण सुंदर रत्नों की श्रेणी में आता है। फिरोजा का काठिन्य 5.6 से 6 तथा अपेक्षित गुरुत्व 2.6 से 2.8 तक होता है। रसायन शास्त्र के अनुसार यह एल्युमीनियम, लोहा, तांबा और फाॅस्फेट का यौगिक है। औषधीय गुण फिरोजा का शोधन करने के पश्चात भस्म, या पाक का औषधीय प्रयोग किया जाता है। यह प्रयोग अनुभवी चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही करना उचित है। यह नेत्र एवं वाणी दोष, मुंह और गले के रोग, उदर शूल और पुराने विष का प्रभाव नष्ट करता है। अनिद्रा रोग में भी यह लाभदायक है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि फिरोजा के धारक के निकट बिच्छु नहीं आता। उसे बिजली और पानी का भय नहीं रहता है।फिरोजा रत्न को शुक्र और शनि का मिश्रित रत्न माना जाता है. ज्योतिष में शुक्र और शनि की युति लैला मजनू की जोड़ी के नाम से प्रसिद्द है.शुक्र प्रेम का कारक ग्रह माना जाता है  इस रत्न को धारण करने से शुक्र का शुभ फल प्राप्त होता है। यह राहु एवं केतु के अशुभ प्रभाव को भी दूर करता है फिरोज़ा कमाल का हीलर होता है। ऐसा माना जाता है कि फ़िरोज़ा स्वर्ग और पृथ्वी के बीच ऊर्जावान पुल का काम करता है। प्राचीन काल से ही यह सुरक्षा तथा अच्छे भाग्य जैसे अपने आकर्षण गुणों के लिए जाना जाता रहा है। ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति फ़िरोज़ा उपहार में देता है तो इसके गुण सौ गुना बढ़ जाते हैं।: 
इसे धारण करने से रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है और प्रेम का संचार होता है। यही नहीं भविष्य में आने वाले संकटों से भी निजात मिलता है जैसे भूत प्रेत बाधा और दैवी आपदा जैसी भयानक शक्तियां अपना सिर नहीं उठा पाती।
कुछ ज्योतिषियों का यह मानना है कि यह दो ग्रहों के शुभ प्रभाव को बढाता है | अन्य कोई ऐसा रत्न नहीं है जो दो ग्रहों को शांत करता हो शनि और बुध मिलकर व्यक्ति को नपुंसक बनाते हैं और फिरोजा नपुंसकता को नष्ट करता है  जुए और सट्टे की लत से छुटकारा दिलाता है, शराब छुडवाने के लिए भी फिरोजा पहना जा सकता है | इसे पहनने से व्यक्ति कूटनीति में सफलता प्राप्त कर सकता है |
हर किसी को यह रत्न लाभ नहीं देता परन्तु जिस किसी को यह रत्न माफिक आ जाए उसका हर शत्रु से बचाव करता है | परिवार को मुसीबत से बचाता है विशेष रूप से पति और पत्नी बीच , नफ़रत को नष्ट करता है और प्यार बढ़ाता है।
काला जादू या तांत्रिक क्रियाकलाप में फिरोजा बहुत काम आता है | यदि फिरोजा पहना है तो भूत प्रेत और बुरी नजर से बचाव करता है | इसके अतिरिक्त फिरोजा ग्रह स्थिति के अनुसार अपना प्रभाव दिखाता है | फिरोजा यदि असली मिल जाए तो बेहद आकर्षक यह रत्न जितना सुन्दर लगता है उतना ही यह प्रभाव भी देता है फिल्म उमराव जान के एक सीन में फारुख शेख रेखा के बालों में आहिस्ता-आहिस्ता ऊँगलियाँ फिरा रहे हैं। इस बेहद खूबसूरत और रोमांटिक सीन में रेखा की काली जुल्फों के साथ जिस चीज पर कैमरा फोकस कर रहा है वह फारुख शेख के हाथ की एक ऊँगली में जगमगा रहा नैशापुरी फिरोजा है। लखनऊ में शूटिंग के दौरान नवाब मीर जाफर अब्दुल्ला की ऊँगली से उतरवाकर फिल्म के निर्देशक मुजफ्फर अली ने यह अँगूठी खास तौर पर फारुख शेख को पहनाई थीमुजफ्फर अली शिया मुसलमान हैं और कहीं न कहीं वह यह जरूर दिखाना चाहते थे कि शियाओं की एक पहचान फिरोजा रत्न भी है क्योंकि चौथे खलीफा हजरत अली और आठवें इमाम रजा फिरोजे की अँगूठी पहनते थे। ईरान स्थित नौशापुर का फिरोजा सबसे बेहतरीन माना जाता है। इराक के नजफ में हजरत अली के रौजे और ईरान के मशद में इमाम रजा की कब्र से मस (छुआ) कर फिरोजा पहनना शियाओं में सवाब (पुण्य) माना जाता है।
फिरोजे का इस्तेमाल सोने के जेवरों में भी हमेशा से खूब होता आया है। इसकी नीली चमक पीले सोने में खूब फबती है। इसे जवाहरात की श्रेणी में दूसरे नंबर पर रखा गया है। इस पर न तो तेजाब का असर होता है और न आग में पिघलता है। इसे पहनने से दिल के मर्ज में फायदा होता है। तबीयत को राहत और ताजगी बख्शता है। आँखों की रोशनी बढ़ाता है और गुर्दे की पथरी निकालता है। साफ और खुली फिजा में इसका रंग और ज्यादा खिल जाता है।| यह राहु एवं केतु के अशुभ प्रभाव को भी दूर करता है जो भ्रम और मानसिक उलझनों को बढ़ाने वाला ग्रह है। इसे धारण करने से ऊपरी चक्कर, भूत-प्रेत बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। इस रत्न को आम तौर पर दायें हाथ की कनिष्ठा, अनामिका, या मध्यमा उंगली में शुक्रवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है। शुक्रवार कुछ ज्योतिषी इसे बुधवार या शनिवार को धारण करने कि सलाह भी देते हैं.इसे लोग ब्रेसलेट में भी पहनते हैं. कहते हैं कि जब से सलमान खान ने इसे पहना, लाखो लोगों ने देखा-देखी इसे ख़रीदा (हालाँकि ब्रेसलेट में अक्सर नकली फ़िरोज़ा ही चलता है)
नोट : यह गुण आप लोगों की रुचि और ज्ञान के लिए लिख दिए जाते हैं, पर रत्न धारण कुंडली के सही विश्लेषण और अच्छे ज्योतिषी की सलाह पर ही धारण करने चाहिएं. कौन सा रत्न कब पहना जाए इसके लिए कुंडली का सूक्ष्म निरीक्षण जरूरी होता है।मैंने एक मामले में फ़िरोज़ा उतरवा कर ही उस जातक के लिए बहुत अच्छे परिणाम देखे हैं (उनके अनुभव मैंने कई बार शेयर भी किये हैं). उन के अटके हुए काम फ़िरोज़ा उतारने के बाद ही खुले !ज्योतिष में सभी को फिरोजा पहनने की सलाह नहीं दी जाती बल्कि कुछ खास लोगों को ही यह पहनाया जाता हैआज कल बाजार में नकली रत्न बहुत सारे आ रहे है, इसलिए रत्न लेने से पहले उसे पहले जाँच या परख कर के ही ख़रीदे ,रत्नों में अद्भूत शक्ति होती है. रत्न अगर किसी के भाग्य को आसमन पर पहुंचा सकता है तो किसी को आसमान से ज़मीन पर लाने की क्षमता भी रखता है. रत्न के विपरीत प्रभाव से बचने के लिए सही प्रकर से जांच करवाकर ही रत्न धारण करना चाहिए. ग्रहों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए. रत्न कुंडली दिखाकर ही पहने क्योंकी रत्नों का काम सूर्य से उर्जा लेकर उसे शरीर में प्रवाहित करना होता है ,अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान या कुंडली विश्लेषण हेतु संपर्क कर सकते  हैं या असली ओर लैवटैस्ट रतन रैना चाहते हैं तो भी आप हमारे नम्वरो पर वात कर सकते हैं 07597718725-09414481324 आचार्य राजेश

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