रविवार, 2 दिसंबर 2018

शेयर बाजार ओर ज्योतिष

ज्योतिष का अच्छा ज्ञान होने के कारण मैंने अक्सर कुंडली (kundli, horoscope) और शेयर मार्किट में होने वाले फायदे और नुक्सान के संबंधों पर विशेष ध्यान दिया है. इसके साथ ही मुझे कई लोगों को स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग सिखाने का मौका मिला.

 इस दौरान मैंने उनकी कुंडली का भी अध्ययन किया और यह पाया की ग्रहों की दशा का असर, आपकी ट्रेडिंग और निवेशक के द्वारा लिए जाने वाले निर्णय पर पड़ता है. मेरे कई जातकोऔर साथी ट्रेडर्स, निवेशकों ने कई बार ऐसे स्टॉक्स (stocks), फ्यूचर या आप्शन (पुट और कॉल) ख़रीदे और नुक्सान उठाया जिनमें की सामान्य दशा में वह कभी भी ट्रेड नहीं करते. ऐसे में मेरे पास सलाह के लिए आने पर मुझे उनकी कुंडली (kundali, kundli, horoscope) देखने का मौका मिला और यह पाया की ज्यादातर ऐसे निर्णयों के लिए उनकी ग्रह दशा जिम्मेदार थी. भारतीय ज्योतिष (में नौ ग्रहों सत्ताईस नक्षत्रों  बारह राशियों  और कुंडली के बारह भावों या घर  आदि की स्तिथियों के अनुसार व्यक्ति का भूत, भविष्य और वर्तमान का पता लगाया जा सकता है इसके साथ ही कुंडली में लग्न, भाव, दशा, महादशा आदि का विचार करके जातक (वह व्यक्ति जिसकी कुंडली का अध्ययन किया जा रहा है) को फायदा होगा या नुक्सान आदि का पता लगाया जा सकता है.गोचर की स्थिति पर भी शेयर बाजार की मंदी तेजी प्रभाव रखती है  जैसे शेयर बाजार की तेजी शनि के वक्री होने के बाद होती है.शेयर बाजार की मन्दी शनि के मार्गी होने के दो माह बाद होती हैबुध वक्री,शनि मंगल का साथ शानि राहु का साथ शेयर बाजार को तेज रखता है.वक्री बुध शेयर बाजार में तेजी लाता हैबुध अस्त समय मे मन्दी का कारक होता है.सूर्य से बुध की युति में अस्त और उदय होने की स्थिति शेयर बाजार के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। जब बुध का अस्त पूर्व दिशा में होता है तब शेयर के भाव तेजी की तरफ होते हैं, किंतु जब बुध का अस्त पश्चिम दिशा में होता है, तब बाजार में मंदी का माहौल बनता है। इसी तरह जब बुध का उदय पूर्व दिशा में होता है, तब बाजार में तेजी का और जब पश्चिम दिशा में होता है, तब मंदी का माहौल बनता है। सूर्य का गोचर भ्रमण विभिन्न नक्षत्रों से होता है, तब तेजीकारक या मंदीकारक या मिश्रफल कारक नक्षत्रों के प्रभाव से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आते हैं। सूर्य को एक राशि का भ्रमण पूरा करने में एक माह लगता है। शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में गोचर  की भूमिका अहम होती है।मंगल के वक्री होने के समय सोने में तेजी आती है,धन का कारक  शुक्र है बुध धन की छाप है,गुरु उसकी कीमत है,सूर्य राजकीय नियंत्रण है,मंगल उसका तकनीकी रूप से विकसित करने का काम है,चन्द्रमा प्रचलन में है,केतु खाली स्थान है और राहु भरने वाला कारक है,जिस ग्रह के साथ होगा उसे केतु खाली करेगा और राहु जिस स्थान और ग्रह के साथ होगा उसे उसी प्रभाव से भरेगा.दूसरे का चौथा पंचम,पंचम का चौथा अष्टम,अष्टम का चौथा ग्यारहवां भाव,धन के व्यापार से देखा जाता है,अगर केतु इन स्थानो मे है तो इन भावो को खाली करेगा और इसके विपरीत वाले भाव राहु के बल से भरने का काम करेंगे,बाकी के ग्रह अपने अपने अनुसार शक्ति देंगे.नकद पूंजी दूसरे भाव से पंचम की बुद्धि से व्यवसाय का रूप और स्थान लेकर अष्टम की जोखिम से लाभ वाले स्थान की पूर्ति और इनसे एक घर भी आगे निकल गये तो हानि का घर ही सामने आयेगाआप चाहे छत्तीस प्रकार की टेक्निकल एनालिसिस कर ले या दुनिया भर की रिसर्च, चार्ट्स आदि का अध्ययन कर ले, बड़े से बड़ा मार्किट एक्सपर्ट या टिप्स, सब चीज़े बेकार हो जाती है अगर आपकी किस्मत में पैसा नहीं लिखा है. जैसे ही आप ट्रेड लगाते है या निवेश करते है, आपका अपना अनुभव होगा की बाजार में ऐसी खबर आएगी जिससे की आपका शेयर या बाजार पलट जायेगा और आप घाटे  या नुक्सान में चले जायेंगे. इसका एक कारण आपकी मनस्थिति है. नव ग्रहों का आपकी मनस्थिति पर ऐसा असर पड़ता है की आप मूर्खतापूर्ण निर्णय लेते है और बाद में पछताते है.

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