www.acharyarajesh.in Ketu(Importance of Ketu planet in Horoscope केतु का ज्योतिष महत्व
मित्रों आज बात करते हैं केतु ग्रह
लाल किताब में केतु को कुत्ता माना गया है। कुत्ता खूँखार भी हो सकता है और गीदड़ भी। यदि समझदार है तो रक्षक का कार्य करेगा। केतु को दरवेश माना गया है। इसका सम्बन्ध इस लोक से कम परलोक से अधिक है। केतु इस भवसागर से मुक्ति का प्रतीक है,केतु दया का सन्देश वाहक है,मंगल बुध और गुरु तीनो ही केतु में सम्मिहित है। केतु यात्राओं का कारक है और जीवन यात्रा के गन्तव्य तक जातक का सहायक है। केतु को तीन कुत्तों के रूप में भी पहिचाना जाता है,बहन के घर भाई ससुराल में जंवाई और मामा के घर भान्जा भी केतु की श्रेणी में आते है। केतु के लिये कुत्ते को पाला जाता है दिन के लिये सफ़ेद कुत्ते को और रात क लिये काले रंग के कुत्ते को पाला जाता है,केतु दिवा बली भी होता है और रात्रि बली भी होता है जबकि अन्य ग्रह या तो दिवा बली होते है या रात्रि बली माने जाते है। यदि कुत्ते का लाल रंग है तो वह बुध के लिये माना जाता है और बुध वाले ही फ़ल देने के लिये अपना असर देता है लेकिन बुध का असर केवल केतु के समय तक ही निश्चित माना जाता है। जब केतु बुरा फ़ल देना शुरु करे तो जातक को किसी प्रकार का अपनी मुशीबतों का शोर नही मचाना चाहिये,कारण जितना अधिक शोर मचाया जायेगा केतु उतना ही अधिक परेशान करने के लिये अपना असर देगा। दसवे भाव के ग्रहों को देखकर केतु की प्रताणन की सूचना निश्चित रूप से पहले ही मिल जाती है।केतु की पीडा से जातक का स्वास्थ खराब होता है,तो चन्द्रमा सहायक माना जाता है,कभी कभी केतु पुरुष सन्तान यानी पुत्रो को कष्ट देता है,ऐसा होने पर मन्दिर में कम्बल का दान करना चाहिये,केतु के बुरे प्रभाव से पांव के पंजो एं या पेशाब की नली में रोग पीडा आदि होने के कारण मिलने वाले कष्टो से बचने के लिये पावों के अंगूठो पर रेशमी धागा बांध लेना चाहिये।
केतु का कारक सोने वाला पंलग भी माना जाता है,विवाह के समय जो पलंग मिलता है या बिस्तर मिलता है उस पर केतु का स्वामित्व माना जाता है,प्रसूति के समय स्त्री को इसी पलंग का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसा करने से केतु बच्चे को दुख नही देता है।केतु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को चाहिए कि, कभी भी खुद के पैसे से खरीदे पलंग पर नहीं सोएं। केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए ससुराल से प्राप्त पलंग का प्रयोग करना चाहिए। अगर खुद के पैसे से पलंग खरीदना चाहते हैं तो थोड़े से पैसे ससुराल से भी आशीर्वाद स्वरुप प्राप्त कर लें।
जब केतु परेशान करता है तो दूसरे ग्रहों पर भी बुरा प्रभाव डालता है,केतु का राहु या शनि से सम्बन्ध होने पर वह पापी हो जाता है,राहु केतु युति निश्चय ही असम्भव है,किन्तु नकली राहु जो अन्य ग्रहों के मेल से बनता है और वह अगर केतु के साथ युति करते है तो बहुत ही खतरनाक स्थिति बन जाती है। केतु पीडित होने पर भी मारक नही होता है। वह किसी सम्बन्धी की मृत्यु का कारण भी नही बनता है। वह अन्य प्रकार के कष्ट देता है। पापी होने पर केतु प्राय: घर को घर की स्त्रियों को और बच्चों को प्रताणित करता है। जब रवि या गुरु अपने शत्रु ग्रहों द्वेआरा पीडित होते है तो वे केतु क अशुभ फ़ल उत्पन्न करते है,जब केतु अशुभ होता है त वह प्राय: बच्चों को कष्ट देता है। फ़लत: बच्चों को यदि सूखा रोग हो जाता है तो नदी आदि की मिट्टी से नहलाने से केतु का असर ठीक होने लगता है यह प्रयोग तेतालीस दिन तक करना चाहिये।सामान्य रूप से केतु के उपचार) सवा किलो आटे को हल्का सा सेंककर उसमें गुड़ का चूरा मिला दें तो 43 दिन तक लगातार चींटियो को डालें।
(2) बुधवार के दिन
गणेश चतुर्थी और गणेश पूजा के दिन उपवास रखना चाहिये.
3तिल नीबू और केले का दान करना चाहिये.
4-घर मे काला धोला कुत्ता पालें या ऐसे कुत्ते की सेवा करें,लेकिन शुक्र केतु की युति होने पर हरगिज भी कुत्ता नही पाले और न ही कुत्तों की सेवा करें.
आसपास के लोगों से अच्छा व्यवहार और अच्छा चालचलन बना कर रखें,अन्यथा पेशाब वाली बीमारी होने की बात मिलती है.
नौ साल से कम उम्र की बालिकाओं को खट्टी मीठी टाफ़ियां देने से भी केतु खुश रहता है.
काले धोले तिल बहते पानी में बहाने से भी केतु की पीडा कम होती है.मन्दे केतु की पहचान: पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह।
तेज: मकान, दुकान या वाहन पर ध्वज के समान है। केतु का शुभ होना अर्थात पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख।
मंदा: मंगल के साथ केतु का होना बहुत ही खराब माना गया है। इसे शेर और कुत्ते की लड़ाई समझें। चंद्र के साथ होने से चंद्र ग्रहणमाना जाता हैकेतु के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है की केट छुडावे खेत यानी की केतु जिस भाव में हो उस भाव से सम्बन्धित जातक में अलगाव पैदा कर देता है। अन्य ग्रहों की तरह केतु की ज्योतिष में अहम भूमिका होती है। ज्योतिष में केतु को मोक्ष का कारक ग्रह माना गया है। केतु को कुल को तारने वाला भी माना गया है। पुत्र को भी केतु ही माना गया है।
सावधानी: कुंडली के खानों अनुसार ही उपायों को लाल किताब के जानकार से पूछकर करना चाहिए।
नाना की सेवा करे और उनकी आज्ञा का पालन करें.अब यहाँ केतु के बल को समझना है, केतु जिसके साथ बैठता है उसके बल को बढ़ाता है जिसके कारण शुभ ग्रह होने पर शुभ फल को बढ़ाएगा और पाप ग्रह होने पर पाप फल को बढ़ाएगा और राहु में यह अंतर है की राहु जिसके साथ बैठेगा उस के बल को लेकर अपने बल को बढ़ाएगा और पाप प्रभाव दिखाएगा सभी ज्योतिष शास्त् केतु का फल करते समय इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए उस पर
किस ग्रह का प्रभाव है
वह किस भाव में बैठा है
वह किस राशि में है वह उसके अनुसार फल देने में समर्थ रखता है
वैसे वेदों में सूर्य की राशिमो को केतु कहा गया है यदि वेद के इन शब्दों को सही माने तो केतु सूर्य की राशिमो होने की वजह से वह जीवनदाता माना जायेगा क्योकि की सूर्य की किरणों से ही पूरा व्रह्माण्ड प्रकाशित होता है उसी राशिमो से जीव का जीवन है|
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