गुरुवार, 2 जनवरी 2020

चंद्र ग्रहण 10/1/2020

https://youtu.be/bV7kSwr8i3w
https://youtu.be/bV7kSwr8i3wमित्रों दिसंबर में  सूर्य ग्रहण के बाद साल 2020 यानी नए साल का पहला ग्रहण 10 जनवरी को होगा। यह चंद्र ग्रहण होगा और यह 10 जनवरी की रात में 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होगा और 11 जनवरी को 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 06 मिनट है। चंद्रग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और आस्ट्रेलिया में देखा जाएगा।https://youtu.be/bV7kSwr8i3w
 ग्रहण शुरू होने का समय –  10 जनवरी 2020, 22:37 PM
ग्रहण समाप्त होने का समय – 11 जनवरी 2020, 02:42 AM
ग्रहणकी अवधि – 00:40
ग्रहण के दौरान चंद्रमा, मिथुन राशि में और पुनर्वसु नक्षत्र में होगा।इस चंद्र ग्रहण की अवधि कुल 4 घंटे से ज्यादा होगी। सबसे खास बात यह है कि यह भारत में भी दिखाई देगा।  सूतक भी ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाएगा। इसके मुताबिक भारतीय समय के अनुसार 10 जनवरी की सुबह 10 बजे से ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा। सूतक से पहले ही  पूर्णिमा की पूजा के बाद सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।।
मित्रों इस ग्रहण के दौरान कई दुष्प्रभाव सामने आएंगे पहले सूर्य ग्रहण और अब चंद्र ग्रहण इससे कहीं ना कहीं महावारी कर लेगी इसका इलाज पूरे विश्व को ढूंढने से नहीं मिलेगा पूरे विश्व इस से ग्रसित होगा कहीं ना कहीं जलजला भूचाल तूफान ओलावृष्टि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
मित्रों ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियां ज्यादा हावी रहती हैं, मित्रों हमारी जन्म कुंडली के अंदर भी ग्रहण दोष पाया जाता है अतः इस चंद्रग्रहण पर हम उसके उपाय करके उस दोष को उसके द्वारा दी जाने वाली पीड़ा को कम कर सकते हैं मित्रों अगर कुंडली में चंद्र ग्रहण हो तो उसके कई दुष्परिणाम बुरे प्रभाव हमें देखने को मिलते यह दोष भाग्य कमजोर कर देते है ,बहुत ख़राब कर देते है लाइफ में हर चीज़ संघर्ष से बनती है या संघर्ष से मिलती है  हमारे चन्द्र ग्रह से वाहन का सुख सम्पति का सुख विशेष रूप से माता और दादी का सुख और घर का रूपया पैसा और मकान आदि सुख देखा जाता है.
  जन्म कुंडली में यदि चन्द्र राहू या केतु के साथ आ जाये तो वे शुभ फल नहीं देता है.ज्योतिष ने इसे चन्द्र ग्रहण माना है, यदि जन्म कुंडली में ऐसा योग हो तो चंद्रमा से सम्बंधित सभी फल नष्ट हो जाते है माता को कष्ट मिलता है घर में शांति का वातावरण नहीं रहता जमीन और मकान सम्बन्धी समस्या आती है.चन्द्र ग्रहण योग की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है,चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है,माँ के सुख में कमी आती है, कार्य को शुरू करने के बाद उसे अधूरा छोड़ देना लक्षण हैं, फोबिया,मानसिक बीमारी, डिप्रेसन ,सिज्रेफेनिया,इसी योग के कारण माने गए हैं, मिर्गी ,चक्कर व मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है.
—-चन्द्र+केतु ,सूर्य+राहू ग्रहण योग बनाते है..इसी प्रकार जब चंद्रमा की युति राहु या केतु से हो जाती है तो जातक लोगों से छुपाकर अपनी दिनचर्या में काम करने लगता है . किसी पर भी विश्वास करना उसके लिए भारी हो जाता है .मन में सदा शंका लिए ऐसा जातक कभी डाक्टरों तो कभी पण्डे पुजारियों के चक्कर काटने लगता है .अपने पेट के अन्दर हर वक्त उसे जलन या वायु गोला फंसता हुआ लगता हैं .डर -घबराहट ,बेचैनी हर पल उसे घेरे रहती है .हर पल किसी अनिष्ट की आशंका से उसका ह्रदय कांपता रहता है .भावनाओं से सम्बंधित ,मनोविज्ञन से सम्बंधित ,चक्कर व अन्य किसी प्रकार के रोग इसी योग के कारण माने जाते हैं 
कुंडली चंद्रमा यदि अधिक दूषित हो जाता है तो मिर्गी ,पागलपन ,डिप्रेसन,आत्महत्या आदि के कारकों का जन्म होने लगता हैं । चूँकि चंद्रमा भावनाओं का प्रतिनिधि ग्रह होता है .इसकी राहु से युति जातक को अपराधिक प्रवृति देने में सक्षम होती है ,विशेष रूप से ऐसे अपराध जिसमें क्षणिक उग्र मानसिकता कारक बनती है . जैसे किसी को जान से मार देना , लूटपाट करना ,बलात्कार आदि .वहीँ केतु से युति डर के साथ किये अपराधों को जन्म देती है . जैसे छोटी मोटी चोरी .ये कार्य छुप कर होते है,किन्तु पहले वाले गुनाह बस भावेश में खुले आम हो जाते हैं ,उनके लिए किसी विशेष नियम की जरुरत नहीं होती .यही भावनाओं के ग्रह चन्द्र के साथ राहु -केतु की युति का फर्क होता है  मित्रों आप की कुंडली में भी चंद्र ग्रहण दोष है तो आप मुझसे या किसी अच्छै astrologer से मिलकर  उपाय करें यह आपके लिए इस बेस्ट रहेगा https://youtu.be/bV7kSwr8i3wकुछ उपाय मैंने अपने यूट्यूब वीडियो में बताएं जिसका लिंक में जहां दे रहा हूं उसको ओपन करके सूने  उसको करके आप लाभ उठा सकते हैं

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