आचार्य राजेश कुमार
#शनि मकर में #24/1/2020
मित्रों आप जानते हो 24 जनवरी को शनि ने अपनी राशि बदली है और सभी एस्ट्रोलोजर में होड़ सी मची हुई है, फेसबुक यूट्यूब पर जितनी भी एस्ट्रोलॉजर हैं, यह जितनी भी ज्योतिषी हैं सभी शनिदेव मकर राशि में आने पर धड़ाधड़ प्रोडक्शन ऐसा होगा वैसा होगा चारों तरफ खुशियों का लहर दौड़ेगा उस लग्न वालों को या फायदा होगा उस लग्न वालों को भी फायदा होगा उस राशि वालों को वह फायदा होगा उस राशि वाला को वह फायदा होगा सभी राशि वालों को फायदा दिखा दिया सभी लग्न वाले को फायदा देखा दीया.. कोई लाइव प्रिडिक्शन दे रहे हैं- कोई टेलिफोनिक प्रोडक्शन दे रहे हैं कोई पोस्ट के माध्यम से लेख लिख रहे है कीजिए मित्रों इससे पहले भी शनिदेव मकर राशि में आए थे आज से 30 साल पहले लगभग 1990 में क्या हुआ था अगर जानकारी है तो ठीक है नहीं तो गूगल में सर्च कीजिए तू मेरे कहने का मतलब है क्या वह छोटी मोटी घटना थी क्या उसमें विभिन्न राशियों वाले लोग नहीं होंगे विभिन्न लगने वाले लोग नहीं होंगे जरूर होंगे इसलिए कहते हैं एस्ट्रोलॉजी का सिद्धांत को पहले समझिए एस्ट्रोलॉजी का सिद्धांत क्या कहता है- कोई भी ग्रह जब अपने स्वराशि में आते हैं तो वह किस प्रकार से फल देते हैं इसका क्या मतलब होता है शायद ही किन्ही को पता हो मित्रों कोई भी ग्रह गोचर में आप पर क्या प्रभाव डालेगा वह आपकी जन्मकुंडली से मुताबिक फल देता है जन्म कुंडली में उस ग्रह की क्या पोजीशन है वर्तमान में किस ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही है यह सब देखकर की ग्रह गोचर का फल कथन किया जा सकता है ऐसा नहीं है कि तुला राशि वालों को यह पल होगा फला लग्न वालों को यह फल होगा
इसलिए एस्ट्रोलॉजी को पहले सीखिए सिद्धांत को सीखिए सिस्टम को समझिए खैर छोड़िए हम भी थोड़ी शनि पर चर्चा करते हैं जैसे कि आप जानते हैं 24 जनवरी को क्षण मकर राशि में यानी अपनी खुद की राशि में प्रवेश कीया है जैसे कि हमें सबसे पहले काल पुरुष की कुंडली को ही देखना पड़ेगा काल पुरुष की कुंडली में शनि दशम भाव में आएगा यानी मकर राशि दसवें घर में पढ़ती हैदसवा भाव कालपुरुष की कुंडली अनुसार शनि की ही राशि मकर राशि होती है। और इसलिए सबसे पहले हमें मकर राशि के बारे में भी समझना होगा कर्म में आस्था रखने वाला शरीर है,सरकारी कार्य ठेकेदारी पिता से सम्बंधित काम तकनीकी काम आदि फ़ायदा देने वाले है आदत से काम करना और तकनीक के बारे में सोचना भी माना जा सकता है,वैसे कमन्यूकेशन के कामो से तुरत धन मिलने की बात मिलती है और धन के लिए मित्रो का सहयोग और पिता के धन का सहयोग भी माना जा सकता है,बड़े रूप में दिखावा करने और परिवार को संभालने की बात भी मिलती है,हनुमान जी जैसे देवता की भक्ति भी मिलती है रोजाना के कामो में जीव के प्रति दया की भावना भी मिलती है,जल्दी से धन कमाने के साधनों के प्रति सोच भी होती है और कैसे जल्दी से धन कमाया जाए उसके बारे में ही सोच भी रहती है,रोजाना के कार्यों में संचार की अधिक सुविधा होने से भी अक्सर कार्यों में बाधा का आना मकर राशि का स्वभाव होता है कि वह किसी भी किये गये काम को दुबारा से करवाती है। मकर राशि का सीधा सम्बन्ध वृष राशि से और कन्या राशि होता है,जो भी असर काम धन्धे के मामले में जातक के लिये मकर राशि के होते है वही असर वृष और कन्या राशि के लिये माने जाते है।मकर राशि का शनि अगर सही कार्य करवाता है तो वह सीधा वृष राशि से सम्बन्ध रखता है और अगर बुरा असर देना होता है तो वह सीधा कन्या राशि से अपना असर देना चालू कर देता है। वृष से अपना असर लेकर वह कन्या को देता है तो जातक को धन के द्वारा और परिवार के द्वारा भौतिक वस्तुओं के द्वारा जातक की सहायता रोजाना के कामो में कर्जा दुश्मनी बीमारी और सन्तान की बढोत्तरी के लिये फ़ायदा देना शुरु कर देता है और अगर वह जातक को दुख देना चाहता है तो वह अपना असर कन्या राशि से लेकर वृष राशि पर देना शुरु कर देता है,उन कारणों से जातक को अपने धन और कुटुम्ब तथा भौतिक साधनों की समाप्ति कर्जा दुश्मनी बीमारी या रोजाना के कामों के प्रति करने लगता है। मकर राशि में शनि के अलावा भी अगर कोई ग्रह होता है तो वह उसका भी असर दोहरा कर देती है,जैसे शुक्र के होने से जातक की दो पत्नी होती है,पहली या तो मर गयी होती है या काफ़ी समय तक रिस्ता चलने के बाद हमेशा के लिये खत्म हो गया होता है,उसी प्रकार से अगर मकर राशि में गुरु होता है तो जातक के दो भाई होते है लेकिन औकात यानी पुरुष संतति एक की ही चल पाती है,एक भाई समाप्त हो जाता है अथवा एक बिलकुल ही नेस्तनाबूद हो जाता है। इसी प्रकार से मकर राशि का बुध राजयोग कारक हो जाता है यानी जो केवल कमन्यूकेशन या बातों का व्यापार करना जानता है,अक्सर बातों के व्यापार करने वाले लोगों के अन्दर शनि की मकर राशि होने से शनि की चालाकी का असर जरूर मिल जाता है और वह झूठ बोलने या फ़रेब का सहारा लेकर अपने काम को चलाने लगता है,साधारण आदमी मेहनत करने के बाद अपने कार्य को बडी मुश्किल से कर पाता है जब कि मकर राशि के बुध वाला जातक अपने काम को बडी ही चतुराई से करता हुआ निकल जाता है। मकर राशि का शनि भी दोहरी नीति को चलने के लिये माना जाता है शनि अगर जन्म समय में मार्गी है तो जान लेना चाहिये कि जातक के लिये जीवन भर कठिन मेहनत का सामना करना पडेगा और अगर वह जन्म समय में बक्री है तो जातक को मेहनत के लिये शरीर की बजाय दिमाग की मेहनत करने का अवसर मिलने लगेगा,लेकिन बक्री और मार्गी शनि गोचर के समय जब जिस भाव में बक्री होता है तो परेशानी का कारण बनाने लगता है .शनि वाले कामों के अन्दर मकर राशि के द्वारा जो भी कार्य देखे जाते है उनके अन्दर सबसे पहले राज्य वाले कामों को देखा जाता है मार्गी शनि लेबर वाले कामों की तरफ़ ले जाता है और मार्गी शनि ठेकेदारी या दिमाग से कमाने वाले कामों मे ले जाता है,उसके बाद शनि का असर मीन राशि में होने के कारण जातक को कार्यों के प्रति किसी बडे संस्थान जैसे जेल आदि के लिये कार्य करना पडता है अथवा वह विदेश की नीतियों वाले कार्य या विदेश वाले कामों के लिये अपना कार्य करता है,शनि तिरछी नजर लगन पर होने के कारण शनि अक्सर शरीर को कष्ट पहुंचाने का कार्य करता है,जो भी नाम या कुल के अनुसार कार्य होते है तो वह उन कार्यों के अनुसार कार्य नही करने देता है। लेकिन बक्री शनि समाज के कार्यों के प्रति अपने अपने भावों के अनुसार जल्दी से निपटाने का कार्य करने लगता है।र्गी शनि शरीर को कष्ट देता है और बक्री शनि दिमागी रूप से परेशान करने के लिये माना जाता है,इस शनि का मुख्य कारण धन के प्रति होता है,इसके बाद शनि की सप्तम नजर कर्क राशि पर होने के कारण जातक के लिये घर के काम और जन्म स्थान के कामों के लिये अपनी चाहत भी देता है,बक्री शनि अपनी दिमागी ताकत से घर बनाने के लिये आगे आता है तो मार्गी शनि शरीर के द्वारा पसीना बहाने के द्वारा मकान और रहने के स्थान को बनाने के लिये अपना कार्य करता है। मकर राशि के शनि का सबसे बुरा असर जीवन साथी के भाव में होता है अगर शनि मार्गी है तो गृहस्थी चलाने के लिये लोहे के चने चबाने पडते है,और अगर बक्री हो तो जीवन साथी अपने फ़रेबी कारणों से जातक का अपमान करने से नही चूकता है। अक्सर मार्गी शनि के होने से जातक के अन्दर बल और वीर्य की अधिकता होने से जातक का जीवन साथी उससे दूर भागने लगता है जबकि बक्री शनि के होने के समय जातक के बल और वीर्य में कमी होने से जातक का जीवन साथी उसे अपने इशारे पर नचाना चालू कर देता है। जातक के जीवन में दसवा शनि अगर मार्गी होता है तो देर से उन्नति को दे पाता है और बक्री होता है तो जल्दी से उन्नति भी देता है और गोचर से बक्री होने के समय अवनति भी देता है। दसवा शनि मार्गी होने पर न्याय को मानने वाला होता है और बक्री शनि न्याय को नही मान कर उसके ऊपर अपने दिमाग से विजय पाने वाला होता है. आगे हम अगली पोस्ट में शनि के वारे थोड़ी चर्चा ओर करेंगे आचार्य राजेश मित्रों आप भी अगर अपनी कुंडली दिखाकर शनि गोचर का कल पता करना चाहते हो कि आपकी कुंडली में शनि जो मकर राशि में कैसा फल देगा शुभ देगा या अशुभ देगा तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं
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