गुरुवार, 30 जनवरी 2020

,, कालसर्प योग है या दोष है क्या है सच क्या है झूठ ( 3)

https://youtu.be/rLabGPgeiFU
मित्रों यह यह पोस्ट कालसर्प पर ही है इससे पहले मैं दो पोस्ट कालसर्प पर लिख चुका हूं आप पढ़ सकते हो उसको पढ़ने से ही आपको आगे की पोस्ट समझ में आएगी मित्रों जैसा कि मैंने अपनी पहली पोस्ट में आपको बताया था कि राहुल जिस ग्रह के साथ बैठता है उसको खराब कर देता है आज हम उसी पर चर्चा करेंगे सबसे पहले हम बात करेंगे कालसर्प की पहचान कैसे करेंकालसर्प दोष की पहिचान
काल सर्प दोष की पहिचान के लिये कुन्डली के भावों में राहु केतु की स्थिति को देखनी पडती है,लगन को पहला भाव कहते है और पहले भाव से बारहवें भाव तक राहु केतु की स्थिति के अनुसार ही काल सर्प दोष का वर्गीकरण किया जा सकता है,राहु केतु के एक तरफ़ ग्रहों का स्थित हो जाना अथवा दूसरी तरफ़ एक या अधिक ग्रहों का बक्री हो जाना,अस्त रहना कालसर्प दोष का निर्माण करता है,कालसर्प का मतलब होता है कि राहु या केतु पर किसी खराब ग्रह की नजर,युति या साथ,खराब ग्रह का मतलब है,कि शनि,मंगल या छठे,आठवें,या बारहवें भाव के स्वामी का साथ भी राहु केतु को खराब कर सकता है,राहु का मतलब पितरों से माना जाता है जो कि पिता के खानदान से सम्बन्धित होते है,और केतु का मतलब माता खान्दान से होता है,जैसे नाना या पडनाना आदि,इन ग्रहों पर किसी खराब ग्रह की युति या सम्बन्ध उसी प्रकार की प्रकृति पैदा करता है,जो कि उनके अन्दर होती है,जैसे लगन में राहु है,और शनि ने राहु को अपना साथी बनाया हुआ है,राहु का मतलब शिक्षा से भी होता है,तो जातक के अन्दर शनि वाली चालाकी फ़रेबी और नीच प्रकृति की भावनाओं का उदय होगा,जातक नेकी के रास्ते पर चल ही नही पायेगा,शनि ठंडा ग्रह भी है,जातक के अन्दर आलस भरा रहेगा,और जब आलस का भाव दिमाग में रहेगा तो जातक चाह कर भी कार्य समय पर नही कर पायेगा,और जीवन यापन के लिये परेशान होता रहेगा,दिमाग भारी रहेगा,जातक को समय पर बात करने और विद्या क प्रयोग करने का समय ही नही मिलेगा,या तो वह समय पर आलस और अन्य कारणों से निश्चित जगह पर पहुंच नही पायेगा,अगर किसी प्रकार से पहुंच भी गया तो वह चालाकी का भाव पैदा करेगा,और वक्त पर पकडा जायेगा,बाद में सिवाय दुखों के और कुछ मिलता नही है,शनि रात का राजा है जहां पर सूर्य की सीमा खत्म होती है शनि की चालू हो जाती है,जातक को निशाचरी काम अच्छे लगेगे,वह दिन में तो अपनी कार्य सीमा को न के बराबर रखेगा और रात में वह चोरी डकैती वाले काम करेगा.इसी प्रकार से अन्य भावों के राहु का और केतु का प्रभाव देखा जा सकता है.
कालसर्प दोषों के प्रकार
कालसर्प दोष बारह प्रकार के होते हैं:-
१.अनन्त कालसर्प दोष,यह पहले भाव में राहु और सातवेम भाव में केतु के रहने तथा अन्य ग्रहों का पहले भाव से सातवें भाव के बीच में रहने पर माना जाता है.
२.कुलिक कालसर्प दोष,यह कुलिक यानी कुल (कुटुम्ब) दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु के रहने पर अलावा ग्रहों के दूसरे भाव से आठवें के मध्य में रहने प माना जाता है.
३.वासुकि कालसर्प दोष,यह कालसर्प दोष तीसरे भाव में राहु और नवें भाव में केतु के रहने तथा अन्य ग्रहों के तीसरे से नवें के मध्य रहने पर माना जाता है.
४.शंखपाल कालसर्प दोष,राहु चौथे भाव में और केतु दसवें भाव मे हो तथा सभी ग्रह एक तरफ़ हों.
५.पद्यम काल सर्प योग,राहु पांचवे और केतु ग्यारहवें भाव में हो तथा अन्य सभी ग्रह एक तरफ़ हों.
६.महापद्यम काल सर्प योग,राहु छठे और केतु बारहवें भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
७.तक्षक कालसर्प योग,राहु सातवें और केतु पहले भाव में
८.करकट कालसर्प योग,राहु आठवें और केतु दूसरे भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
९.शंखचूड कालसर्प योग,राहु नवें और केतु तीअरे भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
१०.घातक कालसर्प योग,राहु दसवें और केतु चौथे भाव में तथा अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
११.विषधर कालसर्प योग,राहु ग्यारवें और केतु पांचवें भाव में विद्यमान हो और अन्य ग्रह एक तरफ़ हों.
१२.शेषनाग कालसर्प योग,राहु बारहवें और केतु छठे भाव में विद्यमान हो तथा अन्य सभी ग्रह एक तरफ़ हों.
कालसर्प योगों का प्रभाव
कालसर्प योगों का प्रभाव जीवन में सुख से भरा भी होता है,और दुख से भरा भी होता है,जन्म राशि के प्रभाव से राहु और केतु तत्वों के अनुसार अपना प्रभाव देते हैं,कुन्डली में मेष,सिंह और धनु राशियां अग्नि तत्व की मानी जाती है,राहु सकारात्मक छाया ग्रह है और केतु नकारात्मक छाया ग्रह.एक तत्व में बढोत्तरी करता है और दूसरा घटाता है,लेकिन प्रभाव दोनो का ही खतरनाक माना जाता है,राहु अक्स्मात अग्नि तत्वॊ वाली राशियों में किये जाने वाले संकल्पों में,द्रढ इच्छा में,कर्मशीलता में,गतिशीलता में बढोत्तरी करता है,और केतु घटा देता है,पृथ्वी तत्वों वाली राशियों में जिनमें वृष,कन्या और मकर है,जातक की मेहनत करने मे,धैर्य में,और आत्म संतोष में सांसारिक वस्तुओं में,समस्याओं के प्रति उदासीनता मे,राहु वृद्धि करता है और केतु घटा देता है.वायु तत्व वाली राशियां जिनमें मिथुन तुला और कुम्भ राशियां आती है,में कल्पनाशीलता में,बुद्धिमानी में,अनुशासन प्रियता में राहु बढोत्तरी करता है,और केतु घटा देता है.जल तत्व वाली राशियों के अन्तर्गत जिनमें कर्क,वृश्चिक और मीन राशियां आती है,में राहु सन्देह,मित्र प्रेम,बातूनी और स्वाभिमानी स्वभाव में बढोत्तरी करता है और केतु घटा देता है.इसके अलावा राशियों के द्वारा भी राहु और केतु अपना प्रभाव देते है,ग्रहों के द्वारा दिये जाने वाले प्रभाव का जो असर मिलता है वह इस प्रकार से है:-
१.सूर्य राहु-दादा के बारे में प्रसिद्धि बखान करता है,जातक को पराविज्ञानी बनाता है,आंखों की रोशनी को चकाचौंध से खराब करता है,अनैतिक स्त्री या पुरुष सम्बन्ध से पुत्र या संतान पैदा करके छोड देता है,पिता की मौत राहु वाले कारणों से करता है,जातक से कानून विरुद्ध कार्य करवाता है,अपने जन्म के समय अपने पिता को और अपने पुत्र के समय पुत्र को कष्ट मिलने की सूचना देता है,संतान काफ़ी मुश्किलों से मिलती है,इसका कारण जातक को वीर्य (सूर्य) इकट्ठा करने में परेशानी होती है,वह अचानक कुत्सित विचार (राहु) दिमाग में आते ही राहु मंगल (जवान सजे धजे पुरुषॊ की तस्वीरें और फ़िल्म) को देख कर कृत्रिम तरीके से वीर्य को स्खलित कर देता है,या राहु शुक्र माया नगरी वाली मायावी स्त्रियों की तस्वीरें और फ़िल्म देख कर वीर्य को कृत्रिम साधनो से स्खलित कर देता है.यह सूर्य में अपना गलत भाव या पारिवारिक मर्यादाओं के अन्दर कृत्रिमता लाने से सूर्य पिता के अन्दर अपना प्रभाव देकर उसे अक्समात कुछ भी करने के लिये स्वतंत्र करता है.
२.सूर्य केतु:-सूर्य पिता और केतु पुत्र दोनो ही धार्मिक होते है,और अधिक धार्मिकता के कारण कर्म से दोनो की च्युति हो जाती है,धर्म के कारण किसी भी कार्य को करने में कठिनाई केवल इसलिये होती है,कि वे कर्म और धर्म का संयोग नही बिठा पाते है,कर्म के अन्दर अपना प्रभाव दिखाने वाली चालाकी आदि से उनको नफ़रत होती है.पिता के पास नकारात्मक जमीन भी होती है,जो किसी काम की नही होती है.३.चन्द्र राहु:-माता को जातक के जन्म के पूर्व कष्ट रहा है,की सूचना देता है,यहां पर राहु माता की सास के बारे में सूचना देता है,जो विधवा भी रही हो,माता के दिमाग में बेकार का अन्धेरा भी देता है,जिसे आज की भाषा में टेंसन कहते है,चन्द्र की हैसियत मस्तिष्क भी है अत: जातक का दिमाग भी चिन्ताओं से ग्रसित होता है,चन्द्र जनता है तो राहु जनता के अन्दर एक अन्जाना डर भी देता है,जिस डर के कारण जनता उसे चुनाव आदि में लगातार जीत या शासन देने के लिये बाध्य हो जाती है,चन्द्र राहु मिलकर विधवा माता के द्वारा पालित जिन्दगी को भी सूचित करते है,जातक का झूठा होने का संकेत भी दोनो ग्रह देते है,जातक बुद्धि को भ्रमित करने में माहिर भी माना जाता है,जन्म स्थान के पास दक्षिण पश्चिम में कुआ होने का संकेत भी मिलता है,माता या सास का लालच भी यह दोनो ग्रह बखान करते है,दादा के द्वारा दूर से आकर मकान बनाकर निवास करने का योग भी दोनो ग्रह बताते हैं,जातक को मानसिक परेशानी का ब्यौरा भी यह दोनो ग्रह देते है,अगर किसी प्रकार से मंगल का योग दोनो में मिल जाता है,जो जातक केमिस्ट्री में अपना अच्छा वर्चस्व बना लेता है.
४.चन्द्र केतु:-चन्द्र केतु दोनो मिलकर माता को धार्मिक बना देते है,अगर सभी ग्रह कुन्डली के दाहिनी तरफ़ होते है तो जातक की माता अपना सर्वस्व दूसरों को अर्पित कर देती है,जन्म स्थान के पास झन्डा लगा होता है,मीनार होती है,या जन्म स्थान के पास नहर तालाब या नदी होती है,धर्म मन्दिर या देवी मन्दिर की भी सूचना दोनो ग्रह मिलकर देते है,चन्द्र मस्तिष्क है तो केतु स्नायु मंडल,जातक को स्नायु वाली बीमारी भी होती है,जातक का मन अधिकतर सन्यास की तरफ़ लगा रहता है.
५.मंगल राहु:-मंगल इन्जीनियर है तो राहु मशीन,मंगल मशीन है तो राहु बिजली,मंगल भाई है तो राहु उसकी शिक्षिका पत्नी,राहु से हीरोइन पत्नी भी मानी जाती है,राहु से नाचने वाली पत्नी भी मानी जाती है,राहु से विधवा के साथ भाई की शादी भी मानी जाती है,राहु से भाई का शमशान वास भी माना जाता है राहु से अघोर पंथ की तरफ़ भाई का पलायन भी माना जाता है,मंगल धर्म स्थान है तो राहु धर्म स्थान के पास होने पाठ,मंगल मशीन है तो राहु गोल पहिया,मंगल बिजली है,तो राहु पहिया यानी बिजली से घूमने वाला पहिया,पंखा भी मान सकते है और बिजली वाली मोटर भी मान सकते है,मंगल भाई है तो राहु सिनेमा,भाई का काम सिनेमा में हो,राहु वाहन से भी सम्बन्ध रखता है,मगल वाहन का इन्जीनियर भी बनाता है,मंगल सैनिक है तो राहु आसमान का राजा,यानी स्पेस टेक्नोलोजी में अग्रणी भी बनाता मगर शर्त से गुरु भी साथ होना चाहिये.मंग्तल पराक्रम है तो राहु गाली,जातक बिना सोचे कुछ भी कह देता है,मंगल लोहे का गर्म पाइप है तो राहु बारूद,मंगल भवन है तो राहु सीमेंट,शुक्र साथ है तो भवन निर्माण में सीमेंट का प्रयोग,राहु पितामह यानी दादा है तो मंगल दुश्मन,यानी दादा के दुश्मन रहे हों,मंगल व्यक्ति है तो राहु आदेश,हिटलर की कुन्डली में भी यह दोनो अपना कालसर्प योग बना रहे थे.मंगल रक्त है तो राहु उच्च रक्त चाप की बीमारी,बुध साथ है तो प्लास्टिक के वाल चन्द्र ह्रदय में डाले जाते है.
६.मंगल केतु:-मंगल रक्त है केतु निम्नता यानी लो-ब्लड प्रेशर की बीमारी,स्त्री कुन्डली में मंगल पति है तो केतु साधु यानी मंगल पति केतु लंगोटी को धारण किये रहता है,केतु जटाओं को रखाये रहता है,लेकिन सूर्य का साथ होने पर मूंछों वाला जातक भी मानते है,खाना पकाने के स्थान पर ढाबे के नौकर भी माने जाते है,बिजली का काम करने वाले नौकर भी माने जाते है,गुरु साथ होने पर या युति होने पर बिजली विभाग में अधिशाषी अभियन्ता के पद पर भी आसीन करवा देता है,मंगल लडाई है तो केतु सैनिक,मंगल थाना है तो केतु सिपाही,मंगल भोजन है तो केतु चम्मच,मंगल गुस्सा है तो केतु थप्पड,दोनो मिलकर कुन्डली में महान मंगली दोष भी बना देते है,और पति या पत्नी की औकात को गर्म लोहे की छडी बना देते है,भाई को या पति को स्नायु रोग की बीमारी भी दोनो ग्रह बताते है,मंगल जमीन है तो शुक्र के साथ होने पर खेती करने वाला किसान भी बना देते है,चन्द्र के साथ मिलने पर शादी के योग में साठ प्रतिशत तक कमी आजाती है,शादी के बाद चन्द्र माता गुस्सा करती है,शुक्र पत्नी को भुगतना पडता है,मंगल और शुक्र के बीच में चन्द्रमा होने पर माता प्यार प्रेम में दखल देती है.गृहस्थ जीवन में कथिनाई होती है.
७.बुध राहु:-बुध भूमि है तो राहु मुस्लिम और केतु क्रिस्चियन,शनि साथ है तो जन्म कब्रिस्तान के पास हुआ है,निवास है,बुध व्यापार है तो राहु फ़िल्म लाइन,फोटोग्राफ़ी का कार्य भी बताता है,बुध रीति रिवाज को नही मानता है,अगर राहु साथ हो,जातक अनर्जातीय शादी भी करता है,बुध बहिन है तो राहु विधवा या बदचलन का हाल भी बताता है,्मंगल का साथ है तो कम्प्यूटर पर पोर्न साइट भी बनाता है,पोर्न पिक्चर का निर्माण भी करता है,शुक्र साथ है तो पिक्चरों के द्वारा ब्लैक मेल भी करता है,मुस्लिम या क्रिस्चियन से शादी और प्रेम प्यार भी बताता है,बुध वाणी है तो राहु बकवास,यानी जातक बकवासी भी होगा.बुध त्वचा है तो राहु खुजली,बुध व्यापार है तो राहु आतंकवादी.सीमेंट,बिजली,दवाई,पिक्चर,मीडिया,कमन्यूकेशन,पेट्रोल,डीजल,का व्यापार भी करवाता है.
८.बुध केतु:-बुध वाणी है तो केतु साधन,बोलने का साधन यानी रेडियो,प्रवचन करने वाला,बुध हरा है तो केतु झण्डा,यानी मुस्लिम राष्ट्र का ध्वज,केतु लम्बा और बुध हरा,नारियल या खजूर का पेड भी है,बुध बहिन बुआ बेटी है तो केतु भान्जा,नाती,या फ़ुफ़ेरा भाई भी है,बुध बहिन है तो केतु नाना भा है बहिन का पालन पोषण नाना के द्वारा भी है,चौथे भाव में राहु शुक्र चन्द्र और दसवे भाव में बुध केतु है तो पिता के नाना की जमीन पर अधिकार भी है,जन्म स्थान कच्चे घर मे है और जन्म के दस साल तक जन्म स्थान के घर का सत्यानाश भी है.
९.गुरु राहु:-गुरु जीवन है तो राहु खतरा,जीवन में बलारिष्ट योग भी मिलता है,जब राहु गोचर से गुरु के ऊपर सन्क्रमण करे,तो गोचर के पूरे समय तक जीवन को खतरा बना रहे,और जब गुरु राहु के ऊपर गोचर करे तो जातक दर दर का होकर भटकता रहे,शम्शानो की धूल छानता रहे,भाइयों को और अपने से छोटों को हमेशा प्रवचन ही दिया करे,गुरु हवा है राहु गन्दगी,जातक का निवास गंदी जगह पर हो जहां पर वह गंदगी की बदबू सूंघता रहे,जातक के साथ एक काना या काला आदमी निवास करे,अथवा जातक के पास में निसन्तान व्यक्ति रहता हो,जातक का दरवाजा पूर्व में हो,दरवाजे के नीचे से या मकान के पीछे से नाली या खिडकी लगी हो,मंगल साथ होने पर मकान पर धर्म का झण्डा लगा हो,एक साधू स्वभाव का व्यक्ति साथ रहता हो,घर में प्रवचन कथा वाचन होता रहे,पितामह महान आदमी रहे हों,राहु वाहन और गुरु जीव,जातक हमेशा यात्रा में बना रहे,गुरु हवा और राहु वाहन,जातक के जीवन में हवाई यात्रायें अधिक होती रहें,सूर्य साथ हो तो जातक ऊर्जा मंत्री की पोस्ट पर हो,राहु ऊर्जा और गुरु हवा,सूर्य से गर्मी लेकर जातक सौर ऊर्जा का जानकार हो.
१०.गुरु केतु:-गुरु केतु साथ में मिलकर नकारात्मक भाव जातक में भर देते है,जातक हमेशा नीचा सोच कर ही कार्य करता है,और नीचा सोच कर कार्य करने पर उसे सफ़लता जरूर मिल जाती है,पंडित जवाहर लाल नेहरू की कुन्डली में गुरु केतु छठे भाव में थे,गुरु महात्मा गांधी और केतु खुद,दोनो ने मिलकर अहिंसात्मक तरीके से भारत को आजाद करवा लिया था,लेकिन दोनो का छठे भाव में पुत्री के घर में निवास करने से पुत्री को राजयोग देकर श्रीमती इन्दिरा गांधी को भारत वर्ष का राज भी दिया,फ़िर नाती यानी बुध केतु के साथ मिलकर लडकी के लडकों को भी राजयोग दिया,बारहवां राहु गुरु केतु के लिये खतरनाक बन गया और बुध यानी श्रीमती इन्दिरा गान्धी,केतु यानी उनके दोनो पुत्रों को हवाई राहु यानी विमान हादसे से तथा बारूदी विस्फ़ोट से दोनो नातियों का खात्मा भी कर दिया,श्रीमती इन्दिरा गान्धी को उनके ही मन्गल यानी जो रक्षा करने वाले लोग थे,उन्ही के द्वारा मन्गल यानी बन्दूक और राहु यानी बारूदी गोली से उनकी भी मौत हुई.गुरु केतु मोक्ष की तरफ़ लेकर चला जाता है,मोक्ष का मतलब होता है कि आगे कोई नाम लेने वाला रहे,यही हाल उनके साथ भी हुआ,आगे की संतान पुत्री के रूप में हुई और कोई पुरुष संतान नही होने से उनका भारत वर्ष में कोई आगे पोता पडपोता नही है,लडकी की संतान को भारत में नाम की मान्यता के लिये नही माना जाता है.
११.शुक्र राहु:-शुक्र माया है तो राहु चकाचौन्ध,जातक माया की चकाचौन्ध में खोया रहता है,राहु काल है तो शुक्र पत्नी पत्नी के प्रति हमेशा भय बना रहता है,राहु की गति उल्टी होती है,और वह अपने प्रभाव के कारण पत्नी के अन्दर भय पैदा करता है,पद्यम नामक कालसर्प योग में जब शुक्र कर्क राशि का हो तो यह निश्चित सा होता है,क्योंकि उस समय राहु सूर्य के घर में होता है,और जातक के अन्दर राहु का पूरा का असर व्याप्त होता है,इस कारण चलते अगर किसी तरह से जातक को अपनी पत्नी की बीमारी या खराब सेहत का पता चले तो उसे दुर्गा पाठ बेहतर फ़ायदा देता है. मित्रों अगली पोस्ट में हम कुछ उपायों पर चर्चा करेंगे आप जरुर पढ़े

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