आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
शनिवार, 10 जून 2017
अस्त ग्रहो का अपना एक विशेष महत्व होता है। इसलिए अस्त ग्रहो की ओर ध्यान देना आवश्यक है अब बात करते है ग्रह अस्त कैसे होता है? कोई भी ग्रह जब सूर्य से एक निश्चित दुरी के अंदर आ जाता है तो सूर्य के तेज से वह ग्रह अपना तेज और शक्ति खोने लगता है जिसके कारण वह सौर मंडल में दिखाई देना बंद हो जाता है ऐसे ग्रह को अस्त ग्रह कहते है।प्रत्येक ग्रह की सूर्य से यह समीपता अंशो में मापी जाती है इस मापदंड के अनुसार हर एक ग्रह सूर्य से निम्नलिखित दुरी के अंदर आ जाने से अस्त हो जाता है: चंद्रमा सूर्य के दोनों और 12 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त हो जाता है।बुध सूर्य के दोनों ओर 14 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त हो जाता है।लेकिन बुध अपनी सामान्य गति की बनिस्पत वक्र गति से चल रहे हो तो वह सूर्य के दोनों और 12 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त होता है।गुरु सूर्य के दोनों ओर 11 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त हो जाता है।शुक्र सूर्य के दोनों और 10 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त हो जाता है।बुध की तरह शुक्र भी यदि अपनी सामान्य गति की बनिस्पत वक्र गति से चल रहे हो तो वह सूर्य के दोनों ओर 8 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त हो जाते है।शनि सूर्य के दोनों ओर 15 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त हो जाता है।राहु-केतु छाया ग्रह होने के कारण कभी अस्त नही होते।हमेशा वक्री रहते है। किसी भी ग्रह के अस्त हो जाने से उसके प्रभाव में कमी आ जाती है तथा वह ग्रह कुंडली में ठीक तरह से कार्य करने में सक्षम नही रह जाता।किसी भी अस्त ग्रह की प्रभावहीनता का सही अनुमान लगाने के लिए उस ग्रह का कुंडली में स्थिति के कारण बल, सूर्य का उसी कुंडली में विशेष बल व अस्त ग्रह की सूर्य से दुरी देखना आवश्यक होता है।उसके बाद ही उस ग्रह की कार्य क्षमता के बारे में सही जानकारी प्राप्त होती है।उदाहरण के लिए, किसी कुंडली में गुरु सूर्य से 11 अंश दूर होने पर अस्त ही कहलाएंगे तथा 1 अंश दूर पर भी अस्त कहलाएंगे लेकिन पहली स्थिति में कुंडली में गुरु का बल दूसरी स्थिति के मुकाबले अधिक होगा क्योंकि जितना ही कोई ग्रह सूर्य के पास आ जाता है उतना ही उसका बल कम होता जाता है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कर्म फल और ईश्वर
परमात्मा हमारे/मनुष्यों के कर्मों का फल स्वयं देने नहीं आता। वह ऐसी परिस्थिति और संयोग बनाता है, जहाँ मनुष्य को फल मिल जाता है। यूं कहें कि ...
-
https://youtu.be/hb9Ouf_rST4 मित्रों आज बात करेंगे बुध और शनि की युति जब एक ही भाव में एक साथ हो या किसी भी तरह की युति बन रही है, तो कल क्य...
-
लक्ष्मी योग शुभ ग्रह बुध और शुक्र की युति से बनने वाला योग है।बुध बुद्धि-विवेक, हास्य का कारक है तो शुक्र सौंदर्य, भोग विलास कारक है।अब ये द...
-
जब किसी के जीवन में अचानक परेशानियां आने लगे, कोई काम होते-होते रूक जाए। लगातार कोई न कोई संकट, बीमारी बनी रहे तो समझना चाहिए कि उसकी कुंडली...
-
दशम भाव ज्योतिष भाव कुडंली का सबसे सक्रिय भाव है| इसे कर्म भाव से जाना जाता है क्यूंकि ये भाव हमारे समस्त कर्मों का भाव है| जीवन में हम सब क...
-
https://youtu.be/I6Yabw27fJ0 मंगल और राहूजब राहु और मंगल एक ही भाव में युति बनाते हैं, तो वह मंगल राहु अंगारक योग कहलाता है। मंगल ऊर्जा का स...
-
मालव्य योग को यदि लक्ष्मी योगों का शिरोमणी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं। मालव्य योग की प्रशंसा सभी ज्योतिष ग्रन्थों में की गई है। यह योग शुक्...
-
https://youtu.be/9VwaX00qRcw ये सच है कि हर रत्न इस धरती पर मौजूद हर व्यक्ति को शोभा नहीं देता है. इसे पहनने के लिए ज्योतिष की सलाह आवश्यक ह...
-
-
आचार्य राजेश ईस बार मलमास 15 दिसंबर से आरंभ हो रहा है जो 14 जनवरी 2018तक रहेगा। मलमास के चलते दिसंबर के महीने में अब केवल 5 दिन और विवाह मुह...
-
मित्रों आज वात करते हैं फिरोजा रतन की ग्रहों के प्रभाव को वल देने के लिए या फिर उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए ज्योतिष विज्ञान द्वारा विभि...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें