गुरुवार, 15 जून 2017

तंत्र तत्र एक ऐसा कल्‍पवृक्ष है, जिससे छोटी-से-छोटी और बड़ी-से-बड़ी कामनाओं की पूर्ति संभव है। श्रद्धा और विश्‍वास के बल पर लक्ष्‍य की ओर बढ़ने वाला तंत्र साधक अतिशीघ्र निश्चित लक्ष्‍य प्राप्‍त कर लेता है। भावों को प्रकट करने के साधनों का आदि स्‍त्रोत यंत्र-तंत्र ही है। यंत्र-तंत्र के विकास से ही अंक और अक्षरों की सृष्टि हुई। अत रेखा, अंक एवं अक्षरों का मिला-जुला रूप तंत्रों में व्‍याप्‍त हो गया। साधकों ने इष्‍टदेव की अनुकम्‍पा से बीज मंत्र तथा अन्‍य मंत्रों को प्राप्‍त किया और उनके जप से सिदि्धयां पायीं तो यंत्र-तंत्र में उन्‍हें भी अंकित कर लिया। तंत्र का विशाल प्राचीन साहित्‍य इसकी वैज्ञानिक सत्‍यता का प्रमाण है। भगवान शंकर की चार पत्नियां में से एक मां काली को सबसे जाग्रत देवी माना गया है। शिव की पहली पत्नी दक्ष-प्रसूति कन्या सती थी। दूसरी हिमालय पुत्री पार्वती थी। तीसरी उमा और चौथी कालिका।कालिका की उपासना जीवन में सुख, शांति, शक्ति, विद्या देने वाली बताई गई है, लेकिन यदि उनकी उपासना में कोई भूल होती है तो फिर इसका परिणाम भी भुगतना होता है।कालका के दरबार में जो एक बार चला जाता है उसका नाम-पता दर्ज हो जाता है। यहां यदि दान मिलता है तो दंड भी। आशीर्वाद मिलता है तो शाप भी। यदि मन्नत पूर्ण होने के बदले में जो भी वचन दिया है तो उसे तुरंत ही पूरा कर दें। जिस प्रकार अग्नि के संपर्क में आने के पश्चात् पतंगा भस्म हो जाता है, उसी प्रकार काली देवी के संपर्क में आने के उपरांत साधक के समस्त राग, द्वेष, विघ्न आदि भस्म हो जाते हैं।महाकाली की साधना को सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली मानते हैं, जो किसी भी कार्य का तुरंत परिणाम देती हैं। साधना को सही तरीके से करने से साधकों को अष्टसिद्धि प्राप्त होती है। काली की पूजा या साधना के लिए किसी गुरु या जानकार व्यक्ति की मदद लेना जरूरी है।मां काली के 4 रूप हैं:- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली। हालांकि मां कालिका की साधना के कई रूप हैं लेकिन भक्तों को केवल सात्विक भक्ति ही करना चाहिए। शमशान काली, काम कला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली, भद्र काली आदि कई मान से मां की साधना होती है। महाकाली को खुश करने के लिए उनकी फोटो या प्रतिमा के साथ महाकाली के मंत्रों का जाप भी किया जाता है। इस पूजा में महाकाली यंत्र का प्रयोग भी किया जाता है। इसी के साथ चढ़ावे आदि की मदद से भी मां को खुश करने की कोशिश की जाती है। अगर पूरी श्रद्धा से मां की उपासना की जाए तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। अगर मां प्रसन्न हो जाती हैं तो मां के आशीर्वाद से आपका जीवन पलट सकता है, भाग्य खुल सकता है और आप फर्श से अर्श पर पहुंच सकते हो।माँ दुर्गा' कि 'संहार' रुप हे माँ काली। देवी माँ काली विशेष रुप से शत्रुसंहार, विघ्ननिवारण, संकटनाश और सुरक्षा की अधीश्वरी देवी है।भक्त आपने ज्ञान, सम्पति, यश और अन्य सभी भौतिक सुखसमृद्धि के साधन प्राप्त ओर विशेष रुप से सुरक्षा, शौर्य, पराक्रम, युद्ध, विवाद और प्रभाव विस्तर के संदर्भ के माता कि पूजन, आराधना की जाती है। माँ काली की रुपरेखा भयानक है। पर वह उनका दुष्टदलन रुप है।माँ काली भक्तों के प्रति सदैव ही परम दयालु और ममतामयी रहती है। उनकी पूजा के द्वारा व्यक्ति हर प्रकार की सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।वैसे तो इस साधना के बहुतेरे गोपनीय पक्ष साधक समाज के सामने आ चुके है परन्तु आज भी हम इस महाविद्या के कई रहस्यों से परिचित नहीं है. काम कला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली आदि के कई गोपनीय विधान आज भी अछूते ही रह गए साधकों के समक्ष आने से,जितना लिखा गया है ये कुछ भी नहीं उन रहस्यों की तुलना में जो की अभी तक प्रकाश में नहीं आया है और इसका महत्वपूर्ण कारण है इन विद्याओं के रहस्यों का श्रुति रूप में रहना,अर्थात ये ज्ञान सदैव सदैव से गुरु गम्य ही रहा है,मात्र गुरु ही शिष्य को प्रदान करता रहा है और इसका अंकन या तो ग्रंथों में किया ही नहीं गया या फिर उन ग्रंथों को ही लुप्त कर दिया काल के प्रवाह और हमारी असावधानी और आलस्य ने. तीव्र साधनाओं का प्रकटीकरण भी,तभी तो साधक पशुभाव से ऊपर उठकर वीर और तदुपरांत दिव्य भाव में प्रवेश कर अपने जीवन को सार्थक कर पाता है.

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