आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
सोमवार, 19 जून 2017
मां काली ज्योतिष की आज की पोस्ट कुछ मित्रों के प्रश्न है । इन पर पहले भी हम कई बार प्रकाश डाल चुके हैं। यह पोस्ट किसी बहस के लिए नहीं है। यह सूचना है और मैं उस प्रत्येक व्यक्ति को उसके भविष्य को बताने या समस्या सुधारने के लिए बाध्य नहीं हूँ, जो मेरी विवशता को नहीं समझते। ज्योतिष के दो रूप है। एक नक्षत्र विज्ञान से सम्बन्धित है, जिसका स्वरुप पंचांगों में देखा जा सकता है। दूसरा रूप ‘होरा’ का है। इसमें भविष्य कथन किया जाता है। दोनों में जड़ के सूत्रों का सम्बन्ध है ; पर ‘ होरा’ एक अलग विद्या है। दोनों ही विद्या जटिल गणितीय सूत्रों पर आधारित है, जो अलजेब्रा और स्टैटिक्स से भी अधिक जटिल है। दोनों के विद्वान भी अलग-अलग होते है। जो एक विद्या का जानकार , आवश्यक नहीं कि दूसरे का भी हो। जिस प्रकार गणित , फिजिक्स , कैमेस्ट्री आदि के प्रयोगों के निष्कर्ष के गणितीय समीकरणों के हल का रिजल्ट उस प्रयोग कर्त्ता की योग्यता पर निर्भर करता है ; उसी प्रकार इन दोनों विद्याओं का रिजल्ट ज्योतिषी की योग्यता पर निर्भर करता है। एक बात तो साफ़ है कि ज्योतिषी के लिए गणित का मास्टर होना जरूरी है वरना वह न तो ‘होरा’ का विशेषज्ञ हो सकता है , न ही नक्षत्र ज्योतिष का। यह अत्यंत कठिन विद्या है और सटीक गणितीय कैलकुलेशन करने वाला ही इसे समझकर इसे सीख सकता है। पर वर्तमान युग में हाल क्या है? गली- गली चन्दन टिका माला पहनकर ज्योतिषी बैठे हुए है । सामान्य जनता इस विद्या के सम्बन्ध में कुछ नहीं जानती ; इसलिए ये राशी , खानों और ग्रहों और कुंडली में पहले से बने महादशा के चार्ट को देखकर सामान्य जानकारियों को भुनाते हैं । जिसका आडम्बर जितना बड़ा है , वह उतना ही बड़ा ज्योतिषी कहलाता है। आईये इस विद्या को और इसके नाम पर की जा रही व्यवसायिक चालाकी को समझें – लगभग हर चैनल , हर अखबार , हर पत्रिका में राशिफल बताने वालों की भरमार है ; परन्तु शास्त्रीय निर्देश क्या है? प्रत्येक ज्योतिषी को यह निर्देश दिया गया है कि फल पूरी कुंडली का होता है । कभी भी किसी को एक खाना , एक ग्रह , लग्न या चन्द्रमा की राशि के अनुसार फल न बताएं । इनसे भ्रम पैदा होता है और जातक का नुक्सान हो सकता है। चलिए शास्त्र को छोडिये। यदि आप पढ़े-लिखे हैं और गणित एवं विज्ञान के बारें में थोड़ा भी जानते है , तो निम्नलिखित गणितीय स्थिति को देखें। जन्मकुण्डली में यदि लग्न राशि में चन्द्रमा कि राशि कर्क (4) है, तो इसकी १० परिवर्तित स्थितियां बनती है , जिनका फल सर्वथा विपरीत भी हो सकता है। एक खाली होने की स्थिति में , शेष 9 , यहाँ 9 में से कोई एक ग्रह होने की स्थिति में। प्रत्येक राशि 30 डिग्री की होती है। प्रत्येक डिग्री पर परिवर्तन होता है; क्योंकि इस एक राशि के भोगकाल में सभी ग्रहों का भोग काल माना जाता है। इसी आधार पर नवांश कुंडली बनाई जाती है । पर यह केवल इतना ही नहीं है। प्रत्येक डिग्री पर परिवर्तन होता है। इस प्रकार यह 10 x 30 = 300 परिस्थितियाँ हो गयी।इसके बाद यह भी देखा जाएगा कि सातवें खाने में क्या है? क्योंकि खाना – 7 की पूरी दृष्टि इस पर पडती है ; जो लग्न की तरह 300 प्रकार की हो सकती है। अब यह 300 x 300 = 90,000 हो गये। फिर यह मान्य सिद्धांत है कि 1, 4, 7, 10 इन चारों का प्रभाव ज्योतिष विद्या में मूल रूप से एक माना जाता है। फिर तीसरी, पांचवी, सातवीं , नवमी – ये चार दृष्टियाँ भी होती है । ग्रहों का शत्रु और मित्र का समीकरण होता है , उच्च और नीच स्थिति का समीकरण होता है। अब कोई कैसे एक राशि के आधार पर दिन, मास या वर्ष का फल बता सकता है? नक्षत्र ज्योतिष में भी सम्पूर्ण पृथ्वी पर राशियों के प्रभाव एक जैसे ही होते। एक राशी में तीन नछत्तर इसी कारण जन्म कुंडली में बनाने में स्थान का महत्त्व होता है। पर ऐसा होता है । लोग राशि से ही वर्ष भर का फल बताने लगते है। एक दूसरी समस्या महादशा चक्र की है। यह केवल यह बताता है कि आपकी उम्र का कौन सा समय किस ग्रह के प्रभाव में रहेगा; पर उसका प्रभाव क्या होगा, यह तो कुंडली की गणना के बाद ही पता चलेगा। लेकिन कोई इस गणना को नहीं करता। आपको समस्या हुई। आप न जाकर बताया। ज्योतिष ने महादशा चार्ट देखा और बताया कि आपकी फलाने ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा है। इसी के कारण ऐसा हो रहा है। उपाय बताया, तो अर्थ का अनर्थ हो गया। त्रुटी ज्योतिष विद्या में नहीं है।त्रुटी हममें है। कभी हम नकली होते है, कभी अनाड़ी होते है , कभी कामचोर और कभी बेईमान। इसके लिए जातक –जातिका भी जिम्मेदार होते है। शास्त्रों में निर्देश है कि ज्योतिष के पास जाएँ , तो फल-मिठाई-वस्त्र-दक्षिणा लेकर जाए अन्यथा आपका अभीष्ट पूरा नहीं होगा; हानि भी हो सकता अहि। स्पष्ट है कि वे विद्वान जानते थे कि तब ज्योतिष ध्यान नहीं देगा। आज की दशा यह है कि लोग जन्मदिन का डिटेल्स अपनी समस्या भेज देते है। कोई उपाय बता दीजिये। अब यदि बता दू , तो वह अनुमान का तीर-तुक्का होगा। हानि का पाप सिर चढ़ेगा। न बताऊं , तो ऐसे लोग कहने लगते है “ वे तो फीस मांगते है” न मांगे तो हम क्या करें? हम जानते है कि यह 1० घंटे का काम है। दिन में 12 घंटे लगे रहे , तो भी 5,,% व्यक्ति को भी नहीं बता सकते। क्योंकि ये प्रतिदिन 10-15 की संख्या में होते है और हमारे पास समय का हाल यह है कि जो फीस जमा करवाते है ; उनका फल भी समय पर नहीं जा पाता। कभी 14 दिन तो कभी महीना भी लग जाता है। वैसै भी कुछ मित्रों मेरे जो ज्योतिषी है और टीवी पर अपना प्रोग्राम करते हे वो नाराज़ हो ग्रे कि आप ऐसा ना कहे मित्रों एक तरफ हम ज्योतिष को विज्ञान कहते हैं फिर इसको सही से उसका प्रचार करना चाहिए ओर जो कमी है उसे दुर करना चाहिए मेरा किसी से कोई विशेष नहीं यह मेरी अपने विचार हैं
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