रविवार, 26 नवंबर 2017

सवाल आपके




मित्रों आप वोहोत से मित्र राशीफल के वारे मे सवाल करते है अति ध्यातव्य बात यह है कि सार्वजनिक तौर पर राशिफल,ग्रहों का निवारण और उपचार आदि जो बतलाने और करने का प्रचलन आज कल चल पड़ा है,यह गम्भीर विचारणीय है। चिंता और चिन्तन का विषय भी। इतनी बड़ी आबादी है विश्व की।उसमें तरह-तरह के लोग हैं।भविष्य वक्ता के पास सिर्फ राशियों के आधार पर बारह पैमाने हैं- यानि पूरी मानवता को सिर्फ बारह भागों में बाँट दिया गया।विचारणीय है कि करोड़ों का भाग्य एक समान कैसे हो सकता है?
अब उपचार सम्बन्धी एक उदाहरण- राशि या लग्न के आधार पर किसी ने सुझाव दे दिया- अमुक वस्तु दान करें,अमुक रत्न धारण करें।अब यहाँ भी वही प्रश्न है।क्यों कि सबकी कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एक समान नहीं हो सकती।ग्रहों की अवस्था,दृष्टि आदि अनेक बातों का सूक्ष्म विचार करके ही कुछ निर्णय लिया जाना चाहिए।सभी उपचार समय-स्थान-व्यक्ति सापेक्ष हैं।अतः सार्वजनिक सुझाव से व्यक्तिगत सुझाव की कोई तुलना नहीं हो सकती।इसमें वही अन्तर है जो दुकानदार से बुखार की दवा पूछ कर खाने और डॉक्टर से जाँच करा कर दवा लेने में अन्तर है।नब्बे प्रतिशत मामले में हो सकता है- दुकानदार की बतलायी दवा से रोग निवारण हो जाए; किन्तु इसका क्या अर्थ है? डॉक्टर व्यर्थ हैं? आपकी जन्मकुंडली ओर गोचर दोनो का मिलान हो
एक और बात – श्रद्धा, विश्वास और भक्ति बड़ी अच्छी बात है।किन्तु इन तीनों के आगे ‘अन्ध’ शब्द जुड़ जाए तो बड़ा ही घातक सिद्ध होता है।अतः अन्धश्रद्धा,अन्धविश्वास,और अन्धभक्ति से सदा परहेज करना चाहिए।अन्यथा लूटने वाले बैठे हैं,आप यदि लुटाने के लिए तैयार हैं।
ईश्वर सबको सदबुद्धि दें।

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