शनिवार, 24 मार्च 2018

मां काली मुर्ती रहस्य

मां काली मुर्ती रहस्य।                                  कभी आपने देखा है काली की मूर्ति को, वह मां है और विकराल, मां है और हाथ में खप्‍पर लिए है। आदमी की खोपड़ी का। मां है,।  

                   उसकी आंखों में सारे मातृत्‍व का सागर। और नीचे, वह किसी की छाती पर खड़ी है। पैरों के नीचे कोई दबा हे। क्‍योंकि जो सृजनात्मक है, वहीं विध्‍वंसात्‍मक होगा। क्रिएटिविटि का दूसरा हिस्‍सा डिस्ट्रैक्शन है। इसलिऐ मां को खड़ा किया है, नीचे लाश की छाती पर खड़ी है। हाथ में खोपड़ी है आदमी की मुर्दा। खप्‍पर है, लहू टपकता है। गले में माला है खोपडियो की। और मां की आंखे है और मां का ह्रदय है, जिनसे दूध बहे। और वहां खोपड़ियो की माला टंगी है।

   

   असल में जहां से सृष्‍टि पैदा होती है। वहीं प्रलय होता है। सर्किल पूरा वहीं होता है। इसलिए मां जन्‍म दे सकती है। लेकिन मां अगर विकराल हो जाती है। शक्‍ति उसमें बहुत है। क्‍योंकि शक्‍ति तो वहीं  है, चाहे वह क्रिएशन बने और चाहे डिस्ट्रैक्शन बने। शक्‍ति तो वहीं है, चाहे सृजन हो या विनाश हो। जिन लोगों ने मां की धारणा के साथ सृष्‍टि और विनाश, दोनों को एक साथ सोचा था, उनकी दूरगामी कल्‍पना है। लेकिन बड़ी गहन और सत्‍य के बड़े निकटअसल मे स्‍वर्ग और पृथ्‍वी का मूल स्‍त्रोत वहीं है। वहीं से सब पैदा होती है। लेकिन ध्‍यान रहे, जो मूल स्‍त्रोत होता है,वही चीजें लीन हो जाती हे। वह अंतिम स्‍त्रोत भी होता है।

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