बुधवार, 9 अक्टूबर 2019

हदयरोग ओर ज्योतिषीय उपचार-6 मेडिकल एस्ट्रोलॉजी

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स्वास्थ्य मनुष्य के लिए ईश्वर का दिया हुआ सबसे अमूल्य और दिव्य उपहार है। अपने शरीर को स्वस्थ रखना मनुष्य का कर्तव्य है अन्यथा मनुष्य अपने मन और अपनी सोच को शुद्ध व पवित्र नहीं रख सकता।
        यह स्वास्थ्य मनुष्य की पूँजी है। शरीर स्वस्थ होता है तो मनुष्य सभी कार्य उत्साह से करता है। यदि यही शरीर रोगी हो जाए या अपंग हो तो मनुष्य अपने स्वयं के कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तो घर-परिवार व भाई-बन्धुओं के प्रति अपने कर्त्तव्यों को चाहकर भी पूरा नहीं कर सकता। मित्रों पिछली पोस्ट में हमने कुछ चर्चा हदयरोग पर की यह पोस्ट भी उसी पर आधारित है आप खुद पढ़े और शेयर करे ताकि दुसरे भी लाभ ले सकें आचार्य राजेश
     तरबूज शायद आप सभी ने खाया होगा। देखने में गोल काले और हरे रंग का होता है,धारियां भी होती है हरे पर काली और काले पर सफ़ेद,बैरायटी में छोटे छोटे और सफ़ेद रंग के भी होते है। तरबूजों की खेती को गर्मी के दिनों किया जाता है और अक्सर नदियों के किनारे या खेतों में इसकी फ़सल पैदा की जाती है। शनि मंगल को अगर मिट्टी के रूप में देखे तो वह पकी ईंट के रूप में माना जायेगा। लाल पत्थर जिसे अंग्रेजी में लिगनाइट के रूप में जाना जाता है और सीमेन्ट फ़ैक्टरी जिसे सीमेन्ट बनाने के लिये प्रयोग में लेती है को भी आपने देखा होगा,अगर आपका टूर कभी जोधपुर की तरफ़ लगा हो तो सभी मकान लाल पत्थर से ही बने है,आगरा से आगे तातपुर का लालपत्थर काफ़ी मसहूर है। यह पत्थर तो अष्टम शनि मंगल की निशानी है और गर्मी के मौसम में आने वाली पीली आन्धी बारहवें शनि मंगल की निशानी है था तरबूज चौथे शनि मंगल की निशानी है। शनि मंगल के साथ अगर चन्द्रमा जुड जाता है तो वह शनि मंगल को पानी के आकार में बदल देता है,वह पानी का आकार अगर पृथ्वी के नीचे से निकलता है तो अष्टम में जाना जाता है और मंगल की अधिकता में वह ज्वालामुखी का लावा बन जाता है अन्यथा वह शनि की अधिकता में लाल पत्थर ही बन कर रह जाता है। छठे भाव का चन्द्रमा अस्पताली पानी अष्टम का चन्द्रमा कुये का पानी और बारहवा चन्द्रमा आसमानी पानी यानी बरसात के लिये जाना जाता है। यह सब बातें तो बाह्य वातावरण के लिये बतायी गयी है लेकिन शरीर के अन्दर जब इन्हे देखा जाये तो छठा मन्गल शनि और चन्द्रमा अस्पताल में बीमारी के दौरान चन्द्रमा जो ह्रदय का मालिक है और शनि मंगल जो ह्रदय में जमने वाले खून के थक्के के रूप में है को दूर करने के लिये आपरेशन के दौरान मौत देने के लिये माना जाता है,यह जानबूझ कर उम्र की तीसवीं साल से गलत कार्यो को करने से गलत आचार विचार और व्यवहार रखने से सामने आता है,मंगल खून का कारक है और शनि गन्दगी का कारक है चन्द्रमा जो मन का कारक है वह मारकाट फ़रेब ठगी लूटपाट के कामो में लगा रहता है तो कभी डर से कभी उल्टा सीधा खानपान से शरीर में बीमारी को पैदा करने वाला माना जाता है। मकान में दबने से जमीन के नीचे काम करते वक्त दबने से ट्रेन दुर्घटना में मरने से तथा सिर के बल गिरने के बाद सिर के फ़टने से जो मौत होती है वह अष्टम शनि मंगल के रूप में जाना जाता है,यह कारक अक्सर जननांग के अन्दर केंसर आदि के लिये भी जाना जाता है। शनि मंगल चन्द्रमा के साथ जब बारहवें भाव में होता है तो जातक के लिये सडक दुर्घटना में वायुयान की दुर्घटना में ऊंचे स्थान से गिरने पर और हवाई कारणों से सिर के फ़टने से मौत का होना माना जाता है,यह सिर के केंसर का रूप भी होता है और यह हाईपर टेन्सन रखने वालों के लिये भी माना जाता है।इस प्रकार की ग्रह युति से बचने के लिये पहले गलत कार्यों के प्रति सोच को बन्द कर दिया जाये,आज की जरूरत के लिये किसी के कल को नही खराब किया जाये,जोर जबरदस्ती से चोरी से फ़रेबी से डकैती आदि के कारणो से दूर रहा जाये,तो छठे भाव के मंगल शनि और चन्द्रमा से मुक्ति मिल सकती है,गुप्त रूप से किसी की हत्या करना जानवरों के शरीर को भोजन के रूप में प्रयोग करना मैथुन में अनैतिकता को लाना आदि बाते अष्टम शनि मन्गल और चन्द्रमा की युति से जानी जाती है,जल्दी से गुस्सा हो जाना किसी की जायदाद को जबरदस्ती हथिया लेना धर्म स्थान पर जबरदस्ती कब्जा कर लेना,जेल या बन्धन में किसी बडी सजा को भुगतना,अपने ही खून के साथ गलत सम्बन्ध बनाना आदि बारहवें शनि मन्गल और चन्द्रमा की निशानी है,इन कारणॊ से बचने के लिये इन कारणों से बचना चाहिये। इसके अलावा शनि मंगल चन्द्रमा की युति से बचने के लिये पहाडी स्थानों की यात्रा अगर शनि मंगल चन्द्रमा छठे भाव में है तो और गर्म प्रदेशों की यात्रा अगर शनि मंगल चन्द्रमा अष्टम में है तो और शनि मंगल चन्द्रमा के लिये संयुक्त रूप में मंत्र जाप तथा दक्षिण पूर्व की देवी यात्रा जो माता कामाख्या काली और तारापीठ के नाम से जानी जाती है की जाये तो लाभ मिलता है,इसके अलावा नीलम मूंगा मोती का बना हुआ पेन्डल अगर बारहवें भाव में है तो और छठे भाव के लिये इन रत्नों को उंगलियों में धारण करना तथा दान करना अगर अष्टम भाव में है तो भी लाभदायक रहता है,रत्नो की अनुपस्थिति में इन ग्रहों की कारक वस्तुओं को प्रयोग में लाया जाता है,जैसे शनि के लिये राई मन्गल के लिये मिर्ची और चन्द्रमा के लिये चापड छठे भाव के चन्द्रमा के लिये प्रयोग कर सकते है,शनि के लिये खेजडी की जड मंगल के लिये नीम की जड और चन्द्रमा के लिये बिदारीकंद की जड को आठवें भाव के लिये प्रयोत में ले सकते है,शनि के लिये सिर के बाल मंगल के लिये शक्कर के बने बतासे और चन्द्रमा के लिये बारिस के जल को प्रयोग कर सकते है।

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