शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

क्या है अंक13 का रहस्य कितना शुभ और कितना अशुभ

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मित्रों धनतेरस के दिन यह मन में विचार आया कि हम लोग 13 अंक को अशुभ क्यों मानते हैं। एक तरफ तो हम धनतेरस के दिन खरीदारी करते हैं। घर में कुछ ना कुछ लेकर आते हैं 13 का अंक अगर देखें तो एकांत सूर्या का और चीन अंक गुरु का गुरु और सूर्य का मेल गुरु ज्ञान का कारक है और सूर्य रोशनी का जीवन देने का कारक है। हमारी आत्मा का कारक है या रोशनी है ज्ञान है तो इस अंक को राहु के साथ जोड़कर इस अंक के साथ नाइंसाफी की जाती है हम लोग पश्चिम की देखा देखी हर उस बात को मानना शुरू कर देते हैं। जो बात वहां के समाज में मानी हो हम अपने सनातन धर्म की संस्कृति को भूलकर दूसरों के विचारों को मानना शुरू कर देते हैं। और यह कुछ बात अंक तेरा की करते हैं मित्रों एक पोस्ट लिखने पर बहुत मेहनत होती है। अगर अच्छी लगे तो लाइक करें शेयर करें अगर कुछ कमी रह गए तो अपने विचार लिखें।
हमारे कुछ मित्र 13 अंक के बारे में बहुत बार बात करते है। 
 दुनिया के कई दूसरे देशों में 13 नंबर को अपशगुन मा्ना जाता है नम्बर तेरह को अक्सर बुरी नजर से देखा जाता है लोग अपने मकान के नम्बर को भी नम्बर को भी तेरह के साथ जोड कर नही रखना चाहते है किसी होटल आदि मे जाना हो तो आप देख सकते है नम्बर तेरह का कमरा बडी मुश्किल से देखने को मिलता है। हिब्रू ने भी बडी तन्मयता से इस नम्बर के बारे मे लिखा है कि एक नरकंकाल जो मनुष्यों के रूप की फ़सल को काट रहा है,नर कंकाल के हाथ में एक हंसिया है और वह मनुष्यों के सिर को काटने का उपक्रम कर रहा है। भारत में हमारे सिख मित्रों ने नंबर 13 को बहुत ही शुभ माना है क्योंकि गुरु नानक देव ने कहा था कि तेरा ही तेरा। लेकिन तेरा ही तेरा और 13 ही 13 में बहूत फर्क है । उन्होंने कुछ और कहा था ।
आपने कुछ और समझ लिया। उनके कहने का अर्थ था कि सब कुछ तेरा ही तेरा है। हमारा कुछ भी नहीं। लेकिन इस बात का 13 नंबर से कोई संबंध नहीं। लेकिन चाइना के साथ-साथ दूसरे कई देशों ने 13 नंबर को मनहूस या अपशगुन माना है।
उसका कारण यह है कि आदमी के शरीर में नौ छेद हैं; उन्हीं नौ छेदों से जीवन प्रवेश करता है। और उन्हीं नौ छेदों से जीवन बाहर जाता है। और चार अंग हैं। सब मिला कर तेरह। दो आंखें, दो नाक के स्वर, मुंह, दो कान, जननेंद्रिय, गुदा, ये नौ तो छिद्र है 
 और चार--दो हाथ और दो पैर। ये तेरह जीवन के भी साथी हैं और यही तेरह मृत्यु के भी साथी हैं। और यही तेरह तुम्हें जीवन में लाते हैं और यही तेरह तुम्हें जीवन से बाहर ले जाते हैं।
तेरह का मतलब यह पूरा शरीर। इन्हीं से तुम भोजन करते हो; इन्हीं से तुम जीवन पाते हो; इन्हीं से उठते-बैठते-चलते हो; ये ही तुम्हारे स्वास्थ्य का आधार हैं। और ये ही तुम्हारी मृत्यु के भी आधार होंगे। क्योंकि जीवन और मृत्यु एक ही चीज के दो नाम हैं। इन्हीं से जीवन तुम्हारे भीतर आता, इन्हीं से बाहर जाएगा। इन्हीं से तुम शरीर के भीतर खड़े हो। इन्हीं के साथ शरीर टूटेगा, इनके द्वारा ही टूटेगा।
यह बड़ी हैरानी की बात है, ये ही तुम्हें सम्हालते हैं, ये ही तुम्हें मिटाएंगे। भोजन तुम्हें जीवन देता है, शक्ति देता है। और भोजन की शक्ति के ही माध्यम से तुम अपने भीतर की मृत्यु को बड़ा किए चले जाते हो। भोजन ही तुम्हें बुढ़ापे तक पहुंचा देगा, मृत्यु तक पहुंचा देगा। आंख से, कान से, नाक से, जीवन की श्वास भीतर आती है, उन्हीं से बाहर जाती है। नौ द्वार और चार अंग।
तेरह ही जीवन के साथी, तेरह ही मौत के साथी। ये तेरह ही लाते हैं, ये तेरह ही ले जाते हैं।
तेरह की संख्या के कारण चीन में, और फिर धीरे-धीरे सारी दुनिया में, तेरह का आंकड़ा अपशकुन हो गया। वह चीन से ही फैला। पश्चिम में जहां तेरह का आंकड़ा अपशकुन है उनको पता भी नहीं कि क्यों अपशकुन है। उसका जन्म चीन में हुआ।तो आज तो हालत ऐसी है कि अमरीका में होटलें हैं जिनमें तेरह नंबर का कमरा नहीं होता; तेरह नंबर की मंजिल भी नहीं होती। क्योंकि कोई ठहरने को तेरह नंबर की मंजिल पर राजी नहीं है। तो बारह के बाद चौदह नंबर होता है। क्योंकि तेरह शब्द से ही घबड़ाहट पैदा होती है।
तेरह नंबर का कमरा नहीं होता; बारह नंबर के कमरे के बाद चौदह नंबर का आता है। होता तो वह तेरहवां ही है, लेकिन जो ठहरता है उसको नंबर चौदह याद रहता है; तेरह की उसे चिंता नहीं पकड़ती।
इसका जन्म हुआ चीन में, और बड़े अर्थपूर्ण कारण से यह विश्वास फैला। अगर तुम इन तेरह के प्रति सजग हो जाओगे, तो शरीर से तुम्हारा फासला बढ़ेगा। तुम देख पाओगे, मैं पृथक हूं, मैं अन्य हूं। शरीर अलग, मैं अलग।
और यह जो भीतर भिन्नता, इसकी न कोई मृत्यु है, न इसका कोई जीवन है। न यह कभी पैदा हुआ, न कभी यह मरेगा ।आज के ही दिन भारत मे जलियांवाला कांड हुआ था और जनरल डायर जिसकी वास्तविक जन्म तारीख तेरह ही थी,और उस दिन शुक्रवार का ही दिन था। वैसे इतिहासिक रूप से उसकी जन्म तारीख नौ अक्टूबर अठारह सौ चौसठ बताई गयी है,वास्तविक जन्म तारीख १३ नवम्बर १८६३ मिलती है.तुला राशि का सूर्य मंगल गुरु बुध था तथा वृश्चिक राशि का चन्द्रमा और राहु तथा वृष राशि का केतु गन पाइंट से भीड की हत्या करने के लिये एक दुरात्मा की तरह से काम करता है। अक्सर इस दिन पैदा होने वाले लोग मारक शक्ति को लेकर पैदा होते है लेकिन यह वही लोग होते है जो सामाजिक व्यवस्था से दूर होते है और मनमर्जी के अधिकारी भी माने जाते है धर्म कर्म संस्कार आदि जिनके वश की बात नही होती है। यह दिन कई देशो मे बहुत ही प्रसन्नता से मनाये जाता है और कई देशो मे यह भूतो का दिन माना जाता है लेकिन जहां संस्कार और विद्या का प्रयोग करना आता है उन स्थानो मे यह बहुत ही शुभता की द्रिष्टि से मनाया जाता है। मित्रों , संसार क्षण-भंगुर है। उस पर रोचक तथ्य यह टटहै कि क्षण के हजारवें अंश की भी गणना होती है। यह कालचक्र के रहस्यों से भरे खेल का हिस्सा मात्र है। समय की गति का अध्ययन करने वाले और इसके गूढ़ रहस्यों को समझने-समझाने वाले तमाम विज्ञान-शास्त्र नंबरों के इस खेल को और भी रोचक रूप में हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र को तो मनुष्य के जन्म के समय, तिथि और अन्य सबंधित टआंकड़ों की गणना मात्र से उसके संपूर्ण जीवनकाल की गणना करने में सक्षम माना गया है। 60 सेकंड का एक मिनट, 60 मिनट का एक घंटा, 12 घंटों का दिन, 12 घंटों की रात, 12 महीनों का एक साल। इस तरह 365-1/4 दिनों के एक साल में जीवन एक-एक सेकंड कर घटित होता है। रोचक बात यह है कि सटीक 12-12 घंटों के दिन-रात और 12 महीनों का कहे जाने के बावजूद एक साल का अंत सटीक 12 पर नहीं होता है। 13 पर होता है। क्योंकि एक साल 365+1/4 यानी 365 दिन + चौथाई दिन का होता है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं आप अंक 13 के जलवे का 
जहां कुछ संस्कृतियों में 13 को नंबर ऑफ डेथ कहा गया है वहीं कुछ में इसे "नंबर ऑफ लाइफ" माना गया है। ब्राजील में कोपेरस धर्म को मानने वाले 13 को शुभ मानते हैं। वहां इसे नंबर ऑफ लाइफ माना जाता है। वे कहते हैं कि यह मानवता की रक्षा का परिचायक है। वे इसे नंबर ऑफ गॉड यानी भगवान का अंक मानते हैं। 
हमारे भारत में सिख मतावलंबी 13 को शुभ मानते हैं।  वैशाखी अप्रैल की 13 तारीख को मनाया जाता है।  इसी तरह इस्लाम, यहूदी, रोमन कैथोलिक धर्म में भी कुछ ऎसे विवरण मिलते हैं जो 13 को नंबर ऑफ गॉड यानी भगवान का अंक निरूपित करते हैं। शिया धर्म में रज्जब माह की 13 तारीख को पवित्र माना जाता है।
प्राचीन मिस्त्र सभ्यता में, जहां मौत के बाद भी जीवन की मान्यता थी, 13 को जीवन और मौत के बीच की कड़ी माना गया था। इसी तरह यदि अल्फाबेट से जोड़ कर देखें तो अल्फाबेट का 13वां लैटर है "एम"। दुनिया एम के ही इर्द-गिर्द घूमती है। मिस्र में तो मौत के बाद मरने वाले को आलीशान पिरामिड में ममी के रूप में सुरक्षित रखा जाता था। इस पिरामिड को कुल 13 दिन में ही बनाया जाता था। 
शैतान का अंक 
ईसाइ धर्म में ऎसे कुछ घटनाक्रमों का उल्लेख है, जिससे 13 का अंक इस धर्म को मानने वालों के लिए शैतान का अंक है । कहा जाता है कि उस दिन 13 तारीख थी जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। उन्हें जिन लोगों ने सूली पर चढ़ाया था उनकी संख्या 13 थी। यही नहीं, ईसा मसीह ने खुद को सूली पर चढ़ाए जाने से पहले जो अंतिम भोजन किया था, जिसे लास्ट-सपर कहा गया है, उस मेज पर ईसा सहित कुल 13 लोग ही शामिल थे। लिहाजा ईसाई 13 को अशुभ मानते हैं।   
लेकिन कीरो कहते हैं बेहद शुभ है 13 अंक !
अ नुकूल योग होने पर 13 को बेहद करिश्माई अंक बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र और अंक शास्त्र में इसे कर्म का प्रतीक भी कहा गया है। यानी जैसा कर्म, वैसा फल। 13 का मूल अंक 4 है, जिसे निर्माण का प्रतीक भी बताया गया है। इस अंक को न्यूमेरोलोजी में पमास्टर-नंबर की पदवी दी गई है। कहा गया है की अनुकूल होने पर यह सबसे करिश्माई अंक साबित होता है पऔर इसे न केवल सौर मंडल बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि का सहयोग मिलता अंक तेरह का योग चार मे आता है और चार का अंक भारतीय गणना के अनुसार केतु की परिभाषा मे आता है,केतु को साधनो का कारक और गणेश जी के रूप मे पूजा जाना भी माना जाता है  जो लोग तांत्रिक कारणो को समझते है और उनका प्रयोग करना जानते है वे लोग तांत्रिक वस्तुओं की स्थापना भी करते है,तेरह अप्रैल को यह तारीख और दिन आने से तथा सूर्य का बारहवा स्थान बदलने के बाद मेष राशि मे आने से भी यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन लोग केतु से सम्बन्धित तांत्रिक वस्तुओ को स्थापित करने से भी उनकी अद्रश्य शक्ति से सफ़लताओ का मिलना जाना जाता है। लोग आज के दिन दक्षिणावर्ती शंख हड्डी तथा नाखून से बनी वस्तुये केतकी जडी कांटे और वनस्पति जगत की तांत्रिक वस्तुये स्थापित करते है। आज के दिन नाव की कील से बने छल्ले शनि सम्बन्धित तकलीफ़ो जैसे जोडों के दर्द शरीर मे चर्बी का इकट्ठा हो जाना पेशाब वाली बीमारिया हो जाना आदि रोगो के लिये सही माने जाते है।

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