https://youtu.be/RH_hA1GD-UA
मित्रों आज हम चर्चा करेंगे शनि और केतु ग्रह की युति पर शनि ग्रह और केतु ग्रह की युति को समझने के लिए सर्वप्रथम हमें दोनों ग्रहों को समझना होगा। शनि ग्रह आयु, न्याय, नौकरी, सेवा, अपमान, और निष्ठा के कारक ग्रह है। ये कारावास के भी कारक ग्रह है। एवं केतु को रहस्यमयी विषयों का कारक ग्रह माना गया है। यह मोक्ष कारक ग्रह भी है्।
मित्रों आज हम चर्चा करेंगे शनि और केतु ग्रह की युति पर शनि ग्रह और केतु ग्रह की युति को समझने के लिए सर्वप्रथम हमें दोनों ग्रहों को समझना होगा। शनि ग्रह आयु, न्याय, नौकरी, सेवा, अपमान, और निष्ठा के कारक ग्रह है। ये कारावास के भी कारक ग्रह है। एवं केतु को रहस्यमयी विषयों का कारक ग्रह माना गया है। यह मोक्ष कारक ग्रह भी है्।
केतु को मंगल के समान माना गया है, राहु केतु एक दूसरे के पूरक है मित्रों केतु एवं शनि दोनों ही व्यक्ति ग्रहों को आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर करने वाला और मार्गदर्शन करने वाला माना गया है, शनि ग्रहों की प्रवृत्ति है की पापी व्यक्तियों को सजा, कष्ट देकर कठिन सबक देते है। शनि जहाँ व्यक्ति को सबसे अलग थलग कर देता है, वही केतु रिश्तों का त्याग कर वैराग्य देता है। केतु हमें अतीत को फिर से देखने के लिए मजबूर करता है। जैसा की सर्वविदित है की शनि अपनी साढ़ेसाती, शनि ढैय्या अथवा अपने गोचर के समय व्यक्ति को अपने किए गए कर्मों की जिम्मेदारी लेने और सात्विक मार्ग का चयन कर, सही कार्य करने के लिए मजबूर कर देता है।शनि ग्रह और केतु दोनों ग्रहों का एक सिद्धांत जो एकसमान है वह है- “जो बोया है वही काटना पडेगा” अर्थात अपने पाप कर्मों की सजा स्वयं ही भुगतनी होगी। “अपनी गंदगी स्वयं ही साफ करनी होगी”। यह उक्ति उन लोगों के लिए एक सन्देश है जो वर्त्तमान में मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट झेल रहे है। जो जीवन परिस्थितियों से हताश और निराश हो चुके है। जिन्हें अतीत ने चोट पहुंचाई है, पूर्व जन्म के बुरे कर्मों का फल जो इस जन्म में कष्टों के रूप में प्राप्त कर चुका रहे है। शनि केतु युति का यह मेल कर्मों की सफाई या कर्ज चुकाना अथवा कठिन समय से सीख लेने वाला भी माना जा सकता है.कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हमारे जीवन का कोई घाव हमारी मानसिक शान्ति को बार बार भंग करता है। ऐसे अतीत से बाहर आने के लिए आवश्यक है की पुरानी सारी बातों को भूल जाया जाए और अतीत को पकड़ कर ना रखा जाएँ। पुराने ऋणों का भुगतान करने के लिए इस जन्म में आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। शनि हमें सांसारिक जिम्मेदारियों से जोड़े रखता है, हमें कष्ट देकर हमारी सहनशक्ति को बेहतर करता है। शनि और केतु दोनों व्यक्ति को अतीत के दुःख-दर्दों से बचने के लिए आश्रम की और भागने की प्रवृति देते हैं। जो लोग देश की जगह विदेश में रहने के इच्छुक है। यह योग ऐसे लोगों के लिए अनुकूल साबित होता हैकेतु ग्रह का स्वभाव है की वह दुनिया का सामना करने से बचना चाहता है। सफलता प्राप्ति के लिए वह कठिन परिश्रम करने से बचना चाहता है। इसके लिए गृहस्थ जीवन का त्याग कर सन्यास जीवन ग्रहण करता है। पूरे समय ध्यान और साधना में समय व्यतीत करता है और दुनिया की जिम्मेदारियों से नहीं निपटता है। शनि और केतु का एक साथ होना बड़ी संख्या में जातकों को पारिवारिक जीवन से हटाकर सन्यास, आश्रम जीवन की ओर लेकर जा सकता है। अवचेतन मन की चुनौतियों का ज्ञान देता है। मय बलवान होता है। हमें सभी शुभ फल की प्राप्ति होती है तथा किसी समय हमारे लिए निराशा का भी क्षण होता है।शनि के साथ केतु है तो काला कुत्ता कहा जाता है,शनि ठंडा भी है और अन्धकार युक्त भी है, दोस्तोंशनि राहु केतु के साथ के बिना कोई शुक्र सडक पर नही चल सकता है,शुक्र गाडी है,खाली शुक्र शनि है तो भार वाहक गाडी है,शुक्र के साथ राहु है तो सजी हुई गाडी है,गुरु का प्रभाव है तो हवाई जहाज भी है,केतु अगर कर्क के संचरण में है तो चार पहिये की गाडी है,वृश्चिक के संचरण में है तो आठ पहिये की गाडी है,और अगर किसी प्रकार से तुला या वृष का है तो दो पहिये के अलावा कुछ सामने नही आता है,गुरु केतु और शुक्र सही जगह पर है तो जातक हवाई जहाज उडाने की हैसियत रखता है,और अगर वह नकारात्मक पोजीसन में है तो जातक को पतंग उडाना सही रूप से आता होगा, आज इतना ही मित्रों बाकी अगले लेख के माध्यम से चर्चा करें आचार्य राजेश
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