गुरुवार, 15 दिसंबर 2022

16 दिसंबर से खरमास आंरभ, अगले 30 दिनों तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य ---------------------

16 दिसंबर से खरमास आंरभ, अगले 30 दिनों तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य  ---------------------

्हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों के लिए समय तय है, ताकि जीवन में कोई संकट न आए और शुभ कार्य का रास्ता बनता रहे। इसलिए चाहे शुक्र अस्त हों, या देवशयन का समय हो या खरमास, इस समय कोई नया मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। अभी कुछ दिन पहले ही देवउठनी एकादशी बीती है और शुक्र उदय हुए हैं. अब 16 दिसंबर से खरमास लग रहा है। इस महीने के बीतने तक फिर मांगलिक कार्य शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि बंद हो जाएंगे।

क्या है खरमासः खरमास का अर्थ है खराब महीना। मान्यता है कि जब भी सूर्य देव, गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में भ्रमण करते हैं ऐसी स्थिति बनती है। इस महीने में सूर्य की किरणें कमजोर हो जाती हैं यानी उनका तेज क्षीण हो जाता है। इसलिए इसे अच्छा नहीं माना जाता।इस जगत की आत्मा का केंद्र सूर्य है। बृहस्पति की किरणें अध्यात्म नीति व अनुशासन की ओरे प्रेरित करती हैं। लेकिन एक दूसरे की राशि में आने से समर्पण व लगाव की अपेक्षा त्याग, छोड़ने जैसी भूमिका अधिक देती है। उद्देश्य व निर्धारित लक्ष्य में असफलताएं देती हैं। जब विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञ आदि करना है तो उसका आकर्षण कैसे बन पाएगा? क्योंकि बृहस्पति और सूर्य दोनों ऐसे ग्रह हैं जिनमें व्यापक समानता हैं। 

सूर्य की तरह यह भी हाइड्रोजन और हीलियम की उपस्थिति से बना हुआ है। सूर्य की तरह इसका केंद्र भी द्रव्य 4 भेद है, जिसमें अधिकतर हाइड्रोज-' ही * जबकि दूसरे ग्रहों का केंद्र ठोस है। इसका भार सौर मंडल के सभी ग्रहों के सम्मिलित भार से भी अधिक है। यदि यह थोड़ा और बड़ा होता तो दूसरा सूर्य बन गया होता। 

पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर सूर्य त 64 करोड़ किलोमीटर दूर बृहस्पति वर्ष में एक बार ऐसे जमाव में आते हैंकि सौर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के माध्यम से बृहस्पति के कण काफी मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचते हैं, जो एक दूसरे की राशि में आकर अपनी किरणों को आंदोलित करते हैं। 

इस कारण धनु व मीन राशि के सूर्य को खरमास/मलमास की संज्ञा देकर व सिंह राशि के बृहस्पति में सिंहस्थ दोष दर्शाकर भारतीय भूमंडल के विशेष क्षेत्र गंगा और गोदावरी के मध्य (धरती के कंठ प्रदेश से हृदय व नाभि को छूते हुए) गुह्म तक उन्र भारत के उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, राज्यों में मंगल कर्म व यज्ञ करने का निषेध किया गया है, जबकि पूर्वी व दक्षिण प्रदेशों में इस तरह का दोष नहीं माना गया है। 

८ वनवासी अंचल में क्षीण चन्द्रमा अर्थात वृश्चिक राशि के चन्द्रमा (नीच राशि के चन्द्रमा के चन्द्रमा (नीच राशि के चन्द्रमा) की अवधि भर ही टालने में अधिक विश्वास रखते हैं, क्योंकि चंद्रमा मन का अधिपति होता है तथा पृथ्वी से बहुत निकट भी है, लेकिन धनु संक्रांति खर मास यानी मलमास में वनवासी अंचलों में विवाह आयोजनों की भरमार देखी जा सकती है, किंतु सामाजिक स्तर पर उनका अनुसंधान किया जाए तो इस समय में किए जाने वाले विवाह में एक दूसरे के प्रति संवेदना व समर्पण की अपेक्षा यौन विकृति व अपराध का स्तर अधिक दिखाई देता है। 
ज्योतिष के अनुसार सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के बाद मकर राशि में प्रवेश करने से पहले तक की अवधि खरमास कही जाती है। इस साल खरमास 16 दिसंबर से लग रहा है और 14 जनवरी तक रहेगा। इस अवधि में धनु राशि के स्वामी बृहस्पति भी प्रभावहीन रहते हैं। इस दौरान गुरु के स्वभाव में भी उग्रता रहती है।
ये  16 दिसंबर से 14 जनवरी की अवधि में जप, तप ही करना चाहिए। खरमास में उगते सूर्य को अर्घ्य देना शुभ होता है। इस अवधि में पीपल और तुलसी को जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही गोसेवा करनी चाहिए, जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न होंगें और मंगल करेंगे।
इस समय सूर्य धनु राशि में करेंगे प्रवेशः 16 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे और 14 जनवरी 2023 को रात 8 बजकर 57 मिनट तक धनु राशि में रहेंगे।

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