मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

आओ ज्योतिष विद्या सीखे

मैने अपनी पिछली पोस्ट
 मे तिथियों की जानकारी दी थी यह संख्या मे कुल तीस होती है और मास का आरम्भ सदा पड़ेवा या प्रतिपदा से होता है और उसके बाद दूज तीज चौथ तथा पंचमी होती है इनको ज्योतिष की भाषा मे नन्दा,,जया,,भद्रा,,रिक्ता और पूर्णा कहते है यह पांच पांच के साइकल मे पुनरावृत्ति होती है और पन्द्रहवीं तिथि या तो अमावश्या कहलाती है या पूर्णमाशी। इसमें अमावस्या से पहले की पांच तिथि और बाद की पांच तिथि कम बली होती है इसलिए आमतौर पर इनको महूर्त मे ग्रहण नहीं करते है,,यह साधारण नियम है सदा ऐक जैसा लागू नहीं होता है।यह जानकारी अधूरी है शेष अगले भाग मे।आप थोड़ा सा ध्यान देंगे तो काम चलाऊ पंचांग देखना सीख जाऐगे।सबका धन्यवाद।

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