शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

आओ ज्योतिष विद्या सीखें

आज ज्योतिष पर बहुत छोटी सी पोस्ट,, ज्योतिष पढ़ना पढ़ाना और ज्योतिष सीख कर फलित करना दोनो मे ज़मीन आसमान का अन्तर रहता है ज्योतिष मे आपको जैसे जीने मे ऐक ऐक सीढ़ी चढ़ना सिखाया जाता है वैसे ऐकल ग्रह का फल पढ़ाते है और जब आप इस विषय को सीख लेते है तो अपनी उस जानकारी के आधार पर कुण्डली का फलित करते है यह अन्तर बहुत बड़ा हो जाता है।
फलित मे आपको 12 राशियो,,9 ग्रह और 12 भाव तथा 27 नक्षत्र के आधार पर सारे प्रश्नो के उत्तर देने होते है,,केवल ऐक ग्रह के आधार पर सीमित फलित तो कर सकते है फर सम्पूर्ण नहीं और इतनी मेहनत करने फर भी कभी उत्तर शत-प्रतिशत नही मिलता बल्कि ऐक की जगह दो या तीन उत्तर निकलते है उसमें से किसका चयन करें जो घटे इसमें इष्ट कृपा सहायक होती हैऔर आपका सात्विक आचरण यह इस ब्रह्म विद्या और अन्य विषय मे सबसे प्रमुख अन्तर‌है।
शनि मंगल को आम तौर पर पापी ग्रह माना गया है और सूर्य को क्रूर ग्रह कभी यह सोचा इसका क्या कारण है इसका कारण शनि और मंगल दोनो को 12 राशियों मे केवल 39 39 रेखा मिलना है सर्वाष्टक सारणी मे।सूर्य को 48 मिलती है और चन्द्रमा को सूर्य से ऐक अधिक 49 मिलती है और शुक्र,, गुरू तथा बुध को 50 से अधिक मिलती है।
आप इस अन्तर को समझे आपको टुकड़े-टुकड़े मे पढ़ाया गया है पर फलित आपको सम्पूर्ण करना है।आशा करता हूं यह छोटा सा अन्तर आपको सही लगा होगा।सबका धन्यवाद।

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