रविवार, 29 सितंबर 2024

साल का आखिरी सूर्य ग्रहण

मित्रों 2024 के आखिरी चंद्र ग्रहण के 15 दिन बाद ही, साल का चौथा ग्रहण जो सूर्य ग्रहण होगा वो लगेगा। वैदिक पंचांग के अनुसार 2 अक्तूबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इसे आश्विन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के साथ होता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस दौरान सूर्य ग्रहण 2 अक्तूबर को रात्रि  9 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा और इसकी समाप्ति रात 3 बजकर 17 मिनट पर होगी। भारत में इस समय रात रहेगी जिस वजह से आप सूर्य ग्रहण को नहीं देख पाएंगे।2 अक्तूबर को रात्रि के समय सूर्य ग्रहण लगेगा, जिसका असर भारत में नहीं दिखाई देगा। ऐसे में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। 
रवि29 तारीख को सूर्य और  केतु राहुकाल में एक ही डिग्रीपर कन्या राशि हस्त नक्षत्र पर 12° 26' 36" पर होगें  19अक्टूबर 2024 तक का समय बेहद संवेदनशील। राजनीतिक उथलपुथल व सत्ता पलटने के योग। नेता, सरकारी नौकर, बेरोक्रेट्स, रिस्टरोक्रेट्स व उच्च स्तर पर बैठे लोग सतर्क रहें। नौकरी जाने या किसी बड़े पर्दाफाश की संभावना। अभी से कुछ देशों के बीच चल रहा युद्ध बेहद हिंसक होगा। भारत व विश्व के वायव्य व उत्तर के क्षेत्र व समुद्र तटीय क्षेत्र में आपदा व आपातकालीन स्थिति के  इलावा लोगों के रोजगार को प्रभावित करेगा। आगे पूरे विश्व के युद्ध के हालात बन सकते हैं
2026 तक विश्व में युद्ध के हालात भयंकर हो सकते हैं कहीं पर भूचाल भूकंप और सुनामी के हालात बन सकते है

शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

jyotish Sutra

सूर्य 10 डिग्री का ही मेष में उच्च का रहता है क्योकि 10 डिग्री तक ही मेष राशि मे अश्वनी नक्षत्र रहता है

अश्वनी नक्षत्र का स्वामी केतु है केतु देव को मंगल के समकक्ष ही माना गया है

कुब्जवत केतु

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अब कालपुरुष कुंडली के अनुसार मंगल सूर्य केतु तीनो का ही मेष राशि पर आधिपत्य हो गया

मंगलदेव की मूलत्रिकोण राशि मेष जहां सूर्यदेव उच्च के होते है 10 डिग्री तक,10 डिग्री तक ही अश्वनी नक्षत्र रहता है मेष में

मंगल देह है 
सूर्य आत्मा
केतु मोक्ष

आत्मा तो अजर अमर है यात्रा शरीर को करनी है

मंगल अग्नितत्व
सूर्य  अग्नितत्व
केतु अग्नितत्व

इसलिए हम कह सकते है कि जीव की उत्तपत्ति अग्नि से हुई है

और यही कारण है कि कालपुरुष कुंडली मे मेष राशि प्रथम भाव मे आई एवम मंगलदेव को मेष राशि का स्वामितत्व दिया गया

 एक राशि मे 9 चरण होते है 

आप इसे नवमांश भी कह सकते है 

चु चे चो ला अश्वनी -केतु

ली लू ले लो भरनी  -शुक्र

कृतिका का प्रथम चरण आ -सूर्य

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अब आप लोग बताये की सूर्य 11 डिग्री या 15 डिग्री का मेष में हो तो क्या सूर्यदेव उच्च के होंगे ❓

सूर्यदेव जगत पिता है ऑथोरिटी के कारक है राजा है 10 से 20 डिग्री तक मेष राशि मे भरनी नक्षत्र रहेगा जिसके स्वामी शुक्रदेव है शुक्र भोग विलाश के कारक है

यदि एक राजा या पिता भोग विलाश में लिप्त हो जाये तो उस परिवार या जनता का हाल होगा❓

मतलब अंधेरी नगरी चौपट राजा वाली कहावत लागू हो जाएगी

जब सूर्य देव मेष राशी में 10 से 20 डिग्री तक रहेंगे तो उनकी शक्ति बहुत क्षीण हो जाएगी
वो अपना प्रभाव नही दे पाएंगे क्योकि यहां सूर्यदेव शुक्र के अधीन होंगे

"कृष्णमूर्ति पध्दति KP का भी यही नियम है"

ग्रह अपना प्रभाव ना देकर अपने नक्षत्र स्वामी का प्रभाव देते है

यही से तो कृष्णमूर्ति जी ने KP पध्दति शुरुवात की

Dasha Lord Then Stronger
 Sub Lord
 Sab Lord Then Stronger Sub Sub Lord

मतलब महादशा स्वामी से ज्यादा ताकतवर अंतर्दशा स्वामी है 
और अंतर्दशा स्वामी से भी ज्यादा शक्तिशाली प्रत्यंतरदशा स्वामी होता है
क्योकि फल तो आपको प्रत्यन्तर दशा मे ही मिलने वाले है

 अब ये दशा 
अंतर्दशा
प्रत्यन्तर दशा क्या है 

नवग्रहों की महादशा या आप कह सकते है कि
120 वर्ष की विंशोतरी दशा का कर्म है 

यही नवा भाग तो आपका Sub Sub लार्ड बनेगा

 इसे आप अन्य तरीके से समझिए
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ग्रह से शक्तिशाली नक्षत्र स्वामी
   नक्षत्र स्वामी से पावरफुल उप नक्षत्र स्वामी 

मतलब दशा नाथ से ज्यादा 
अंतर्दशा नाथ और अंतर्दशा नाथ से ज्यादा शक्तिशाली प्रत्यंतर दशा नाथ जिसे हम सब लार्ड कहते है,

जैसे बच्चे की शादी करनी हो तो घर मे जो ज्यादा शक्तिशाली होगा  उसकी की चलेगी मतलब जब वो प्रॉमिस करेगा तब ही शादी होगी,

Example:- ग्रह जातक स्वयं
    नक्षत्र स्वामी पापा
ओर उपनक्षत्र स्वामी मम्मी

अब सबको पता है कि घर मे सबसे ज्यादा मम्मी की ही चलती है,

जैसे मानलो आप किसी विभाग में उच्च पद पर है तो आपका ऑडर वही चलेगा जहा आप पोस्टेड है ,दूसरी जगह नही example आप दिल्ली पोस्टेड है एवम आप हरिद्वार स्नान करने गए है तो हरिद्वार में आपका ऑर्डर नही चलेगा,लेकिन जैसे आप अपनी कुर्सी पर बैठते है, आपका ऑर्डर फिर से चलने लग जाएगा,

ऐसा ही इस पद्दति में है,

शादी (Marriege) के लिए इस पद्दति में 
2 7 11 भाव को मुख्य रूप से लिया जाता है,

अब 2,7,11 क्या है 

2 भाव कुटुम्भ का क्योकि शादी 2 इंसानों की होती है ,

7 भाव समाज के लोगो का आशीर्वाद क्योकि बिना आशीर्वाद के शादी नही होती ,

11 भाव लाभ का इच्छा पूर्ति का,

इन तीनो के माध्यम से ही शादी होती है,

अब इसमें 1 भी कनेक्ट होना चाहिए क्योंकि 1 भाव जातक स्वयं है बिना जातक के शादी कैसी शादी तो जातक को ही करनी है,

12 भी कनेक्ट होना चाहिए क्योंकि शादी कैसी होगी ये 12 वा भाव तय करता है 
मतलब की 12 भाव लग्जरी का है ,

5 भाव और 9 भाव

2 ,7,11 भावो के मित्र है 

क्योकि 5 भाव प्रेम का
9 भाव भाग्य का

कोर्ट मैरिज के लिए 6 भाव कनेक्ट होना चाहिए ,

3 ऒर 4 भाव ये एक्स्ट्रा है मतलब इनका महत्व कम है ,

अब बात करते है ,
No मैरिज या डिवोर्स

इनके फिक्स भाव है 
1 6 10 क्योकि ये भाव शादी के भावो से 12 th है मतलब की इनका व्यय करेंगे,

 1 भाव जातक अकेला है या रहना चाहता है,

6 भाव कोर्ट केश

10 भाव जज की स्टम्प जब लगेगी तब ही तलाक होगा अन्यथा नही 
12 th भाव कनेक्ट हो जाए तो सबको लता है ये लॉस का भाव है,मतलब की तलाक होगा लेकिन धूमधड़ाके से

जैसे 1,6,10,में 11 कनेक्ट हो जाये तो तलाक होना मुश्किल हो जाएगा ,क्योकि 11 भाव 2,7 भाव का मित्र है,

 12th भाव loss का है 
ओर 12 th से bhi 12th 11 भाव loss का भी लोस्स

12 वा घर अपने घर से 12 वे घर को घटाएगा मतलब की उसके महत्व को कम करेगा,

वही दूसरी ओर 

2nd हाउस अपने घर से दूसरे घर  के महत्व को बढ़ाएगा मतलब वृद्धि करेगा ,

"मेरे कहने का या इतना लिखने का मतलब यही है कि हमारी वैदिक ज्योतिष पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए बिना इसके सब व्यर्थ है"
 
       

कर्म फल और ईश्वर

परमात्मा हमारे/मनुष्यों के कर्मों का फल स्वयं देने नहीं आता। वह ऐसी परिस्थिति और संयोग बनाता है, जहाँ मनुष्य को फल मिल जाता है। यूं कहें कि ...