शनिवार, 2 नवंबर 2024

कर्म फल और ईश्वर

परमात्मा हमारे/मनुष्यों के कर्मों का फल स्वयं देने नहीं आता। वह ऐसी परिस्थिति और संयोग बनाता है, जहाँ मनुष्य को फल मिल जाता है। यूं कहें कि परमात्मा दिलवा देता है, किसी अन्य मनुष्यों के द्वारा। और उस मनुष्य को 9 ग्रहों और नक्षत्रों द्वारा प्रभावित करके परमात्मा, कर्मफल को घटित करता है, मनुष्य की निर्णय लेने की प्रक्रिया बदल कर!

इसलिए बहुत से अकाट्य मुहावरे और कहावतें हैं परमात्मा पर।
1-हानि-लाभ जीवन-मृत्यु मान-अपमान विधि हाथ'
2-होइहि सोइ जो राम रचि राखा। कौन करे तर्क बढ़ावे शाखा ।
3-करम प्रधान विश्व रचि राखा। जो जस करइ सो तस फल चाखा।।"
4-राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी ।।

विनाश काले विपरीत बुद्धि। 
विकास काले अनुकूल बुद्धि।

इसलिए मनुष्य वह कर सकता है, जो वह चाहता है। पर वह यह चाह नहीं सकता कि वह क्या चाहे!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शोर संसार का भ्रम है, 'सन्नाटा' ही असली सच है। पाताल (8th House) की भट्टी में तपे बिना, आकाश (12th House) की ठंडक नहीं मिलती। मोक्ष की महायात्रा: एक परदेसी की घर वापसी। 🚶‍♂️➡️🏠"

 शोर संसार का भ्रम है, 'सन्नाटा' ही असली सच है। पाताल (8th House) की भट्टी में तपे बिना, आकाश (12th House) की ठंडक नहीं मिलती। मोक...