मित्रों यथार्थ के बहुत करीब तक भविष्यवाणियां की जा सकती हैं लेकिन आवश्यकता है ज्योतिष के गूढ़ रहस्यों की जानकारी एवं ग्रहों की चाल समझने की। यदि भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी हमें वर्तमान में मिल जाए तो हम भविष्य के लिए बहुत कुछ तैयारियां कर सकते हैं।
भविष्य में होने वाली दुर्घटना को टाल सकते हैं अथवा उसके दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं। अधिकांशत: देखा गया है कि ज्योतिषी लोग अपनी विद्या का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते या यूं कहें कि पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते और सही भविष्यवाणी में कई बार चूक जाते हैं। सही मायने में देखा जाए तो ज्योतिष विद्या मनुष्य के पिछले कर्मों का दंड-पुरस्कार बताने वाला विज्ञान है। अव मन मे यह सवाल आएगा किभाग्य में जो लिखा है वह होना ही है तो उसे जानने से क्या लाभ? मित्रो उस जानकारी के आधार पर अपने भविष्य को सुधारा जा सकता है। कम से कम यह तो किया जा सकता है कि हम अपने किए हुए कर्मों का परिणाम भुगतने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। दुखद संभावनाएं टाली नहीं जा सकतीं तो कम से कम उनसे निपटने की तैयारी तो कर ही सकते हैं।भविष्य को जान लेने के बाद उसे बदला भी जा सकता है। निचली अदालत में कोई जुर्म सिद्ध होने और सजा सुनाई जाने के बाद ऊंची अदालतों में अपील की जाती है। वहां भी अपराध सिद्ध हो जाए तो दो स्थितियां होती हैं। एक सजा बहाल रहे और दूसरे उसमें कुछ छूट मिल जाए या दंड का स्वरूप बदल जाए। निचली अदालतों में फांसी की सजा सुनाए लोगों को बड़ी अदालतों से अक्सर राहत मिलती है। उनकी फांसी अक्सर आजीवन कारावास में बदल जाती है। भाग्य में उलट-फेर की संभावना इसी तरह मौजूद रहती है। उस संभावना का उपयोग किया जाना चाहिए। चेतना के एक स्तर पर पहुंचने के बाद भावी घटनाओं का न केवल पूर्वाभास होता है बल्कि उन्हें नियंत्रित भी किया जा सकता है। उनकी दिशाधारा बदली जा सकती है।मेरा मानना है कि ‘ज्योतिषी को दुखद भविष्यवाणियां करने से बचना चाहिए। हो सकता है नियति का विधान किसी और तरह काम करे और होनी जिस रूप में दिखाई दे रही है, वह टल जाए लेकिन एक बार दुखद भविष्यवाणी कर दी गई और जातक ने उसे मान लिया तो दुख की आशंका और भी घनीभूत हो जाती है। वह संभावना टल रही हो तो भी वापस बुला ली जाती है।रोग, नुक्सान, मृत्यु, विग्रह आदि भविष्यवाणियों के सही होने में सिर्फ होनहार ही कारण नहीं है, उनकी घोषणा भी एक अंश में जिम्मेदार है जो दुर्घटनाओं के लिए आवश्यक पृष्ठभूमि रचती है। इस तरह की घोषणाएं कभी-कभार जातक के मन में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न करती हैं। वह उन्हें रोकने के लिए कमर कसता है, उन्हें टालता भी है लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। भाग्य को जान लेने के बाद उसे बदलने का उपक्रम किया जा सके तो यह ज्योतिष का सही उपयोग है। सवाल हो सकता है कि भाग्य को बदला कैसे जाए? मित्रों होनी को टालने अथवा नियति को बदलने वाले उपायों में तीन प्रमुख हैं-एक इच्छा शक्ति, दूसरा विनय और तीसरा नियति को समझने और तद्नुकूल अपने आपको ढाल लेने वाला ज्ञान। तीसरे उपाय को एक ही शब्द में ‘गुह्य ज्ञान’ भी कहा जा सकता है। अपने आपको बदलने और विश्व को अधिक सुंदर, उन्नत, व्यवस्थित बनाने के लिए समर्पण का मन बना लिया जाए तो नियति में बदलाव आने लगता है। तब प्रकृति एक अवसर देती है। जिन लोगों की नियति में बदलाव आया, उनके लिए नियति ने उद्देश्यपूर्ण उदारता ही बरती मित्र इच्छाशक्ति का उपयोग वुरी भावना से नहीं किया जा सकता। बदलने या सुधरने का ढोंग कर अपने लिए क्षमा नहीं बटोरी जा सकती है। बाहरी दुनिया में काम करने वाली न्याय व्यवस्था को झांसा देना कितना ही आसान हो, दिव्य प्रकृति में कोई झांसेबाजी नहीं चलती। वहां शुद्ध ईमानदारी और प्राथमिकता ही काम आती है
दूसरा आवश्यक गुण है ‘विनय’। अपने आपको परम चेतना के हवाले छोड़ देने और अकिंचन हो जाने की मन: स्थिति ही विनय है। उस स्थिति में अहंकार का नाम-निशान नहीं बचता। एक बार तो यह परवाह भी छोड़ देनी पड़ती है कि नियति से उदार परिवर्तन भी आएंगे। अपने आपको कठोर तथा और अधिक क्रूर परिवर्तनों के लिए भी उसी कृतज्ञ भाव से तैयार रखना पड़ताहै यह बात स्पष्ट है कि जन्म पत्रिका के माध्यम से हम आने वाले समय में अर्थात भविष्य में होने वाली घटनाओं के संबंध में महत्वपूर्ण बातों को जान सकते हैं। यदि हमारे साथ कोई दुर्घटना घटने वाली है तो हम उसके बचाव के उपाय कर सकते हैं और नहीं तो कम से कम उस दुर्घटना के प्रभाव को तो कम कर ही सकते हैं।
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