गुरुवार, 19 मार्च 2020

#(Coronavirus)#क्या कारण है ज्योतिष ग्रह योग क्‍यों फैला कोरोना और कब मिलेगी राहत?

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कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया खौफजदा है। कोरोना चीन के वुहान शहर से सामने आया कोरोना वायरस आज पूरे विश्वभर में चर्चा के चरम पर है और एक महामारी का रूप ले चुका है। लाखों लोग इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं। कोरोना वायरस के रूप में शुरू हुई महामारी लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में भी इसके बहुत से मामले सामने आने लगे हैं, लेकिन लोगों के मन में एक ही सवाल है कि इस वायरस से कब राहत मुक्‍ति मिलेगी।ज्योतिष विज्ञान की दृष्‍टि से देखें तो इस समय में कोरोना वायरस का सामने आना एवं महामारी का रूप लेना ये मात्र कोई संयोग नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत विशेष ज्योतिषीय कारण और वर्तमान ग्रह स्थितियां हैं। इसी वजह से कोरोना वायरस विश्वस्तर पर एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है।

ये ग्रह हैं संक्रामक बीमारियों के जिम्‍मेदारज्योतिष में राहु और केतु दोनों को संक्रमण (बैक्टीरिया, वायरस) इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियों और छिपी हुई बीमारियों का ग्रह माना गया है। बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह है जो हम सभी व्यक्तियों का प्रतिनिनधित्व करता है इसलिए जब भी बृहस्पति और राहु या बृहस्पति और केतु का योग होता है तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं जिन्हें चिहि्नत करना अथवा समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है पर इसमें भी खास बात ये है कि राहु के द्वारा होने वाली बीमारियों का समाधान तो फिर भी मिल जाता है, लेकिन केतु को एक गूढ़ और रहस्यवादी ग्रह माना गया है इसलिए जब भी बृहस्पति और केतु का विस्फोटक योग होता है तो ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और ऐसा ही हो रहा है इस समय कोरोना वायरस के केससामने आ रहे है समझिए कोरोना वायरस के कारण

 दरअसश मित्रों कोरोना वायरस ज्योतिष के अनुसार जो भी वायरस महामारी फैलता हैं वो राहु केतु और शनि से प्रभावित होता है, जो ऑक्सीजन को दूषित करके हवा को विषैला बनाते है


राहु का संबंध धुएं और आसमान दोनों से भी है। ऐसे ही कोई वायरस हवा में कहीं भी पहुंच जाता है। राहु आसमां ओर विस्तार का कारक है वहीं ऑक्सीजन हवा का  कारक ग्रह बृहस्पति है। नाक के जरिए सांस लिया जाता है और ऑक्सीजन शरीर तक पहुंच कर जीवन प्रदान करती है।
  शनि हवा में पैदा हुए कण हैं, जो इसको फैलाने में मदद करते हैं। अभी राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं है। शनि अपनी मकर राशि में हैं और ये हमारी ऑक्सीजन को प्रभावित करते हैं। जिसका कारक ग्रह बृहस्पति है। नाक के जरिए सांस लिया जाता है और ऑक्सीजन शरीर तक पहुंच कर जीवन प्रदान करती है।
कोरोना वायरस का हमला श्वास के जरिए मानव शरीर में पहुंच कर नुकसान पहुंचा रहा है। पूरे ब्रह्मांड की ऑक्सीजन पर बृहस्पति का स्वामित्व स्थापित है। ऑक्सीजन बारिश के कारण पैदा होती है, जिससे पेड़-पौधे फलते-फूलते हैं और स्वच्छ वायु देते हैं। जिसका कारक ग्रह चंद्र है। वर्तमान समय में भारत पर कोरोना वायरस का असर शुरू हो चुका है।चंद्र और बृहस्पति दोनों ग्रह उत्तर दिशा को केंद्रित करते हैं। भारत में इसका असर उत्तरी भारत में ज्यादा होगा जैसे कि दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर। होली के बाद इसका असर बढ़ा। अमावस्या से यानि कि 24 मार्च से इस कोरोना वायरस को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।प्रवेश करेंगे, जहां शनि देव पहले से ही बैठे हैं।और मकर राशि में ही22 मार्च  को मंगलदेव का आगमन हो रहा हैमिथुन राशि से गले के रोग देखे जाते हैं तथा कर्क राशि फेफड़े और जल संबंधित बीमारियों को दर्शाती है।
वर्तमान समय में राहु का गोचर मिथुन राशि में ही चल रहा है तथा मंगल भी बृहस्पति और केतु के साथ धनु राशि में बैठकर पूर्ण रूप से मिथुन और कर्क राशि को देख रहा है,  मित्रों जैसा कि आपको पता ही है
मार्च 2019 से ही केतु धनु राशि में चल रहा है लेकिन चार नवम्बर 2019 को बृहस्पति का प्रवेश भी धनु राशि में हो गया था जिससे बृहस्पति और केतु का योग बन गया था जो के रहस्मयी संक्रामक रोगों को उत्पन्न करता है। चार  नवम्बर को बृहस्पति और केतु का योग शुरू होने के बाद कोरोना वायरस का पहला केस चीन में नवम्बर के महीने में ही सामने आया था। यानि के नवम्बर में बृहस्पति-केतु का योग बनने के बाद ही कोरोना वायरस एक्टिव हुआ। इसके बाद एक और नकारात्मक ग्रहस्थिति बनी जो था 26 दिसंबर को होने वाला सूर्य-ग्रहण जिसने कोरोना वायरस को एक महामारी के रूप में बदल दिया। 26 दिसंबर को हुआ सूर्य ग्रहण समान्य नहीं था क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के दिन छःग्रहों के (सूर्य, चन्द्रमा, शनि बुध बृहस्पति, केतु) एकसाथ होने से ष्ठग्रही योग बन रहा था जिससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव बहुत तीव्र हो गया था। भारत में इसका प्रभाव सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शनों में की गयी हिंसा के रूप में दिखा। साथ ही कोरोना वायरस के मामले भी बढ़ते गए। कुल मिलाकर नवम्बर में केतु-बृहस्पति का  विस्फोटक  योग बनने पर कोरोना वायरस सामने आया और 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बाद इसने एक बड़ी में।महामारी का रूप धारण कर लिया।
इससे पहले भी ऐसे ग्रह योग ने मचाई थी तबाही
यह सन 1918 में स्पैनिश फ्लू नाम से एक महामारी फैली थी जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी। इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे। उस समय भी बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्‍विक स्‍तर पर बड़े नुकसान किये थे और उस समय भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ। सन 2005 में एच-5 एन-1 नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। ऐसे में जब भी बृहस्पति-केतु का योग बनता है उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं। 2005 में जब बृहस्पति-केतु योग के दौरान बर्डफ्लू सामने आया था तब बृहस्पति-केतु का योग पृथ्वी तत्व राशि में होने से यह एक सीमित एरिया में ही फैला था जबकि चार नवम्बर को बृहस्पति-केतु का योग अग्नि तत्व राशि (धनु) में बना है जिस कारण कोरोना वायरस आग की गति से पूरे विश्वभर में फैलता जा रहा है।नवम्बर में शुरू हुए बृहस्पति-केतु के योग और दिसंबर में हुए सूर्य ग्रहण के कारण पिछले चार महीनो से कोरोना वायरस तेजी फ़ैल रहा है और वैज्ञानिकों और चिकित्‍सकों को भी इसका कोई ठोस समाधान नजर नहीं आ रहा है। ज्योतिष के जनारिये से देखें तो आने वाले 29 मार्च को बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश होगा जिससे पिछले चार महीनो से चल रहा बृहस्पति-केतु का योग खत्‍म हो जाएगा। ऐसे में 29 मार्च के बाद से कोरोना वायरस के अटैक से राहत मिलना शुरू हो जाएगी और इसके संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा। 14 अप्रैल को सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होगा जिसके बाद वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस का कोई ना कोई एंटीडोट मिलेगा। इस स्‍थिति में कुल मिलाकर 29 मार्च के बाद एक से डेढ़ महीने के अंदर इस महामारी का प्रभाव भी कम होने की उम्‍मीद है।14 मई 2020 को जब वक्री देवगुरु बृहस्पति का आगमन मकर राशि में होगा, तक यह बीमारी पूर्ण रूप से समाप्त होगी। उस दिन मकर राशि में नीच भंग के कारण यह बीमारी प्रभावहीन हो जाएगी। इससे पूर्व 11 मई 2020 को शनिदेव का वक्री होना इसमें सहायक होगा। मित्रों यार जहां भी आपको बता दूं जिन लोगों के लग्न में केतु है और लग्न मिथुन है या राहु है उन लोगों को खास एहतियात बरतने की जरूरत है ऐसे लोगों को अपने बचाव के लिए पूरे उपाय करने चाहिए आचार्य राजेश

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