शनिवार, 18 अप्रैल 2020

#लॉकडाउन3मई। 3 मई के बाद जब lockdown खुलेगा क्या कहती है ग्रहों के गोचर की स्थिति?


मित्रों मैंने पहले भी एक पोस्ट डाली थी उसमें मैंने कहां धा कि 14तारीक को सुर्य उच्च के होंगेपर सुर्य10अश पर उच्च के होते हैं जो 24/42020को होोंगेउस  के बाद सुघार आना शुरू हो जाएगा लेकिन देश के कुछ ही हिस्सोमे मेरी गणना के अनुसार मंगल, वह 22 मार्च को शनि की राशि मकर में आए। यहां आकर मंगल उच्च के हो गए। इससे मंगल का प्रभाव बढ़ गया। कमाल की बात देखिए इसी दिन जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके बाद 24 मार्च से पूरे देश में लॉक डाउन घोषित कर दिया गया और अब 4 मई से जब लॉक डाउन समाप्त होगा तो मंगल भी मकर से निकलेंगे। यानी इन दिनों जो पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है उसमें मंगल और शनि का बड़ा युघ है। शनि मंगल के योग के समाप्त होते ही दुनिया भर में फैले कोरोना के कहर में कमी आने लगेगी भारत में कोरोना पीडि़तों की संख्या 30 मार्च को अचानक से बढ गयी जब तबलिगी जमात के कारण यहां भी कमाल की बात यह रही कि इसी दिन गुरु मकर राशि में पहुंचे और शनि मंगल के बीच में फंसकर पीड़ित हो गए। गुरु के पीड़ित होने से धर्म-कर्म के कार्यों में बाधा आ रही है। मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद, चर्च सभी सीमित तरीके से अपने दैनिक कार्यों को पूरा कर पा रहे हैं। लेकिन 4 मई को मंगल मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में आ जाएंगे। इससे बृहस्पति को बल मिलेगा। जनता के बीच डर ओर खोफ कम होने लगेगा।सूर्य देव13 अप्रैल से उच्च राशि राशि मेष में विराजमान हैं। 4 मई से मंगल के मकर से कुंभ में जाने के बाद बृहस्पति अपनी पूर्ण शक्ति से फल देने में सक्षम हो जाएंगे और धीरे-धीरे अपने सुधारात्मक प्रभाव से लोगों के जीवन में उन्नति को सुनिश्चित करेंगे। किन्त बृहस्पति, जो स्थिरता एवं विकास के प्रतीक हैं, इस समय तेज गति में चल रहे हैं जिसे ज्योतिषीय भाषा में बक्री गति से उल्टी चाल से कहा गया है। इस स्थिति में विकास दिखेगा लेकिन यह सच से दूर हो सकता है।11 मई को शनि और 14 मई को बृहस्पति (वक्री) हो जाएंगे। जब भी कोई ग्रह अपनी नीच राशि में होकर बक्री हो जाता है तो वह उच्चतम फल देता है। बृहस्पति का निश्चित रूप से मौजूदा स्थिति में तनाव काम करेगा। जहां तक ​​निर्णय लेने का सवाल है, यह सबसे महत्वपूर्ण अवधियों में से एक होगा। विश्व के नेताओं को अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और व्यवसायों को बचाने के लिए कुछ सख्त निर्णय लेने की आवश्यकता होगी। यह मौजूदा नीतियों के आत्मनिरीक्षण और समीक्षा का समय होगा। 30 जून को, प्रतिगामी बृहस्पति अपनी राशि धनु में आ जाएंगे जिससे उन्हें और अधिक बल मिलेगा। इस स्थिति में वह राहु और केतु की नकारात्मक ऊर्जा को कम करेंगे। इस स्थिति के कारण, विश्व अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए एक सामान्य रोडमैप पर वैश्विक नेताओं के बीच आम सहमति होने की संभावना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका जांच के दायरे में आएगी और एक नई विश्व स्वास्थ्य एजेंसी के गठन का विचार होगा। 21june को सुर्य ग्रहण होगाभारत और विश्व के लिए 21 जून का सूर्य ग्रहण बेहद संवेदनशील है। मिथुन राशि में होने जा रहे इस ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा। इसके अलावा ग्रहण के समय 6 ग्रह शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्र होंगे। राहु केतु हमेश वक्र चलते हैं इसलिए इनको मिलकर कुब 6 ग्रह वक्री रहेंगे, जो शुभ फलदायी नहीं है। इस स्थिति में संपूर्ण विश्व में बड़ी उथल-पुथल मचेगी।ग्रहण के समय इन बड़े ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन-धन की हानि कर सकता है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भयंकर वर्षा एवं बाढ़ से जूझना पड़ सकता है। विस्फोटक स्थिति बनेगी ऐसे में कुछ देशों में तनातनी तनाव का माहोल वन सकता है आग से संबंधित घटनाएं घटित हो थी नजर आ रही है महामारी और भोजन का संकट विश्व के कुछ देशों में कई स्थानों पर हो सकता है।इस वर्ष मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे ऐसे में वर्षा काल में आसामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा और महामारी का भय रहेगा। ग्रहण के समय शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होना इस बात की आशंका को जन्म दे रहा है कि चीन के साथ पश्चिमी देशों के संबंध बेहद खराब हो सकते हैं।भारत के पश्चिमी हिस्सों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में राजनीतिक उठा-पटक चिंता का कारण बनेगी तथा हिंद महासागर में चीन की गतिविधयों से तनाव बढ़ेगा। शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर अगस्त 2021 तक बना रहेगा।इस वर्ष आषाढ़ के महीने में 6 जून से 5 जुलाई के बीच तीन ग्रहण लगने जा रहे हैं। इनमें से दो ग्रहण भारत में दृश्य होंगे।सके बाद 4/5 जुलाई को लगने जा रहा चंद्र ग्रहण अफ्रीका और अमेरिका में नजर आएगा। इन तीनों ग्रहणों में से पहले दो ग्रहण, जो कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष में पड़ेंगे, वह भारत में दृश्य होंगे। अंतिम ग्रहण जो कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष में है वह भारत में दिखाई नहीं देगा। इन ग्रहणों का मिथुन और धनु राशि के अक्ष को पीड़ित करना अमेरिका और पश्चिम के देशों के लिए विशेष रूप से अशुभ होगा। मित्रों जिनकी भी कुंडली में सूर्य के साथ राहु या केतु चंद्र के साथ राहु केतु की युति हो वो लोग अपनी-अपनी कुंडली अभी से दिखा कर उपाय करें कुछ उपाय ग्रहण के समय ओर कुछ पहले ही शुरू करने चाहिए आज इतना ही मित्रों आगे फिर से आपको जानकारी देंगे आचार्य राजेश

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