शनिवार, 20 मार्च 2021

देव गुरु बृहस्पति ग्रह का गोचर 2021की पुरी जानकारी

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देवगुरु बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर की यात्रा समाप्त करके 05 अप्रैल 2021 की मध्यरात्रि कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर 13 सितंबर तक रहने के बाद वक्री अवस्था में पुनः मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जहां 20 नवंबर 2021 तक रहेंगे। उसके बाद पुनः मार्गी अवस्था में कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इनके राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी प्राणियों के कार्य-व्यापार में हानि-लाभ के अतिरिक्त शासन सत्ता और न्यायिक प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है।तुलसीदास जी ने एक चौपाई रामचरितमानस में लिखी है -"धर्म से विरति योग से ग्याना,ग्यान मोक्ष प्रद वेद बखाना",अर्थात जब व्यक्ति अपने को न्याय समाज जलवायु और मर्यादा में लेकर चलने लगता है तो उसके सामने हजारों कारण व्यस्त रहने के बन जाते है,जब वह अपने को कारण रूप से बने कार्यों के अन्दर व्यस्त कर लेता है तो वह एक योगी की भांति अपने जीवन को चलाने लगता है। उसे केवल भोजन अगर समय से मिल जाये तो ठीक है नही मिलता है तो ठीक है वह अपने को कार्यों में हमेशा ही लगाकर रखता है। कार्य की अधिकता के कारण और अपने शरीर को शरीर नही समझने पर इस प्रकार के जातक को एक योगी की भांति ही माना जा सकता है। जब व्यक्ति विरति यानी कर्म में अपने को लगा लेता है और संसार में केवल अपना कर्म ही धर्म के रूप में देखता है तो उसे योग अर्थात समय की पहिचान और कार्यों के दक्षता के साथ दुनियादारी के प्रति जानकार समझ लिया जाता है। उसे ज्ञानी की श्रेणी में रखा जाने लगता है और जब ज्ञान को खर्च करने के बाद उसका उपयोग किया जाता है,तो वह मोक्ष का अधिकारी माना जाता है। कुम्भ राशि वालों को कार्य के बाद प्राप्त फ़लों के रूप में माना जाता है,कालपुरुष के अनुसार यह राशि मित्रता और बडे भाई के रूप में माना जाता है। यह कार्य करने के बाद मिलने वाले फ़लों से भी माना जाता है,यह राशि घर बनाने और जनता से सम्बन्ध स्थापित करने के लिये प्राप्त की जाने वाली रिस्क से भी माना जाता है। यह भाव सन्तान के जीवन से चलने वाली जद्दोजहद से भी माना जा सकता है। पिता के द्वारा प्राप्त नगद आय से भी माना जाता है,पिता के द्वारा जोडे गये कुटुम्बी जनों के प्रति और उनसे मिलने वाली सहायता से भी माना जा सकता है। इस राशि का स्वभाव अपने कार्यों और पीछे की जिन्दगी से जुडे कार्यों से माना जाता है यानी जो कल किया है उससे मिलने वाले फ़लों से भी माना जा सकता है। यह राशि बडे रूप में हर कार्य को करना चाहती है छोटे रूप में कार्य करने पर यह केवल जनता के अन्दर रहकर जनता की सेवा करने के बाद और जनता से जुडी समस्याओं के प्रति अपनी वफ़ादारी को रखती है लेकिन इस प्रकार के जातकों का मोह कर्क राशि के छठे भाव में होने के कारण अन्दरूनी रूप से जनता के अन्दर की जानकारियां भी सही समय पर लेने की उत्कंठा रहती है,जब उन्हे जनता के अन्दर के भेद मिल जाते है तो उन्हे दुनियादारी में प्रसारित करने में भी अच्छा लगता है। इस राशि वाले अगर किसी प्रकार से मीडिया या इसी प्रकार के वायु वाले कमन्यूकेशन से जुड जाते है तो अपना अच्छा नाम कर लेते है और कभी कभी यह भी देखा गया है कि इनकी रुचि आलसी होने के कारण और पूर्व में अपने द्वारा फ़रेब आदि करने से गुरु के समय में दिक्कत भी आती है। इस राशि में गोचर किया है गुरु ने कुंभ राशि जो शनि की राशि है और काल पुरुष की कुंडली के अनुसार यह खाना नंबर 11 है।पिछले समय से चली आ रही अपमान मौत और जोखिम के लिये जो शनि बार बार अपनी शक्ति को दे रहा था उसके अन्दर कमी आएगी शनि मकर में है पहले गुरु के साथ था अब गुरु उसके आगे एक घर आ जाएगा गुरु के कुंभ राशि में आ जाने से धन वाली और परिवार कुटुम्ब वाली परेशानियों में अन्त होने का समय माना जाता है,जो लोग पहले अपनी रिस्क के अनुसार जनता के धन को प्रयोग में लाने के बाद जनता के कर्जी बन गये थे और उन्हे कोई रास्ता चुकाने का नही मिल रहा था वह इस गुरु की कृपा से कोई न कोई रास्ता मिल जाता है चाहे वह रास्ता किसी प्रापर्टी को बेचने के बाद मिलता हो या कोई प्रापर्टी वाला कार्य करने के बाद मिलने वाले कमीशन आदि से जाना जाता हो। कुंभ को अगर लगन मानकर चलें तो गुरु की पांचवीं द्रिष्टि पंचम भाव यहां पर मिथुन राशि आती है जो कि काल पुरुष की कुंडली के अनुसार तीसरी राशि भी है मिथुन राशि वालों के लिए गुरु की दृष्टि अमृत के समान है।मिथुन राशि कमन्यूकेशन और प्रदर्शन की राशि है,इस राशि से कालपुरुष अपनी प्रकृति को दर्शित करता है,संसार में जितने भी कमन्यूकेशन के साधन है और जैसा भी स्थान देश और जलवायु के अनुसार बोलचाल रहन सहन अपने को लोगों को दिखाने की कला है,वह सब मिथुन राशि के ऊपर ही निर्भर करती है। गुरु इस राशि से सप्तम भाव और दसवें भाव का मालिक है। सप्तम जीवन साथी और साझेदारी के नाम से जाना जाता है और व्यक्ति अपने जीवन में जो भी करने के लिये आता है वह सब सप्तम के साथ आमना सामना करने के बाद ही करता है। मिथुन राशि का स्वभाव होता है कि वह गर्म के सामने ठंडी हो जाती है और ठंडे के सामने अपनी गर्मी को प्रस्तुत करती है। यह स्वभाव व्यक्ति स्थान वस्तु के लिये भी देखा जाता है,जैसे घर बनवाते समय बरसात के मौसम में उसकी सुरक्षा के लिये छत बनाना और बिना बरसात वाले स्थान में जहां धूप गर्मी और जाडे की आवश्यकता नही समझी जाती है वहां खुला छोड दिया जाता है। उसी प्रकार से मनुष्य के पहिनावे के लिये भी देखा जाता है,मनुष्य के बोलचाल की भाषा में भी देखा जाता है,भाषा और भाषा के विश्लेषण के लिये भी देखा जाता है। इस राशि का प्रभाव हर मनुष्य के अन्दर किसी न किसी रूप में मिलता है.

इस राशि वालों के जीवन साथी के मामले में माना जाता है कि जीवन साथी तो ज्ञान और मर्यादा के साथ बंध कर रहता है लेकिन इस राशि वाले का स्वभाव जो है उसे बोल देने और केवल बातें करने से माना जाता है। इस राशि वाले गाने बजाने और संगीत आदि के प्रेमी होते है जब कि उनके जीवन साथी अपने अनुसार हमेशा चुप रहने और बडी बातें सोचने के कारण अपने को गुप्त ही रखा करते है। इस राशि के दसवें भाव का मालिक गुरु है जो ज्योतिष के अनुसार नीच का कहलता है,और इस गुरु की शिफ़्त के अनुसार जो भी कार्य इस राशि वालों से प्रकृति करवाती है वह सभी किसी न किसी प्रकार से घर और बाहर की बातें ध्यान में रखकर तथा सबसे पहले धन के मामले में सोच कर ही की जाती है,अक्सर इस राशि वालों की मुख्य कमाइया किराया ब्याज से लेना या देना और जनता से अपनी इच्छाओं की पूर्ति में रहता है,इस राशि वाले अपना भावनात्मक रूप इस प्रकार से प्रस्तुत करते है कि सामने वाला इनकी बातों में जरूर आजाता है,और जो भी इन्हे अपने अनुसार करना होता है कर जाते है और अपने लिये जो भी चाहत होती है पूरी कर लेते है,इनके अष्टम में शनि की मकर राशि होने से यह अपने प्रभाव को अन्दरूनी गुप्त रिस्तों में बहुत ही छिपाकर रखते है और अक्सर बडी उम्र वाले हमेशा अपनी उम्र से कम लगने के कारण अपने से कम उम्र वालों के साथ मिलकर चलते देखे जा सकते है। इस राशि वालों की सिफ़्त एक प्रकार से बडी खतरनाक भी होती है यह अपने घर की बात किसी को नही बताते लेकिन इनके पास सबकी खबर रहती है कि कब किसके यहां क्या हो रहा है। गुरु को दोहरे धन और धन के द्वारा बनायी जाने वाली सम्पत्ति से तथा घर आदि केरहने के स्थान के परिवर्तन से भी माना जाता है। जनता के अन्दर से ही धन को लेने के बाद जनता के लिये ही कमाने का उपक्रम भी सामने आने लगता है जो लोग शेयर बाजार कमोडिटी आदि का कार्य करते है उन्हे जनता से धन प्राप्त करने और जनता के लिये कमाकर देने के लिये अच्छा समय माना जा सकता है लेकिन अगर वही लोग अपने कमाये धन को अचल सम्पत्ति के रूप में इकट्ठा करते रहे तो आगे के समय उनके लिये अपनी औकात दिखाने का और अपने नाम को बनाने का सही अवसर भी माना जाता है। जो भी रिस्क लेने वाले साधन है उनके अन्दर यह राशि वाले अगर अपनी बुद्धि को जरा भी प्रयोग में लाते है तो उन्हे धन के कमाने से कोई रोक नही सकता है,इसके लिये उन्हे यह भी ध्यान रखना पडेगा कि वारहवे विराजमान राहु उन्हे अचानक ऐसे खर्चे करवाएगा जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगीऔरअपनोद्वारा कपट पूर्ण व्यवहार से भी बाधित करेगा,मित्रो से झूठ और फ़रेब से बचकर भी जातक को चलना पडेगा.समय समय पर अपने द्वारा कमाये गये लाभ को अगर वह किसी दूसरे की मंत्रणा से खर्च करता है तो उसे अचानक हानि का भी सामना करना पडेगा। इस गुरु की सप्तम द्रिष्टि सिंह राशि पर जाने से भी अगर वह अपना मोह नौकरी आदि के लिये करता है तो उसके द्वारा किये जाने वाले कोई भी प्रयास जोखिम तो ले सकते है लेकिन सभी जोखिम लेने के पीछे सरकारी अफसरोसे सहयोग मिलने के ही आसार मिलते है,अगर हो सके तो इस गुरु के प्रभाव की गर्म हवाओं से बचने के लिये दूसरे की नौकरी में कोई रिस्क लेना बेकार ही माना जायेगा। इस गुरु की नवीं द्रिष्टि कर्म भाव में जाने से और कर्म भाव में तुला राशि में होने से जोतुला राशि तुलनात्मक कार्यों के लिये उत्तम राशि है,यह धर्म अर्थ काम और मोक्ष के बारे में तुलनात्मक अध्ययन करना जानती है.बिना शुक्र की भौतिकता के इस राशि वाले अपने कार्यों को प्रदर्शित नही कर सकते है। तुला राशि वाले अपने अन्दर ही हमेशा सिमटे रहने वाले होते है और वक्त पडने पर उसी राय को प्रदान करते है जो उनके अनुसार सर्वश्रेष्ठ होती है। इस राशि वालों को हमेशा नकारात्मक परिस्थितियों से जूझना पडता है,जो भी खुद के लोग होते है वे केवल शमशानी क्रियाओं तक ही साथ रहते है,जिन्हे सहायता दी जावे वे अपने को दूर करने के बाद पीछे से बुराइयां ही प्रदान करते है,गुरु इस राशि के तीसरे और छठे भाव का मालिक होता है,तीसरा भाव धनु राशि होने से इस राशि वालों को अपने को प्रदर्शित करने के लिये केवल न्याय वाले क्षेत्र,धर्म और भाग्य से सम्बन्धित क्षेत्र, समाज मर्यादा और देश के प्रति किये जाने वाले प्रयासों के लिये लिखने पढने और बोलने के अन्दर सामाजिकता प्रभाव रखने वाले आदि स्थान माने जाते है,मीन राशि जो गुरु की नकारात्मक राशि है इस राशि के छठे भाव मे अपना स्थान रखती है,यह भाव भी नकारात्मक है और यह राशि भी नकारात्मक है,नियम के अनुसार जब दो नकारात्मक शक्तियां आपस में मिलती है तो कोई न कोई सकारात्मक परिणाम ही निकलता है। किसी भी नकारात्मक स्थान की सेवा करने के बाद उस स्थान को सकारात्मक बनाना इस राशि वालों के लिये इसी मीन राशि से सहायता मिलती है। इस राशि वालों के पास या तो कर्जा होगा नही और होगा तो इतना बडा होगा कि आजीवन उसे चुकाने में लगे रहना पडेगा,या तो कोई बीमारी होगी नहे और होगी भी तो इतनी बडी कि आजीवन उस बीमारी के लिये सोचना ही पडेगा,या तो इस राशि वाले सेवा करेंगे नही और करेंगे तो आजीवन सेवा के कार्य ही करते रहेंगे। भी कबाड से जुगाड बनाने की कला होती है वह जातक के अन्दर आराम से काम करने लगती है और व्यक्ति अपने दिमाग से राख से भी सोना पैदा करने की जानकारी रख सकता है। उसके द्वारा ब्रोकर वाले कार्य किसी भी तरह की कमीशन खोरी के कार्य करने वालों को धन लाभ होगा और इस काम से उससे अधिक धन पैदा करने के कार्य पिछले समय में अपनी योग्यता से जो हानि प्राप्त की है उस योग्यता को प्रदर्शित करने और उसके प्रयोग करने के बाद गयी हुयी प्रतिष्ठा को हासिल किया जा सकता है।

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