गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023

श्राद्धपक्ष या पितृपक्ष

श्राद्धपक्ष या पितृपक्ष: इस तरह पाएं पूर्वजों का आशीर्वा हिंदू धर्म को मानने वाले श्राद्धपक्ष में पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए तर्पण व उपाय करते हैं।संसारमें हमारे संबंध दो प्रकार के होते हैं १-स्थूल शरीरसे २-भावनात्मक शरीरसे । आजीवन हम, हमारे स्वजनों की इच्छापूर्ति व सेवा प्रत्यक्ष कर सकते हैं किन्तु मरणोपरान्त यह संभव नहीं है यथा भावनात्मक संबंध से उनकी इच्छाओंकी आपूर्ति करते हैं । यहांसे श्राद्धका प्रारम्भ होता हैं

 ।प्रकीर्तितम् भाव से कुछ समर्पित किया जाता हैं तो भावात्मक शरीर उसे अवश्य प्राप्त करता हैं । टैलीपथी यहीं तो हैं – हमारे विचारों का भावात्मक शरीर द्वारा आदान-प्रदान । वाचाहीन प्राणी भी इससे ही अपना व्यवहार करते हैं । श्रद्धया दीयते यत्‌ तत्‌ श्राद्धम्‌ पितरों की तृप्ति के लिए जो सनातन विधि से जो कर्म किया जाता है उसे श्राद्ध कहते हैं । ऎसा नहीं है कि सूक्ष्म शरीर की ये अवधारणा सिर्फ भारतीय है बल्कि "Egyptian Book of the Dead " में भी सूक्ष्म शरीर के बारे में विचार प्रकट किए गए हैं । आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डा. सेसिल ने भी प्रयोगों के आधार पर एक निष्कर्ष निकाला था कि स्थूल शरीर के समानान्तर किसी एक सूक्ष्म शरीर की सत्ता है,जो कि सभी प्रकार के सांसारिक बंधनों के बावजूद कभी कभी शरीर को छोडकर दूर चली जाती है,हालांकि एक सुनहले रंग के सूक्ष्म तंतु(तार) के माध्यम से ये हर हाल में हमारे इस स्थूल शरीर की नाभी से जुडी रहती है। जब कभी यह सुनहला तंतु (तार) किसी कारणवश टूट जाता है तो उस सूक्ष्म सत्ता का स्थूल शरीर से फिर कोई संबंध नहीं रह जाता और यही किसी व्यक्ति की आकस्मिक मृ्त्यु का कारण बनता है। कुरानमें भी - फिर पुनर्जन्म के समय तुम उपर उठोगे पाक कुरआन 23-16 । अद्वैत वेदांत अनुसार कि "ब्रह्म सदैव विकासशील रहता है" । आधुनिक युग में इस स्थापना की सर्वप्रथम पुष्टि हुई आईंस्टीन के इस कथन द्वारा कि "यूनिवर्स निरन्तर प्रगति पर है"। वर्तमान समय में जीवन भागदौड़ से भरा है। इसलिए कई लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पाता कि वे पितरों के लिए तर्पण आदि कर पाएं। ऐसे में हमारे शास्त्रों में कुछ छोटे.छोटे उपाय बताए गए हैं। ये उपाय ऐसे हैं जो किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में शनि, राहु सूर्य और गुरु ग्रहों की युति और उनके साथ अन्य ग्रहों के बुरे प्रभावों से बने पितृदोष को भी दूर करते हैं। ये उपाय सुखी सफल और वैभवशाली जीवन की राह आसान बनाने वाले माने गए हैं। जानिए ये खास उपाय : श्राद्ध पक्ष में गरीब बच्चों को सफेद मिठाई का दान करें। -देवता और पितरों की पूजा स्थान पर जल से भरा कलश रखकर सुबह तुलसी या हरे पेड़ों में चढ़ाएं। -भोजन से पहले तेल लगी दो रोटी गाय को खिलाएं। -चिडिय़ा या दूसरे पक्षियों के खाने.पीने के लिए अन्न के दानें और पानी रखें। -पिता, गुरु व उम्र में बड़े लोगों का अपमान न करें। उनकी खुशी के लिए हरसंभव कोशिश करें। -सफेद कपड़ों व सफेद रूमाल का दान करने से भी पितृ दोष दूर होता है। -अनाज और फलों का दान करने से भी पितृ देवता खुश होते हैं। -हनुमानजी के मंदिर में नियमित रूप से घी का दीपक जलाएं। -शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध अर्पित करें। उसके बाद 5 लीटर दूध गरीब बच्चों में बांटे। यह उपाय पूरे 16 दिन करें। जिन लोगों को भी पितृ दोष है उन्हें इस उपाय को करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे। -हर शनिवार को पीपल या वट की जड़ों में दूध चढाएं। -रोज तैयार भोजन में से तीन भाग गाय, कुत्ते और कौए के लिए निकालें और उन्हें खिलाएं। -किसी तीर्थ पर जाएं तो पितरों के लिए तीन बार अंजलि में जल से तर्पण करना न भूलें। -रोज माता-पिता और गुरु के चरण छूकर आशीर्वाद लेने से पितरों की प्रसन्नता मिलती है। -जिस भी व्यक्ति की पुण्यतिथि है उसकी पसंद का पकवान बनाकर गरीबों को दान करें। अपने माता पिता की सेवा करे । पृथ्वी से ब्रह्माण्ड – नक्षत्र – ग्रह जिसे भी हम जानते हैं, हम अपना बनाते हैं, तो जो हमारे हैं उनको हम मरणोपरान्त कैसे भूल सकते हैं – कैसे उनसे नाता तोड सकते हैं । सूर्य-चंद्र-नक्षत्रों से हमे संबंध है, यथा हम सूर्योपासना या ग्रहशांति करते हैं वैसे हि पितरोसे भी हम श्राद्धद्वारा हमारा सम्बंध कायम करतै हैं ।
श्राद्ध के विषयमें यह पर्याप्त नहीं हैं, यद्यपि अवकाश एवं मेरे ज्ञानकी मर्यादाके कारण यहां विराम करते हैं.. आप विद्वज्जन के चरणों में समर्पित जय  माता दी

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