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रविवार, 19 जून 2016
दान करना वहुँत अच्छा वात है पर दान हमेशा फलदायी हो ऐसा नहीं है। शास्त्रों में भी अतिदान वर्जित माना गया है। दान के कारण ही कर्ण, बलि आदि महान हुए लेकिन गलत वस्तु के दान से उन्हें नुक्सान भी भुगतना पड़ा। लाल किताब के अनुसार इन स्थितियों में दान नहीं करना चाहिए-जातक की कुंडली में जो ग्रह उच्च का है उससे सम्बन्धित दान नहीं देना चाहिए। नीच ग्रह से सम्बन्धित दान कभी लेना नहीं चाहिए यदि गुरु सप्तम भाव में हो तो साधु या धर्म स्थल के पुजारी को नए कपड़ों का दान नहीं करना चाहिए, इससे संतान पर बुरा असर पड़ता है। जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा छठे घर में हो तो उसे आम जन के लिए कुआं, तालाब के लिए दान नहीं देना चाहिए। यदि चंद्रमा बारहवें घर में हो तो भिखारियों को नित्य भोजन न कराएं, समयांतराल में कर सकते हैं। ऐसा करने से स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। यदि शुक्र भाग्य भाव में हो तो ऐसे जातक को पढ़ाई के लिए छात्रवृति, पुस्तकें व दवा के लिए पैसे दान नहीं करने चाहिएं (पुस्तकें व दवा दी जा सकती है)। यदि शनि अष्टम भाव में हो तो ऐसे जातक को किसी के लिए मुफ्त प्रयोगार्थ आवास का निर्माण नहीं कराना चाहिए। शनि लग्न में व गुरु पंचम भाव में हो तो ऐसे जातकों को कभी भी ताम्बे का दान नहीं करना चाहिए, अशुभ समाचार प्राप्त होते हैं। हालांकि दान देने में कोई मनाही नहीं है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखते हुए वर्जित वस्तुओं का दान करने से बचना चाहिए।
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