गुरुवार, 8 सितंबर 2016

कुछ मित्रो ने पुछा गनेश विर्सजन के वारे मे वताऐ आचार्य जी मित्रो ईसके पिछे वहुँत गहरा राज छुपा है जो शायद अघिकतर लोग नही जानते मित्रो जिवन मे हर वस्तु विरोघावास हैजिवन है तो मृत्यु है रात है तो दिन है अव जिवन ओर मृत्यु के विच की जो यात्रा हमकर रहे है ईसको ईस तरह ले कि हमे सदा के लिऐ यहा नही रहना है ना तो यह संसार ओर ना ही हम यहा सदा के लिऐ रहेगे फिर क्यो ना यह जिवन हंसी खुशी ओर उत्सव मनाते हुऐ यात्रापुरी करे महीनो पहले ईसउत्सव के लिऐ गनेश जी की मुर्तीया वननी शुरु होती है सुन्दर से सुन्दर रंग वरंगी गनेश जी को हम नाचते गाते फुले से सजाकर घर लाते है पुरी श्रदा से पुजा पाठ करते है ओर फिर उसे हम नाचते गाते ही विर्सजन भी करते है विल्कुल वेसे ही भगवान ही हमे वनाता है ओर जिवन देता है ओर भगवान ही मृत्यु यही हम करते है पहले मुर्ती घर लाते है पुजा पाठ करते है ओर फिर विर्सजन कर देते है यह सिख हमे भी सिखनी है यह संसार नाशवान है हमे किसी वस्तु से वंघना नही है वस उसका उपयोग करना है ओर फिर उसे छोङ देना है आचार्य राजेश

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