आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
रविवार, 8 जनवरी 2017
मित्रो ज्योतिष सिर्फ नक्षत्रों का शीयो का अध्ययन नहीं हे। वह तो है ही वह तो हम बात करेंगे साथ ही ज्योतिष और अलग अलग आयामों से मनुष्य के भविष्य को टटोलने की चेष्टा है कि वह भविष्य कैसे पकड़ा जा सके। उसे पकड़ने के लिए अतीत को पकड़ना जरूरी है। उसे पकड़ने के लिए अतीत के जो चिन्ह है, आपके शरीर पर और आपके मन पर भी छुट गये है। उन्हें पहचानना जरूरी हे। और जब से ज्योतिषी शरीर के चिन्हों पर बहुत अटक गए है तब से ज्योतिष की गिराई खो गई है, क्योंकि शरीर के चिन्ह बहुत उपरी है आपके हाथ की रेखा तो आपके मन के बदलने से इसी वक्त भी बदल सकती हे। आपके आयु की जो रेखा है, अगर आपको भरोसा दिलवा दिया जाए हिप्रोटाइज करके की आप पन्द्रह दिन बाद मर जाएंगे और आपको रोज बेहोश करके पन्द्रह दिन तक यह भरोसा पक्का बिठा दिया जाए की आप पन्द्रह दिन बाद मर जाओगे, आप चाहे मरो या न मरो,आपके उम्र की रेखा पन्द्रह दिन के समय पहुंचकर टूट जाएगी। आपकी अम्र की रेखा में गैप आ जाएगा। शरीर स्वीकार कर लेता है कि ठीक है, मौत आती है शरीर पा जो रेखाएं है वह तो बहुत ऊपरी घटनाएं है। भीतर गहरे में मन है और जिस मन को आप जानते है वही गहरे में नहीं है। वह तो बहुत ऊपर है बहुत गहरे तो वह मन है जिसका आपको पता नहीं है। इस शरीर में भी गहरे में जो चक्र है,जिनको योग चक्र कहते है, वह चक्र आपकी जन्मों-जन्मों की संपदा की संग्रहीत रूप है। आपके चक्र पर हाथ रखकर जो जानता है वह जान सकता है कि कितनी गति है उस चक्र की। आपके सातों चक्रों को छूकर जाना जा सकता है कि आपने कुछ अनुभव किए है कभी या नहीं। ज्योतिष मूलत: चूंकि भविष्य की तलाश है। और विज्ञान चूंकि मूलत: अतीत की तलाश है—विज्ञान इसी बात की खोज है कि काज क्या है, कारण क्या है ज्योतिष इसी बात की खोज है कि एफेक्ट क्या होगा। परिणाम क्या होगा? इन दोनों के बीच बड़ा भेद है। इन दोनों के बीच बड़ा भेद है। लेकिन फिर भी विज्ञान को रोज-रोज अनुभव होता है। कुछ बातें जो अनहोनी लगती थी, लगती थीं—कभी सही नहीं हो सकतीं, वह सही होती हुई मालूम पड़ती है। जैसा मैंने पीछे आपको कहा, अब वैज्ञानिक इसको स्वीकार कर लिए है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जन्म के साथ बिल्ट-इन अपना व्यक्तित्व लेकर पैदा होता है। इसको पहले वह मानने को राज़ी नहीं थे। ज्योतिष इसे सदा से कहता रहा है। जैसे समझो, एक बीज है—आम का बीज, आम के बीज के भीतर किसी न किसी रूप में जब हम आम के बीज को वो देंगे तो जो वृक्ष पैदा होता है उसकी बिल्ट-इन प्रोग्राम होना चाहिए। उसका ब्ल्यू प्रिंट होना चाहिऐ नहीं, तो यह आम का बीज बेचारान कोई विशेषज्ञों की सलाह लेता हे, न किसी यूनिवर्सिटी में शिक्षा पाता है यह आम के वृक्ष को कैसे पैदा कर लेता है। फिर इसमें वैसे ही पत्ते जाते है, फिर इसमें वैसे ही आम लग जाते है। इस बीज, गुठली के भीतर छिपा हुआ कोई पूरा का पूरा प्रोग्राम चाहिए,नहीं तो बिना प्रोग्राम के यह बीज क्या कर पायेगा। इसके भीतर सब मौजूद चाहिए । जो भी वृक्ष में होगा वह कहीं न कहीं छिपा ही होना चाहिए। हमें दिखाई नहीं पड़ता काट पीट कर हम देख लेते है। कहीं दिखाई नहीं पड़ता। लेकिन होना तो चाहिए। अन्यथा आम के बीज से फिर नीम निकल सकती है। भूल-चूक हो सकती है। लेकिन कभी भूल-चूक होती दिखाई नहीं पड़ती। आम ही निकल आता है सब रिपिट हो जाता है फिर वही पुनरुक्त रह जाता है। इस छोटे से बीज में अगर सारी की सारी सूचनाएं छिपी हुई नहीं है कि इस बीज को क्या करना है , कैसे अंकुरित होना है, कैसे पत्ते, कैसे शाखाएं, कितना बड़ा वृक्ष, कितनी उम्र का वृक्ष, कितना ऊँचा उठना है। यह सब इस में छिपा होना चाहिए। कितने फल लगेंगे, कितने मीठे होंगे पकें गे कि नहीं पकें गे, यह सब इसके भीतर छिपा होना चाहिए। अगर आम के बीज के भीतर यह सब छिपा है तो आप जब मां के पेट में आते है तो आपके बीज में सब छिपा नहीं होगा अब वैज्ञानिक स्वीकार करते है कि आँख का रंग छिपा होगा,बाल का रंग छिपा होगा। शरीर की ऊँचाई छिपी होगी। स्वास्थ्य-अस्वास्थ्य की सम्भावनाएं छिपी होगी। बुद्धि का अंक छिपा होगा, क्योंकि इसके सिवाय कोई उपाय नहीं है कि आप विकसित कैसे होंगे। आपके पास अग्रिम प्रोग्राम चाहिए—कोई हड्डी कैसे हाथ बन जाएगी, कोई हड्डी कैसे पैर बन जाएगी। चमड़ी का एक हिस्सा आँख बन जाएगा, एक हिस्सा कैसे कान बन जायेगा। एक हड्डी सुनने लगेगी,एक हड्डी देखने लगेगी। ये सब कैसे होगा वैज्ञानिक पहले कहते थे, सब संयोग है, लेकिन संयोग शब्द बहुत अवैज्ञानिक मालूम पड़ता हे। संयोग का मतलब है चांस, तो फिर कभी पैर देखने लगे और कभी हाथ सुनने लगे। और इतना संयोग नहीं मालूम पड़ता। इतना व्यवस्थित मालूम पड़ता है...ज्योतिष ज्यादा वैज्ञानिक बात कहता है। ज्योतिष कहता है। सब बीज को उपलब्ध है। हम अगर बीज को पढ़ पाये,अगर हम डी-कोड कर पाएँ, अगर हम बीज से पूछ सकें कि तेरे इरादे क्या हे—तो हम आदमी के बाबत भी पूर्व घोषणाएँ कर सकते है वृक्ष के बाबत तो वैज्ञानिक घोषणाएँ करने लगें है। बीस साल में आदमी के बाबत बहुत सी घोषणाएँ वे करने लगेंगे। और अब तक हम सब समझते रहे कि सूपरस्टीटस है ज्योतिष, एक विश्वास मात्र हे। लेकिन यदि घोषणाएँ विज्ञान करेगा तो वह ज्योतिष भी हो जाएगा। और विज्ञान घोषणा करने लगेगा। बहुत पुराने ज्योतिषी, ज्योतिष का पुराने से पुराना इजिप्शियन एक ग्रंथ है जिसको पाइथागोरस ने पढ़कर और यूनान में ज्योतिष को पहुंचाया यह ग्रंथ कहता है—काश हम सब जान सकें, तो भविष्य बिलकुल नहीं है। चूंकि हम सब नहीं जानते कुछ ही जानते है—इसलिए जो हम नहीं जानते,वह भविष्य बन जाता है। हमें कहना पड़ता है, शायद ऐसा हो, क्योंकि बहुत कुछ है जो अनजाने है। अगर सब जाना हुआ हो तो हम कह सकते है कि ऐसा ही होगा। फिर इस में रति भर फर्क नहीं होगा। आदमी के बीज में भी अगर सब छिपा है जन्म कुंडली या होरोस्कोप उसका ही टटोलना है। हजारों वर्ष से हमारी कोशिश यही है कि जो बच्चा पैदा हो रहा है वह क्या हो सकता हे। या क्या हो सकेगा? हमें कुछ तो अन्दाज मिल जाए तो हम उसे शायद हम उसे सुविधा दे पाएँ। शायद हम उससे आशाएं बाँध पाएँ ज्योतिष बहुत बातों की खोज थी। उसमें जो अनिवार्य है, उसके साथ सहयोग—वह जो होने ही वाला है, उसके साथ व्यर्थ का संघर्ष नहीं, जो नहीं होने वाला है उसकी व्यर्थ की मांग नहीं, उसकी आकांशा नहीं, ज्योतिष मनुष्य को धार्मिक बनाने के लिए, तथाता में ले जाने के लिए, परम स्वीकार में ले जाने के लिए उपाय था। उसके बहु आयाम हैजैसे कि चाँद-तारों से हम प्रभावित होते है। ज्योतिष का और दूसरा ख्याल है कि चाँद-तारे भी हमारे प्रभावित होत है, क्योंकि प्रभाव कभी भी एक तरफा नहीं होता। जब कभी बुद्ध जैसा आदमी जमीन पर पैदा होता है तो चाँद यह न सोचे कि चाँद पर उनकी वजह से कोई तूफान नहीं उठते। बुद्ध की वजह से कोई तूफान चाँद पर शांत नहीं होते अगर सूरज पर धब्बे आते है और तूफान उठते है। तो जमीन पर बीमारियां फैल जाती हैतो जमीन पर जब बुद्ध जैसे व्यक्ति पैदा होते है। और शांति की धारा बहती है। और ध्यान का गहन रूप पृथ्वी पर पैदा होता है। तो सूरज पर भी तूफान फैलने में कठिनाई होती हैसब संयुक्त है एक छोटा सा घास का तिनका भी सूरज को प्रभावित करता हैऔर सूरज भी घास के तिनके को प्रभावित करता हे। न तो घास का तिनका इतना छोटा है कि सूरज कहे कि जा हम तेरी फ्रिक नहीं करते। और न सूरज इतना बड़ा है कि यह कह सके कि घास का तिनका मेरे लिए क्या कर सकता हे। जीवन संयुक्त है यहां छोटा-बड़ा कोई भी नहीं है। एक आर्गैनिक यूनिटी है—इस एकात्म का बोध अगर ख्याल में आए तो ही ज्योतिष समझ में आ सकता है। अन्यथा ज्योतिष समझ में नहीं आ सकता हे माँ काली ज्योतिष hanumangarh आचार्य राजेश
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