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राहु केतु का राशि परिवर्तन राहु केतु की उल्टी चाल
राहु केतु का राशि परिवर्तन राहु केतु की उल्टी चाल
अकाश में ग्रहों की चाल लगातार नई नई स्थितियां पैदा करती रहती हैं, वहीं ज्योतिष के नौ ग्रह में होने वाले परिवर्तन हर किसी को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। कभी ये परिवर्तन अत्यंत शुभ होती हैं, तो कभी अति विकराल..जी मित्रों आज हम राहु केतु के गोचर को लेकर ही चर्चा करेंगे मिथुन राशि में अपनी यात्रा को पूर्ण करने के बाद पाप ग्रह राहु अब वृष राशि में आया है. 23 सितम्बर 2020 को प्रात: 08:20 पर राहु ने मिथुन से वृषभ राशि में संचार किया और यह 12 अप्रैल 2022 तक इसी राशि में स्थित रहेगा। राहु हमेशा वक्री अवस्था में ही संचार करता है। राहु का गोचर मानव जीवन पर बहुत अहम भूमिका निभाता है।राहु के लिए कहा गया है कि राहु अगर बिगड़ जाए तो जिंदगी नर्क सी बना देता है और सुधर जाए तो ताज भी पहना देता है।राहु का अशुभ प्रभाव-
अगर जातक की कुंडली के अशुभ भाव में राहु बैठा होता है तो बीमारी, नेगेटिविटी, परेशानियां और मानसिक तनाव होता है। कभी-कभी राहु के प्रभाव के कारण जातक की बुद्धि काम नहीं करती और वह गलत फैसले लेने लगता है।
कुंडली में शुभ भाव में राहु- जिस जातक की कुंडली में राहु हो उस जातक को सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। ऐसे जातकों की किस्मत पलट जाती है और उन्हें समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।राहु के लिए ही कहा गया है कि राहु जिसे मारे तो फिर उसे कौन तारे और राहु जिसे तारे फिर उसे कौन मारे। राहु अगर खराब फल दे तो मुक़द्दमों में अवश्य फंसवाता है और बिना बात की मानसिक परेशानियों में उलझा देता है। वहीं राहु का शुभ प्रभाव हो तो जातक को बहुत सारा धन और राजनीति में मान तथा सम्मान के साथ उच्च पद भी मिलता है।,दरअसल राहु प्रदर्शन कराने वाला होता है। यह गुब्बारे जैसा होता है, जो जगह अधिक घेरता है, जबकि अंदर से खाली होता है। ऐसे में राहु अति आत्मविश्वासी भी बनाता है जो बाद में परेशानी का कारण बनता है। वहीं यदि इसके कारण आने वाले अति आत्मविश्वास पर को व्यक्ति नियंत्रण में रखता है, तो यह व्यक्तित्व का काफी प्रसार करता है। राहु के चलते व्यक्ति बहिर मुखी हो जाता है अपनी बात को सबके सामने रखने में निपुण हो जाता है। वैसे यह भी देखा गया है कि कई बार व्यक्ति को इसके चलते कॅरियर में अच्छी उन्नति भी मिलती है। विज्ञापन, राजनीति, मार्केटिंग, सेल्स संबंधित क्षेत्र से जुडे लोगों को इस राहु से लाभ भी होता है। खैर हम गोचर की बात कर रहे हैं मित्रों मैं यहां उन एस्ट्रोलॉजर की तरह बकवास नहीं करूंगा जो किसी भी ग्रह के राशि परिवर्तन को लेकर सभी राशियों का फल बताना शुरू कर देते हैं बिना नक्षत्रों को देखें एक राशि में कितने नक्षत्र होते हैं।सभी ग्रहो के तीन तीन नक्षत्र होते हैं.गोचर में ग्रह जिस नक्षत्र में होता है उस नक्षत्र के अनुसार इनका फल भी परिवर्तित होता है। उदाहरण मेष राशि को ही ले ले मेष राशि के अंदर 3 नक्षत्र आते हैं। अश्वनी, भरणी कृतिका अब इन तीनोंनक्षत्रो का फल मेष राशि के लोगों के लिए अलग- अलग होगा। ब्रह्मांड में स्थित ग्रह अपने-अपने मार्ग पर अपनी-अपनी गति से सदैव भ्रमण करते हुए एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते रहते हैं। जन्म समय में ये ग्रह जिस राशि में पाये जाते हैं वह राशि इनकी जन्मकालीन राशि कहलाती है जो कि जन्म कुंडली का आधार है। जन्म के पश्चात् किसी भी समय वे अपनी गति से जिस राशि में भ्रमण करते हुए दिखाई देते हैं, उस राशि में उनकी स्थिति गोचर कहलाती है। वास्तविकता तो यह है कि किसी भी ग्रह का गोचर फल उस ग्रह की अन्य प्रत्येक ग्रह से स्थिति के आधार पर भी कहना चाहिए न कि केवल एक ग्रह की स्थिति से।राहू अगर हाथी है तो मंगल महावत है। लिहाजा अपनी उच्च राशि मे होते हुए भी राहू, मंगल के नक्षत्र मे गोचर करते हुए कम हानिकारक हो जाएगा। इस महामारी का कारक राहू ही है, शनि ओर केतु उसके सहायक हैं और गुरु इस सिस्टम मे कैटेलिस्ट यानी उत्प्रेरक की भूमिका मे है। राहु को अमूमन थोड़ा वाचाल प्रकृति का माना जाता है। लेकिन ज्योतिषीय गणना ये भी बताती है कि राहु बहुत बार काफी कुछ देकर भी जाता है, चाहे वो व्यक्ति विशेष की बात हो या फिर समाज, राष्ट्र और दुनिया की। बात करते हैं मित्रों इसका असर अगले 18 महीने तक देखने को मिल सकता है। आने वाले 18 महीने में चिकित्सा के क्षेत्र में नए-नए आविष्कार हो सकते हैं। आतंकवाद और नक्सलवाद पर रोकथाम हो सकती है। पशुधन, शाकाहार और ज्योतिष, अध्यात्म की तरफ लोगों का रुझान बढ़ सकता है। ज्योतिषी गणना से राहु और केतु के राशि परिवर्तन की विवेचना करें तो ये अनुमान लगाया जा सकता है कि राहु और केतु के राशि परिवर्तन से आंखों के रोग बढ़ सकते हैं। लेकिन जीभ, लार, मुख की सर्जरी सहित लाइलाज बीमारियों का उपचार मिल सकता है।ग्रहों की दिशाएं ऐसी गणना दिखा रही हैं कि आतंकवाद, नक्सलवाद, जातिवाद, रंगभेद, क्षेत्रवाद, भाषावाद बहुत तेजी से फैल सकते हैं और उतनी ही तेजी से उनका खात्मा भी हो सकता है। विश्व के कई देश और सरकारें एकजुट होकर इन सब को समाप्त करने की कोशिश कर सकती हैं। इसकी शुरुआत फ्रांस या यूरोप के किसी देश से हो सकती है याकोरोना महामारी की वजह से बाजार में मंदी देखने को मिल रही है। नया साल लगते ही, यानी जनवरी के 2021 के अंत तक बाजार में रौनक देखने को मिल सकती है और धीरे धीरे मंदी पर काबू पाया जाने की उम्मीद लगा सकते हैं। शेयर बाज़ार, कमोडिटी एक्सचेंज में पूर्वानुमान बढ़ सकता है। पशुधन की ओर लोगों का रुझान बढ़ेगा।
बड़े अविष्कार आ सकते हैं सामने
अगले 18 महीनों में जब सूर्य मेष सिंह धनु नवांश में या बुध कन्या तुला वृश्चिक नवमांश में होगा, तो कोई बड़े आविष्कार भी दुनिया के सामने आ सकते हैं। केतु जब भी वृश्चिक राशि से गुजरता है तो कुछ ना कुछ बुराई को खत्म करता है। राहु-केतु के राशि परिवर्तन से अचानक लाभ, अचानक कष्ट या नुकसान देखने को मिल सकता है।
सत्ता पक्ष में बढ़ सकती है बेचैनी
प्रदेश व देश के विकास में सहायक होगा, तो सत्ता पक्ष में बेचैनी बढ़ाएगा। राहु में जहां शनि के गुण होते हैं तो केतु में मंगल के गुण है।राहु-केतु के बारे में प्राय: माना जाता है कि 'शनि वत राहु, कुज वत केतु' अर्थात राहु शनि के समान और केतु मंगल के समान फल देता है। परंतु यह अनुभव से जाना गया है कि ये दोनों ही ग्रह छाया ग्रह हैं और जिस राशि में होते हैं या गोचर में भ्रमण करते हैं, उसी के स्वामी ग्रहानुसार फल देते हैं। इन दोनों का राशि परिवर्तन कई लोगों के लिए राहत लेकर आएगा, तो कुछ कों परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।भारत का अपने पड़ोसी देशों से तनाव बढ़ेगा युद्ध हो सकता है या युद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं मित्रों आज इतना ही अगर पोस्ट अच्छी लगे तो लाइक व शेयर जरूर किया करें धन्यवाद आचार्य राजेश
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