ज्योतिष सिर्फ ग्रह नक्षत्रों का अध्ययन ही नहीं हे। वह तो है ही साथ ही ज्योतिष और अलग-अलग आयामों से मनुष्य के भविष्य को टटोलने की चेष्टा है कि वह भविष्य कैसे पकड़ा जा सके। उसे पकड़ने के लिए अतीत को पकड़ना जरूरी है। उसे पकड़ने के लिए अतीत के जो चिन्ह है, आपके शरीर पर और आपके मन पर भी छुट गये है। उन्हें पहचानना जरूरी हे। और जब से ज्योतिषी शरीर के चिन्हों पर बहुत अटक गए है तब से ज्योतिष की गिराई खो गई है, क्योंकि शरीर के चिन्ह बहुत उपरी है। प्रत्येक आत्मा अपना गर्भा धारण चुनती है, कि कब उसे गर्भ स्वीकार करना है, किस क्षण में। क्षण छोटी घटना नहीं है। क्षण का अर्थ है कि पूरा विश्व उस क्षण में कैसा है। और उस क्षण में पूरा विश्व किस तरह की सम्भावनाओं के द्वार खोलता है। जब कोई मनुष्य जन्म लेता है तब उस जन्म के क्षण में इन नक्षत्रों के बीच जो संगीत की व्यवस्था होती है। वह उस मनुष्य के प्राथमिक, सरल तम, संवेदनशील चित पर अंकित हो जाती है। वही उसे जीवन भर स्वस्थ और अस्वस्थ करती है। जब भी वह अपनी उस मौलिक जन्म के साथ पायी गई, संगीत व्यवस्था के साथ ताल मेल बना लेता है तो स्वस्थ हो जाता है। और जब उसका ताल मेल उस मूल संगीत से छूट जाता है तो वह अस्वस्थ हो जाता है। मित्रोआप देखें कुछ लोग अपनी पढाई 22 साल की उम्र में पूर्ण कर लेते हैं मगर उनको कई सालों तक कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती,
कुछ लोग 25 साल की उम्र में किसी कंपनी के सीईओ बन जाते हैं और 50 साल की उम्र में हमें पता चलता है वह नहीं रहे, जबकि कुछ लोग 50 साल की उम्र में सीईओ बनते हैं और 90 साल तक आनंदित रहते हैं,
बेहतरीन रोज़गार होने के बावजूद कुछ लोग अभी तक ग़ैर शादीशुदा है और कुछ लोग बग़ैर रोज़गार के भी शादी कर चुके हैं और रोज़गार वालों से ज़्यादा खुश हैं,
बराक ओबामा 55 साल की उम्र में रिटायर हो गये... जबकि ट्रंप 70 साल की उम्र में शुरुआत करते है,
कुछ लोग परीक्षा में फेल हो जाने पर भी मुस्कुरा देते हैं और कुछ लोग एक नंबर कम आने पर भी रो देते हैं, किसी को बग़ैर कोशिश के भी बहुत कुछ मिल गया और कुछ सारी ज़िंदगी बस एड़ियां ही रगड़ते रहे,तो इस दुनिया में हर शख़्स अपने ग्रह नछत्र के अधीन है और उसी अघार पर ही टाइम जोन काम करता है ।
ज़ाहिरी तौर पर हमें ऐसा लगता है कुछ लोग हमसे बहुत आगे निकल चुके हैं,
और शायद ऐसा भी लगता हो कुछ हमसे अभी तक पीछे हैं,
लेकिन हर व्यक्ति अपनी अपनी जगह ठीक है अपने अपने वक़्त के मुताबिक़....!!
किसी से भी अपनी तुलना मत कीजिए..
अपने टाइम ज़ोन में रहें
इंतज़ार कीजिए और
इत्मीनान रखिए...
ना ही आपको देर हुई है और ना ही जल्दी,
परमपिता परमेश्वर ने हम सबको अपने हिसाब से डिजा़इन किया है डिजा़इनसे देखें तो वो है आप के कर्म भगवान ने हमें कितनी स्वतंत्रता दी है, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। ज्योतिष के मूल में यही सिद्धांत है कि जो कुछ घटित हो रहा है, वह सबकुछ पूर्वनिर्धारित है। जिस प्रकार फर्श पर गिरा पानी ढलते हुए नाली तक पहुंचता है, अब नाली तक उस पानी के पहुंचने की धारा एक हो सकती है, दो हो सकती है, सैकड़ों हो सकती अथवा धारा दिशा बदल बदलकर नाली तक पहुंच सकती है। पानी का गिरना निर्धारित है और नाली तक पहुंचना निर्धारित है, इसके बीच की सभी अवस्थाएं स्वतंत्र की श्रेणी में आ सकती हैं।
यह धारा किस प्रकार गति करेगी, यह फलादेश ज्योतिषी अपनी सहज बुद्धि, अंतर्ज्ञान और ज्योतिषीय ज्ञान के बूते पर करने का प्रयास करता है।किसी भी जातक के जीवन को ग्रह कभी प्रभावित नहीं करते। जातक के जीवन को उसके कर्म ही प्रभावित करते हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार कर्म तीन प्रकार के होते हैं, संचित कर्म जो कि हमारे सभी पूर्वजन्मों के कर्मों का संचय है, प्रारब्ध कर्म जो हमें इस जन्म में भोगने के लिए मिले कर्म हैं और क्रियमाण कर्म जो हमें इस जन्म में करने हैं वे कर्म। जातक जो जीवन जीता है वह इन्हीं कर्मों के बीच रहता है। ग्रहों की चाल से जातक के प्रारब्ध और इस जन्म के कर्मों की संभावनाओं से भाग्य देखने का प्रयास होता है।
जब यह कहा जाता है कि फलां ग्रह की बाधा है, तो किसी यह कहा जाता है कि ग्रह की बाधा है, तो यहां ग्रह किसी प्रकार की बाधा नहीं दे रहा है, ग्रह यह इंगित कर रहा है कि पूर्वजन्म के किसी कर्म के कारण, इस जन्म में अमुक प्रकार की बाधा आ सकती है, जब कहा जाता है कि राहु की समस्या है तो वह राहू द्वारा पैदा की गई समस्या नहीं होती, बल्कि पूर्वजन्म के कर्म और प्रारब्ध में मिले कर्म के अनुसार इस जन्म में भोगने वाले कर्म की गति है, जिसका राहु की स्थिति से आकलन किया जा रहा है।
ज्www.acharyarsjesh.inयोतिष की सभी गणनाएं और फलादेश जातक के सांसारिक जीवन से ही संबंधित होते हैं। ज्योतिष से पूर्वजन्म देखने का प्रयास किया जा सकता है, या कहें कि कुछ सिद्धांतों के आधार पर ग्रहों की बाधा का कारण पूर्वजन्म के किसी कर्म पर आधारित बता दिया जाता है, लेकिन उससे पूर्वजन्म न तो देखा जा सकता है, न बदला जा सकता है। जो कुछ घटित हुआ है, इसी जन्म में घटित हुआ है और आगे जो भी होना है, वह इसी जन्म में होगा।
ज्योतिष के अधिकांश कारक सांसारिक कार्य कारण संबंध और साधनों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं।जैसे ही
हम बात करते हैं साधना की, तो हम वास्तव में ज्योतिष से परे चले जाते हैं। सांसारिक कार्य कारण संबंधों से परे हमें ऐसा सूत्र हाथ लगता है जो कि हमें इस बंधन से मुक्त कर सकता है। साधक का प्रयास जितना तीव्र होगा, बंधन से मुक्ति भी उतनी ही तीव्र होगी। एक ओर जहां तंत्र इस बंधन से मुक्त होने में सहायक है तो दूसरी ओर योग।
हम बात करते हैं साधना की, तो हम वास्तव में ज्योतिष से परे चले जाते हैं। सांसारिक कार्य कारण संबंधों से परे हमें ऐसा सूत्र हाथ लगता है जो कि हमें इस बंधन से मुक्त कर सकता है। साधक का प्रयास जितना तीव्र होगा, बंधन से मुक्ति भी उतनी ही तीव्र होगी। एक ओर जहां तंत्र इस बंधन से मुक्त होने में सहायक है तो दूसरी ओर योग।
महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की व्याख्या शुरू करने के साथ ही कहा है “योगश्चित वृत्ति निरोधः” यानी चित की वृत्तियों का निरोध ही योग है। सांसारिक साधनों से जोड़ने वाली चित की वृत्तियों का योग की शुरूआत में ही निरोध कर दिया गया है। योग के आठ अंग बताए गए हैं, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
इनमें से यम और नियम योग के लिए साधक को तैयार करने की विधि है, आसन देह की स्थिरता के लिए जरूरी है, प्राणायाम श्वास को स्थिर करने के लिए आवश्यक है, प्रत्याहार से आत्मा और मन पर वजन कम होगा, इसके बाद किसी एक संकल्प की धारणा करनी होगी, उस धारणा को स्थिर करने पर ध्यान होगा।
ध्यान से पूर्व की सभी विधियों को छोटा बड़ा किया जा सकता है, लेकिन ध्यान अपने आप में एक गहन पद्धति है। स्वामी विवेकानन्द ने अनुलोम-विलोम प्राणायाम के जरिए निर्विकल्प ध्यान को राजयोग बताया है। यानी हमें किसी विषय, वस्तु और देवता तक का ध्यान नहीं करना, बस जैसा है वैसा ही ध्यान करना है।
ध्यान की सैकड़ों विधियां हैं, हर जातक अपने लिए विशिष्ट प्रकार का ध्यान चुन सकता है। ओशो के लिए विपश्यना प्रिय थी तो विवेकानन्द के लिए निर्विकल्प ध्यान। बौद्ध तंत्र के अपने ध्यान के तरीके हैं और जैन तंत्र के अपने। सनातनी ध्यान की पद्धतियां तो सैकड़ों की संख्या में हैं। एक सामान्य योग गुरू आपको ध्यान के लिए दीक्षित कर सकता है।एक बार ध्यान की प्रक्रिया शुरू हो जाए तो मैं एक ज्योतिषी के रूप में अपने अनुभव के साथ कह सकता हूं कि ध्यान आपको ग्रहों द्वारा बताए गए परिणाम से दूर ले जा सकता है। दूसरे शब्दों में कर्म बंधनों को काटने में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका है।
विभिन्न ग्रहों की महादशाओं में आने वाली व्यवसाय, स्वास्थ्य, धन, दांपत्य जीवन, प्रेम संबंध, कानूनी, पारिवारिक समस्याओं आदि के ज्योतिषीय समाधान के लिए आप मुझ से फोन अथवा व्हाट्सएप द्वारा संपर्क कर सकते हैं । Call 7597718725-9414481324
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