दिवाली पर खास तंत्र शक्ति साघना घन की देवी लक्ष्मीसाघना
दीपावली की रात तंत्र की महारात्रि होती है। दिवाली पर तंत्र और तांत्रिक वस्तुओं का महत्व कुछ खास ही माना जाता है। दिवाली की रात वैसे भी अमावस्या होती है। और अमावस्या को वैसे भी बहुत रहस्यमयी माना जाता है। दिवाली का पर्व विशेष रूप से शाक्तों का पर्व है। शाक्त यानि तांत्रिक,ये वे होते हैं जो विभिन्न दस महाविद्याओं या महाशक्तियों में से किसी एक की उपासना करते हैं।
दीपावली की रात तंत्र की महारात्रि होती है। दिवाली पर तंत्र और तांत्रिक वस्तुओं का महत्व कुछ खास ही माना जाता है। दिवाली की रात वैसे भी अमावस्या होती है। और अमावस्या को वैसे भी बहुत रहस्यमयी माना जाता है। दिवाली का पर्व विशेष रूप से शाक्तों का पर्व है। शाक्त यानि तांत्रिक,ये वे होते हैं जो विभिन्न दस महाविद्याओं या महाशक्तियों में से किसी एक की उपासना करते हैं।
ये दीपावली की रात को शाक्त शक्ति का विशेष रूप से आवाहन करते हैं, ताकि पूजा करके अपनी शक्तियों को बढ़ा सकें।इसदिन सन्यासी-अघोरी लोग परा शक्तियों को सिद्ध कर विजय हासिल करते है। मित्रो वैज्ञानिक चांद से लेकर मंगल तक पहुंच गए, लेकिन तंत्र-मंत्र की गुप्त विद्या उन्हे विचार करने के लिए विवश कर देती है।
इसका बानगी दीपावली की रात्रि दिखाई देता है। जब कई संपन्न परिवार के सदस्य अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तंत्र विद्या का सहारा लेते है। :
दिवाली के अमावस्या वाली काली रात्रि तांत्रिकों के लिए एक सर्वश्रेष्ठ अवसर है। इसे जिंदगी का वह अमिट तांत्रिक पन्ना भी माना जाता है। वहीं तंत्र की देवी माता काली जिनके आशीर्वाद के बिना कोई भी तांत्रिक अनुष्ठान अधूरा है। वे ही मां काली इस दिन अपने तांत्रिक भक्तों की इस काली भयावह रात्रि में परीक्षा लेती हैं। संसार की रचना के साथ ही कई चीजों का अविष्कार हुआ है। जैसे-जैसे मनुष्य ने उन्नति की अपने स्वार्थं, पुरुषार्थं, परोपकार के लिए कुछ न कुछ खोजता रहा, ये जिज्ञासा संसार में सदैव प्रबल रही है। कई ऐसे सिद्धिप्रद मुहुर्तं होते हैं जिनमें तंत्रशास्त्र में रुचि लेने वाले तथा इसके प्रकांड ज्ञाता तंत्र-मंत्र की सिद्धि, प्रयोग, व अनेक क्रियाएं करते हैं। इन मुहूर्तों में सर्वांधिक प्रबल महूर्तं हैं धनतेरस, दीपावली की रात, दशहरा, नवरात्र व महाशिवरात्री। इसमें दीपावली की रात्र को तंत्रशास्त्र की महारात्रि कहा जाता है। मित्रों ! तंत्र के अनुसार '' जपात सिद्धि जपात सिद्धि जपात सिंह न संशय:है !जाप से सिद्धि प्राप्त हो सकती है और बिना जप के सिद्धि संभव हो नहीं सकती है ! इसलिए तंत्र मार्ग में मन्त्र को चैतन्य करने के लिए मंत्र जाप के अनेक उपाय बतलाये गए हैं ! दीपावली की रात भी हम पहले मन्त्र जप और बाद में तांत्रिक हवन करते हैं ! दीपावली की रात अमावस की रात जब दूर दूर तक प्रकाश का नाम नहीं होता है ,उस रात तांत्रिक,अघोरी,ओघढ़ या कोई अन्य साधक सिद्धि के लिए जप कर रहा होता है ! रात जितनी काली अर्थात गहरी होती है सिद्धि का सवेरा उतना ही समीप होता है ! क्योंकि अति ही अंत को दर्शाती है ! कार्तिक मास की अमावस्या की रात इसी बात की पुष्टि करती है की साधना की भोर ( प्रात: ) होने को है ,साधकों जागो !बहुत सो लिए ,बहुत जला लिए मिटटी के दिए अब साधना का समय आ गया है ,सिद्घी के लिए प्रयत्न करो ! दीपावली का दिया तो केवल एक रात जलेगा और फिर बुझ जायगा परन्तु सिद्धि का साधना का दिप तो सदेव जलेगा ! यदि यह एक बार जल गया तो सब मिल जायगा फिर कोई अँधेरा नहीं,फिर कोई भटकाव नहीं फिर हर दिन और हर रात दिवाली होगी ! वैसे भी दीप तांत्रिक साधना में बहुत महत्व रखता है अगर दीपों का पर्व दीपावली हो तो फिर कहना क्या ? दीप अग्नि का प्रतीक है ! साधना के समय दीप अवश्य जलाया जाता है ! तंत्र शास्त्रों के अनुसार दीप का प्रयोग विधान के अनुसार करना चाहिए ! दीप दान से 'षट्कर्म ' साधना सरल हो जाती है ! दीपावली की रात में साधना कुछ विशेष मन्त्रों से करनी चाहए ! दिवाली की रात वाम मार्गी साधना ,कापालिक, पाशुपत, वीर शैव,जंगम शैव, सिद्धांत ,रोद्र, भैरव साधना करने का चलन है !ये हैं दस महाविद्याएं या महाशक्तियां:
1. महाकाली 2. मां तारा 3. मां षोडशी 4. मां भुवनेश्वरी 5. मां छिन्नमस्तिका 6. मां त्रिपुर भैरवी 7. मां धूमावती 8. माता श्री बगलामुखी 9. मां मातंगी 10. मां कमला
माना जाता है कि इन महाविद्याओं की श्रृद्धापूर्वक साधना करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। आत्म-ज्ञान बढ़ता है, अलौकिकता आती है मां कालीने तो मेरा परिचय दीपावली की रात '' भैरवी चक्र और चोली चक्र '' से कराया था ! ये साधनाए तंत्र की ना केवल गुप्त वरन उच्चतम साधनाएं हैं ! दीपावली की रात तांत्रिक तंत्र गुरु की आज्ञानुसार -अघोर,चीनाचार,विक,प्रत्येविघ्या ,स्पंद और महार्त आदि साधना भी करते हैं ! मित्रों! पुस्तकों के पीछे मत भागो ,वो जानने का प्रयत्न करो जो तांत्रिको के ह्रदय में छुपा है ! जो छुपा है वोही असली तंत्र है जो प्रकाशित है वो तंत्र साहित्य है। कार्तिक अमावस्या की साधना पूजा से सभी विघ्न बाधाएं दूर होने के अलावे सिर्फ धन संपत्ति की प्राप्ति होती ही है। बल्कि रोग, शोक, शक्ति शत्रु का दमन भी होता है। वहीं तंत्र मंत्र सिद्धि करने वालों के लिए यह रात शक्ति प्रदान करती है।, इस दिन यज्ञ, जप की तैयारी कर रहा तो कोई ताबीजों-यंत्रों को सिद्ध करेंगे यानि गणेश-लक्ष्मी पूजन के अलावा तंत्र-मंत्र-यंत्र की सिद्धि भी दीपावली की रात परवान चढ़ेगी।
गृहस्थ लोग भी अपने घरों में लक्ष्मी पूजन के बाद इस तरह की सिद्धि कर सकते हैं सिद्घ मंत्रों व यंत्रों के ताबीज व यंत्र वना सकतें हैं
श्री यंत्र सिद्ध करना सबसे आसान है। इसके लिए पूजन के बाद लक्ष्मी मंत्र-ऊं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्रीं ऊं महालक्ष्म्ये नम: की 11 माला का जाप करें। साथ ही श्री यंत्र की स्थापना कर उसका पूजन करें तो वह सिद्ध हो जाएगा।
इसी प्रकार लक्ष्मी के बीज मंत्र ऊं श्रीं ह्रीं महालक्ष्म्ये नम: की 21 माला कमलगंट्टे अथवा स्फटिक की माला पर जाप करें और दशांश हवन करें तो यंत्र ऊर्जा से भर जाता है। हवन में कमल गंट्टा अथवा कमल पुष्प की आहूति दी जानी चाहिए दीपावली की रात में लक्ष्मी यंत्र, श्री यंत्र, बीसा यंत्र, पंद्रह का यंत्र, हनुमान यंत्र आदि नजर, रक्षा, मुकदमा विजय एवं वशीकरण यंत्र भी इस रात सिद्घ कर सकते हैं मित्रों वर्ष के मान से उत्तरायण में और माह के मान से शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती हैं तो दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं।
जब दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
वहीं ये भी माना जाता है कि अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिएं। प्रेत के शरीर की रचना में 25 प्रतिशत फिजिकल एटम और 75 प्रतिशत ईथरिक एटम होता है। इसी प्रकार पितृ शरीर के निर्माण में 25 प्रतिशत ईथरिक एटम और 75 प्रतिशत एस्ट्रल एटम होता है। अगर ईथरिक एटम सघन हो जाए तो प्रेतों का छायाचित्र लिया जा सकता है और इसी प्रकार यदि एस्ट्रल एटम सघन हो जाए तो पितरों का भी छायाचित्र लिया जा सकता है।
ज्योतिष में चन्द्र को मन का कारक माना गया है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता। इस दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जिस व्यक्ति का ओरा कमजोरहोता है उसकी सोच नकारात्मक वाली हो जाती है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है।शेष फिर कभी आचार्य राजेश
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