मित्रों देव गुरु बृहस्पति अपनी राशि धनु से निकलकर मकर राशि में आ गऐ हैं। जहां पर न्याय के देवता शनिदेव पहले से मौजूद हैं। मकर राशि में शनि और गुरु का आना दो ग्रहों का अद्भत संयोग है। गुरु यहां पर 20 नवंबर से लेकर 6 अप्रैल 2021 तक रहेंगे। मकर और कुंभ राशि शनि देव की राशि है और शनि स्वयं वर्तमान समय में इसी राशि पर गोचर कर रहे हैं ऐसे में बृहस्पति के आ जाने से शनि और गुरु की एक साथ युति फलित ज्योतिष में अप्रत्याशित परिणाम दिलाने वाली सिद्ध होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु और शनि एक दूसरे प्रति एक समान संबंध रखते हैं। ऐसे में गुरु और शनि का मकर राशि में मिलन कुछ लोगों के लिए अच्छा तो कुछ के लिए अशुभ और कुछ के लिए मिलाजुला रह सकता है। यह सब आपकी अपनी कुंडली पर निर्भर होगा गुरुग्रह के विषय में कहा गया है की जिस प्रकार शरीर में प्राण के निकल जाने पर शरीर मृत हो जाता उसी प्रकार जन्मकुंडली विना गुरु मृतप्राय ही है। जन्मकुंडली में गुरु ग्रह ज्ञान, न्याय दर्शन शास्त्र, विष्णु, ज्योतिष, शिक्षा, इत्यादि का कारक है। यदि आपकी कुंडली में गुरु उच्च का, अपने घर का, केंद्र या त्रिकोण स्थान में है तो आप अपने जीवन काल में मनोनुकूल सुख सुविधा का उपभोग करेंगे गुरु ग्रह जीव, ज्ञान, धर्म, न्याय, धन, संतान इत्यादि का कारक ग्रह है। जिस जातक की कुंडली में गुरु और शनि कुंडली के बारह भावो में युति होने से फल में भी अंतर आ जाता है।और उस हिसाब से गोचर फल भी उसी तरह जातक को फल देगागुरु-शनि में कई विपरीत समानताएं है।गुरु वृद्धि कारक है तो शनि कमी का कारक है।गुरु की दृष्टि सुखकारक होती है तो शनि की दृष्टि दुःखकारक और शुभ फल में कमी करती है जहां बृहस्पति / गुरु की गणना नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह में होती है, तो वहीं शनि को क्रूर ग्रहों में प्रमुख माना जाता है। यह दोनों ही न्याय के पक्षधर होते हैं और जहां शनि क्रूरता से कर्म फल प्रदान करते हैं, वहीं बृहस्पति देव उदारता का परिचय देते हुए व्यक्ति को सही मार्ग पर आने का रास्ता दिखाते हैं।गुरु और शनि का मिलन होना सम संबंध को दर्शाता है। यानी ये दोनों ही ग्रह एक-दूसरे से किसी प्रकार का बैर नहीं रखते। अर्थात ये किसी प्रकार से एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाते। शनि गुरु का सम्मान करते हैं। शनि को कर्मों का देवता माना जाता है, तो वहीं गुर आपके कॅरियर की दशा और दिशा तय करते हैं मित्रों 19 से 20 वर्षों के बाद एक राशि में युति कर संपूर्ण विश्व में बड़े बदलाव लाने के योग बनाते हैं पिछले 100 वर्षों के इतिहास पर नजर डालें तो द्वितीय विश्व युद्ध में वर्ष 1941 में गुरु-शनि की युति वृष राशि में हुई थी, उस समय अमरीका ने जापान के द्वारा पर्ल हार्बर पर किए हमले के बाद युद्ध में उतर कर निर्णायक रूप से विजय दिलाकर स्वयं के लिए विश्वशक्ति का खिताब अर्जित किया था
शनि के साथ गुरु की युति भारत और दुनिया के अन्य देशों में बड़े परिवर्तन लाएगी। आपको बता दें कि ये दोनों बड़े ग्रह लगभग 19 से 20 वर्षों के बाद एक राशि में युति कर पुरी दुनिया में बड़े बदलाव लाने के योग बनाते हैं। पिछले 100 वर्षों के इतिहास पर नजर डालें तो द्वितीय विश्व युद्ध में वर्ष 1941 में गुरु-शनि की युति वृष राशि में हुई थी, उस समय अमरीका ने जापान के द्वारा पर्ल हार्बर पर किए हमले के बाद युद्ध में उतर कर निर्णायक रूप से विजय दिलाकर स्वयं के लिए विश्वशक्ति का खिताब अर्जित किया था।
गुरु शनि मकर राशि में चलेंगे साथ, इन्हें रहना होगा सजग, सावधान
भारत-चीन के बीच हुआ था युद्ध
ठीक 20 वर्ष के बाद गुरु-शनि की युति मकर राशि में हुई तब क्यूबा मिसाइल संकट के समय अमरीका और तात्कालिक सोवियत संघ के बीच युद्ध की ठन गयी थी। भारत को तो चीन से उस समय एक भयानक युद्ध का सामना करना पड़ा था। बाद में 1980-81 में गुरु-शनि के महायुति कन्या राशि में बनी, जिसने ईरान और इराक के बीच घमासान युद्ध हुए जिसने में 10 लाख लोगों के प्राण लील लिए।
आर्थिक बदलाव के भी बन रहे हैं योग
वर्ष 2000-01 में गुरु-शनि की युति वृष राशि में हुई, जिसने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमले के बाद पूरे विश्व में उथल-पुथल मचा दी। अब गुरु-शनि की महायुति फिर से हो रही है। इससे पहले इस साल जून तक इन दिनों ग्रहों ने मकर राशि में मिलकर पूरी दुनिया को कोरोना संकट में उलझा रखा और बड़ी संख्या में जन-धन की हानि करवाई। अब इन दिनों ग्रहों के संयोग से दुनिया के कई देशों में राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक बदलाव के योग बन रहे हैं।
पाकिस्तान और मध्य-एशिया में मच सकती है बड़ी उथल-पुथल बृहत संहिता के अनुसार मकर राशि का प्रभाव क्षेत्र पंजाब, सिंध, गांधार और यवन देश तक माना जाता है। आधुनिक परिपेक्ष में इसे देखें तो मकर राशि के प्रभाव में वर्तमान उत्तर भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान आता है। मकर राशि में होने वाली शनि-गुरु की यह महायुति हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के वहां अगले वर्ष सत्ता परिवर्तन के लिए बड़े जन-आंदोलन करवा सकती है। शनि-गुरु की यह युति भारत की धार्मिक उन्माद को बढ़ा सकती है। सामान नागरिक कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और नागरिकता संशोधन कानून का विवाद अगले वर्ष के आरंभ में बड़ा मुद्दा बना सकता है, इसके लिए जन-आंदोलन भी हो सकता है। ईरान और मध्य-एशिया में कोरोना महामारी एवं आर्थिक-मंदी से परेशान जनता सत्ता पक्ष के विरुद्ध उठ खड़ी हो सकती है।शनि को ज्योतिषशास्त्र में कृषक और मजदूर भी कहा जाता है। शनि खेती-बाड़ी, पशुपालन और छोटी नौकरी का कारक ग्रह है। मकर राशि में शनि के साथ शुभ ग्रह गुरु की महायुति जैविक कृषि और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति लेकर आएगी। शनि और गुरु की यह युति मकर राशि में पहले उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और बाद में श्रवण नक्षत्र में होगी जिनके प्रभाव क्षेत्र में बड़े नेता, उद्योगपति, धर्मगुरु, धार्मिक जन, पहलवान, खिलाडी, पेड़-पौधे और वनस्पति आदि आते हैं। शनि और गुरु की युति के समय अगले 4 माह में इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को कष्ट और परेशानी हो सकती है। शनि-गुरु की महायुति के समय राहु के वृष राशि में होने के कारण दुनिया के कई देशों में धर्म के नाम पर लोग आंदोलन भी कर सकते हैं।
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