मंगलवार, 16 दिसंबर 2025

शोर संसार का भ्रम है, 'सन्नाटा' ही असली सच है। पाताल (8th House) की भट्टी में तपे बिना, आकाश (12th House) की ठंडक नहीं मिलती। मोक्ष की महायात्रा: एक परदेसी की घर वापसी। 🚶‍♂️➡️🏠"

 शोर संसार का भ्रम है, 'सन्नाटा' ही असली सच है।

पाताल (8th House) की भट्टी में तपे बिना, आकाश (12th House) की ठंडक नहीं मिलती।

मोक्ष की महायात्रा: एक परदेसी की घर वापसी। 🚶‍♂️➡️🏠"

पाताल के अग्निकुंड से अपने 'असली वतन' तक: 12वें भाव का परम सत्य

(मोक्ष त्रिकोण का अंतिम रहस्य)

​ज्योतिष शास्त्र में 12वें भाव (12th House) को अक्सर डर की नजर से देखा जाता है। इसे 'हानि', 'व्यय' (खर्च), 'जेल', 'नींद' और 'विदेश यात्रा' का भाव कहा जाता है। लेकिन अगर हम ऋषियों की दृष्टि से देखें, तो यह भाव खोने का नहीं, बल्कि "वापस लौटने" का है।

​संसार का यह कोलाहल एक भ्रम है। असली बात तो 'चुप' (Silence) है। आइए, एक योगी की कहानी के माध्यम से समझें कि कैसे 8वें भाव की आग और 12वें भाव का आकाश हमें हमारे 'असली देश' (Original Home) तक पहुँचाते हैं।

1. 12वें भाव के कारकों का आध्यात्मिक अर्थ

​संसारी दृष्टि और आध्यात्मिक दृष्टि में जमीन-आसमान का फर्क है:

  • व्यय (Expenditure) या मुक्ति? आम आदमी के लिए यह धन का खर्च है। लेकिन योगी के लिए यह 'कर्मों का व्यय' है। 12वां भाव वह स्थान है जहाँ हम अपने अहंकार और भारीपन को 'खर्च' कर देते हैं ताकि हम हल्के (Weightless) हो सकें।
  • विदेश यात्रा (Foreign Travel) या स्वदेश वापसी (Homecoming)? ज्योतिष में 12वें भाव को 'विदेश' कहा गया है। लेकिन गहरा सच यह है कि आत्मा के लिए यह मृत्युलोक (पृथ्वी) ही 'विदेश' है। हम यहाँ परदेसी हैं। 12वां भाव विदेश जाने का नहीं, बल्कि विदेश (संसार) से छूटकर अपने 'असली देश' (परमात्मा के घर) लौटने का टिकट है।
  • जेल या एकांतवास? दुनिया के लिए यह एकांत 'सजा' है, लेकिन साधक के लिए यह 'अवसर' है। वह भीड़ से कटकर ही अपने घर का रास्ता खोज पाता है।

2. कहानी: "परदेसी की घर वापसी"

(पाताल से आकाश तक की महायात्रा)

​एक समय की बात है, एक योगी था जिसे एहसास हो गया था कि वह इस दुनिया में अजनबी है, एक 'परदेसी' है। उसे अपने असली घर (परमधाम) की बहुत याद आ रही थी।

​गुरु ने उसे नक्शा दिया: "वत्स! घर (12वें भाव) का रास्ता ऊपर आकाश से जाता है। लेकिन तेरे पास 'कर्मों' का बहुत भारी सामान है। भारी सामान के साथ 'फ्लाइट' नहीं उड़ेगी। तुझे पहले पाताल (8वें भाव) की भट्टी में जाकर अपना बोझ हल्का करना होगा।"

चरण 1: पाताल का अग्निकुंड (8वां भाव)

​योगी ने ध्यान के द्वारा अपने भीतर के अष्टम भाव (पाताल) में प्रवेश किया। वहां एक दिव्य अग्निकुंड धधक रहा था—यह उसकी 'तपस्या' और 'परिवर्तन' की आग थी।

उसने देखा कि उसकी पीठ पर जन्म-जन्मांतर के कर्मों के बीज (संचित कर्म) लदे हैं। यही वह वजन था जिसने उसे इस 'विदेश' (धरती) से बांध रखा था।

चरण 2: 'भुने हुए बीज' (The Burnt Seed)

​योगी ने अपने कर्मों के उस भारी गठ्ठर को 8वें भाव की आग में डाल दिया।

यहाँ एक अद्भुत घटना घटी। साधारण मृत्यु में कर्मों के बीज मिट्टी में दब जाते हैं और फिर उग आते हैं (पुनर्जन्म)। लेकिन योगी ने उन बीजों को भून (Roast) दिया।

नियम है—"भुना हुआ बीज कभी दोबारा नहीं उगता।"

अब उसके पास इस 'विदेश' (धरती) पर वापस लौटने का कोई कारण नहीं बचा था। उसका 'वीज़ा' एक्सपायर हो चुका था।

चरण 3: वाष्प और व्यय (शुद्धिकरण)

​कर्म जलते ही वह 'शुद्ध वाष्प' बन गया।

यही 12वें भाव का 'व्यय' था—उसने अपना शरीर, अपना नाम, अपनी पहचान सब खर्च कर दी। वह पूरी तरह हल्का हो गया। गुरुत्वाकर्षण अब उसे रोक नहीं सकता था। वह ऊपर उठने लगा।

चरण 4: स्वदेश वापसी (12वां भाव और मोक्ष)

​उठते-उठते वह उस अंतिम छोर पर पहुंचा जिसे 12वां भाव (आकाश) कहते हैं।

​वहाँ पहुँचते ही उसे एक अजीब सी शांति मिली। यह कोई अनजान जगह नहीं थी। उसे महसूस हुआ कि "अरे! यह तो मेरा अपना घर है। मैं तो यहीं का था, बस नीचे घूमने गया था।"

​जिसे दुनिया "जाना" (मृत्यु) कहती है, योगी के लिए वह "आना" (घर वापसी) था।

वहाँ कोई शोर नहीं था, बस एक गहरा सन्नाटा था।

वह वाष्प रूपी आत्मा उस विराट आकाश में ऐसे मिल गई जैसे कोई थका हुआ मुसाफिर अपने घर के बिस्तर पर गिरकर निश्चिंत हो जाता है।

​परदेसी अपने देश लौट आया था। यात्रा पूरी हुई।

निष्कर्ष (The Ultimate Sutra)

​इस यात्रा का सार यही है:

"8वां भाव वह 'कस्टम चेक' (Custom Check) है जहाँ योगी अपने कर्मों का भारी सामान जलाकर छोड़ देता है, और 12वां भाव वह 'विमान' है जो उसे इस विदेश (संसार) से उड़ाकर उसके 'असली वतन' (मोक्ष) पहुँचा देता है।"


​इसलिए, 12वां भाव अंत नहीं, बल्कि घर वापसी का उत्सव है।

आचार्य राजेश कुमार

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शोर संसार का भ्रम है, 'सन्नाटा' ही असली सच है। पाताल (8th House) की भट्टी में तपे बिना, आकाश (12th House) की ठंडक नहीं मिलती। मोक्ष की महायात्रा: एक परदेसी की घर वापसी। 🚶‍♂️➡️🏠"

 शोर संसार का भ्रम है, 'सन्नाटा' ही असली सच है। पाताल (8th House) की भट्टी में तपे बिना, आकाश (12th House) की ठंडक नहीं मिलती। मोक...