शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

मित्रो ज्योतिषियों के विषय में लोगों में जो सबसे बडी गलतफहमी है वो ये है कि लोग उन्हें त्रिकालज्ञ मानते हैं और ऐसा सोचते हैँ कि जैसे ही उसने कोई कुण्डली उठाई वैसे ही वह उस कुण्डली का भूत, वर्तमान और भविष्य सब देख लिया. पर वास्तव में ये सम्भव ही नहीं है. सबसे पहली बात, किसी जन्मपत्री को दस मिनट में देखी ही नहीं जा सकती. प्रत्येक कुण्डली में इतनी गहराई होती है कि जिंदगी भर उसे देखा जाये फिर भी वो पूरी नहीं होती है. आज इस विषय पर इसलिए लिख रहा हूँ इस विषय पर वर्षों शोध किया हूँ, ज्योतिष की एक नहीं अनेकों विधाओं पर काम किया हूँ. जल्दी किसी की कुण्डली नहीं देखता पर जब देखता हूँ घंटों डूबकर देखता हूँमेंने ज्योतिष का अध्ययन शुरू किया| दिन में अक्सर ६ घंटे में ज्योतिष की किताबे या सामयिक पढ़ने या कुंडली के रहस्यों को समझने में व्यतीत करता आया हूँ| ज्योतिष मेरे लिए शोख का विषय था ना की व्यवसाय| इसी लिए मेरे पास मार्ग-दर्शन के हेतु आने वाले मुख्यत: मेरे निजी सम्बन्धी, सहकर्मचारी व् पडोसी होते थे| लोग आते अपनी कुंडली ले कर और में उनका वही कुंडली से मार्गदर्शन करता था| कुंडली की बनावट सही सही हुई है या नहींपहले यह देखना जरुरी समझा इसका मुख्या कारण यह था की मेरे पास पुरानी वनी यो हाथ से वनी हुई होती थी अक्कर गलत होती थी उस समय कुणङली पंचाग से वनाई जाती थी जो काफी मेहनत का काम होता था ओर उसमे कभी कभार गलती भी हो सकती है जब कम्पूटर पर चुटकी में कुंडली बनाना संभव हो गया तब ऐसे संशयात्मक किस्सोमें कुंडली फिर से बना कर देखना मुमकिन हो गया | और मालुम हुआ की जातक जो कुंडली ले कर आज तक आता रहा था वह कुंडली ही सच्ची नहीं बनी थी| तब प्रश्न यह खडा हुआ की कुंडली अगर पहले से ही गलत बनी थी तो फीर आज तक वही कुंडली से की हुई बातें कैसे सही हो रही थी दूसरी और कभी कभी ऐसी घटनाए सामने आती रही जिससे मुझे अंत: चेताना (इन्ट्यूशन) )से आती हुई बातों पर विश्वास करने की प्रेरणा हुई| कई बार ऐसा हुआ की किसी व्यक्ति की कुंडली देखते देखते कुछ एसी बाते मनसे उठी जिसे में उस व्यक्ति को कहने की हिम्मत नहीं कर सका | क्यो की वो अंदर से आती हुई बात, व्यक्ति को में जिस तरह से जानता था उससे बहुत भिन्न थी| इतना ही नहीं मुझे वह बातों के लिए कुंडली में से वैसे ग्रह योग भी नहीं मिले जिसके आधार पर मन में से उठी बातों को सच माना जा सके| ऐसे में अंदर से आई बातों को जाहिर नहीं करना ही समझदारी मानी गई| समय बितने पर जब एसी घटना ए सच हो कर उजागर होने लगी तब मुझे एहसास होने लगा की ज्योतिष के बारिक से बारिक अभ्यास कर के निकाली गई संभावनाओ से भी ज्यादा सटीक हो सकती है मन के अंदर से आने वाली बातें| मैंने पाया की जब पूछने वाला पूरी निष्ठा से पेश हुआ हो और उसको मददगारसावित हो सकती है लेकिन ज्योतिषी की भावना भी सहृदयी हो तब अंत:करण से निकली बातें आश्चर्यजनक ढंग से सच होती है अब एक संभावना बन गई की ज्योतिष का जब बहुत अभ्यास हो जाता है, कुंडली देखने मात्र में अचेतन मन उसका बहुत शीघ्र ही विश्लेषण कर लेता है और उसी में से जन्म लेता है इनटयुशन जो ज्योतिषिक तर्क से परे होता है| दूसरी संभावना यह हो सकती है की एक कोई ऐसी अदृष्ट शक्ति भी है जो भविष्य की जानकारी को उजागर होने या न होने देने को संकलित करती हो| इसी लिए कुंडली गलत भी बनी हो तबभी उसमे से सच्ची बातें भी बताई जाती है.. और तभी तो बिना कोई ज्योतिषीय तर्क के भी निष्पादित कथन सच्चे होते है | यह बात में अच्छी तरह मानने लगा हू की भविष्य कथन कुंडली का मोहताज नहीं होता| कुंडली का ज्ञान व् ग्रह-नक्षत्र तो निमित्त मात्र है असली जवाब तो अंदर से आते है| में यह भी मानने लगा की उच्चत्तर साधन का प्रयोग रोज मर्रा की छोटी मोटी इच्छाओं की पूर्ति के लिए करना ठीक नहीं होगा | इच्छित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए करने योग्य सभी पुरुषार्थ कर लेने के बावजूद भी जब परिणाम न मिले और इस वजह से इंसान सचमुच काफी दुखी हो रहा हो तब ही इस रास्ते मार्गदर्शन हेतु प्रयास करना उचित होगा| अंत:स्फ्रुणा कोई निजी सिद्धी नहीं होती| आप उसे बुद्धि से समझा या सिखा नहीं सकते और इसी लिए उसका उपयोग निजी स्वार्थ के लिए नहीं कर सकते न ही उसको कोई चैलेन्ज का हिस्सा बनाना चाहिए| मार्गदर्शन के हेतु आपके पास आए व्यक्ति को मदद करने में आप सुष्टि की उच्चतम प्रणाली (सिस्टम के एक पुर्जे मात्र हो एसी मनोभावना को कायम रख कर अपने अहंकार को उठने नहीं देने की चौकसी रख पाना बहोत जरुरी है| सिस्टम को जितना मंजूर होगा इतना ही और जब मंजूर होगा तब ही आप की बात सच हो सकेगी यह बात हमेशा याद रखनी होगी खैर अव तो पुरा समय ज्योतिष को ही देता हु आज जो भी हु अपने गुरु की कृप्पा ओर मा ँ काली की वदोलत हु मेरा मुझ कुछ नही मित्रो आचार्य राजेश 09 07597718725

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