आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
रविवार, 12 फ़रवरी 2017
, ,,,,,,।,,, ग्रहण , मित्रो 11 फरवरी को चन्द्र ग्रहण लगा तो वहुँत से मित्रो ने ग्रहण के वारे जानकारी चाही मित्रो 2017 में कुल चार ग्रहण लग रहे है ऐक निकल गया अव तीन वचे है दो सूर्य ग्रहण और 1 चन्द्र ग्रहण होंगे , वैज्ञानिक दृस्टि से जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में आते है तो उसे ग्रहण का नाम दिया जाता है , भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का व्यापक प्रभाव बताया गया है सबसे पहले देश दुनिया में 11 फरवरी को लगने वाले उपच्छाया था चंद्रग्रहण से शुरू होगा2017 ।ग्रहण का प्रभाव उस देश में ही होता है जहाँ पर यह पूर्ण रूप से दिखाई देता है | इन ग्रहण का असर वहां के लोगों पर होगा जहां ये दिखाई देंगे। सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, खगोलविदों के लिये दोनों ही आकर्षण का केंद्र होते हैं। रही बात आम लोगों की, तो कुछ लोग इसे भौगोलिक घटना से जोड़ते हैं तो वहीं तमाम लोग ऐसे हैं, जो इसे धर्म-कर्म से जुुड़ी घटना मानते हैं। सूर्य संपूर्ण जगत की आत्मा का कारक ग्रह है। वह संपूर्ण चराचर जगत को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है इसलिए कहा जाता है कि सूर्य से ही सृष्टि है। अतः बिना सूर्य के जीवन की कल्पना करना असंभव है। चंद्रमा पृथ्वी का प्रकृति प्रदत्त उपग्रह है। यह स्वयं सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होकर भी पृथ्वी को अपने शीतल प्रकाश से शीतलता देता है। यह मानव के मन मस्तिष्क का कारक व नियंत्रणकर्ता भी है। सारांश में कहा जा सकता है कि सूर्य ऊर्जा व चंद्रमा मन का कारक है। प्रिय मित्रों राहु-केतु इन्हीं सूर्य व चंद्र मार्गों के कटान के प्रतिच्छेदन बिंदु हैं जिनके कारण सूर्य व चंद्रमा की मूल प्रकृति, गुण, स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है। यही कारण है कि राहु-केतु को हमारे कई पौराणिक शास्त्रों में विशेष स्थान प्रदान किया गया है। राहु की छाया को ही केतु की संज्ञा दी गई है। राहु जिस राशि में होता है उसके ठीक सातवीं राशि में उसी अंशात्मक स्थिति पर केतु होता है। मूलतः राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं के संपात बिंदु हैं जिन्हें खगोलशास्त्र में चंद्रपात कहा जाता है। प्रिय मित्रों, ज्योतिष के खगोल शास्त्र के अनुसार राहु-केतु खगोलीय बिंदु हैं जो चंद्र के पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने से बनते हैं। राहू-केतू द्वारा बनने वाले खगोलीय बिंदु गणित के आधार पर बनते हैं तथा इनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। अतः ये छाया ग्रह कहलाते हैं। छाया ग्रह का अर्थ किसी ग्रह की छाया से नहीं है अपितु ज्योतिष में वे सब बिंदु जिनका भौतिक अस्तित्व नहीं है, लेकिन ज्योतिषीय महत्व है, छाया ग्रह कहलाते हैं जैसे गुलिक, मांदी, यम, काल, मृत्यु, यमघंटक, धूम आदि। ये सभी छाया ग्रह की श्रेणी में आते हैं और इनकी गणना सूर्य व लग्न की गणना पर आधारित होती है।मित्रो ज्योतिष में छाया ग्रह का महत्व अत्यधिक हो जाता है क्योंकि ये ग्रह अर्थात बिंदु मनुष्य के जीवन पर विषेष प्रभाव डालते हैं। राहु-केतु का प्रभाव केवल मनुष्य पर ही नहीं बल्कि संपूर्ण भूमंडल पर होता है। जब भी राहु या केतु के साथ सूर्य और चंद्र आ जाते हैं तो ग्रहण योग बनता है। ग्रहण के समय पूरी पृथ्वी पर कुछ अंधेरा छा जाता है एवं समुद्र में ज्वार उत्पन्न होते हैं। मित्रों इस वर्ष, कुल 4 ग्रहण लगेंगे। पहला ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण 11 फरवरी को लगा फिर 26 फरवरी को सूर्यग्रहण लगेगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा। फिर सात अगस्त को आंशिक चंद्रग्रहण का नजारा भारत में दिखेगा। 21 अगस्त को 2017 का पूर्ण सूर्य ग्रहण आखिरी ग्रहण होगा, जो हला सूर्य ग्रहण: 26 फरवरी (रविवार ) , 2017 को है कहां-कहां दिखेगा ग्रहण यह एक आंशिक ग्रहण होगा जो कि भारत, दक्षिण / पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका की ज्यादातर हिस्सों में इसका प्रभाव नहीं रहेगा ग्रहण का समय आंशिक सूर्यग्रहण शुरू: 26 फरवरी, 17:40 pm पूर्ण सूर्यग्रहण शुरू: 26 फरवरी, 18:45 pm अधिकतम ग्रहण : 26 फरवरी, 20:28 pm पूर्ण ग्रहण: 26 फरवरी, 22:01 pm ग्रहण अंत: 26 फरवरी, 23:05 pm भारत मे यह फरवरी माह में होने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा अतः भारत में सूतक मान्य नहीं है.मित्रो पर अगर आपकी कुन्ङली मे सूर्य के साथ राहु-केतु आ जाने पर ग्रहण माना जायेगा। सूर्य का राहु से संयोग होने पर गंदे विचार, केतु संयोग होने पर पैरों में रोग जातक या जातिका के जन्मपत्रिका में यह योग चाहे किसी भी भाव में हो, नुक्सान ही करता है। इस योग के होने पर जातक या जातिका के पास सब कुछ होते हुए भी हमेशा यही लगता है कि उसके पास कुछ भी नहीं है। यह योग जातक या जातिका के आत्मविश्वास में कमी करता है और साथ ही ये योग जॉब सिक्योर नहीं होने देता। यदि जातक या जातिका सरकारी नौकरी करता है, और पत्रिका में इस योग के विशेष प्रभावी होने पर अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ कर आ सकता है। ऐसे जातक या जातिका का पिता और खुद या तो बहुत तेज तर्रार होते है और या बिलकुल ही शांत होते है। ऐसा जातक या जातिका ताउम्र आत्मपीड़ित रहता है यदि पत्रिका में यह युति सप्तम भाव में है जो की जातिका के वैवाहिक जीवन में कष्ट प्रदान करती है। अतः इसका उपाय अवश्य करवाना चाहिये। उपाय :- 1) यह योग जन्मपत्रिका के जिस भाव में हो, उतनी ही मात्रा में सूर्य के शत्रु ग्रहो (शनि, राहू और केतु) का समान ले, और ग्रहण अवधि में मध्यकाल में अपने सिर से सात बार एंटीक्लॉक वाइज उसारा करके किसी भी नदी के तेज बहते जल में प्रवाहित दे। जैसे की पत्रिका में यह युति सप्तम भाव में है तो इसलिए जातक या जातिका को 700 ग्राम सरसो का तेल, 700 ग्राम साबुत बादाम, 700 ग्राम लकड़ी के कोयले, 700 ग्राम सफ़ेद व काले तिल मिलेजुले, 7 नारियल सूखे जटावले और बजने वाले तथा 70 सिगरेट बगैर फ़िल्टर वाली ले 700 ग्राम जो ले 2) कम से कम 60 ग्राम का शुद्ध चांदी का हाथी जिसकी सूंड नीचे की और हो, अपने घर पर लाकर चांदी या स्टील की कटोरी में गंगाजल भरकर उसमे खड़ा करके अपने बेड रूम में रखें। ध्यान रखे की इस हाथी पर सूर्य की रौशनी न पहुँचे। 3) सूर्य की किरणें सीधे अपने सिर पर न पड़ने दे अर्थात अपना सिर ढक कर रखें। 4) अपने पुश्तैनी मकान की दहलीज के नीचे चांदी का पतरा या तार बिछाए। 5) राहु से सम्बंधित कोई भी वस्तु अपने घर पर न रखें और न ही उनका सेवन/ग्रहण करे। जैसे कि : नीला और सलेटी रंग, तलवार, अभ्रक, खोटे सिक्के (जो आज चलन में नही है), बंद घड़ियाँ, बारिश में भीगी लकड़ी, जंग लगा लोहा, ख़राब बिजली का समान, रद्दी, लकड़ी के कोयले, धुँआ, टूटे-फूटे खिलौने, टूटी-फूटी चप्पलें, टूटे-फूटे बर्तन, खली डिब्बे, टूटा हुआ शिक्षा, ससुराल पक्ष, मूली या इससे बनी वस्तु, जौ या इससे बनी कोई वस्तु, नारियल (कच्चा या पक्का) या इससे बनी कोई भी वस्तु, नीले जीव, नीले फूल या नीले रंग के कोई भी वस्तु आदि। 6) अपने घर की छत, सीढ़ियों के नीचे का स्थान और लेट्रिंग-बाथरूम सदा साफ़ रखें। 7) लाल और नीले कलर का कॉम्बिनेशन या ये दोनों कलर अलग अलग कभी भी धारण न करे। 8) अपने जीवन में कभी भी मांस-मदिरा, बीयर, तम्बाकू आदि का सेवन न करें। 9) यदि सूर्य नीच का हो तो पूर्व की और मुख करके कभी भी पूजा न करे। 10) पूर्व की और मुख करके शौच क्रिया न करें मित्रो आप भी अपनी कुन्ङली दिखाना या वनवाना या कोअई अच्छी क्वालिटी का रतन या कोई समस्या का हल चाहते है तो सम्पर्क करे 07597718725 0914481324 मित्रो हमारी paid services है कोई भी जानकारी के लिऐ हमारे नम्वरो पर वात करे आचार्य राजेश
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